Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan

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Page 48
________________ माँ सरस्वती ३८ . श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग ॥सम्यग्ज्ञान की अदभूत सज्झाय ।। • श्री गुरु चरण पसाउले रे लाल, पंचमीनो महिमाय रे, हो आतमा । विवरीने कहिशुं सुणो रे लाल, सुणंता पातिक जाय रे, हो आतमा, पंचमी तप प्रेमे करो रे लाल... ||१|| . मन शुद्ध आराधतां रे लाल, तुटे कर्म निदान रे, हो आतमा । आ भव सुख पामे घणां रे लाल, परभव अमर विमान रे, हो आतमा ।२।। सयल सूत्र रचना करी रे लाल, गणधर हुआ विख्यात रे, हो आतमा ज्ञाने करीने जाणतां रे लाल, स्वर्ग नरकनी वात रे, हो आतमा ||३|| गुरु ज्ञाने दीपता रे लाल, ते तरीया संसार रे, हो आतमा । ज्ञानवंतने सह नमे रे लाल, उतारे भवपार रे, हो आतमा ||४|| . अजवाली पक्ष पंचमी रे लाल, करो उपवास जगीश रे, हो आतमा । 'नमो नाणस्स' गणणुं गणो रे लाल, नवकार वाली वीश रे, हो आतमा ||५|| पंच वरस ओम कीजीये रे लाल, उपर वली पंच मास रे, हो आतमा । शक्ति अनुसार उजवो रे लाल, जेम होय मनने उल्लास रे, हो आतमा ||६|| वरदत्तने गुण-मंजरी रे लाल , तपथी निर्मल थाय रे, हो आतमा । कीर्ति विजय उवज्झायनो रेलाल, कांति विजय गुण गाय रे,हो आतमा ||७|| अमृत के कुछ बुंद.... ज्ञान-ज्ञानी और ज्ञान के साधनों का उचित बहुमान करे | जेसलमेर ज्ञान-भंडार में रुपेरी (चांदी के) अक्षरवाले २६८३ ताडपत्रीय अनमोल-बहुमूल्य ग्रंथ विद्यमान है। देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण महाराज से लगाकर आज तक करोडों धर्म ग्रंथ ताडपत्रादि में लिखे गये है । हस्त लेखित साहित्य लिखाना चाहिए...| जैन शास्त्र-ग्रंथों का सबसे अधिक विनाश मुस्लिम एवं क्रिश्चनों ने किया है । भगवान सभी को सद्बुद्धि दे । आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाये वही सच्चा ज्ञान है। बाकी सब विज्ञान-वि(याने-उल्टा) ज्ञान है । विद्या यह ऐसा धन है, आप जितना बांटोंगे, बढता ही जायेगा ।

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