Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 357
________________ ११२ ७. पाठान्तराणि उद्देश-७७ 40A م سم له سه : 8 : 444444448. १०० नरेंदो १०३ इह रिद्धिसौलसं •३ मतीया १०४ सुमालिराया १०६ मि जह १.६ छुहातत्तो १०७ अलभंतो १०७ तत्तो हु वि १०८ 'संजोगेण जे,क, १०८ गामेल , १.९ तत्तो चिय का क १११ गेहाणिओ ११७ तवोद्विय ११७ विमलं मह देह लंमे इति मउव नाम पव्वं संमत्तं 0 ३८ होहरे :40444 : 0 उद्देश-७८ १ सीयाएँ २ सहिओ, जय ३ त्तभित्तय उत्तिन्नो उन्भिन्नो ४ ए संतिजिण' ५ हि सतुट्ठो ६ पावणासणगं . ७ इह सम ७ अन्भन्तरारि सेनं क,ख अन्भन्तर अरिसेनं झाणजोगेणं ९ दोण्ह वि १० रागण ११ मादीया ११ सोगसमुत्थय जे,क, विसन्ना १३ इय स १३ लागे १४ मुयह जे,क,ख १५ सुविण १६ तुब्भे वि क १६ तुम्हे हि कुछ १७ रहुवईय ते क,ख १७ 'य राहवेण ते १७ सुयणा 'गया, राम वि अणुग्गह घरे चलणपरिसंगय कुणह ॥ जे पसातो ‘घातीक" पउमपभपडिमा वि य वि २७°णिम्माया क,ख २८ लक्खणादी २८ जिणायतणे , २८ कहासुब २९ हरीहि : 5 २९ तहा विस ६३ पाविही धु' तहिं विस ६४ पिढरखंडं ति में, ३२ "न्तिजणो ६५ मारीचि ३४ कणयकु नरवर सणादी ७१ मत्तगतो रजाभिसेय ७३ धनग्गामाओ __ भारो अणु " ७४ ला य अड ३८ मालत्थो ७४ ता उ मद्दा "पुरिचिधो ७५ पुप्फवइने नयरे पुरिसचिन्ने ७८ तत्थ छि' क 'पुरिसचित्तो ८१ अमोघसर' होहई कयाइ ८५ पुरे तस्स ३९ इन्दो य सु ८६ नामधेयो ४१ दोगंदुओ व्व देवो ८६ अहिट्ठिऊण ४२ लय होइ अवडिऊण ४३ विलंबतो सिरिवद्धणेश ४४ वोलीणाई ८७ णिजिणिऊण ए' ४५ सामिनाणे ८८ विओ णेण ४७ रूपवई क,ख ८९ ओच्छन्ने वजयण्णवर कण्णा। ९. एकोयराओ ४८ वालिखील ९. दराइ १८ कुंथूयणयरा होहिइ कुब्वेयणय ९१ बारगभडेहि क,ख पुहतीधरस्स चोरभडेहि पुहईवइस्स हि सहसा रत्ति विक,ख उजेगोमादीए न , ९१ विनासिओ "रेमु य जाओ जे,क, ९२ दइययं ५५ कमेण ग जे , ९२ अच्छए गयाई त "न्दू सुजी ५६ मादीण १४ पणवइ तं साहवो तु ५६ गुणधराणं °दच्छो । डहिऊणं ९५ अभिव' ५८ जोगेसु महिलिया जोएणं । सावतो सो ५८ पडागं संभासह ५८ सुद्ध ९९ वरेन्दो ५९ इसयो पियाए ब ५९ भाणुकण्णो जे,क,ख पियायक पते, सिं बन्धूण संगमा म ६१ मेहरह जे १०० तो वन्दितो णरेंदो क जे :4444 १ पगंत दुक्खिया य सा भवणे। ३ दाहामि ३ तुझं ६ पविसओ ६ सिविणे :::::: ७ अबण्णो क,ख ८ धारिणं भवण । ८ पइसरह १. भणियाय तो १२ मए पउमो क, १३ दरिसणाणुसंगे, जे १३ वरिसाई १५ पव्वइओ दसरहो क,ख १५ समेओ क,ख १६ जाओ य सह , १७ तुज्झ क १८ ही दीवं अई' क,स्त्र SA: नाभ 44 4: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406