Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 334
________________ 3 भत्तए ५ =तो, थुणइ परमेण वि सोगं च ७ ८ पवत्ता ८ जियाओ न ९ पुत्र १. ती मज्झयारस्थ १. अन्नमेदेणं अन्भन्तरं १२ १२ १३ कि पर, १३ जीवन्त १६ कि किज्जइ १८ जा पबुद्धा. १८ अभित्ता १९ २. २१ २२ २४ २५ बिहु गय २५ ढोड़त तुमं आ तो क सगड व वि हुन ते य ज जे, क इनियमियमतीया जे २६ २० गती वि २९ ततो विय २९ इन्तो, "दखाओ ० ३१ व ३२ ३२ वरधिईया २२ विप ३३ चणिस्तो । कामि । 7 गोवरेस १२ ३० सरसिउर्स ૨૮ हिडे ३९ उवडिया ११ धारासरज १२ नदी ओ ४२ ऊसुगमणाभो ४२ विसूति १३ गति Jain Education International क " जे क जे, क जे क जे 15 .. " जे क ४३ चारणलील 48 क जे जे जे. क राईक ४४ ४७ १८ ४८ ४८ १९ १८ १२ २० २१ २२ २६ ३० जे, क ३२ कच चिंता विचिन्तेन्ता नरेंदवसा सुणिऊण प गुणिऊन प यस मुणगणक इइ प नाम उद्दसो उसोसम्मत उद्देश - ३० १३ "सम्भलो १५ बदगती १६ १६ १७ सरइ ॥ गणतो गणितो ६ ६ ६ न हुक्खु (किवा ८ विपत्र भ जे क १२ अ जा उपयंत जे नमेण १३ तर मुणिपाय दोगई २३ २५ मण्डिने ७. पाठान्तराणि विषन्तो इमाओ "य भागण्ड क जे ३५ उभया ३८ पत्तो ३८ विपत्तो ३८ दि. १ पत्तो २८म्म जे 市 जे, क भगई भा० जोगेणं नियय भइणी अड़ मुज्झ क निरियं कुलं डुग्गंजे क जे नरवरेन्दो नरवतीगं जे ४८ क जे क जे जे जे, क जेक मु जे. क 37 13 دو जे ३९ ४१ ४१ ११ ४२ ४३ १५ मणिक ४६ गनोणं गतीणं ५० ५२ ५३ १९ ५९ ६१ ४९ मुगुतरावार ५० गिण्हामि मिस न तो काउं जाययमेत्तो य अहं, ५४ से गु ५६ सन्दी ५६ नरेंदो ५७ ५८ ५८ ६१ मुणिपायमूलम्मि क जे ६४ ६४ ६५ जणियभावा पावेति ६८ ६१ ७० देहे विनि संकाएदो" जहोपरुवाणि चन्द्रगती पुप्फम ईएम "ओ हूं च तेण जंप जुल परभवे ताए सम तोप सम भुमी वि मणहरे ७१ ७१ ७२ "भूः विभ संग ७२ जाओ य पि कपनियो चित्तुस्सुया " व मेलओ कयाणां ३° ७३ नगोत कि ७४ चुइओ दहा जा ७५ जे, क जे For Private & Personal Use Only जे क जे " "डो. दुडो तं कणयनामो व || जे दो, धगदत्तसुओ कानोय ॥ 33 " 33 12 음 जे. क क जे जे जे जे. क ७६ ७९ ८० भमिय सं रुबइ १ ५. यहि .. ८३ ८३ ८५ ८६ ८६ ૮. . ९० तत्थ आस्था | ९१ त्रिगणा ९२ परितोस १२ ९२ १० १२ १३ १५ शेमगी आमन्तेऊन पण गो यं से स्थविसा आगन्दिओ सु आलिंगेऊण 'वियोगानल सम्सलियं भई ९३ ९३ ९३ ९६ ९७ ९७ ९.८ एयं से ९८न्धूय भा ९८ पभामण्डलो इति प 'लसमानम जाए अं अंगाणि चुम्बिवाणि "बन्धवो तं मे । कणयं मि० "रं नमिऊण गओ नाम उद्दे सम्मनो इअ यो पोक्ल ८९ "नरेंद 'णो विय, द पियाकुच्छि संभवो एसो । $ जे क जे जे जे, क जे जे, क जे, क क जे, क जे उद्देश - ३१ "पप्रधान नरेंदो 'वादी उ कुखे समुण्णो जे चय पु जे क, जे जे क जे, क www.jainelibrary.org

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