Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 320
________________ ७. पाठान्तराणि • जे २६ ससिमिव जो' जुण्डं चलेइ गिरी २९ महन्तं वारि, नि ३. कुमुदुप्पल महुरगु 404 सुमुणि सुमिणं १३० तहा ३९ जे. १२० विलिहमाण जे १६२ 'नयरीय जे ६३ "हिया हवइ जस्स क १२१ चालिया ,, १६५ ण इंदपुत्तेण । क,ख १२३ वि ह पु , १६६ नवरं चिय ६५ साहण? जे,क,ख वि हु पु १६९ होहीइ ६७ परिवाडियं सो धू क १२३ अबढविया १७. 'मतीओ ६७ रियं सो ५ जेक १२४ य नाण १७३ ण रम्म नर' ७४ णसमाइण्ण १२४ मिच्छेहि क,ख (संशोधितम् ) , ७४ दबं १२५ जा पुत्त उद्देश-८ समभासे १२५ सवरसूस ७७ परिकहइ ख १२५ एवं १ व भजासे जे १२६ चोइसघण २ तीसे गु जे,ख ७९ पडिबद्धा ___ ख १२६ निक्खओ ५ मज्झं चियप १२७ जहा न ६ सरूवो १२९ संजओवयट्ठाए जे,क,ख ६ समुद्धहइ ८. इ । पत्ते सच , , तदा ७ एव पभू ८१ करा धोरा कख ९ तुंगयागारं ८२ विसालकित्तिो १३१ लहुं पसजइ जे,क,ख १३ नामतो ८५ समारहइ क .१३२ सम्मत्तं वि १३ (णो नाम लोगविक्खाओ। ८८ कयञ्जलि १३४ म्मि असंपुण्णे जे अय चिय चंदनहा ९. सवो परमो क,ख, १३७ णी य खोहा जे, दुहिया रयणा सवनिवस्स। खिम्गस्य .९२ एयन्तरपि ख १३७ री वंधकारी १४ चेत्तियघराई ९. होही एसो जे,क,ख १३८ सुहडाइणी ९५ जणणीय पि क,ख १३८ विज्जोयरी १५ विजमज्झे ५६ नियइवयग १३९ जलथम्भणि विजमझो ९७ एवं सु भा' १५ गयणतदि १३९ गिरिदारणी ९७ कालेण सो "दुनगुग्गसेणो १४० णावजा वि व इक्कते १४१ रवितोया दुज उम्गसेणा १६ वी मारणो १.२ १४२ बलमहणा इं ते ठिओ १६ सुभो म १.३ १४२ वरिसणी गरुय १४३ थोवदिन' १६ पवमादी १०३ चिन्तन्तो १०७ जावपडिपुण्णा १४३ दियहेस क १४५ ११२ पते सुणेहि द्धा विजा य भा' १७ वयहि ११४ महुरालावं एय १४५ पत्ताओ १८ याहिवती १११ ‘ण तुलवन्तीणं १४७ नंदसु बंध १९ चडगरेण ११७ गहन्भू १४७ अपडिभूओ २१ वसुमतीए ११८ पदकोडेन्ता १४८ हिंडड सर्यपभपुरं १८ धरणिपटुं १५१ मतीया सयपभपुरे ११९ 'विसहरा-रू. ,, १५१ 'मङ्गलम्गीयं ११९ य सोभ १५५ भवणोली २५ विष्णवेडं , १५७ कयपरिकम्मा जे,ख २६ ण नियइ सब क,ख ३. गुजत ३१ कल्लाण छस्स ३१ वहन्ताणं ३२ तेहिं पि ३२ लीलंमि कोलंतो ॥ ३२ विलम्बन्तो ३३ तो कयत्यो ३५ . अन्ना छुहस्स क.ख ३. जोवणधराओ ३. उदयख उदयखेड कञ्चुइणो ३९ वरकनाणं ४० एस धीरो ४० विचिन्तन्तो कणयबुहसहिओ क,ख ४२ किरिणेसु पत्त ४५ मयगधमु ४६ रक्खस प ४६ संबन्धे ताणसत्थं ५१ नठ्ठचेडे ५१ वेजाहर ५१ 'सच्छहेहि य, अह जे,क.ख ५३ 'सु रत्ते ५३ पवर कल्लाणं ५३ गयाइं नि ५४ परमइड्ढिसंपत्तो पवरइड्ढिसंजुत्तो ५४ सयंपभपुरं ५८ह अणेसु खाई नियओ चिय १३ १७ पणवा म क.ख क,ख १९ न गच्छन्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406