Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 322
________________ ७. पाठान्तराणि उद्देश-१ 08. क,ख १९९ द्धो सरवरेहि जे २३२ नरया क,ख २६२ जलापूरिय २०. 'विसंठुलं जे,क,ख २३५ वसणं २६२ गुलुगुला २०१ पुण्योदयेण जा २३५ ताण बहु ! २.३ पुच्छ जेक,ख २०१ चक्कपट्टी दाऊण य त २६३ 'नयरी २०२ तेलोक २३७ उच्छित्ता २६४ हुयवहनिव २.१ जणमेजएण २३. कहिन्ति २६५ मिणि उकामा २०४ णा, सयधणुपुत्तेण २४१ चलपरि' २६५ मिलाणधव ज क,ख २४१ तेहि आ जे कख २६५ रल ओलविय जे,या २०४ पवरकण्णा २४१ कुगइ विव 'रलऊसविय क, २.५ लसतेदि , २४३ पयत्थेहि __, २६६ वोलेन्ते २०७ कराविया २४४ गयपहरेहिं भू. क,ख २६. पुक्तरणि २०८ जिणसासणं जे,क,ख २४. रुद्ध व चडन्त-प ख २६, चेतिय २०८ ज्जुयमतीओ. जे २४६ उ सत्तो जे २६८ दिसाओ २१० मोत्तण मु,क,ख २४७ रुद्धो २६८ गणिएहि २११ सोऊणं २४८ घिनग सयण २६९ वि य तु " २११ परंतुट्टो. २५० डण्डं। २.१ विणिग्गतो २१३ स! पस्सहक ___ ओ स म २७४ तिमिर २१६ समनालं २५२ एवं जो २७४ णमारीया २१६ गिनक्खं २५२ नराहिवो २७६ णमुहाहि २१७ विमाणाओ २५३ सुरग्गीवं क,ख २७६ अहरेगं २१८ एएहि म अच्छसु ,२७६ संसारिओ २१८ एहेहि ममं स २५३ रिओभडाणं २२० धरणिपढे जे,क,ख २७५ तीए वि क,ख २५४ भोगे जे २७७ मग्झ -२२. परिहच्छ जे २५४ २२१ निसणं परमाणे जे,क,ख २७८ य भणया सा, मु,क,ख। २२२ पासेस २५४ न यणइ का' जे २७१ धम्मेलयं २२२ बलवलयमों जे,क,ख २५५ राम्मणो २७९ वयणम दसाणणे २८० २२२ चकारुढ क,ख २५५ पत्तो २२३ दसमुहो २५७ भडवडगरेण जे २८३ मोत्तिोऊण । २२३ खन्धं २५७ पिच्छन्तो क २८३ परिघुम्प्रियध २२४ परमपीतीए जे २५. ऊमिसह जे.क.ख. २८४ सामन्था क,ख २२६ वसिओं य तत्थ २५८ आवत्तरिद्रमा ख २८६ पणयसंपया जायमह भूया, पणय २२५ दलमुहो २५९ 'संफुड २२७ जजरियत" २५९ "परन्तवचिय २८६ महब्बया, क,ख २२७ सयं सम ख २५९ कुलयळे २८६ कित्ती सुईसु वि. जे समें सम जे २६. कलयल २८६ मु य विस्थया ॥ २२८ 'लपुराओ २६. "विद्दुमप्पसरे (इति अपि च) जे २२९ कुलकय २६१ पसरंतविविहमों इतिजे,क,ख २३१ बहुजणजी २. 'दिणं ब्व उद्देसओ स • १३० जायंकतरे २६२ है । पतजला ख सम्मत्तो २५३ AAS.: १ आइचरइयस्स १ संपत्तो २ वसुमतीए ३ उपसागर ४ तस्स अणुगरो ४ वि य नियब क.ख ५ इक्खपुरे जुवतीओ ७ बंधवसमूह निरावेखो ९ दिवस व्व तियस व्य क,ख १० म्मि अह सा, .. १३ न्ता कण्गभाणुमादीया जे 'न्ता कण्गभाणुमाईया क,ख १३ रिवुछियाती जे १६ सामिय १६ रणकंडं १७ हो तए निह जेक ख १७ विगयसोही १८ यस सुओ, विहाडे भयनिव्वेयं सासयसमावो तस्स अणुरुहा रिखुजणेणं जे क, २३ परिभमति २३ सयरम्मेसु देसेसु २४ बालिस एध (1) दह २९ परगनाडो पमयनाहो मउडमण्डला परिभणइ ३५ पडिसदुओ १. लं इमं चुण्णं १ भोतब्वं १५ धणयरोवरि १८ 14 २६ समुदा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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