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६२
(१३) मु
(१७) सुत
(१५)
(१६) आइचगइकुमार (१७) इंद (१०) इंदमेह
(१९) मयारिम
(२०) पहिल
(२१)
(२२) सुभाशुभम् (२३) मुरार
(२०) विज
(२५) महण (१६) अंगारभ (२०) रवि
(२८) चक्कार (२९) वज्जमज्झ (३०) प्रमोद
(३१) सीहवाहण (३२) सूर (३३) चाउंडरावण (२४) मीम
(३५) भयवाह
(२६) मिन (२०) नियाणभत्तिमंत
(३८) सिरि
(३५) अनिमित
(४०) पवणुत्तर गइ ( ४१ ) उत्तम (४२)
(४३)
(xv) संकासो
(४५) मऊह
(४६) महा (४७) मनोरम
(४८) रविते
(४९) महगइ
(५०) महकंतजस
(५१) अरिसंतास
(५२) चंदवयण
(५३) महरव
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५. वंशावलि विशेष
(५४) मेहज्झाण (५५) गहखोभ
(५६) नक्खत्तदमण
( अन्य कई राजा )
(५७) मेहपह
(५०) किरि
( मुनि के तीर्थ काल में) (4) after (4.16)
(६०) मुकेस (५.१४८ )
(१) सुमालि (६.१२० ) (१२) रयगासव (०.५५) (६३) रावण (७.९६)
इसप्रकार पउमचरियं में 'मेहवाहण' से 'रावण' तक राक्षस-वंशावली में कुल तिरसठ राजाओं के नाम हैं । पद्मचरितम् में यही संख्या छासठ हैं । अन्य तीन राजा १६ और १७ के बीच में 'इन्द्र', २२ और 3३ के मध्य में 'भानु' और २४ व २५ के बीच 'भीम' है। मंदन (२५) अंगारभ (२६), सूर (३२), चाउंडरावण (३३), भयवाह (३५), उत्तम ( ४१ ) और मऊह (४५) के स्थान पर क्रमशः मोहन, उद्धारक, चामुंड, मारण, द्विपत्राह, गतभूम और मयूरवान् के नाम हैं । ( देखिये पद्मचरितम्, अध्याय ५.७७-४०४ और ६ तथा ७). (ग) वानर - वंशावली
(१) सिंरिकंठ ( विद्याचर अदद का पुत्र)
(६.३)
(२) वज्जकंठ (६.५९ )
(३) इंदा उहप्पम (६.६६ खे ६. ६९ तक )
( ४ ) इंदामयनंदण
(५) मरुयकुमार
(६) मंदर
(७) पत्रणगइ
(८) रविप्पभ
(९) अमरप्पभ
(१०) (६.८३ से ६.८४ तक )
(11) क्रिस
(१२) अइबल
(१३) द
(१४) लेबरनरिंद
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(१५) गिरिनंद
( अन्य कई राजा )
( मुनिसुव्रत के तीर्थ - काल में )
(१६) महोयहिरव (६.९३) (१७) पडिइंद (६.१५२) (१८) किकिधि (६.१५४ ) (१९) आइचर (८.२१४) (२०) वाली नी (९.१,४ )
मरुयकुमार
पउमचरियं और पद्मचरितम् में वानरवंशावली के राजाओं की संख्या 'सिरिकंठ' से ' वाली' तक समान है । (५), रिक्खरभ (११), अइबल ( १२ ) और पढिइंद ( १७ ) के स्थानपर पद्मचरितम् में क्रमशः मेरु, विक्रम संपन्न, प्रतिबल और प्रतिचंद्र के नाम हैं ।
(घ) विद्याधर- वंशावली
(१) नमि (५.१४ से ५ ४६ तक ) (२) रयणमालि
(३) रयणवज्ज
( ४ ) रयणरह (५) रयश्चित्त
(६) बंदर (2) संप (८) सेण
(९) वजदस
(१०) वजदअ
(११) बजाउ
(१२) बज
(१३)
(१४) वजंधर
(१५) वजाभ
(१५) लबाडु
(१७) वजंक
(१८) सुंदर
(१९) वज्जास
(२०) जपाणि
(२१) वजसुजण्डु
(२२) बज
(१३) विमुद
(२४) सुवयण (२५) विज्जुदत्त
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