Book Title: Pramapramey Author(s): Bhavsen Traivaidya, Vidyadhar Johrapurkar Publisher: Gulabchand Hirachand DoshiPage 11
________________ ११८. जल्प-वितण्डा तत्त्व के १२५. द्रव्यप्रमाण रक्षक नही हैं ११० १२६. क्षेत्रप्रमाण ११९. वाद ही तत्व का रक्षक है १११ १२७. कालप्रमाण १२१ १२०. क्या जल्प-वितण्डा विजय के लिए होते हैं. १२८. उपमानप्रमाण १२१ १२१. वाद विजय के लिए १२९. अन्य प्रमाणों का होता है ११३ अन्तर्भाव १२३ १२२. वाद और जल्प में अभेद ११५ १३०. उपसंहार १२४ १२३. आगम ११७ तुलना और समीक्षा १२५-१५६ १२४. आगमाभास ११८ श्लोकसूची १५७-५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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