Book Title: Nandi Aadi Sapt Sootra Vishayaanukram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नन्दयादिनां विषयानुक्रम: नमो नमो निम्मलदसणस्स य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः 'नन्दी-आदि-सप्तसूत्र' लघु-बृहविषयानुक्रम: [आगम-संबंधी-साहित्य] [आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता - मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.. श्रुतमहर्षि) 28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलितः नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी-साहित्य)। Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए MANARWAANANANJARNARNARWARNATARWARIANNAANAANAANAS श्री-आगमोदयसमिति ग्रन्थोद्धारे अन्धाकः ५५. श्रीनन्दी-अनुयोगद्वार-आवश्यक-ओपनियुक्ति-दशवकालिक-पिण्डनियुक्ति-उत्तराध्ययनानां सूत्रपत्रगाथानियुक्तिमूलभाष्यभाष्याणामकारादिक्रमः अंकशुद्धिः लघुहंश्च विषयानुक्रमः । विषयानुक्रमः) (नन्द्यादि दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ORWARNARIANANTARWAND ONIANTARNINGANANAND प्रकाशक:-श्री आगमोदयसमितेः कार्यवाहकः जीवनचन्द्र साकरचन्द्र झवेरी। इदं पुस्तकं मुम्बग्यो निर्णयसागरमुद्रणालये कोलभाटवीथ्या २६-२८ तमे गृहे रामचंद्र येसु शेडगेद्वारा मुद्रयित्वा प्रकाशितम् । प्रतयः १२५०] वीरसंवत् १४५४, विक्रमसंवत् १९८४, सन १९२८. [वेतनं २० २-०-.. UMUMUMNYAMUUUUUNUUMUMANUNUNUNU सुत्ताणि ... मूल संपादकेन संपादित: 'ओरिजिनल टाईटल' पेज ~2~ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ ["--"] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम विजयतेतरां श्रीमद्गणपतिद्वादशाङ्गात्मा. विदितपूर्वमेतद्विपश्चितां यदुतागमवाचनाप्रकाशकारिण्या यथार्थाभिधानया आगमोदयसमित्या श्रीमजिनवरेन्द्रवदनविनिर्गतत्रिपदी-18 | हिमवजातप्रभवः कोष्ठबुद्धिकत्वायनन्यसाधारणगुणगणभृद्भिर्गणभृद्भिः रचित आगमनिचय ऐदंयुगीनश्रमणस्योपकृतये वाचनायां सौ-16 कर्याय च मुद्रापितः, मुद्रापिते च तस्मिन् उत्तमोत्तममुद्रणालयसत्कोत्तमोत्तमाक्षरैर्जातमस्त्येव समेषां पाठकाध्येतृविलोककानां शर्मानूनं, परं येषामन्यग्रन्थावलोकनेऽनेकत्र दुर्योधा विषया अवभासेरस्तेषां यथार्थतया तद्विषयमूलस्थानजिज्ञासापूरणाय सूत्राकारादिक्रमयुतो विषयानुक्रमोऽयमुपदीक्रियमाणो विदुषां करिष्यत्युपकारमसमं, विषयानुक्रमो लघुस्तावद् अध्ययनानामनुक्रमण महास्तु विषयदर्शनपुरस्सरं | वादादिस्थानविशेषसूचनयाऽलंकृतः, क्षन्तव्योऽपराधोत्र यत् मुद्रणसौकर्याय सर्वेषामागमानां स्वानि सूत्राणि स्वा गाथाश्कीकृताः, प्रति|| वामायं नियुक्तिगाथा भाष्यगाथा अपि च संमील्य विवक्षिताः, अन्यथा प्रतिस्थानं श्रुतस्कन्धाध्ययनोदेशसूत्रगाथानां पृथक् पृथगकन्यासेन|8 नियुक्तिमूलभाष्यभाष्यध्यानशतकसंग्रहणीगाथादीनां पृथक्पृथगक्षरोपन्यासेन च गौरवं स्यात्, या च क्षतिर्मुद्रणे जाताउतानां विहारादिना कारणेन तस्याः मार्जनाय चात्राकशुद्धिरादाववधृता लघ्वी महती च सा विलोकनीयाऽवश्य, प्रारंभे दृष्टिगोचरीकार्यश्च संकेतसूचकोऽधिकारश्च सहैव तेन मुद्रापितो मतिमद्भिः, परशास्त्रगतसूत्रसूत्रगाथानियुक्तिमाष्यादिस्थानजिज्ञासायां अकारादिक्रमावलोककानां चोपकरिष्यति स्पष्टं विशिष्टाकशुद्धिपत्रिकाऽकारादिक्रमस्य पुरतो मध्ये धृतेत्यर्थयन्ते आनन्दसागराः १९८४ पौषकृष्ण १३ शुक्रवासरे इडरदुर्गे. शान्तिं कृतः शान्तिजिनस्य मूर्त्या, दुर्गस्थचैत्यालयमाश्रयन्त्या। अधिष्ठिते हीडरधाग्नि एषा, प्रस्तावनाऽकारि जनावबुबै ॥