Book Title: Nandi Aadi Sapt Sootra Vishayaanukram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [ "ओघनिर्युक्ति, दशवैकालिक, पिंदनिर्युक्ति" ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ४ ओघनिर्युक्तिः | ५ पिण्डैषणाध्ययनम् १ प्रथम उद्देशः १५९#२३६६११८० २ द्वितीय उद्देशः २०९ २४६६२१९० | ६ महाचारकथा ( धर्मार्थकामाध्यय नम् ) प्रतिलेखनादीनि द्वाराणि ३३० १९१ १२७ पिण्डद्वार ६६६ ३१२ २०७ उपधिनिरूपणं ७६३३२२ २२२ | अनायतनवर्जनं ७८५ प्रतिषेवणाद्वारम् ७८९ ७९२ २२५ आलोचनाद्वार विशुद्धिद्वारम् ८१२ २२७ ५ दशवैकालिकं २२४| २२४ १ द्रुमपुष्पिकाध्ययनम् ५#१५३ ८२ २ श्रामण्यपूर्विकाध्ययनम् १६*१७९ ९९ ३ क्षुल्लिकाचारकथा ३१*२१७ ११८ ४ षड्जीवनिकाध्ययनम् सू. १५ ॥ ५९* नि. २३५ भा. ६० प. १६० २७७ २७० २०६ ७ वाक्यशुद्धयध्ययनम् ३३४* २९४२२३ ८ आचारप्रणिध्यध्ययनम् ३ ९८* ३१०२३८ ९ विनयाध्ययनम् १ प्रथम उद्देशकः ४१५*# ३२९ २४५ २ द्वितीय उद्देशकः ४३८# २५१ ३ तृतीय उद्देशकः ४५३** २५४ ४ चतुर्य उद्देशकः सू. २०।।४६०*२५८ १० समिक्ष्वध्ययनम् ४८१#३६० २६८ | ११ रतिवाक्य चूडा सू. २१४९९#३६९२७७ १२ विविक्तचर्याचूडा ५१५*३७३६३२८४ ~13~ ६ पिंडनिर्युक्तिः नि. भा. प. १ पिण्डनिरूपणम् ७२ १५ २८ २ उमदोषाः ३पादनादोषाः ४ मरणादोषाः ५ प्रासैषणादोषाः ४०३ ३०११९ ५१५ ३० १४६ | ६२८ १७० k १७८ -- x -- x -- X -- X --

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