Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 386
________________ ८ हिन्दी अनुवाद संशोधन १४१ मुद्रित पाठ १२ अचिरा ४३ तिलकधी माता ४३ त्तत्तिका ५१ अमरनाथ ५८ करके निकले थे। ६२ विशदरूप से ७७ ९लाख कोटि ८४ अतिशय वर्जित १०१ अजितनाथ की १०२ तीसलाख एवं १.६ मंगला में १०९ वह उत्पन्न ११३ वहाँ....रूपवान १२८ एवं बलि कर्म करके .. १३२ सम्पन्न १३१ नागपुर से बह पठितव्य पाठ मुद्रित पाठ पठितव्य पाठ ऐराणी १३९ श्रावस्ती के ईशावती के तिलक वृक्ष, श्री माता, १४१ वरारहीन वैराग्यहीन कृत्तिका १४१ मरकर...सातवें मरकर अर और मल्लि जिनों के तीर्थभरनाथ काल के बीच में सातवें करके गृहवास से निकले थे। १४४ विद्याधरों...थीं। वे किसी की अपने पति के रूप में विस्तार से इच्छा नहीं करती थी, खेचरों द्वारा ९९ हजार कोटि उनका अपहरण किया गया । भतिशयों से रहित १४५ विद्याधरों से...उन पता लगाकर चक्रवर्ती के द्वारा वे अजितनाथे की वापिस लाई गई और उन तीस लाख, दस लाख, एवं १५३ यशोदेवीका यशोमतिदेवी का सुमंगला में १५६ वृषभ के समान उत्तम वह सगर नाम से उत्पन्न १५९ बह तत् पश्चात् अत्यन्त रूपवान १५९ पृथ्वी पृथ्वी एवं संस्कार करण करके १६९ श्रावस्ती, सिंहपुर श्रावस्ती, कौशाम्बी, पोतनपुर, सिंहपुर सम्पन्न १८३ और वसुदेव भौर अन्तिम वसुदेव नागपुर में १८६ मनोरमा मनोहरा उद्देश-२१ xनिकाल दो ५८ मान बहुत से श्रेष्ठ राजा ६. बन्धुजनों से बन्धुजनों से उसने जगकर पति से ६८ बिनती बिनती और उनको व्यसन (आपत्ति) तथा महो ७३ भातृस्नेह भ्रातृस्नेह त्सव वारि बारि से भाते रहते हैं, तीन ७८ लोक में लोगों में किया। ८० निर्मोही स्नेह बन्धन टूटने पर उद्देश-२२ पुत्र । जिसने तुम्हें शैशव अवस्था ३४ (समाधि) के साथ (समाधि) से में ही राज्य पर प्रतिष्ठित ३५ राक्षसों, वन्य कच्चा मांस खाने वाले वन्य करके वहाँ बैठा और ५३ मेरे पास यह सुकोशल ने उससे ५३ शक्ति सत्त्व इस प्रकार अपने पुत्र के चित्त को आनकर उस वचन कुशल अनगार ने ५८ दक्षिण देश का स्वामी दक्षिण देश के स्वामी कहा कि धर्म में ५८ साथ आया । साथ आये। दर्शन-ज्ञान की लब्धि; पञ्चमंदरविधि ६. उद्यक उद्यत केशरिकीडा, चारित्रलब्धि, परीषहजया, ___४९ सुननेकी...प्रकट की। सुनना प्रारंभ किया । प्रवचनमाता, आचीर्ण सुखनामा; पंचनमस्कारविधि १६ शुष्क रुधिर से शुक्र और रुधिर से १० मनुष्यों में...श्रेष्ठ १. बहुत से राजा १. उसने पति से ३६ और...बदलते हैं, ५. तीव्र ५७ किमा। ७ पुत्र! ...प्रतिष्ठित १४ करके भौर १४ सुकोशल...उससे १८ ऐसा...धर्म में २६ दर्शन-ज्ञान की लब्धि; पचनमस्कारविधि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406