Book Title: Prakruti Parichaya Author(s): Vinod Jain, Anil Jain Publisher: Digambar Sahitya PrakashanPage 90
________________ यतो दीर्घहस्तपादा ह्रस्वकबन्धश्च शरीराकारो भवति तद्वामनसंस्थानं नाम । जिसके कारण हाथ और पैर लम्बे तथा कबन्ध (धड़) छोटा होता है, उसे वामन संस्थान कहते हैं । (क. प्र. / 25 ) सर्वाङ्गोपाङ्ङ्गह्रस्वव्यवस्थाविशेषकारणं वामनसंस्थाननाम | सभी अंग उपांगों को छोटा बनाने में जो कारण होता है वह वामन संस्थान है। (RT.AT. 8/11) हुण्डशरीर संस्थान नामकर्म विषमपाषाण भृतदृतिवत् समन्तो विषमं हुण्डम् हुंडं च तत् शरीरसंस्थानम् हुंडसरीरसंस्थानम् । विषम पाषाणों से भरी हुई मशक के समान जो सब ओर से विषम होता है वह हुण्ड कहलाता है । हुण्ड ऐसा जो शरीर संस्थान वह हुण्डशरीरसंस्थान है । (ET 13/369) जस्स कम्मस्स उदएण पुव्वुत्तपंचसंठाणेहिंतो वदिरित्तमण्णसंठाण मुप्पज्जइ एक्कत्तीस भेदभिण्णं तं हुंडसंठाण सण्णिदं होदि । जिस कर्म के उदय से पूर्वोक्त पांच संस्थानों से व्यतिरिक्त इक्तीस भेद भिन्न अन्य संस्थान उत्पन्न होता है, वह शरीर हुंडसंस्थान संज्ञा वाला है । (&T 6/72 यतः पाषाणपूर्णगोणिवत् ग्रन्थ्यादिविषमशरीराकारो भवति तद् हुण्डसंस्थानं नाम । जिसके कारण पत्थर भरी हुई गौनकी तरह, (बोरी के समान) ग्रन्थि आदि से युक्त विषम शरीराकार होता है, उसे हुण्डक संस्थान कहते हैं । (क.प्र./ 25 ) सर्वाङ्गोपाङ्गानां हुण्डसंस्थित्वात् हुण्डसंस्थाननाम | सभी अंग और उपांगों का बेतरतीब ( अनिश्चित आकार) हुण्ड की तरह रचना करने वाला होने से हुंडक संस्थान नामकर्म कहलाता है। (RT.AT. 8/11) 'शरीरांगोपांग नामकर्म' जस्स कम्मक्खंधस्सुदएणसरीरस्संगोवंगणिप्पत्ती होज्ज तस्स कम्म Jain Education International (69) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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