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पउमचरिय
मुद्रित पाठ पठितव्य पाठ
मुद्रित पाठ
पठितव्य पाठ ६९ करने लगे करने लगा।
९२ ऊपर उछल रहा है। पुलकित हो रहा है। ७३ पर्वत के मध्यमें नगोत्तर पर्वत पर
९४ पर...हुई।
पर अभिनन्दित की गयी। ८५ उसने और उसको
९६ तुम... करना ।
तुम परम बन्धु हो जिससे सीता को
तनिक भी उद्वेग प्राप्त नहीं होगा
उद्देश-३१ श्रेणि कने....हे भगवन् । श्रेणिकने गणाधिपसे पूछा कि, ९६ लगी...पुत्र
लगी "हे पुत्र ! भगवन् !
रूप हो"। १३ ज्ञानका धारक देह-धारक
"कैकेई के वरके कारण पिताने २२ स्कन्दके द्वारा आक्रमणके द्वारा
९८ नहीं चाहता । पुरुष स्वल्प वस्त्रों के कारण आगको १३ पुरुष...भागको
नहीं चाहता"। ४४ दौतरूपी वीणा बजाने वाले। दाँतरूपी वीणा जिनकी गिरगयी थी
९९ हे पुत्र !
"हे पुत्र !
९९ जाऊँगी। (ऐसे वृद्धलोग)
जाऊँगी" ।
१०० कहा कि विन्ध्यगिरि के ५५ आज ऐसे आज मुनि के पास ऐसे
कहा "विन्ध्यगिरि के ६२ दुःख...संकुल दुःख रूपी पादपों से संकुल १९३ उत्तम...किया ।
पति एवं पुत्र का आलिंगन एक समान ७७ ऐसा ही हृदय में भला ही
होने पर भी भावनाओं की भिन्नता ९१ निर्मल...करो। पिता की विमलकीति (बनी रहे
रहती है। इसलिए) माता के वचन का परि- १२५ धीर !...करी ।
धीर ! उपेक्षा मत करो। पालन करो।
१२६ सामर्थ्य
अधिकार
उद्देश-३२ २ करके वे करके सीता के साथ वे
३० भावों में
भवों में ७ दुसरी दिशा में पच्छिम दिशा में
३५ एकान्त
सीमावर्ती १० सिंह रुरु सिंह, हाथी, रुरु
४१ सिंह के ..देखा उन श्रेष्ठ कुमारसिंहों को देखा २४ राजाओं ने... गृहस्थ धर्म राजाओं ने जो विषयामुख थे, गृहस्थ ५१ स्वभावसे...होती है। स्वभाव से मायावी होती है। धर्म
५६ भी......था ।
भी सन्तोष नहीं पाता था।
उद्देश-३३ २ था,...लगा था । था, बिना जोते बोये हुए धान के
रास्तें अव्यवस्थित हो गये हैं । उगने से उसके रास्ते और मार्ग ३७ छ टे बन में
मन्दारण्य में अवरुद्ध हो गये थे और उदुम्बर. ३७ करके...जायेंगे । करके जल में लोहे के गोले की पनस एवं बड़ की लकड़ियाँ के गट्ठों
भौति वे अचारु नरक में जायेंगे । का समिधा के लिए वहाँ पर ढेर लगा ३९ है,...होते है। हैं और करवत, तलवार तथा यन्त्र था ।
होते हैं। ३ विनय ...बातचीत की। विनय और उपचार के साथ सभी ६१ बेंत
वशयष्टि तापसगों ने प्रयत्नपूर्वक उनका ९५ पद्मनाभ
पप्रनाथ कुशल क्षेम करते हुए बातचीत की। ९९ सिंहोदर के ...भरत ने सिंहोदर को बुद्धिशाली लक्ष्मण ने १४ अन्न...है, खेत को बिना जोते फसलें पैदा
कहा कि भरत ने होती हैं,
१.१ मृत्यों के ... पड़ती है ? भृत्यों से मालिक को भापत्ति होती १४ और...ग्राम भी
और पुण्ड्रेक्षु प्रचुर मात्रा में है, तथा प्राम भी
१०२ तुम्हारे....है? तुम्हारे आदेश से मुझे क्या ! १५ और...हुए हैं। और भम शकटों ब बर्तनों के कारण १०५ मृत्यु की...करो । मृत्युको शीघ्रता से स्वीकार करो ।
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