Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad
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(वंस-इरि रामगिरि
(मंदर
वक्खारगिरि वसंतगिरि विउल-गिरि
विझ-इरि विझापाय वेयड्ढ
३. वोकृत भौगोलिंक-विशेषनाम ३९.४,११:७९.७; -गिरि (सुरदुंदुहिगिरि १०८२२ १७२:३९.१२, -नगवर सुरपब्बय ११८६४ . ८२.२; -सेल ४.९
सुवण्तुग
१४४ ३.२६:१०२.१०९ २११६
(हिमगिरि ७३७ -सिहर २३८ १.३४२११; -गिरिद २.
रहिमव
१०२.१०५ ३५, -महागिरि २.३८ हिमालय
१०१३ १०.२७ -गिरि ३१.१००
(च) वन-उद्यान-कानन-गुहा-वापी
-
असोगमालिणीवावी ४६.७६ १.४५,५६:३ १५०:५.६४;
कालिजर - महारण ५८.९ १२५.२३३,६.८२,१५६,
चउकाणण वण ३.२३ २३४७.९७८.१८१५,
तिलयवण
८८.२१ . . २०१७५५:२७ ४:२८.
डंडारण ९८.४२ ८३.३११४:८५.२८,९१.
दंडगारण ३१२५:४१.३५,४२.२५ १:१.१५६१.३.५७; -गिरि १२.७३,१३९:१३.
दंडयमहारण .९५.२२ ९:१५.३१%3 -नग ८.१:.
दंडयरण्ण -नगवर ९०१-भगवरिंद
दंडयारण ४०.१३.११३.५८ ६२; ७ २१; -पन्वय .
दंडारण ११.१%;४२.१४:१३.१९:
७९.५,९९.१४,१०३३ ५४.३९
देवरमण-उज्जाण ४६.१५ १८१४
नंदण-वण ७. १९: १२.४२, १६ ८ १. २०.५२,९४ २७
४२.१० १०३ १०८, -पव्वय ५. पिउमवरउजाण ४६.७३ २०६८. २१२, २१,२८, (पउमुजाण ३९६३, ७३; -सेलसिहर पंडावण
पलियंक-गुहा १७. ७५,१०१,१८.४५; ८.१० ५५.१६:८५.२६ पारियत्त-अड़वी ३२.१० १०२१०५
(भीममहारण ८.१० -गिरि ७५. ३८; -सिहर (मामारण्ण
(मीमारण्ण ७.१०१:८.९ १.९.१.
भूयरव
१८.२०
भूयारण्ण १८.३७ मंदारण्ण महिदउदय-उज्जाण ३०.२९:१०१.२. वसंततिलय-उखाण ३.३४:३९.५.
३५.१ विज्झाडवी ३४.३४ समत्तकुसुमुजाण १६.६६ सयडामुह-उज्वाण ४.१६ सलाइवण हिमालय-गुहा १०.१३
(छ) समुद्र खीर-समुह ३.१०७ खीरोदहि २.२५:२१.१८ खीरोयसायर रियणायर . ५३.५१ लवण-जल ३.३०:६. ३५, ८.२५५%
४३.१., २१:४८. ५० ५५.१: -तोय ६. २९ ३७. ५५,१०२. १०४; -समुह ३.२२, ७.६.;
-सायर ९९.१८ लवणोदहि ६५.१% १.१.४३ लवणोय ६४.१३ लक्णोयहि सयंभुरमण ११२.१८ सिंधुसायर ११२.१७
(ब) सरोवर माणस
१५.४१;-वरसर १५.४. -सर १६.४५८२.१.८ .
वेलंधरपब्वय संवागिरि सम्मेय
सम्सावत्त सिरिपव्यय सिहरि
सुमेह सुरपवय
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