SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 348
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१ ३१ ३३ विवाइन्ता विवायंता सिनं तह विप ३४ ३५ "सिनं '३५ निवडत इति प "स्वभव" नाम पव्वं संमत्तं उद्देश -५८ ९ ९ १ हरेंद 8 ५ जोगेणं ६ विइयं ६ अइकूलं ६ ६ सुइस मूढं ६ सुहेसु मूढं इन्धय-प पावकरा, म जे ति इन्धय-पलवा क, ख जे १० साधुवि १२ १४ सम्गाओ वहइ जडा १४ गिहधम्म 14 fefefit १६ पुणो हणिया क, ख जाया दो वि विसहरा, बहु नाम प Jain Education International जे क, ख जे, क, ख क जे क, ख जे क, ख १७ पुब्बि १७ से वेणं तेणं १७ स १८ णत्थिस्थ १८ इ तत्थेव सं इति प "चरिए इत्थपइत्थनल क क, ख ख जे जे " क, ख " ख जे क, ख जे, क क ख क जे जे १ १ २ २ ३ ३ ६ ३ ३ ५ ५ महपुष्फत्थाविग्घा 6 ७ ८ ८ ६ एकिक १० १० १० ११ ११ १२ नाम ५८ पव्वं सम्मत्तं क उद्देश - ५९ "पहस्थे णिहए णाऊण रणो य १२ १२ १४ १४ रणा सयंभू य ' णाभघेओ गम्भीरादी राई सुहडा, रणसमुच्छाहा > पर य पियंकरा दीया जलइ व्व पहिओ बदिओ सी आमि "इद्वेग्स" 33 13 ससाणंदया तहा जे पहिओ वहिओ पते सहदे विवाइए उभयओ विसाम सिन्नसाम मंदइदमणो विधी य संभूओ कोहेण व ख विसालो ७. पाठान्तराणि १५ 'ओ विज १५ क, ख १७ पतं १७ हणुवं १७ काही ब १७ बहुवाओ ख जे क, ख जे क, ख " क क, ख जे क, ख 33 31 जे क, ख क, ख क, ख जे जे जे क, ख क, ख जे क ख ओवि य जह य हओ, जे क, ख १८ °ते, अवडिओ १८ "तिम्रो 'धारानी" जे जे १८ १५. 'रेंद्र द्दणुवी १९ २० 'दो पहओ व २० सो विरहो तो २१ २१ २१ २१ २१ २६ २६. २६ २३ २४ घण्वरं २९ २९ ३५ ३५ २६ ३७ क ३८ ३० ३० ३१ ३१ ३३ ३३ ३३ ३४ रहे वलग्गो कोतसव्वलसरेहि २७ सिन २८ महोदरे ३५ ३५ हणुवन्तेण वज्जोदरो विहतो उद्वियमित्तेण "सुएण य त ण तो से, जलियणित्तं पुत्तादी गय-तुरंग' सी व, असमत्थं चेव जोइस्व वाणरेहिं भ° दि मा सेणमादी णो बि अ तरंगो ३८ विलक्त्रो ३८ वीससंतो ३९ जेमते क, ख क ख कओ For Private & Personal Use Only जे क, ख क, ख जे सीहे. ह. हणुयस्स उवरि तु ते जहा केसा न जगन्ति तं दृणु द पीईकरो 33 " 37 क, ख क, ख क. ख क जे क, ख जे क ख क ख क, ख जे क से, पविसेऊणं समा जे 39 जे क, ख जे क, ख अभिमुहिम कल जे लेक, ख जे जे क, ख क क, ख ३९. 'सरसतिघासु ४१ गाई चिय अइसिढणं सिढिलो अंगाण निवडति विवडन्ति ४१ ४२ ४२ ४३ ४३ ४३ ४३ ४४ ४५ जुज्झे स ४६ ४८ ४८ ४९ ५४ ५५ ६० ६१ ६१ ६२ ६२ ६३ ६३ ६४ गया वि ताण करणं विबुद्ध हणुयादीया समच्छहाजाया काउं समादत्ता ६४ ६५ अवलोइऊण ५१ तुर एण ५१ तुरएि ५१ गएहि ५२ किकिंधि ५२ एंतो वन ७० सिनं "यमित्तेन सिन्न वारणत्येणं मन्दोथरीय विरहो, भामण्डलो आवासं चेव अप्पर्ण नयरं लोत्ति गाढं ६५ जिद्वेणं ६७ निसुणेहि ६८° संघट्टेऊण करेमि एतो न संदेहो विकिपि गयातो ६९ हो १०३ क, ख ० 'त्यं ईदइ सो मारु सो वायवस्थेण वि अत्थं एते दो णेयगा दो णीयगा क, ख जे क, ख क ख क, ख क, ख ख क क जे जे क, ख क. ख जे क, ख जे क, ख जे क, ख जे क ख ख जे "" जे, क. ख www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy