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(क) इक्ष्वाकु वंशावली
नामों के आगे कोष्ठक में दिये गये अंक पउमचरियं के उद्देश और गाथा के हैं । (१) आइचजस ( चक्रवर्ती भरह का पुत्र, ५.३ से ९ वें उद्देश तक )
(२) सीइजस
(३) बलभद
(४) वसुबल
(५) महाबल (६) अमियबल
(७) सुभद्द (८) सायरभद्द (1) रविवेश
(१०) खसिपह
(११) पयते
(१२) तेयस्सि
(१३) तावण
(१४)
(१५) अनिरि
(१६) महाविरिअ
(१७) उइयपर कम
(१८) म (१५) र
(२०) इंदजुइण्ण
(२१) महाइंदर
(२१) पभु
(२३) विभु (२४) अरिदमण
(२५) बसहके
(२६) गरुडंक
(२७) मियंक
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वंशावलि - विशेष
(क) इक्ष्वाकु (ख) राक्षस (ग) वानर (घ) विद्याधर (क) हरि
परिशिष्ट ५
(६१) अणरण्ण (६२) दसरह
(६३) राम या पउम ( २५.८)
इस प्रकार विमलसूरिकृत पउमचरियं में 'आइश्वजम' से राम' तक इक्ष्वाकुवंश के तिरसठ राजाओं के नाम हैं। रविषेणकृत पद्मवरितम् में कुल संख्या छासठ है । उसमें नं ३९ से ४२,४५ और ५५ का
(३५) सीहरह (२२.७६) (३६) बंभरह ( २२.९६ से २२. १०१ तक ) उल्लेख नहीं है, परंतु नौ अन्य राजाओं के
नाम हैं । वे इस प्रकार हैं:- पांचवें और छठें के बीच में ' अतिबल', आठवें का नाम केवल 'सागर' और उसके और नवें के बीच में 'भद्र नाम का राजा, " चौबीसवें और पचीसवें के बीच में 'वीतभी', अट्ठाइसमें और उनतीस के बीच में सुरेन्द्रमन्यु, और अड़तीसवें व तेंतालीसवें के बीच में 'शतरथ', 'पृथु', 'अज' 'पयोरथ' और 'इन्द्ररभ' के नाम हैं। (देखिये पद्मशम् अध्याय ९, २१ और २२ )
(च) राक्षस वंशावली
(१) मेहवाहण ) ( विद्याधर पुण्णघण का पुत्र) घणवाहण J (५.१३७ )
(२) महारक्खस ( ५. १३९ )
(३) देवरवल (५.१५६)
(४) र
(५.१५१ )
(२८) विजय (५१.४१ )
(२९) पुरंदर ( २१.४२ ) (३०) कितिधर (२१.७८) (३१) सुकोमल (२१.८९ ) (३२) हिरण्यगन्भ ( २२.५० )
(
३३ ) नघुस (२२.५५ )
(३४) सोदास (२२.७१)
(३७) चढम्मुह
(३८) हेमरह
(३९) जसरह
४०) पउमरह
( ४१ ) मय' ह
(४२) ससिरह
(४३) रविरह
(४४) मंघाभ
(४५) उदयरह (४६) वीर
(४७) पडिवयण
(४८) कमल
४९
(५०) व
(५१) कुबेरदत्त
(५२) कुंथु
(५३) सरह
(५४) विरह
(५५) रहनियो
( अन्य कई राजा )
(५१) कह
बीसवें तीर्थकर सुनती में) (६) रघुब
(५६) मयारिदमण
(५७) हिरण्यनाम
(५८) पुंजस्थ
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५. आइच
(५.१५२)
(६) भीमर (५.१५६)
(७) पूयारह ( ५.२५९ से ५. २७० तक )
(८)
(९) संपरिकित्ति
(१०) सुरणीय
(11) हरिगीय
(१२) सिरिगीय
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