Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 397
________________ पउमचारियं मुद्रित पाठ ४५ प्रसन्नाक्षी ५१ प्रसन्न करने वाली ६८ सुभटोंने...किया । पठितव्य पाठ लना प्रारम्भ किया। व्याप्त, आयुधों सहित, सूर्य के २४ द्वारा...सैकड़ों २४ शिला वाले पर्वत और २१ मुद्गर गिरने २५ करके...पृथ्वीतिल किसी दूसरे को खींचकर मारता हाथीको मारते थे। सैकड़ों उत्तम वस्तुओं के योग्य ऐसे १५ लक्ष्मणने...। (११) उन्हें (लोगों को !) १२ उनको...मुनकर ३ वह भी १२ क्या करें? १३ रावणके...लक्ष्मणको पठितव्य पाठ मुद्रित पाठ सुगाक्षी प्रसन्ना नामक सुभटोंने लडापुरी से बाहर निक- ७१ व्याप्त...सूर्यके उद्देश-७१ द्वारा फेंके गये सैकयों ३२ किसी...मारता शिलाएँ, बड़े बड़े पाषाण और ३२ हाथीको...ये। मुद्र योद्धाभों को मारते हुए गिरने करके दर्प के साथ जीव ४७ उत्तम और परीर को पृथ्वीतल ५३ उत्तम ऐसे उद्देश-७२ लक्ष्मणको उन कुमारियोंने कहा कि १७ दोनों को। तुम्हें कार्य में सिद्धि प्राप्त हो ? (11) इनके शब्द सुनकर ३१ विजय में उद्देश-७३ ११ करने वाले होने के लिए कैसे देखा गया हूँ। २४ वध के लिए क्या मर जाऊँगा ? हाथ में चक्र धारण किये रावणके २९ गिरा हुआ...और सम्मुख हुए लक्ष्मण को उद्देश-७४ तडिन्माला २० इस मुखको करूण शब्द से कीर्ति २. क्यों...है ? ३८ मोटे उद्देश-७५ 'ऐसा ही हो' कहकर ६६ राजाने...प्राकारों दूसरे लोग मरेन्द्र ७. बेठे हुए तथा मय ७१ रतिवर्षन विरक्त उद्देश-७६ पंच अणुव्रतों को धारण २६ हलायुध बे प्रचुरमात्रा में आभरण xनिकाल दो २६ और ..करो। उद्देश-७७ भौर सोने की विचित्र कारीगरी वाला इस कथा के मध्य में ८५ और...सुन्दरा स्वच्छन्द, उद्दाम ९१ चोरों द्वारा भार्गव की भार्या थी जो अपने शरों ९२ मृग करते हुए सामने लंकाधिपति गिरे हुए एक देव की भौति, सोये हुए कामदेवकी भांति और १० तडिन्माता १५ मधुर शब्द से१८ कान्ति १९ हमारे इस मुखचन्द्र को क्यों बन्द कर रखा है ! मुझ मोटे मेरे २ ऐसा कहकर २० दूसरे भट २१ ले रहे थे२५ लोग १३ तथा सुभट मय राजाने राज्य की सूचना देने वाले चिह्न (लिंग) भूत बहुत से प्राकारों बैठकर रतिवर्धन प्रतिबुद हुआ और विरत विमल यशधारी हलायुध १८ अणुवतों को...धारण २५ वे भाभरण २५ विविध प्रकार के xनिकाल दो। ३ और...दंवारोंवाला ५६ अब...लब्धि ७१ स्वच्छन्द, ८१ भार्गव...भार्या थी। से अचूक विजय प्राप्त करनेवाला था। और उस नगर के राजा की सुन्दरा चर पुरुषों द्वारा मय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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