Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 352
________________ ७. पाठान्तराणि २७ उवसाहियं क २७ इ तहिं रा २८ संबोहिय २८ व तइलोकं २८ णाभिसेय क, २८ विसुद्धइन्दीवर सवण्णो २९ भावेहि ३१ रो काऊण क,ख ३२ पुवं रामणप्पियभरा इत्तो क पुर्व रामण्णप्पियभरा एत्तो ३९ गयणन्यो गयणत्था १. सु पक्कम ४२ सन्तीहरे लोवं, ४२ विनाससि ४३ सुहडे णि तो भ. ४४ कुणसि ४५ एवं म १६ विणी वि कि पिच्छसु ४७ तुमं ४८ इमं नवरि एत्थ न इमं तु न° वि यकज्जे सासण' नभन4044049644:49. 4gAभम किंकरे ७ मुहलग्गीओ जे,क,ख तित्थं ८ इम वयण ८ र निगम १. निभाई १. 'ई, तियसझं इ. तिसंझं ११ 'न्दियवराई १२ धयवर-सुछत्त १२ वडगछत्त १२ साअरिसवि , शीर्षक अष्टाह्निका १३ पञ्चक्ख क, १४ सी, नन्दीसरवरमहो लग्गो १५ मगहणु" १५ मग्गहुज्जुओ 'मतीया वरदीवे १९ कुम ने हिं १९ पुण विक्लद क,ख १९ दलेसु य, . १९ विहेयव्वा २. पुरीय भूसइ २. चेईय २० चेईयघरे कारयेण क,ख २२ कयाइ पूयाई जे २२ 'सु य जणिय पूयाई क,ख २३ दहि सप्पिखीरसं° जे २३ °पउमविहिय° ३ २३ सेयत्था २४ घोसाई जे २५ त्थं । जिप्पइ द क २५ 'णणघरं जे २६ 'चित्तभित्तीय जे,क,ख २६ खम्मसह इति ३३ होइ जी ३४ करेसु पावं ३६ वयणं सयलोवि ३६ सया रमन्तो इति णमाहमहो लोग 'यामहो लोग नाम पवं सम्मत्तं . क,ख .:18: 19: 58 . ८ रहबरतुर' जे ९ डोवो गावचंद चंदाभो ९ गरुयबिडालो। ९ मदोरहो जे १. पीयंकरो ११ सो चन्दो ११ चन्दमिरीई ११ दासणा १३ पिच्छन्ति १३ नवर. १३ भउजिय १३ पवत्ता १४ मादीया १५ कावि प, १६ जुवईओ १८ विसंठुलो १९ भयं इहं समु २० भाओ मा २० नियत्तेह २१ एय, , २१ 'णघरं २२ भयदुया जे २३ मणेण जे,क,ख २३ हंसी व २४ अह दारुणं वियभइ वञ्चई २८ समाउला २९ हा कारा ३० हुति संपेल्लुपेल सपिल्लुपिल्ल सेसए विय ३३ हटनाराय किम किचि वि जिणायतणे ३८ पयत्ता ३९ हन्तूण ३९ उवलभन्ते 'ट्ठिीदें नाम पव्वं सम्मत ___ क,ख उद्देश-६८ उद्देश-६७ क,ख १ सुणिय .१ एक्के कमर' १ °ग्वुिजया . 'रिबुजया २ पवेसिउं २ वि भंजणी २ कुंदेंदुनील क,ख २ हपहरणारूढा ख ३ पविट्ठो सुहडा कुंदि दुनीलमादीया। जे ३ नाणाविहसत्थकरा पडिपुण्णा क,ख ५ दहरभु ५ णं समोइना । ६ रूवा केई नाऊण ६ क्याई ६ ता गुरुगुहा ७ सीहे क ७ जन्ते । ८ सम्बं तो ८ °त्तो भिउडिदिट्ठीया क ९ पवगजोहा ११ रा कडिण नाऊण क,ख : 8 ३ जा तत्थ ताव ग वई जे,क,ख ५ विहीस ५ सन्तीहरे जे ५ घिष्पओ सं क,ख ६ पउमो वि पडि' क ७ वरा नयरि बलवाहण- समग्गे कब १२ फडियामयमि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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