Book Title: Prakruti Parichaya
Author(s): Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 18
________________ 106 107 108 109 110 110 उच्च गोत्र कर्म का लक्षण नीच गोत्र कर्म का लक्षण उच्च नीच गोत्र के बन्ध योग्य परिणाम अंतराय कर्म का लक्षण अंतराय कर्म के भेद दानान्तराय कर्म का लक्षण लाभान्तराय कर्म का लक्षण भोगान्तराय कर्म का लक्षण परिभोगान्तराय कर्म का लक्षण वीर्यान्तराय कर्म का लक्षण । दानादि अंतराय कर्मों के लक्षण अन्तराय कर्म के बन्ध योग्य परिणाम 110 110 111 111 111 112 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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