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श्रवरणौ
-गत, गति, गति स्त्री० विचित्र गति, भूत रीति । -मत क्रि०वि० विचित्र ढंग से।
श्रवण- १ कांपना, थर्राना । २ देखो 'ऊबरणी' (बौ) उर-१ देखो 'और' । २. देखो 'उर' । ३. देखो 'ओर' ४. देखो 'पर' | श्ररति-देखो 'श्रीरत' ।
उरसिहर - पु० एक प्रकार का भवन । श्रउळगउं, अउळगऊं, - क्रि०वि०
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२ अलग । पु० प्रवास | उळगण - पु० [प्रा० ] प्रवास | यात्रा । स्त्री० प्रवास में साथ रहने वाली स्त्री ।
उळजरणौ, (बौ) - देखो 'उळभरणी, (at)'
उळी-देखो 'क'
अउसर - देखो 'अवसर' ।
१३ )
[प्रा०] १ प्रतिदूर दूर । श्रकड़ी (डी) - वि० शक्तिशाली, बलवान ।
अकड़, अकड़ बाज-देखो 'वाज' |
अकड़त देखो 'लत' ।
अलंकार-१ देखो 'कार' २ देखो 'धावकार' | देखो 'बळी' (स्त्री० सी
श्रग्राहणौ (बौ) देखो 'उगारणी (बौ ) ।
ऊठ (ठौ) देखो 'हूंठा' ।
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अऊत, अऊतियों वि० [सं० पुत्रक] १ निःसंतान ना पोलाद | [सं०] युक्त) २ अयोग्य (संतान) ( कुपुत्र) ३ अनुचित ४ बेवकूफ । ५ अधोगति गया हुया ।
अऊब देखो १ 'उब' २ देखो 'ऊब' ।
घोड़ी देखो 'मोह' ।
कंटक - वि० [सं०] १ निविघ्न, निष्कंटक । २ शत्रुहीन । कंपण, (न) - वि० [सं० अकंपन] कंपन रहित स्थिर । - पु० १ कंपन का प्रभाव । २ रावण की सेना का एक योद्धा ।
अक- पु० [सं०] १ रंज, चिंता । २ कष्ट, पीड़ा, दुःख । ३ पाप, धर्म | बक- स्त्री० बकवास, प्रलाप । धड़का, खटका । चतुराई । वि० निस्तब्ध, भौंचक्का । देखो 'अरक' | अकड़ - स्त्री० १ ऐंठन, तनाव । २ अहंकार, घमंड, स्वाभिमान । ३ ढिठाई, बेशर्मी । ४ हठ, जिद्द, दुराग्रह । ५ वक्रता, बांकापन। ६ लड़ाई । ७ बंधन ।
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बाई बाई, वायु वावत्री० एक बात रोग जिसमें शरीर की नसों में तनाव आ जाता है ।—बाज वि० हेकड़ीबाज शेखीबाज । घमंडी ।-बाजी-स्त्री० हेकड़ी, ऐंठ पदमक-स्वी० न ताव गवं तेजी,
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ग्रान-वान ।
अकड़रणौ, (बौ) - क्रि० १ सूखने के कारण सिकुड़ कर ऐंठ जाना । २ ऐंठन या तनाव पड़ना, मरोड़ खाना ३ कड़ा पड़ जाना, मस्त हो जाना । ४ सर्दी से ठिठुरना । ५ मुन्न होना । ६ टेढ़ा होना, वक्र होना । ७ शरीर को
तानना, तान कर चलना हठ या जिद करना । ९ अभिमान या गर्व करना । १० किसी बात पर ग्रड़जाना । ११ गुस्सा या क्रोध करना । १२ धमकी देना, डराना, रौब दिखाना । १३. धृष्टता करना ।
अकड़ाई देखो 'मकड़' |
अकड़ाळ - वि० १ जबरदस्त । २ हेकड़, ग्रडियल । ३ घमंडी | अकड़ाव - पु० अकड़ने की अवस्था या भाव, ऐंठन, तनाव ।
अकड़ौ देखो 'झाकडी' |
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Anarrant
चकच वि० [सं०] केश रहित, गंजा १०१ केतु का नामान्तर । २ जैन साधु ।
कच्छ-वि० गंगा नग्न २ व्यभिचारी, पट
अकज, अकज्ज - देखो 'प्रकाज' |
कठ स्त्री० वह मादा पशु जिसका दूध ग्रासानी से निकलता हो । कठौ-देखो 'ऊकठौ' ।
अकडोडियो-देखो 'आकडोडियो' ।
प्रकट, धडियोड़ों कड़ियाँ[वि० [सं० क्यथित] बिना गर्म किया हुआ (दूध )
कतार, प्रकतियार, अकत्यार - देखो 'इखत्यार' | अकत्थ, अकथ - वि० न कहा जा सके,
[सं० अ + कथ् ] १ न कहने योग्य । अवर्णनीय । २ कथन या वर्णन शक्ति से परे । कथ, कथा स्त्री० अकथनीय बात या कहानी । कथा - स्त्री० [सं०] १ कुकथा । २ अपभाषा, बुरीबात । अकथ्थ, अकथ्य- देखो 'प्रकथ' ।
कनकंवार स्त्री० [सं० प्रखण्ड + कौमार्य ] १ कुंवारापन, कौमार्य, अविवाहिता अवस्था [सं० [ण्ड-कुमारी) २ कुमारी कन्या विवाहिता कन्या । वि० अविवाहिता कुमारी, अक्षत योनि ।
कन कुमारी, अकन कुंवारी वि० [सं० प्रखण्ड + कौमार्य ] ( स्त्री० अकन कुंमारी, अकन कुंवारी ) १ अविवाहित, कुंवारा । २ प्रखंड कौमार्य व्रत धारण करने वाला । कपट वि० [सं०] १ कपट रहित निम्न २ सरल, सोचा। reas - वि० अवाक, निस्तब्ध । स्त्री० व्यर्थ बकझक असंबद्ध
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प्रलाप ।
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अकबकणौ (बौ), अकबक्करणौ (बौ) क्रि. १ व्यर्थ प्रलाप करना, । २ व्याकुल होना, चिंता करना । ३ अवाक् या निस्तब्ध
रह जाना ।