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* प्रबन्धावली
नहीं पाई जाती । यद्यपि दिगम्बरी जैन वर्तमान काल में श्व ेताम्बर सम्प्रदाय प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ के मन्दिरों में पूजा करते हैं तो भी उनके पार्श्वनाथ की मूर्ति का श्व ेतास्वरियों की तरह भिन्न २ नामों से पूजार्चना करने का प्राचीन इतिहास नहीं मिलता । भगवान बुद्धदेव की जीवनी के सम्बन्ध में विभिन्न भाषाओं में अनेकों छोटो बड़ी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं परन्तु यह बड़े दुःख का विषय है कि आज तक पीछे उल्लिखित पुस्तकों को छोड़ कर किसी जैन या अजैन लेखकों द्वारा रचित गवेषणापूर्ण भगवान् पार्श्वनाथ का कोई भी जीवन चरित्र नहीं दृष्टि गोचर होता । आशा हैं कि पुरातत्त्वविद् विद्वान् गण इस महापुरुष के जीवन सम्बन्धी सभी उपलब्ध तथ्यों का संग्रह कर एक महत्त्व पूर्ण ग्रंथ की रचना द्वारा इस बड़े अभाव की यथा शक्ति पूर्ति करेगें ।
( श्वेताम्बर सम्प्रदाय द्वारा प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ की आकारादि क्रमानुसार भिन्न २ नामों की सूची पाठक 'पार्श्वनाथ और शंकरनाथ' में देखें । )
“प्रभात ” – सचित्र उत्सवाङ्क वर्ष २, संख्या ३-४, ( अप्रैल-जुलाई १६३० पृ० ५५-६१ )
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