Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 318
________________ ७. पाठान्तराणि ..... 4444449 : .: 1010 gya4: २४६ हसो दीवो सम्मत्तो क ख २४६ 'जो,हणो वक २९८ 'ससुतेहि उद्देश-६ २४९ मणिमयूह १ मए पयत्तेण । २५२ जस्स य ना २ दक्खि णल्लसे' २५२ जयम्मि वि २ दो तत्थ वि जयनि(ति) वि ५ ई, धीरो आओहण ना ५ नाम आडणह ७ वत्तो २५५ 'ओ । जस्सासि चिय २५५ सहस्समेक १० हरिसुभिन्न २५७ दीवं पु १. हरिसवसुभिण्ण जे २५८ समासेणं जे क,ख . ११ सुयसमग्गो क, २५९ भीमप्पभस्स जे १४ रह-तुरय-जोहसं क २५९ पूयारुहो १७ तुक्तं २५९ जियभाणू १९ सेहि बाहुलं ॥ जिणभाणु १९ होज २६. जिणभाणुस्स। २. थुथुकिय २६३ ) वजनज्झो २१ उत्तमवंसे २६३ 'रादणो चिय २२ वरगेह २६३ 'राम्वणो विय । २५ भावदोसेगं २६३ ग्वुिमहणो २६ बहुनीइसस्थकु २६४ नेवाण भत्तिवतो २. सुद्धपत्ते, २६१ अणिलो व च वसुमतीप २६५ मयूहो ३१ दीवो य संझयालो । २६६ गयखोभो ३१ सुवेयक २६६ दमणादी जे ३१ सुओधणो २६६ हराणुए । ३१ नाम पुओ धणो वि य ख २६६ हराएण || ख ३१ जलओज्झाओ २१. पुरीय सामी जल उज्झाओ २६९ मेहप्पहस जलउज्झाणो २०० विजाहरेहिं जे,क,ख ३३ भाणु २७० आणाईसरिय" ३३ पवमादीया २७० गुणपत्तं । ३३ रमणिज्जे जे,क,ख २७१ पावेंति ३५ तत्थ वससु वी क,ख २७१ केइत्थ ३५ विलंबतो 'ला मलकम्ममुक्का जे,क,ख ३६ हय-गय-तुरय . , क .. तरुन्भरेहि , इति महापउम व १० नचइ क,ख 'साहियार क " समावसं जे,क,ख 18. ११ नवीहियाकलिओ क ७४ किक्किन्धपुर जे,कख ४२ पत्तो जे,क,ख ७५ आहारादीसु जे ४३ पाणमादीयं जे पवरपीतीप ४३ च सम्बं की बन्धवा विव ४४ जवाओ लयन्ति क,ख देव व भूया जवाओ लंबंति पय बहुल सभावा , धरणिविटे ४५ भुवर्ग जे,क,ख धरणिवट्ठ ५६ रयणमय जे ८. य चिंधारामाय ४६ भित्तिविच्छुरियं जे,क, ८. वावेह पर्व ४६ व सोभा ८२ रिखु नि जेक ४७ उवकरणा जे क, ८४ दो स खे १७ भोयणादीयं ८७ धणुएण १९ नमेण ८८ *रचिंधेहि ५. पूरेन्ता __न्ति य वा ५३ कोश्वविहाणेणं भगवो जेक, ५४ देवो वाणरचिन्धे ५४ बोलिन्ते पुष्वविरियं ५४ माणुगोत्तर किक्किन्धपुरे ५९ वजन ९३ किक्किन्धे पु ५९ "ओ वीरो क, ९३ भाए सरिसो, सु जे ६. पुच्छइ धणसु साहु जे ९४ अट्ठोनरं ६२ सहोयरं विजाहरतर ६३ कणट्ठो 'च्चियकम्मरस ६४ बंधवजणेण सहिओ, पुणइ इन्दो १.१ पवरबउल. ६५ पुरजम्म १.१ सुसमिद्धो ६५ परिबुद्धो १.१ नन्दनवणो ६५ परिवुद्ध ...१०४ गाढप्पहार" ६९ परिणति १०४ सविम्भलो वरधूवं , १.४ पवंगमा वत्ते चिय , १०४ जीवासो वत्ते विय १०५ दिनो सो सा जे वत्ते विय १०८ चलणेसु जेणेय ध १०८ महिवड्ढ ७२ जेणेयं धं क,ख ११० पवंगमो ७२ ह काउं जे ११४ भणई ७३ जेणेय ११५ साहेहि मे धम्मं जे क ख ७४ अमरपुरि क.स ११६ णेहि पुढे क,ख ४ सरिससोभा जे ११७ स्थनिच्छया , : : : : BT 60 169 A4: . 204048 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406