Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 358
________________ २१ २२ २२ उपइअ' तावच्चिय २४ २५ सयासे, गलगहितो तेहि काऊ अश्चतं भयं करे २६ २६ २८ २८ स्म सया से गं भणिओ भणियं ३६ जय बहुओ साइ किसोरयर ३१ ३१ सुश्चन्तं ३.२ सुदीणमणा ३२ किह कि वि ३२ कह वि पर्वगम महाभडेहि कलभय न य सरणे ३३ मार ३३ दाणेण अम्हे ज० २५ पूपंति सामक्खो ३८ सुणह ३९ कारणं च एयाए । भडाय प ४२ ४३ निरन्तरं ४५ धित्तूण ४५ तओ भरहो मणीयमुवाग पलं १५ 2-23 ४५ कहिति ४८ ययक ५० "पडागाए रम ५० रमणीया ५२ भवणूसवा ५२ जिणघरेसु ५२ अहिया जे जे, ख क जे क, ख Jain Education International क. ख 五 जे करन जे जे जे ख 45 जे क, ख अन्ने य बहू ४६ जे ४७ विभीषणादी य खे' मु जे "भुरणाच ४८ ४८ "भवणेण भूमीसु विलित्ता 3: 33 33 平 जे क. ख क ख जे " " לי, ५४ ५५ ५६ ४ "रीयछण्णई 6 सुगमण सोभ, न इति १ दिवसे १ १० १० १२ १३ नाम पव्वं पथ्यं १८ १९ ॥ २ दीखई ४ एथु मुखरेद्दि अदि जलहर उन्भतनिभं उद्देश - ७२ ५ डंडारनं "सोमवा विमारहररतुरंग पडिलाभिया विंझयरी पिच्छ भद्दे अनडी सामई पिया वती पिया "दणी "नयर संठाणा बिफिड तओतिभो यंति ॥ वच्चन्ता न निरन्तरु छन्ना २० २१ कोउगेण २१ 'यणसमग २५ २५ ७. पाठान्तराणि मु क क, ख, जे जे क. ख ख १४ ओयरिओ क जे १४ 'रिओ देइ सहरिसो अर्थ । महिय । १६ १८] "तुम १८ कण्णपडियं गरी यसोही क ख जे, क, ख क. ख जे 3 जे क क, ख जे क, ख जे जे जे 33 क जे जे 33 क ख २६ २६ २७ २९ ३३ ३२ ३२ ३२ ३३ ३३ ३४ ७ ८ ८ ८ १० १० १२ १३ १५ २० २० अह कोसला देवी क, ख केकया चेव जे केई पेव पुत्तरसणे 'स्पोर्ट सेरि "सणा णिविद्रा ज सुणिऊण णं हाई 'ण हवड़ स मच्छिओ नास्तीयं गाथा मच मओ त्ति महालच्छी इति समागम नाम पव्वं पव्वं ॥ सम्मतं उद्देश - ८० भवणाण वाहणी सिजाहरिविद्धर "यमय डेड "ह ससिच्छायं विसम च पाउगमणं लघरी दुभेतं 'लयं कवयं य यमोहा एवमाई पि कुटुम्बि बलदगवामहिसीण जणाण दिय क जे जे क, ख २१ २२ २४ सिविणपडितुलं क, ख जे For Private & Personal Use Only 37 "मती कम्मं णयरीए संजुत्त क ख जे क, ख जे जे, ख क. ख जे क, ख न लभइ य भरइसामी, जे 'ऊ आदतो ख जे क, ख जे २५ २६ २७ २८ २८ २८ २९ ヨコ ३२ ३२ ३२ ३३ सरिसो सुरवर विमा सो कह ३३ ३३ अवइष्णमणो २२ माणुसली ३३ लिपिहिति तिष्पि हिसि ४२ ४३ ४६ तायमादी न वि नाओ पेमरसो जयसिरि 'धम्मो "गमणो वशिस्सं सा इ गई य रणे ३५ ३६ ३६ वसुमइतिस' ३८ तुमे स ३८ ३८ ३९ ३९ ४६ सो नरेहि 68 के गईए थाविओ तुम सत्तुजओ, क रेह सुगो पठवएज्जामु "मि हत ? कर न ११३ जं य तप्पड़ जलनिदो नइ " ま व स जे जे, क, ख क, ख 80 ३० ४१ ४१ 'अलापुण्ण निसुणेहि निसामेहि पालसु वसुहं सुहं "वयणं जं जहा य आणतं परि० ४५ अणुमण्णसि मे सिग्धं मा कुणह विलंबणं महं तुम्मे क, ख "विसमपेमा जे पेम्माओ ४५ य पिम्माओ मु ख क क, ख जे क, ख जे ख़ क, ख क, ख जे क, ख क क, ख जे www.jainelibrary.org

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