________________
*११२ *
* प्रबन्धावली*
लोग ही मूल जैन सम्प्रदाय के हैं और दिगम्बर सम्प्रदाय की पृथक नवीन सृष्टि होनेपर ये श्वेताम्बर नामसे प्रसिद्ध हुए।
सेयंवरो य आसं वरो य बुद्धो अ अहव अन्नो वा, समभाव भावि अप्पा लहेइ मोख्खं न सन्देहो।
___-श्वेताम्बराचार्य रनशेखर
'ओसवाल नवयुवक' (सं० १९८६ वर्ष २, अङ्क १०, पृ० ३४५-३५२)
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com