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•प्रबन्धाधली
शिक्षा का और उनकी आवश्यकीय कलाओं के अभ्यास का शीघ्र प्रबन्ध होना चाहिये ताकि छोटे बड़े धनी निर्धन सब महिलाएं भनायास से शिक्षा का लाभ उठाकर जातोय जीवन उन्नत कर समाज का मुख उज्ज्वल करें।
'ओसवाल नवयुगक' (महिलांक, सं० १६८८ वर्ष ४, संख्या ४, पृ. २११-२१८)
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