Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 375
________________ 23. १ १ १ २ ३ Y ८ ५१ * * * * * चरणजओ । पवि मरइ महारष्णं, मय मोहविवज्जिओ सया विमलमणो ॥ २ होही भि होइ भि त गिहिस्सामि १२ पविसइ महाभरणं इति गोयर संभा नाम पव्वं पब्वं ॥ समारूटो विवरण ४ "ओ सम ५ पियनंदिनरा ५ निउतो ६ पेच्छन्तविरहय उद्देश - ११६ १७ वारिसे दिवसे । कु ख 'रे बीए । कु जे इससंवि "वरेंद नरवरस्स "मुखाहीनो १३ बुडी ख 'लितो कमलाए सम जे महिवेसे १६ जिणमए निरओ बीओ यदि इति जे ख क "स्स सुद्धसंवेगो । खी' स्व "प्रसंसरणावि नाम प पव्वं ॥ ख क जे, ख 弔 जे ख दुन्दुहीओ पहयाओ। दे" जे उद्देश - ११७ 要 जे Jain Education International 23 "3 २ पुजिज्जंतो ३ ४ १२ १३ १७ १७ 'लोगं १५ टो १६ १८ १९ इंदियकसामो सज्झाय करणनि, "झाणकय हलधारिणो मद्द कंठे एवं चिय उपजए मणुओ खमगढी " मंदिरा" ° ऊण य मंदिरा २० २१ O णं घणर वेणं णं च कल वर तरुण किल विती, भ किस मुद्दती भ "कचाहिं अवहरिया परिवरिया ण सीए, "ण सया, २२ सुरेंद २४ छुद्दादीया ७. पाठान्तराणि जे १७ कोइल मुद्दलुग्गीयं 'महुलुग्गीयं 'बिहंउवसग्गं देवो जे १७ जे १८ १८ २४ २५ जुवती २५ बहवे जरा ख "रके सुयावरयं । को" जे "किया। क " जे, क हि णिव्वसं समणमणहरं २५ र गेयं २६ दावेई 233 "विहं च देवो काढणं अणयतणय वरस्य राख सम्मभासे ग ख २८ २९ २९ २९ ख क ख जे ख क क, ख ख क ख जे, ख क ख जे 13 33 ख २६ दाविता थ २६ सधीरस २७ २८ २८ व कवणेस ख जे जे ३० ३० ३१ ३१ ३१ ३२ ३५ वसई निजे, कमेण सवणस्सतीयाढा ख गेण्हर क, जे कुसुमामेल दाईती का "ओ वीरमुणी, अख ओ वीरमुणी, अ विउब्वणेहि सुरेहि "रघणं न 'पक्खेकार सि 'महिमं सुविउल्य काउं । प ३५ केवलिम ३५ च सुविउलं कार्ड प ३५ मुणि उत्तिंतो ३६ ३६ ३७ ३७ ३७ ३७ ३७ ૩૮ ३८ ३८ उब्वेविया समदीद ३९ ३९ गुणसयाई जलाइ भयावत्तं ४० एवं संसारनदी ४० ४० साहव ४१ व सभो "इय सिवं अ ४१ क जे क, ख झाणाणला 'तवेन्धण नाणा णिलेण "ण साहव व तवेण ज "घ हणिओ य णिहतो य सत्तू, उत्तमलेसाइ सुलेणं ॥ 'वि' वसन्तस्स तुहुं म स्थ निउद्धं साहव For Private & Personal Use Only जे क, जे ज ख जे 29 ख जे ख ख ख क जे, ख क जे, ख ख क ख जे, ख क जे ख १० ४१ ४२ ४२ मोदी ४२ " रहिएण ४३ नाणकयदा ४४ ४६ लहति उवही ४३ ४२ 'रोदद्दि "रोवहि ४३ "इ तओ धम्म ४६ ४६ ३ ३ ५ 'कढिहि । पावति ससिदर सखिकर विमलभावण्णू "रा इति "पत्तीवि नाम पव्वं पव्व ॥ प्रदेश-११८ पङ्कत्थो पङ्कत्थु एकतो घणकसायपजलिओ भारडन्ता चलइया केवि कंडूसु ६ ६ ६ ६ दज्झन्ति ७ सु विद्धपाया सक्करवालुयाए पुढवीओ जे सक्कर पहु वालुया य वीश्री लोलेन्ता • णिपट्टे चित्तय तह व चित्तयस यवग्ध' ख ८ "निकले । जे जे ख जे जे जे ख जे जे, क जे ख जे ख क, जे ख क जे www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406