Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad
________________
२००
४६
४६
४६
४७
कारण
अवट्ठिया
सोलग
जइ विस्सुयं
बसार
जागओ एत्थं
तो तुह पाणे अवहरइ,"
तो
४७
४८
४८
४९
४९
५०
५०
५३
५४
५५
५६ बिया पारणं फु
अह इच्छिए
एवं
गहिया य क
जस्स य ल
विय रिवण
रीए रुट्ठाए ।
७०
उज्जुयाओ ह चियाओ
६२
रामोव्व ६३ किकिधि
६८
६९ पते
क
जे
नदीप 'लाभिया
७० ७१
सचिणा
७२ णी मए ल ७२
कयद्धय
७२ भित्राणं
७३ गिन्दइ ७३ श्रीयं
७४
उबे
७७
मारेहि
७९ कोटया ७९ देवदारु
क
Jain Education International
जे
जे
५.७
५९ ल
५९
क
पनराहारं "भोयणा सा ६१ रिस अंगफरिसं जे
६१
अफंस
क
जे
12
६२
न वच्छ तत्थ
६२ मरणं वा होही इह, क ६२ हो
क
जे, क
क
६६-६७-६८ गाधाःन लभन्ते क
अइ उप्पल करेणं
जे
""
33
"
जे
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
७९
८१
८३
*** 3 3 ut ur w ur w
૮૩
साहा
पुप्फविडि ७९ विडि
७९
गऊण
७९
सोहमत्ताउले पेम पेच्छई पा
७९
७९
"पाइ
सेणा मुई
'वलन्तसेणा मुहं
८३
८४
८५
८६
८६
૮૬
८६
८६
८६
33339
८७
दुमा जहिया
रक्त कोरेंटया
कडा धायई
के यई
पाडला विह नग्नोभा तह
૮૭
साहारा बहू
खण्डण्डा लडे
खण्डण्डा लहु तुडंगा फुडन्ता
चला पलवा
८९
९०
पणव
, णिराय रेऊण
मिरज
"सह डे
पलालं
जे
क ख
ललन्तपल लोलमालाउलामुकसोदा फिडता फलोहा जे
टोलमा
मुंगाणि
८७ खण्डाई
चलणेसु
गयपहारा
विवन्त विवsन्ति र
७. पाठान्तराणि
ताणि पाडेह महिवेढे ॥ ताणि इह कणवर्णनाई
जे
क, जे
जे
इंाउछ हत्वाणि व
खंभा ह
तोडिन्ति
रावणो
क, ख
23 51
75 99
जे
क, ख
जे
क
जे
क, ख
जे
33
क
क, ख
जे जे. क, ख
क, ख जे
क. ख
जे
क ख जे
क, ख
जे
९२
९२ कुंभ निकुंभ
९.३
९४
९५
९६
९६
९६
९६
९७
९७
९८
९८
९८
९९
'दन्त विसुरा,
१०६
१०७
१०७
१११
१११
११२
११३
"लतइलोक्के
सुहं मह देइ दुम्म
"रायवरश्यह पिययमस्स ॥
य से महा
तं हणह
महावेरी
क रेह इद्द
करे मिह नि
रायं विन
तुमे पाढं
उक्कंपडपड,
जोई गण
अहि
मम स
"हो रहे समा वल्गो
१०१
१०१
१०४
१०४ घारन्ति
रसभरियड
इन्दियमहि
दिदिण्णम
विइणदेह कंकडा
क, ख
जे क, ख
कख
क. ख
क. ख १२२
जे
१२३
११३
महाभडा
११४ घाएऊगं ११५ विपत्त तं सरणिवहं ११५ रिबूहि परि° ११५ रिव्ण परि ११५ छिनइ ११५ निसिगंद अद्धेहि ११७ मुचइ ११८ असियर निहि ११९ दिढबद्धं
११९ मम पि
११९ दुट्ठो
१२० सिहो
For Private & Personal Use Only
33
क, ख
क, ख
जे
क, ख
क., ख
जे
क, ख
ज
क, ख
क, ख
चलन्तचारुचामरा क, ख
गया निसायरा जे
पडेन्ति
विणक
क जे
ख
जे
ख जे
क, ख जे
१२० सिट्टो एय पहु क.हिति
१२१
१२१
१२१ पसिओ
१२१ दूतो
महेंद
क, ख जे
क, ख
'ओ पवरतिष्णि
कण्णाओ
१२३ विविधि
१२४
१२४
सन्तिए दोसे
१२९
१३०
सिग्धं १२५ निययसिनं
१२५
१२६
१२६
१२७
१२७
१२८
१९९
१२९
१३२
१३३
१३३
गतूण व° 'मुझे सो य मारिओ
तरुवनं साई हू.
सवूढ वाला
संकलानु
पासु
अक्षणम
उवगार
पंचमुही किष्ण
कि०हु को°
१३३
ई सा
१३६ गावुकलि
१३७ तित्तो
१३७ विणिस्थि १३८ नरस्स नि १३८ पुनक १३९ कुण सं
१३९
१४१
१४२
१४६
१४७ छित्तूण
१४७
वच्च १४७ किकिधि
१४८
तुहं निश्चं
क ख
जे, क, ख जे
क., स्व
जे क, ख
सदस्साई
अह रुट्ठो
'लपरिबद्धो
'तोरणावर लं
जे
क, ख जे
जे, क. ख
दूयत
मु. क., ख
राण जं कुणसि तं अविसेसो सि तुमं जे "सियमणो
निययकम्मं
जे
17
क जे
क ख
जे क
79
क.. ख क, ख
जे, क, ख क, ख जे
जे क, ख क, ख जे
क क, ख क क, ख
33 33
"
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406