१॥ ESSASASHISHASSIS सुत्ताणि ... पूज्यपाद आनन्दसागरसूरीश्वरेण लिखितं प्रास्ताविक-कथनं ~3~ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक: आगम का नाम ०१ * आचार ०२ 每 सूत्रकृत् ०३ • स्थान ०४ 侮 समवाय * भगवती * ज्ञाताधर्मकथा ०५ ०६ १२ * औपपातिक १३ * राजप्रश्नीय १४ * जीवाजीवाभिगम १५ 事 प्रज्ञापना १६+१७ * सूर्य+चन्द्र-प्रज्ञप्ति आगम-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रमः लघुअनुक्रम | बृहदनुक्रम पृष्ठांक: क्रमांक पृष्ठांक: अंग-सूत्र लघु- बृहत् विषयानुक्रमः आगम का नाम ----- ०७ • उपासकदशा ०८ * अंतकृद्दशा ०९ * अनुत्तरोपपातिकदशा १० 臺 प्रश्नव्याकरण ११ * विपाकश्रुत ~4~ उपांग- सूत्र लघु- बृहत् विषयानुक्रमः १८ * जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति १९ * निरयावलिका २० ● कल्पवतंसिका २१ पुष्पिता २२ * पुष्पचूलिका २३ * वृष्णिदशा लघुअनुक्रम बृहदनुक्रम पृष्ठांक: पृष्ठांकः Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक: लघुअनुक्रम | बृहदनुक्रम पृष्ठांक: पृष्ठांक: २९ आगम-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रम: लघुअनुक्रम | बृहदनुक्रम आगम का नाम क्रमांक आगम का नाम पृष्ठांक: | | पृष्ठांक: प्रकीर्णक-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रम: . चतु:शरण . संस्तारक . आतुरप्रत्याख्यान ३० . गच्छाचार . महाप्रत्याख्यान ३१ . गणिविज्जा . भक्तपरिज्ञा ३२ . देवेन्द्रस्तव - तंदुलवैचारिक ३३ . मरणसमाधि ... [३४-३९] छेदसूत्र-वृत्ति का विषयानुक्रम पूज्य आगमोद्धारकत्रीने नही बनाया ... मूल-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रमः २८ ०१३ । ०६६। ४० . आवश्यक ४१/१ . पिंडनियुक्ति |. ओघनियुक्ति ०१२ । ०२५ । ०१३ ૦૮૨ ०१३ । ०५३ ४२ ४३ . दशवैकालिक . उत्तराध्ययन ०१४ ०९० ४१/२ चूलिका-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रम: ___४४ - नन्दी ०११ । ०१६ । ४५ - अनुयोगद्वार ०११ । ०१९ ~5~ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम क्रम आगम का नाम . आचार * सूत्रकृत् ०१ ०२ 03 每 स्थान ०४ • समवाय ०५ भगवती σε * ज्ञाताधर्मकथा ०७ * उपासकदशा ०८ अंतकृद्दशा ०९ १० 海 प्रश्नव्याकरण आगम-सूत्राणाम् प्रत- क्रमांक: एवं दीप - क्रमांक: दीप आगम आगम का नाम प्रत अनुसार | कुल-सूत्र कुल-गाथा अनुक्रम क्रम ४०२ १४७ ५५२ ०८२ ७२३ ८०६ ७८३ १६९ १०१० १६० ०९३ ३८३ ८६९ ११४ १०८७ १६५ ०५७ २४१ ०५८ ०१३ ०२७ ०१२ ००६ ००२ ०३० ०१४ ०३४ ००३ ०४३ ०३० ०८५ २७३ ३५२ * अनुत्तरोपपातिकदशा ११ * विपाकश्रुत १२ ● औपपातिक १३ * राजप्रश्नीय १४ * जीवाजीवाभिगम १५ प्रज्ञापना ➖➖➖➖➖ ०९३ २३१ ०७३ ०६२ ०१३ ०४७ ०४७ ०७७ १६ १७ १८ १९ ~6~ २० २१ २२ २३ २४ * सूर्यप्रज्ञप्ति ● चन्द्रप्रज्ञप्ति * जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति * निरयावलिका * कल्पवतंसिका प्रत अनुसार | कुल-सूत्र कुल १०७ * पुष्पिता * पुष्पचूलिका * वृष्णिदशा • चतु: