Book Title: Prakruti Parichaya Author(s): Vinod Jain, Anil Jain Publisher: Digambar Sahitya PrakashanPage 89
________________ जिसके कारण नीचे विस्तीर्ण तथा ऊपर संकुचित शरीर का आकार होता है, वह वल्मीक (वांमी) सदृश होने के कारण स्वातिसंस्थान कहलाता है। (क.प्र./24) तद्विपरीतसंनिवेशकरं स्वातिसंस्थाननामवल्मीकतुल्याकाराम्। न्यग्रोध से उलटा ऊपर लघु और नीचे भारी, सर्प की वामी के समान आकृति वाला संस्थान है। (रा.वा 8/11) कुब्जशरीर संस्थान नामकर्म कुब्जस्यशरीरं कुब्जशरीरम् तस्यसंस्थानमिवसंस्थानं यस्यतत्कुब्जशरीरसंस्थानम्।जस्स कम्मस्यउदएणसाहाणंदीहत्तंमज्झस्स रहस्सतंच होदितस्य खुज्जसरीरसंठाणमिदिसण्णा। कुबडे शरीर को कुब्जशरीर कहते हैं। उसके समान संस्थान जिस शरीर का होता है, वह कुब्जशरीर संस्थान है। जिस कर्म के उदयसे शाखाओं के दीर्घता और मध्यम भाग के ह्रस्वता होती है, उसकी 'कुब्ज शरीर संस्थान' यह संज्ञा है। (ध 6/71) यतोहस्वःशरीराकारोभवतितत्कुब्जसंस्थानं नाम। जिसके कारण शरीर का आकार छोटा (कुबड़ा) होता है, वह कुब्जक संस्थान नाम कर्म है। (क.प्र./24) पृष्ठप्रदेशमाविबहुपुद्गलप्रचयविशेषलक्षणस्य निर्वर्तकं कुब्जसंस्थाननाम। पीठ पर बहुत पुद्गलों का पिण्ड हो जाना अर्थात् कुबड़ेपन को बनाने वाला कर्म कुब्जक संस्थाननामकर्म है। (रा.वा. 8/11) वामन शरीर संस्थान नामकर्म जस्स कम्मस्स उदएण साहार्ण रहस्सत्तं कायस्स दीहत्तं च होदि तं वामणसरीर संठाणं होदि। जिस कर्म के उदय से शाखाओं के हृस्वता और शरीर के दीर्घता होती है वह वामन शरीर संस्थान नामकर्म है। (ध 6/71-72) वामनशरीरस्यसंस्थानं वामनशरीरसंस्थानम्।हस्वशाखं वामनशरीरम्। वामन शरीर काजोसंस्थान है वह वामनशरीर संस्थान है, अर्थात् जिसकी शाखायें ह्रस्व हो वह वामन शरीर है। (ध 13 /369) (68) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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