Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 321
________________ ७. पाठान्तराणि 4 :4 04 :.30 8 : ६. विवरीयत्था जे ९५ सरऊसर' १४१ करा इमे १७२ दहणं है ६. विकप्पेन्ति जे, ९६ रहिएहि १४२ 'नयविहण्णू १७२ तस्समुह विकप्पेति ९७ कज्जुज्जुया 'नयविहन्न धावए तुरियं ॥ ॥ ६१ दक्खिणसेड्ढीऍ ९८ चक्कपहारों १४२ मुह १७३ सम्पूर्णगाथा नास्ति , ६१ धौरो विसु ९९ डेसु महत्थं १४२ जिणव १७३ पबत्तो ६२ पड्डयसरिसा १.. विसिहा ११३ मणाभिरम १७४ सम्पूर्णगाथा नास्ति ६३ वच्चमाणो तहा रणं खित्ता। जे १४७ रहोपत्तो १७५ पराइओ आ ६३ तेणं चिय १.. कडा विमुहा क,ख १४८ तालिया १७७ मोहणाहिं ६४ ण बीओ १.१ सो हस्थि न रहबरो जे १४९ वि य, भ १७८ 'भग्गपसरो ६५ सयंपभपुरे जे,क, १.१ 'करम्गमुक्केहि १४९ रे ससंघपरिवारो। १७८ लगइगमणं ६५ देवलोगम्मि १०२ बन्धुवनेहो १४९ तो होही ६७ देसपरिभवं १०५ भारसरीरो १५. ससंभभहियओ १७९ ण गओ ६९ अह उत्त १०५ भङ्गुरसरीरे १५. इ संभमहियो १७. सुहोवदेसं ७. कुम्भकण्णेणं जे १०६ एकमेकेणं कारेमि ७२ तुम १०७ सुहासाय १५२ दोण्ह विजे १८१६ को वि ७१ यलसंजमियतणू, 'सुहासायं १५६ 'नरिन्देणं सो, १८१ न एत्य संदेहो क,ख १५. ओ य राया १.८ कारणद्वे १८२ नरवईण जे,क,ख ७५ पुरं जं चइऊणं १५८ नागसिरी १०९ ता सुयसु राग " १८३ वि हु म ७५ ठिो चिरं नागमई १०९ दावेह "१८१ वेगवतीप ७५ घरणीविवरं जे,क, कालुक्खेवं ນານ तुज्झऽण्हं १८५ तो वंचिऊण विय ताणं १५९ विहारेन्ती जे,क,ख १८५ 'य सा ११४ वलसमस्थ ७७ भणइ एवं । ११४ तो पह • दणं हरि' १८७ °न्दा ताएँ ७८ नयरी ११४ चिरावेह १६. जोव्वणं पुण्णा १८७ पिययरं ७८ अच्छसि ११५ 'रिवुभई क,ख १६१ होहि म १८९ सरदूरिय ७९ भिश्चजण ११९ ण वरसरसएहिं १६३ निम्बाडिओ पतेण ८.रे वय ११९ उक्त्तं द १६३ आसमपहाओ क,ख १९. भोगेहि वयणाई १२. 'म्मि धणओ पहओ . १६५ उजाणे वर' १९. हि सही १ आयड्ढिय १६५ रे, न लभइ घीई १९१ जलसि ५ ८३ घाया पर्व तीए कए ॥ १२२ गिहिऊण १ ता चलणेसु " १९१ पवज्जे हं १६५ उजाणे वर' १२२ सरिस १९२ पभू ८६ य संथं घ) कु १६. जिणहरघराई ते हैं अभिणन्दिमओ १२३ जं तए में या सविहवेणं जे १६७ कारविस्सामि १२५ वि ओइओ जे १६९ १९. जसभागिणी ८७ भडचडरएण तइया ओ नि १२६ 'दो विभो इओ क,ख १६९ उजाणवणम्मि। १९५ तीसे में गयारूढो १३. चमरुधुबन्त . " १६९ "म्मि नियइ जु जे १९५ मेहुणयपुरे, जे गुंजयरिपब्वयं " १३. विमीसणो जे १७. 'घोरन्त ९५ विजाहरादि जे गुंजइरिपव्वयं १३३ सुग सा ११ तं पत्तं. ९६ बडगरेण वेसमणो . ११ विहलभिम जे १९८ विवसन्त .१ सवणादिपहिं , १३६ पवओवर जे विहलवम रणमुहो गुंजयरिप क,ख १३९ म अस्थि च कस विहलवेम्म । १४ पइण्णसे नाणं १३९ मे पुखश्यले जे,कख ७१ पलयन्ति यसक "हे, बाव म :404444444 .40318904040494046:0844 04 क १९. . . जन 84 9 जे १३५ पुहई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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