Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 367
________________ १२२ ५६ ५० उपडिया 3 ५८ कुपो ६. यंत ६१ 'यमादी ६१ नायरलोए ६१ पलोयन्ति ६२ ४ ४ कया सव्वा कया बहवे ४ ४ ७ क य तओ सुपिछस जे सम . " दणवाद" इति १णादीि ३ जणयपरिवार्य ३ विदेहा ४ पुलं स ४ 0 नाम पव्वं समं सम्मतं 'तं ॥ शुभम् उद्देश - १०१ एवं स तीय सं ६ नापुण्णा 'नावण्णा सहखण खुओ 'मादीयं ९हणुवंता १० पते अ १. पविसन्ति १४ * मिल्हेहि १६ गिन्हइ १६ कमाई १६ लोओ अ होही ण य होहर न 'भेदेणं Jain Education International ख जे जे 37 क, ख जे क, ख, जे जे क, ख ने.क क जे क, ख जे क, ख जे क, ख जे क, ख, 32 क, ख क, ख म जे 20 क, ख १८ १९ १९ २० २१ २२ २२ १३ २३ २५ 2228% २७ २९ २९ २९ or o ~ ~ ~ my २९ दे ३० ३३ ક્ર્ ३३ ३४ ३५ ३५ ३८ ३८ ३८ ३९ विसज्जिय भणियमंती ३२ दोहल ३९ ३९ ४. गया सुहडा रवणीय एवं "णुविलग्गा ४१ ४१ ४२ ४३ ४३ VV तं महाणुभावंत लड़ने के सेयर लोगो साहूकार णं तत्थ केई ह या विन मया अवसरह पे न तहा तीरामि गयलज्जे गयलज्जे दिवा जे ह लीगमिहं धरमि धरेमि O "नं च क ण विसयं "ऊन पउमो, जणयध्याए विजारो ७. पाठान्तराणि समए, विजणो "सुनाह म मेरुं लवणोयहि व जे 39 39 क, ख जे क, ख जे "" न्ती वणे महाघोरे तो तुज्झ किंचि विभवं होतं किण्ण अ धुमा अणहूयमाणसाणं दुजे क, ख क, ख "य, भवरह भवि एवमे "हि मे व" 33 जे क, ख जे +3 "3 क जे क. ख जे 39 मु.क, ख क, ख जे क ख क, ख जे 4: ४४ अभियदि ४४ ४५ ४५ ४८ होति वि ५६ ५७ ६१ ६२ ६३ ६३ ६४ ६४ ६४ ६५ ६६ ६६ सूचिर विफलं जं विष्फलं पुण्णस्स ६८ ७२ तस्स माद्दष्य ७३ ७३ ७४ ७४ ७४ ७५ ७५ होति वि अईणिकलुण ४९ जे ५० चिय एत्थ अस्थि त क, ख "वह ५१ जे ५२ कालागचंदणाईथूरेहि "नाइदि ५५ णामिवा ५५ भूसणो तीसे । विज्जुमई जह तस्स तीए दुक्ख जणिय तं सुणह एवमणी "हरो बलिभो छेतूं आलाणाओ "कंटया तओ मुयइ °उ खत्त साहु पम्मुको " ति भि रं । सं ब पते म 'उदये ट्ठि दुक्खाघायणे सु भाविएसु य तुम पुण करेह हरि गभी वि सी मि तिरीड णेय सिरि इति 'मणचि' नाम प सम्मत्तं जे क, ख For Private & Personal Use Only मु . ख क, ख क, ख क क ख जे जे 33 क, ख जे क, ख क, ख जे 11521 ८ ९. ९ २ २ समाइ २ ३ ३ ५ ६ १० १३ १३ १३ १३ ९५ १८ १८ १९ २१ २१ २९ १३ २३ २४ २४ २८ २८ उद्देश - १०२ 2 2 'महन्तं 1 पिस्सिं २९ २९ २९ पाविही हु जंपिद्दी ज १६ अभिलसिमो १८ हाणलं नन्दणी निव्वविओ हा इवइ मेहेहि मेहिणीए किवालय परिणाही दाऊण का काउस्सगं जिणा उ मादीप तहापरिष जणयतणया संपा २५ वुम्भमाणं २७ सो सव्व जजो सुमनसो तमो पार्थि "केसरि नि र बलिषी य समादत्तो सुमंतो "उं सब्वो ॥ सोपानं सपतं तस्स व सी जे क, ख जे, क, ख क, ख क जे जे, क जे 33 क क, ख जे जे, क या उइ झज्झत्ति झत्ति कत्थइ जे "पलोट्टक लुमिया जे क ख क, ख जे क, ख जे क, ख जे जे, स्व , ख ने • www.jainelibrary.org

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