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* प्रबन्धावली "
साहित्य से भी समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ता है । इस समय के हिन्दी साहित्य में ऐसे विषयों का प्रचार विशेष देखने में आता है ।
वर्तमान काल में दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, आदि; पत्र पत्रिकाओं का अधिक प्रचार है। इन साहित्य से सामाजिक जोवन पर बहुत कुछ प्रभाव पड़ रहा है। आज महात्मा गांधी आदि देश के महापुरुष गण इनके द्वारा अपने सिद्धान्तों को सफलता पूर्वक : प्रचार करने में समर्थ हुए हैं । प्रायः प्रत्येक समाज और प्रतिष्ठित संस्थाओं की एक न एक पत्रिका हैं और वार्षिक विवरण आदि भी प्रकाशित होते रहते हैं। इसी प्रकार समाज और साहित्य की घनिष्टता बढ़ रही है और ऐसे प्रचार से यह सम्बन्ध और भी बढ़ता जायगा इसमें सन्देह नहीं ।
'आत्मानन्द' ( मार्च १६३२ वर्ष ३, अङ्क ३, पृ० २-४ )
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