________________
७. पाठान्तराणि
जे जे,कम
44vina
६३ गहतभावेणं ६४ वरतणु ६६ जियटोगे ६६ "रियमइपसरा
महिला व मिस्समीए १ रोस परिगयाम' " मारण .२ अगुमनियं ७२ न य रुदा अ ७२ अप्पणो स
१४७
:
१७ मा
44444
१.. लयं पि पत्ता जे ११ जाए न
जे १.१ भाग पि जेक ख १४२ विजिजद
, २० संजोगो जे,ख,ख •३ पार्वति क,ख १४३ विधज्जेन्ति कख २१ यं व गमिही कव सीहो न्व स' जे १४४ जेमिति
२६ एत्य मन्ती १०५ भवे जेग होइ
अणुइति
पिलम्वेद
जे १.८ भिलासिउ अं भणुहुति . जे . उारयणाई
ख १०. विमुच
अणुहुवति
२९ गुनगुममें जेक. ११. सागारो
'फुकेमाओ
३. अड दिबहा १११ सापयधम्मो १५६ इह महिलाओ
३. उपकरणकरा जेक ११३ वयं तु प
विय कि जे.कन ११८ पते
लोभत्थी
३१ पईनुहा ११५ वयाणि जे.क.स १५. गेण्डड
३८ री प्रवरिस ११६ विरती १५१ गेण्ड
३८ कोशिक ११६ मुगहिवन १५२ दुझाचारयं
१८ मणोरहः स जे ११. सोहम्मादीसु
१५४ भईए मर , मु ३९ सबमेनेयं तु ११८ हुति
मुणवपनं जे.क,
३९ गाडाम न . क ११८ पावति जे,क
चिउलं च
१. अनुमोणं १२१ "यादिपसुं
इति पउम
नियोगेग १२२ अत्तिमक
'धम्मकदाणा चोहसमा
४० गन्तूणं काय
कख १२२ म जिगोध
उडमा
जे,क,ख
१३ कंताए दार १२३ अणुभयन्ति
सम्पत्ती
४. वेणार' १२४ थेत्येवो
उद्देश-१५
१६ पढमे 7 ह° जे,क,ख १२४ सरियामो
२ ण वालिजद
५६ होइ चर' जे,क,ख, १२५ एक दियह मु
७ सत्तमिमम्मि जे १२५ फलं व सु
* गणाडिवो
१७ °म्मि य पल जे,क,ख जुबइविषिहम
७ --कित्तिपडि' क,ख, १८ पुण चेव माह जे १३१ मुहुत्तबड्ढो
" नरिदमादी
१९ विसघायणछो जे उववासा १२ वाण 1
५. विधिर्ति न लभर जे 'मादीया। १२ हाऊण व क,ख
वणे. नेत्र घिई लहइ १३३ भावियमतीआ , १३ जो चणचेंच जे १३४ अथत्यते जे.क.स १४ साहसु फुड जे १३४ जगेन्तसोमे जे
'जगेन्तसोही कख १८ ता कुष्पइ जे ५२ नाम जे,क,ख दिढयरं
जे १८ इन्दई मारो , ५३ अनं व कस्स जे १३. रयणीए १९ जाओ सिरि" ख ५५ जो इकं
व १३७ वरविहूणा १९ पिउमाउदुक्व'
५५ दियहागि तिन्नि १३८ एत्थ वि
१९ 'दुक्वजणयं क,ख ५७ कायरो होहि १३८ वजेन्ति
२० दक्षिणाए मेढीए क,ख ५८ देण्यं पि १३९ जा ण रति
२१ विज्जुष्पभो जे.क,ख ५८ पि ताव ए १४१ पगाम
, २२ 'सरिसजोव्वणाणं ६० वट्टतघण य काम
जे,क,ख,मु ६२ रत्तासोगस जे,क,ख .2-21 -
७३ अनुमा जेक ख ४ माभग्न जाईण ताण मार'
जे वाति जे,कस्ख ७१ मादल व पामत्तं
ल° .व ७९ ‘मुह कओ हो° जे
जेण यचामिक,स ८३ मा य कुमु जे ८८ जे, गुरुआरंभा ८९ पहि हलुयत्तं कख
पल्डावरिंदहे
पवणंजये नि ९६ य वारेज्जे
जे °दाणमणविभवा जे,क,ख १. दुक्खावहं ता । क,ख १०. उवणमइ इई लोक
'संवेगसद्धा इति ५ अञणसु उद्देसो सम्मत्तो जे क,ख
१२२
...
जा
१३१
रम'
क
उद्देश-१६ १ पचणंजयेण जे १ दुक्तियां रमणा अजे,कस २ विरहानलत जे २ र विचिन्तिन्ती क
°२ विचिन्तेन्ती ख र व चितेंती
कान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org