Book Title: Paumchariyam Part 2
Author(s): Vimalsuri, Punyavijay, Harman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

Previous | Next

Page 314
________________ १२ कुम्भयो १२ ण्णो य । १२ वानरेहिं भगवं १३ १३ १४ १४ १५ १६ १६ १७ १७ १७ भागो य तत्थ आलोयं त १८ १९ २. २२ सेहअन्ध केवलीणा सि मह जिजयरेण सिं नेय मणुवमाहारो जे मामि दे जे पत्थव खेत्तविभागो कालविभागो २१ ३१ जे ख जे ३० ३. देवलोक समा संपरिक्खित्तो दो चेव सयसहस्सा नायभो तस्स परिवेढो पडमवर इति प्रक्षिप्तपाठः २३ नवनउई २३ विच्छि २५ महानदी ओ २७ सट्ठीउ तहा, सीहासणाणि २७ २९ भूमिसग्गा, ३. र २. णिचेि य देवलोग वोति । ३२ एरवयस्सा, किण्णरदीवो ३२ ३३ णी बड्डी ३३ काळे, ३४ महिड्ढीओ ३६ आउठिति ३७ विभूसण ३० एते हि जे, ख मुरवस एस परिहिपरिणदो जे, ख Jain Education International जे 33 39 जे 23 27 ख प्रस्थ जे, ख प्रस्य. जे जे, ख जे "3 ख जे २० ते ३० ३८ 45: ४३ ४३ ४६ ३९ ४१ ४१ बढी ४२ एवं मुणिउं ४२ केण किएण ४६ ४९ ५६ ५६ ५६ ५६ ५७ ५८ " ६५ ६५ ६० ६१ ६२ ६२ ६३ ૬૩ ६५ मा निश्च सुहियं जत्थसुहिया थेवसेसे बढी सहेब का परिणमति सहा वेणं ५१ तस्स सुई सुपवण्णा, ५२ नामो ५४ जेण ५४ सिद्धं च ५४ अहव अद्दवत्तं "भूमितं प्याण 3 ७. पाठान्तराणि अण्णे आलयत्रसभा, पीसमा आदि पियसमा आसी ख जे गोसप्पेणं च पा ख वरायेण मु वसभ "सि सूर झ सुविणा नवरविपुट्ठा, सुइणत्थं 23 "ण सुइण अत्यं पिययमे " " "" जे भरद्दम्मिए छउप्पण्णा ख जे जे जे मु भोगड़िढइ नागवसो जे 'लायण 'विणिओगे मदेवि अ ख जे 39 "" 39 35 33 ख 45 9 45 ६६ ६० ओ मासाणि पंमु ६८ जगम्मि ६९ खोभन्तो 190 लण पुत जे मु ७० ७१ ७२ ७३ ७४ "विभूससहि पुण्णंमिलाभयाई वन्तरदेवी 'सं खेत्तं ॥ "वसम ७४ चउप्पगारा ७५ कंकेयणसूरकन्ति पज्जलिया रयणवुड "लं चकिय पासे ८१ <1 FUTE ८१ उम्गाविवद्द ८२ हरिणउल ८२ 'घणचन्दे ८५ चन्द पह ८५ मा सा ८५ जाती संखपहाणं ९१ कुसुम सुगन्ध ० ७५ ७६ ख ७७ पुलोयन्तो ते सव्व ७८ समुज्जलसिरीया जे, ख ७८ जे ९ फलि ७१ सुललि ७९ सुललिए लया "मणिमयूह' ८० ८७ ८८ रु सुम ८८ "ओहले सभावभावस्थं मि ख जे ख जे पयओ पसाचित्ता 35 For Private & Personal Use Only गा य णेगविद्दा जे, ख ૮. "णागरु ८९ केएत्थ ९०. 37 37 जे जे 13 ख ख १३ जे, ख जे ९४ अभिसिश्चिऊणमा ९४ अडिसिबिउं समा ख ९५ मधु' जे ९५ ९५ १५ जा १६ उपद्वेति मु ९६ ९७ वियरे सु १०२ सम्भूयगुणेहिं जे, ख सरिसेहि हत्थेहि १०५ सुरकुसुम १०५ १०६ १०६ १०७ *व (ब) लेण १०७ कीलयसतेसु १०८ लावण्णो ११२ देवेि ११२ पासण्डाणं च उ ११३ नवजोaar ११३ ११४ ११४ ११४ ११५ ११६ वे सि ११७ ११७ ११८ ११८ ११९ १२१ १२२ १२२ १३२ १३२ १३२ जे १३२ तइलोक्के अईसयं पो वसभो बारह "पापसा कण्णापर सिध्याई ज जोगेण नरा १२३ १२३ १२५ १२५ १२६ १२७ उसहो १२८ नजइ कुणइ बहुं चें बहुवि नडीओ बहु विडिओ "जमुजो सबहुओ १३१ १३१ जयसद्दालो 'चन्दमणि' परिवेढा "कम्मविरया हुति सव्वसन्स • जणम्मि "न्दा भवे तओ बी लोगसंबन्धे पर्व अच्छओ अतिच्छिम ६९ घाउ सु सिबिया जे, ख ख जे. ख जे जे जे 22 39 जे ( जे, ख स जे 45AA www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406