Book Title: Pramapramey
Author(s): Bhavsen Traivaidya, Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Gulabchand Hirachand Doshi

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Page 9
________________ ३३. सपक्ष के अभाव में विरुद्ध के भेद ३४. पक्षव्यापक अनैकान्तिक के भेद ३५. पक्षैकदेशी अनैकान्तिक के भेद ३६. अकिंचित्कर ३७. अनध्यवसित ३८. कालात्ययापदिष्ठ ३९. प्रकरणसम ४०. अन्वय दृष्टान्ताभास ४१. व्यतिरेक दृष्टान्ताभास ४२. दृष्टान्ताभासों में व्याप्ति की विकलता ४३. तर्क ४४. तर्क के दोष ४५. छल ४६. वाक्छल . ४७. सामान्यछल ४८. उपचारछल ४९. जातियां ५०. साधर्म्यसमा वैधर्म्य समा ५१. उत्कर्षसमा- अपकर्षसमा ५२. वर्ण्यसमा अवर्ण्यसमा ५२. विकल्पसमा Jain Education International (२) ५४. असिद्धादिसमा ५५. अन्यतरा सिद्धसमा ५६. प्राप्तिसमा - अप्राप्तिसमा ५७. प्रसंगसमा ५८. प्रतिदृष्टान्तसमा ५९. उत्पत्तिसमा ६०. संशयसमा ६१. प्रकरण समा ३९ ६२. अहेतुसमा ४० ३१ ३३ ३५ ३६ ३७ ४२ ४३ ६३. अर्थापत्तिसमा ६४. अविशेषसमा ६५. उपपत्तिसमा ६६. उपलब्धिसमा-अनुप लब्धिसमा ६७. नित्यसमा व अनित्यसमा ६८. कार्यसमा ६९. जातियों की संख्या ४३ ४५ ४७ ४८ ४८ ७०. निग्रहस्थान ४९ ७१. प्रतिज्ञाहानि ५० ७२. प्रतिज्ञान्तर ५१ ७३. प्रतिज्ञाविरोध ५१ ७४. प्रतिज्ञासंन्यास ५२ ७५. हेत्वान्तर ५३ ५४ ७६. अर्थान्तर ७७. निरर्थक For Private & Personal Use Only ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५८ ५९ ६० ६० ६१. ६१ ६२ ६२ ६३ ६४ ६५ ६५ ६६ ६६ ६७ ६७ ६८ ६८ ६९ : www.jainelibrary.org

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