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अकबरी
प्रकलारणो
अकबरी-स्त्री० प्राचीन सोने का सिक्का। २ एक प्रकार की अकरार-वि० कमजोर, अशक्त, निर्बल । मिठाई । ३ लकड़ी पर की जाने वाली खुदाई ।
अकराळ-देखो "विकराळ'। ---वि० अकबर का, अकबर संबंधी।
अकरास-देखो 'उकरास'। अकबार-देखो, 'अखबार'।
अकरितौ-देखो 'अकरतौं'। प्रकबाल-देखो 'इकबाल'।
अकरुण-वि० [सं०] १ जिसमें करुणा न हो, दयाहीन । अकयस्थ, अकयथ, अकयश्थ-वि० [प्रा.] अकारथ, व्यर्थ ।
२ जिसमें कोमलता न हो, सख्त, ठोस । ३ निर्दयी, हृदय अकर-वि० [सं०] १ कर रहित, बिना हाथों का। २ जो कुछ हीन, यूर । ४ करुण रस से हीन ।
करने योग्य न हो, अकर्मण्य । ३ न करने योग्य । ४ कठिन, | अकरूर, अकरूरि - देखो 'अक्रूर'। दुष्कर । ५ जिस पर कोई कर या महशूल न हो, कर मुक्त। अकराळरणौ (बौ) अकरेळरणौ (बौ)-देखो 'उकराळणी, (बी)।
६ जबरदस्त, भयंकर । ७ पराक्रमी। ८ निष्पाप। अकळंक-वि० [सं० अ-कलङ्क] १ कलंक रहित, निष्कलंक । प्रकरण -पु० [सं०] १ इन्द्रियों से रहित, परमात्मा । २ फल | २ दोष रहित, निर्दोष । ३ बेदाग, स्वच्छ । रहित कर्म । ३ न करने योग्य कार्य । ४ पाप ।
-ता-स्त्री० निष्कलंकता । निर्दोषता । स्वच्छता। [सं० अ-कर्णः] ५ सर्प, सांप । ६ बहरा व्यक्ति । अकळ-पु० [सं० अकल] १ ईश्वर, परब्रह्म। २ शिव । ३ परब्रह्म -वि० [मं० अ-कर्ण] १ कर्ण रहित, बिना कानों का। की उपाधि विशेष । २ बहरा सं० [अ+कारण] ३ बिना कारण का। -वि० १ जो विभक्त न हो सके, अविभाज्य, पूर्ण, । २ अपार, ४ असंभाव्य ।--करण-पु० ईश्वर परमात्मा ।
असीम विशाल । ३. अगम्य । ४ अगोचर । ५ निराकार, अकरता-वि० [सं० प्र+कर्ता] १ कर्म न करने वाला, अक- निर्गगा । ६ अखिल, सम्पूर्ण। ७ समर्थ, शक्तिशाली। मंगण । २ जो कर्मों से निर्लिप्त हो । कर्म मुक्त ।
जबरदस्त । ८ वोर, बहादुर। ९ व्याकुलता रहित । करब-यु० -वृश्चिक राशि । २. मुख पर श्वेत बालों वाला १० दोष रहित निर्दोष । ११ व्याकुल, पातुर । १२ अशुभ घोड़ा । ३ बिच्छु ।
अविचल । १३ पूर्ण, पूरा । १४ चतुर, निपुण । १५ भव्य । प्रकरम-पु० [सं० अ. कर्म] १ न करने योग्य कार्य, अनुचित १६ चंचल । १७ दृढ़, अटल। १८ भयंकर, भयावह । कार्य । २ बुरा काम, पाप अधर्म । ३ अपराध, भूल ।
१९ निष्कलंक-गति-स्त्री० वह अवस्था या गति जिसका ४ बुरा प्राचरण या व्यवहार । ५ संन्यास । ६ काम न
ज्ञान मनुष्य न लगा सके। की दशा।
अकल-स्त्री० [अ० अक्ल] १ बुद्धि, ज्ञान, समझ । २ युक्ति । --वि० [मं० अक्रम] १ बेकार, काम रहित, अकर्मण्य ।
३ चतुराई। २ बिना क्रम का, अस्त-व्यस्त । २ निस्क्रिय, पालमी,
--वाड, दाढ-स्त्री० वयस्क होने पर निकलने वाली दाढ़ निकम्मा ४ क्रमहीन ।
विशेष ।-दार-वि० बुद्धिमान,समझदार । नधान, निधानअकरमक-स्त्री० [सं० अकर्मक] एक प्रकार की क्रिया जिसमें
वि० बुद्धिमान। चतुर। पंडित ।-बायरी-वि० मूर्ख, कर्म की अावश्यकता नहीं होती।-पु. कर्म से परे तत्त्व,
अजानी। -मंद-वि० बुद्धिमान, ममभदार । चतुर । ईश्वर ।
-मंदी-स्त्री० बुद्धिमानी, चतुराई–वान, वाळी-वि०
बुद्धिमान । अकरमरणय, अकरमण्य -वि० [मं० अकर्मण्य] १ निकम्मा,
अकलकरौ-पु० [सं० प्राकर-करभ] एक प्रकार की औषधि ग्रामी। २ कर्म रहित, वेकार, निटल्ला। ३ किमी
विशेष । कार्य के प्रति अयोग्य । ४ पापी, दुष्कर्मी। ५ अपराधी।
प्रकळकुमारी-स्त्री० यौ० [सं० अखण्ड-कुमारी] पृथ्वी, धरती। अकरमी -वि० [सं० अ. कमिन्] १ बुरा काम करने वाला।
-वि० अखण्ड कौमार्य व्रत धारण करने वाली। २ पापी, दुष्कर्मी। ३. अपराधी। ४ सुस्त, पालसी। प्रकलपनीक-वि० साधु की मर्यादा के विरुद्ध या विपरीत (जैन) ५ पतित, नीच। ६ अयोग्य । ७ जो कर्म न करता हो,
अकलमस-वि० [सं० अ-+कल्मष निष्पाप, निष्कलंक । संन्यासी ।
अकळा-स्त्री० बिजली। अकरम्म-देखो 'अकरम'।
अकळारणी, (वरणी)-वि• घबराहट पैदा करने वाला, अकुला अकराइजरणौ, (बौ)-क्रि० कंकरयुक्त ठोस जमीन पर नंगे देने वाला । (स्त्री० अकळावणी)
पाव अधिक चलने से पैरों के तलों में विकार होना, तनाव | अकळाणी, (बौ)-क्रि० १ व्याकुल होना, अातुर होना। होना।
२ घबराना, भयभीत होना।
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