Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 344
________________ अधिकगाथा - दूरे वित दूरे, सजण दिययाई जत्थ मिलियाई । गयणडिओ वि चंदो, आसासइ कुमुयसंडाइ | २३ दुल्लभो जे २२ लभवर ३५ 'णि व मज्झवि. ३५ मज्झय, ३६ 'ई मणभिरामं ३६ सेसे वि ३७ यव्वं ति ३८ समयं चिय नियय सेने २१ बगरोग इ १° नाम प सम्मतं उद्देश - ५० १ महेंद्रणयरं १ 'नयरं २ एत्थ ३ ४ ४ पुण्णे सु ७ उदरत्थे पुण्णेणं २२ २२ सुणिऊण महेन्द 'रायतनओ ११ जुज्झे १४ १६ १७ तुद्द पुण १७ किकिंधि यदु ° ऊण तो सो. १८ नइयलं १८ लंकाभिमुद्दो २० बहुउद्द 'ण जे पुव्वक वल्लभा इइ प Jain Education International ० जे. क 145 जे, क जे जे " क 19 जे जे, क जे क जे, क जे जे, क ६ ९ ९ ९ १० १० १३ १३ १५ १५ १७ १७ १९ १९ १९ नाम पव्वं सम्मत्तं उद्देश - ५१ ३ ३ मुणिणो उ 'यार्स बरें दे मारुई कण्णाओ ताणं अम्हाणं जी बीया भित्ति अलभन्तो रोहोज्जयमतीभो जो निणइ रण , इमाण तुझं दुहियराणं २१ २४ देसागमण २५ घेण २५ निययागमका सग्गकरणं २६ तइलो कं इइ १० "लाभविहाणं' नाम पव्वं सम्मत्तं ७. पाठान्तराणि उद्देश - ५२ जे °हि विज्राए, ण लद्धा तेहि सहस्सा हं जे सार्हेसु ३ पागारो 10 क जे " जे १ संमुहो २ नमेण १ सुहेण तो पवणयस्स यस्स सादइ संति महामंति नाम नामेणं जे "" जे, क क जे, क जे, क 39 ४ पिच्छइ ५ विमुकहुकार ५ ५ १० १० १२ १५ १६ १६ २० २० २४ २४ २५ २६ २७ २९ २९ ८ ८ १० घणस्स व सरिसं, सरस पविसर "पड़ा रेण "ओ कुड़ी 'सिन्नणं तक्खणेण 'पिच्छणय दट्ठूण पीइवहं, महिमालाई भुजए ए "लो हवइ घणादीए वर समयं च । पुरं छिय पेच्छइ अ सरिसरूवं जे क क जे कए य तस्म उत्र पियसंजम सिणेहं विमल उद्देश -५३ २ भणिओ जं कारणं ४ नरेंदो ५, दहमुह | पर ६ सुरेंद नाम पव्वं संमत्तं क मए बुनो। नेच्छ यतभूई न य इ जय मे समुल्ला भणमि 'मती पिच्छ जे For Private & Personal Use Only क जे इइ प हणुव काकन्नालाभविद्वाणं ? 'कालंका जे जे, क मु जे जे 38 क जे १२ १३ वरुज्जाणे १४ पवरो । १७ १७ वरकण १० 'लाभरणो २० २१ २२ 23 जे, क जे २३ २४ २४ २५ "" २८ क २८ चे य जे २४ विपत्तो २५ २६ करविय 'यणं चेत्र ३५ ३५ ३५ ३५ ३६ ३७ ३७ ३० ३८ ३० ३९ ४० भणियमित्तो "कहं, सो सुतं कुणइ सोमवा दिट्ठो सहलक्खणेण ते पउमो णे उ सो "भूयस्स "मुद्दओ एतो परिणाओ उप्पना कहेह पिच्छि आगओ य कि कइ सदेह कदममध्येह वत्ताते र तुमे न कळसिद्धी वादी विवेयष्णो मे का तुमे समप्पिहिई सुणिऊणं प नन्दणी ४० ४० ४० मद्द पइस्स ४२ नन्दणी ४३ खीगोयरे हि ४४ याणसी ४५ दूयतं क ४६ मल्लीणो ९९ कित्तिय जे जे 45 क 31 जे क "" जे, क 118 15: जे क 16 = 15" जे क जे, क जे जे, क जे www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406