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विवाइन्ता
विवायंता
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६ अइकूलं
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६ सुइस मूढं
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पावकरा, म
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वहइ जडा
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१७ पुब्बि
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१८ णत्थिस्थ
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नाम ५८ पव्वं सम्मत्तं क
उद्देश - ५९
"पहस्थे
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रणो य
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रणा सयंभू य
' णाभघेओ
गम्भीरादी
राई सुहडा, रणसमुच्छाहा
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जलइ व्व
पहिओ
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ससाणंदया तहा जे
पहिओ
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सहदे
विवाइए
उभयओ विसाम
सिन्नसाम
मंदइदमणो
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संभूओ
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१७ हणुवं
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१७ बहुवाओ
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२४ घण्वरं
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३०
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३१
३१
३३
३३
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रहे वलग्गो
कोतसव्वलसरेहि
२७ सिन
२८ महोदरे
३५
३५
हणुवन्तेण
वज्जोदरो
विहतो
उद्वियमित्तेण
"सुएण य त
ण तो से,
जलियणित्तं
पुत्तादी
गय-तुरंग'
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व, असमत्थं चेव
जोइस्व
वाणरेहिं भ°
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मा सेणमादी णो बि अ
तरंगो
३८ विलक्त्रो
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ह. हणुयस्स उवरि
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से, पविसेऊणं समा जे
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अभिमुहिम कल
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३९. 'सरसतिघासु
४१
गाई चिय अइसिढणं सिढिलो अंगाण निवडति विवडन्ति
४१
४२
४२
४३
४३
४३
४३
४४
४५ जुज्झे स
४६
४८
४८
४९
५४
५५
६०
६१
६१
६२
६२
६३
६३
६४
गया वि
ताण करणं
विबुद्ध हणुयादीया
समच्छहाजाया काउं समादत्ता
६४
६५
अवलोइऊण
५१
तुर एण
५१
तुरएि
५१
गएहि
५२ किकिंधि
५२ एंतो
वन
७०
सिनं
"यमित्तेन
सिन्न
वारणत्येणं
मन्दोथरीय
विरहो, भामण्डलो
आवासं चेव
अप्पर्ण नयरं
लोत्ति गाढं
६५
जिद्वेणं
६७ निसुणेहि
६८° संघट्टेऊण
करेमि एतो न संदेहो
विकिपि
गयातो
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१०३
क, ख
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'त्यं ईदइ सो मारु
सो वायवस्थेण
वि अत्थं
एते दो णेयगा दो णीयगा
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