Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 247
________________ १. व्यक्तिविशेषनाम . अमयरस अजिअ-२ अजगुत्त अज्जुणविक्ख अणंगकुसुम अणंगकुसुमा ज्योतिष्कवासी देव ३९.३१ ११९,१२३ जंबुद्दोव का अधिपति देव १.५०; ३.३४, ७. १०९, ११५. विद्याधरवंशीय राजा ५. अमयसर अमरधणु अमरप्पभ अमरवई अणंगरासि अणंगलया अणंगलवण. इक्ष्वाकुराजा ११.८ अणलप्पभ मुनि २६.१९ . लक्षण-पुत्र ९१.२४ अणाढिय राक्षसयोद्धा ५६.३५ राक्षसी, चंदणहा अणिल की पुत्री, हणुअ की स्त्री । १९.३४,४९.२,५,५३ ४२. अणिलललिअ राक्षसयोद्धा ५६.३६ अणिवारिउज्जेणीकी वेड्या ३३.६६ अविरिअ सीया का प्रथम पुत्र अणुकोसा ९७.९,९८.५३; १०६.९; ११४.१, (देखो अणुद्धर-१ लवण) पुंडरीयविजयके चक्रवर्ती राजा विद्याधर तिहुयणा णंदकीपुत्री६३.३४,४९,६० अणुद्धरा रावण की स्त्री ७४.१० अणुद्धरी चौदहवें तीर्थकर १.४,५. अणुराहा १४८, ९. ९३, २०.५, सप्तर्षि मुनि ८९.२ अइविरिअ (१) का. सहयोगी राजा ३७११ ब्राह्मणी ३०.६०,६४,६७, अमरमंदर मुनि, लवण व अंकुस के दीक्षागुरु ११०४१ दूत ३९.३९ मृत्य ५.१०९ वानरवंशीय राजा, वानरराजचिह्न प्रवर्तक ६.६९, ७१,७२.८२.८३,९०. रानी, महु-केढव की माता १०५.८५ विद्याधरराजा ८.३९ देखो सुरसुंदर मुनि १७४७ रायपुर का राजा, चक्रवती जयसेण का पूर्वजन्मनाम २०.१५२ इक्ष्वाकुवंशीय राजा ५.४ राक्षसवंशीय राजा ५.२६१ धरणिंद द्वारा रावण को दी गयो शक्ति २.१०१ प्रथम बलदेव ५.१५४७०. अमियगइ अमियप्पभ अणंगसरा अरिद्वपुर का राजपुत्र, पुनः तापस ३९.७९,८१, ८२,१०० वानरयोद्धा ५७.४ गणपाली आर्यिका ३९.४८ वानरसुग्गीवपुत्री ४७.५३ विद्याधररानी, विराहिम की माता १.५४ ९.२०%; अमियबल अमियवेग अमोहविजया अणंगसुंदरी अणत अयल-१ अणंतवल अणेयवुद्धि अयल-२ बाणारसी का राजा ४१. अयल-३ अणतरह अयल-४ अणतबिरिअ अद्दिपंजर अप्पडिया अप्पमेयवल अप्पसे । अप्पास अभयमई अभयसेण-१ अभयसेण-२ केवली मुनि १४.६९,१०९; ३९.१२१ (देखो अणंतविरिअ) दसरह के ज्येष्ठ भ्राता २२. १०१,१०५ केवली मुनि १.५९१४.४, ६८, १०७ १८.४४,३९. १२० १२४:४१.४७.६३ ४८.९९,६९. २३, ७३.२, ५.(देखो अणंतबल) मुनि, प्रथम वलदेव के पूर्वजन्म-गुरू २०.१९२ दसरह के पिता १.५७, १०.८४, ८७, ८८२२. १००,१०३,१०४:२६.२४, २७,३१:३०.२१%B दसरह २४.३४,३७,२६. ९४:२८.७०,३१.३२,३२. २८.९५.२१:११८.४१. अवरविदेहे का चक्रवर्ती ८२.६८ दाशरथी भरह के साथ दीक्षित राजा ८५.४ महुग का राजा ८८. १७,२०-२४,२६-२८,३० अयल-५ राजा कुंडलमंडिअ का मंत्री २६.१६ विद्याधरयोद्धा १२.९५ वानरयोद्धा ५७.८ मुनि ७५.२३ गृहपतिपुत्र, ५८.७९; ४८.७८,८८,८९,९३,९५. लक्खण की रानी ९१.१५ मुनि २२.१०३ मुनि सयलभूमण के शिष्य १०२.६१ दसवे कुलकर ३.५५ चतुथ तीर्थकर ५१४७; १.२,९९१ (देखो अहिणंदण) अणयार अर! -- अणरण्ण आभचंद अभिणंदण-१) अभिनंदण ) ------ , अर ) अट्ठारहवें तीर्थकर, १.४; ५. १४८, २०.६, १४८, १९८;९५.३४-जिण ९. ९४:२०.४४; सातवें चक्रवर्ती भी ५.१४९, १५३:२०५३,१३६, साकेयपुर का श्रावक ८९. १२ १३ ८९.२३ ण) मुनि अभिणंदण-२ अमयप्पभा अणरण्णसुअ अरहदत्त रानी, अवराइआ की माता २२.१०६ पिहु नरेन्द्र की रानी ९८.४ अमयमई अरिहदत्त ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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