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मुद्रित पाठ
पाठ
पठितव्य पाठ
५ हरिध्वज १. मुनि
सोलह हजार महिलाएँ छोटे
५ प्रसन्नाक्षी ! ६ प्रसन्न . गजपतियों को
भर्तृकाओं को-शब्दश्लेष) भादि विषय सुख का रामने सुन्दरियों के साथ
३७ उत्तम पुरुष
करके सुखप्रद अचल
३ सुभट, सुग्रीव
निर्दय ८ इक्ष्वाकुलके ३० वस्त्र...रथ ३५ गवित
सुन्दर पंकज और कुमुदोंसे भाच्छन्न पुलिन्द जाति के लोगों से वन बदनामी से डरकर अविरम्व मुझ तुम्हारे साथ मेरा दर्शन (मिलन) फिर हो या न हो । यद्यपि रहकर स्वजन और परिजनों
८ तुम्हारी लक्ष्मी तुम्हारे ११ रखने वाले हैं १. बीर २९ वन्दित १८ दुःख के हेतुभूत ५३ अपवाद ५५ तथा....नाना
८ हिन्दी अनुवाद संशोधन पठितव्य पाठ
मुद्रित पाठ
उद्देश-९१ भरिंजर
१२ दस हजार...छोटे गणी
उद्देश-९२ मृगाक्षी ! अलंकृत
२६ आदिका गजपतियों को (गतपतिका-प्रोषित २८ रामने उस
उद्देश-९३ सत्पुरुष
३. करके भचन
उद्देश-९४ सुभट, खेचर सुग्रीव
३८ सुन्दर...आच्छन्न . निर्दयी
४३ झीलों से वन
६५ बदनामी से...मुझ इक्ष्वाकुकुलके
७६ तुम्हारे...यद्यपि सुसज्ज रथ भास्वर
९५ रहकर....परिजनों
उद्देश-९५ हे लक्ष्मी ! यह सब तुम्हारे
५६ जीवने...हो। रखने वाले और वीर हैं।
६१ उद्यान...जलता है। वीर . पूजित दुःख देने वाले भय तथा यन्त्र और वैतरणी आदि से नाना ६७ धैर्य धारण किया ।
उद्देश-९६ भाभूषण) व चन्द्राकार भाभूषण से युक३१ भयंकर जंगल में कहने से वह एकाकी
३. में....होगी ! सीता अरण्यमें छोड़ दी गयी है। नयनाश्रुरूपी बादलों से व्याप्त दिन वाली भापकी
३५ जो व्याकुल तरह मुझे छोड़ते हुए एक ही १९ धैर्य प्राप्त किया ।,
उद्देश ९७ प्रकार शुद्ध किरण के समान निर्मल २९ विमल एवं
उद्देश ९८ इधर मुफ कोका के योग्य
५२ पासीफल के समान युद्ध के बीच
६. पुरी कौवेर, कहर
जीवने जरा, मृत्यु और रोग न पाये हो उद्यान को दुर्वचनरूपी आग से जलाता है उसके समान वह भनाथ भी भप. यशरूपी अग्नि से वारंवार जलाया जाता है। शान्ति धारण की।
xनिकाल दो।
१ आभूषण) से युक्त १२ कहने से...एकाकी १२ सीता को...है। १८ नेत्रों में...आपकी
नहीं मालूम कि उस भयानक जाल में तुम को क्या मिलेगा (तुम्हारी क्या हालप्त होगी)? जो पवित्र शान्ति प्राप्त की। .
२२ तरह.. एकही
२९ प्रकार निर्मल
xमिकाल दो।
१ इधर...योग्य १९ युद्ध कार्य में
बसूळे से काटे हुए फल के समान पुरिक, कौबेर, कुहेडा (कडेरा)
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