Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan

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Page 54
________________ माँ सरस्वती ४४ श्री सरस्वती साधना विभाग वंदनापापनिकंदना.... • शरद पूर्णिमा के चाँद समान संपूर्ण बदनवाली, __हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • श्रेष्ठ निर्मल कमल के पत्र सदृश दीर्घ लोचन (आँख) वाली, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • मोती का हार, सरोवर में स्थित हंस, कुंद नामके उज्जवल पुष्प एवं चाँद समान श्वेतवर्णवाली, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • अत्यंत उज्ज्वल लता (पुष्प) है हाथ में जिसके, ऐसी हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • रत्नों और सुवर्ण से अलंकृत किये हुए सुंदर कंठवाली, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • सभी भाषाओं के विषय में वाणी स्वरूप से फैली हुई, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • भक्तजनों द्वारा नमस्कृता तथा जगत के सभी जीवों के अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करनेवाली, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • शास्त्रकी अत्यंत उत्तम पुस्तकें स्थापन है कर (हाथ) में जिसके, ऐसी, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • जिनेश्वर भगवंत के मुख-कमल में उत्पन्न हुई, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । - दिव्य ज्ञानियों से ज्ञात हुआ है रहस्य जिसका, ऐसी, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • नमन किये हुए सकल जनके चित्तके लिये अचिंत्य चिंतामणी सदृश, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • मिथ्यात्त्वरूपी अंतर - शत्रुओं का नाश करने में चतुर, ऐसी, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • पतित को पावन और मूर्ख को पंडित बनानेवाली, हे शारदा मैया ! तुझे नमस्कार हो । • श्री सम्यग्ज्ञान की ज्योति-स्वरुप, ऐसी हे शारदा मैया ! • हे गौरी ! हे जोगेश्वरी ! हे भुवनेश्वरी ! हे वागिश्वरी ! हे सरस्वती ! तुझे मेरा अनंत नमस्कार हो ! • माता ! तेरे अंतर - आशिष सदा मुझपर बरसते रहे और तेरा 'वरदान' प्राप्त करने के लायक मैं बन जाऊँ यही मनोकामना...

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