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धार्मिक हिसाब तपासणी खाता।
मान्यघर प्रमुख साहब,
समागत प्रतिनिधियों, समस्त सहधर्मी बन्धुओं:
"श्रेयः श्री विपुलावलामरगिरि स्थेयः स्विति स्वीकृतिः । पत्रश्रेणिरमाभिराम भुजगाधीश स्फटा संस्थितिः ॥ पादासीन दिवस्पति शुभफलं श्रीकीर्तिपुष्पोदग्मः । श्री संघाय ददातु वांछितफलं श्रीपाश्वंकल्पद्रुमः ॥१॥"
मैं आज अंगरेजी संवत्सर के शुभदिन को मांगलिक प्रार्थना करता हुआ श्री चतुर्विधसंघ को नमस्कार करके जो प्रस्ताव अनुमोदन करने के लिये आप साहबोंके सम्मुख उपस्थित हुआई, अपनी कान्फोन्स की बहुत से प्रबन्धों में यह भी एक अत्यावश्यकीय विषय है इसमें संदेह नहीं। अपनी कान्फ्रेंस ने इसको ध्यान में लेकर र्का घाँसे जो कुछ कार्य किया है, उसका हाल आप लोगों को अनरी अडिटर साहब की रिपोर्टसे ज्ञात हुये हैं और उसको सर्टिफाएष्ड एकाउटेंट मि० हीराचन्द लीलाधर जवेरीने अच्छी तरइसे विवेचन किया है । इस प्रस्तावमें विचारने योग्य बहुतसी बातें हैं, परन्तु समय संक्षेप है तो भी ११ बात कहने को इच्छा रखता, माप लोग ध्यान दीजिये। जैसे अपने शरीर की रक्षा के लिये दाल रोटी की जरूरत है उसी प्रकार अपनी आत्मा के फल्याण के लिये धार्मिक व्यवस्था की भी आवश्यकता है। इस कारण परंपरासे महानुभाव सजन पुरुष लोग मंदिर, उपासरा, ज्ञानमंडार, धर्मशाला, नौकारशी
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