Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 368
________________ ३१ विभिन ३१ देव्वेदि ३२ सीलाए ३४ साधुकार ३५ जणयश्वधूया ३५ लवणकुसा समीववत्थो ३६ ३६ "नमंघो ३७ अलब्धं न ३८ ब्रदरसाणं ३८ उत्तमं ३९ मन्दिरा ४० सुरलोगसमं ४३ भोगा सु ४४ भोगेसु ४५ सुपरितन्ता वसोमा ' व सोया ४८ ५० १५ ६५ ५३ 'ण नदेवत्तं .५५ आणेह लहुं ५८ वरस्त पामि । ताप मुि आसतो ७० ७१ च सुणासी सुरो इव 553 पुढवीओ "देवमार छप्पण्ण तह ७१ अपविद्वानो ०२ करपसखिपत क. जे ७३ पावपरा 37 Jain Education International जे "3 he क जे ५८ ६० ६२ तस्थसुहं निवबौद्दणं ६५ "स्स व हिद्वा स क, ख " " 37 क, ख क जे क. ख क, ख क ख जे जे क, ख जे " "" ار 33 "" ६६ ततो तमा ६० होति लामो १२३ ६९ "दएकमो ११४ ऊणावण एक अ 'लोसससया, सत्त य "3 ७४ णादीसु ७६ 33 क, ख जे समुचवण्णा दुरभि भिण्णसिर "वास" ८४ निमस ८५ तदातियाई ८८ राव हो पते दे पतेसु पतेसु " ७७ ७९ ८२ ११७ जे ११९ १२० १२. ८८ ९० ९२ ९३ ९४ ९४ ९४ ९५ १.१ १०३ १०४ १०४ १०९ ११० ११० १११ ११३ १०७ न्धू तह रो १०८ दवइ न 'जम्बूसहीणाओ जम्बूदीवरस रं दीवो O एको व पुणो पनिदि जांव चक्खु" रा उ ना "दीवादीया नाभि गिरि लवणतोए उभओ भणन्ति हरिवरि ° सो हवइ, तं जोइंदुमाण वियप्पो वट्टय कट्टोरवबद्ध माणि नायमादोणि १२६ । गेणं ७. पाठान्तराणि १२९ आउट्ठीइ १२७ हरिवरिसे १२७ १२८ १३० जे क, ख जे क, ख क जे, क सवे चचर्य "असोग पुरणाग असोग जे क, ख जे जे 33 क, ख क, ख जे " " क, ख 33 क जे १३० १३१ तिण्णि य, पं "व य विबुद्दकुरुवाए क, ख " या णिरोगा य । च १३२ १३३ १३४ १५८ १६० 29 जे, क १६१ जे १६४ १५१ १५२ सरूवा "पत्तनयणाओ भूमीए । एवं अपत्तदाणं सुपत्त साइवो धीरा सत्तीविभत्तावि १३५ १३५ इवेज १३७ यपि त्रिउज १३८ तुभं क १३९ श्रीवा १३९ वीसविहाओ सी° १३९ उक्कोसं पुण आउ १४० तारगा गेया १४१ लं भयाणता १४३ बंभयक १४३ महाकप्पो बि य अनुमओ हवइ सदसारो जे १४५ ताण वि य उद्दिसामी, १४६ मपराइयं "यालीसा ल १४८ सहस्सा हवंति १५२ १५२ मादी १५५ जयणा तहभिरामा सको रामेह गु सोस °ला य देवीया स सोलस अ १६५ १६५ तेतीसा दमोह १६६ १६७ रहियाण | विमाणाण म,, जोसाम गेवेजमाण जे , द्वाणं णग्धइ भागं पि तत्येव अ क, ख जे रिजपणीलजरा एए मु जे १७० १७१ ११ अतगुणियं सि १७२ १७२ १७३ For Private & Personal Use Only 39 मु 33 " 39 33 "" " जे, क, ख जे जे, क, ख जे 21 "" 93 जे १७४ १७५ १७५ १७६ १७६ १७८ १७९ १७७ अण्णाणीतवस्सी तिहिं गुत्तं १७७ १८ जिनधरया १७९ १७९ १७९ १८० १८१ १८१ १८१ १८२ १८२ १८२ १८२ १८८ १८९ १९० मादीयं रासी होइ कुहम्मेसु जइ वि तत्र पाविति १९४ १९५ जे क व तह क, ख ओ भविस्सइ धणिय जे सुकझाणे निरया एयं सु विमुञ्चन्ति "रे य चुतो "मो भगड़ साहवं भ जेण भग्वां सं जीवादीयाण लोइय सुई सु १८३ १८७ कओ होइ इस्थीरइ "दिडोओ सो "रेडिय "सणो बीय "पस तह ६ रं हवइ सया सुद्ध चारित्तं *विरओ "ण तओ छ' "छेलाईक" ईकामनि १९१ १९१ १९२ एयंवि १९२ लिंगिस्त १९३ १२३ जे, ख १९५ भवा ग १९६ कोचि पुण ९९६ "णी जइ वि कुणे तवश्चरणं जो ण हि सम्म मती मो भवियलोआ ए तं वीरो धम्मो १९६ १९७ २०० वुर्भतस्स "" ار क, ख जेक ज ख जे 22 जे क, ख जे 2. www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406