शरण २५ * आतुरप्रत्याख्यान २६ * महाप्रत्याख्यान २७ * भक्तपरिज्ञा ०८५ २८ * तंदुलवैचारिक * संस्तारक ३९८ २९ ६२२ 30 事 गच्छाचार * आगम-सूत्र ३४ से ३९ [छेदसूत्र- १ से ६ ] की वृत्ति को पूज्य आगमोद्धारकश्रीने संपादित नही किया, इसिलिए उन का समाविष्ट यहां नह १०७ १७८ ०२० ००२ ००६ ००१ ००२ ००१ ----- ०२० १०३ १०७ १३१ ----- ००१ ००२ ००१ ००१ ०६३ दीप अनुक्र २१४ २१८ ३६५ ०२१ ००५ ०११ ००३ २००५ ०६३ ०७० ०७१ १४२ १४२ १७२ १७२ १३९ १६१ १३३ १३३ १३७ १३७ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम आगम-सूत्राणाम् प्रत-क्रमांक: एवं दीप-क्रमांक: आगम का नाम प्रत-अनुसार । दीप | आगम का नाम | कुल-सूत्र | कुल-गाथा | अनुक्रम | क्रम | दाप आगम प्रत-अनुसार दीप कुल-सूत्र | कल-गाथा अनुक्रम क्रम | ४१/२ ०२१ ३१ . गणिविज्जा ३२ . देवेन्द्रस्तव ३३ . मरणसमाधि ४०. आवश्यक ४१/१ | पिंडनियुक्ति ०८२ ०८२ ३०७ ३०७ ४२ ६६३ ६६४ ४३ ०२१ ०९२ ४४ ६७१ । ७१२ । ४५ . ओघनियुक्ति |. दशवैकालिक . उत्तराध्ययन . नन्दीसूत्र . अनुयोगदवार ०८८ ८१२ । ११६५ ५१५ ५४० १६४० १७३१ ०९० १६३ १४१ ovo ०५९ | १५२ । ३५० आगम-सूत्र ३४ से ३९ [छेदसूत्र-१ से ६] की वृत्ति को पूज्य आगमोद्धारकरीने संपादित नहीं किया, इसिलिए उन का समाविष्ट यहां नहि ~7 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ नन्दी-आदि-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ] इस प्रकाशन की विकास-गाथा ] * यह प्रत "नन्द्यादि-सूत्र लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ" नामसे सन १९२८ (विक्रम संवत १९८४) में 'आगमोदय समिति' नामक संस्था' द्वारा प्रकाशित हुई, इस के संपादक महोदय थे पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी महाराजसाहेब | * पूज्यपाद् आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेबने 'नन्दी, अनुयोगद्वार, आवश्यक' वगैरेह मूल तथा चूलिकासूत्रो के सूत्र एवं उस पर पूर्वाचार्य रचित वृत्ति आदि का संपादन किया था । उन प्रतोमे जो मूलसूत्र, गाथा, वृत्ति आदि थे उन सभी सूत्रादि के विषयों का अनुक्रम संक्षेप और विस्तार से लिखकर इस प्रतमे प्रकाशित करवाया है । अर्थात् ४+१ मूलसूत्र और नन्दी आदि चूलिका-सूत्रो के लघु और बृहत् विषयानुक्रम के रचयिता, संपादक और प्रकाशक श्री आगमोद्धारक आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेब ही है | * पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीने इसी तरह अंगसूत्रो, उपांगसूत्रो और प्रकीर्णक सूत्रो के सूत्र आदि के विषयों का अनुक्रम भी संक्षेप और विस्तार से लिखकर संपादन और प्रकाशन करवाया है। * हमारा ये प्रयास क्यों? * आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, अब तक मेरे प्रकाशित किये हुए पुस्तको के १,००,००० से ज्यादा पृष्ठ हो चुके है, किन्तु लोगो की पूज्यश्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा प्रत स्वरुप प्राचीन प्रथा का आदर देखकर हमने इसी प्रत को स्केन करवाई, उसके बाद एक स्पेशियल फोरमेट बनवाया, जिसके बीचमे पूज्यश्री संपादित प्रत ज्यों की त्यों रख दी, ऊपर शीर्षस्थानमे प्रत संबंधी उपयोगी माहिती लिख दी है, ताँकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसे वर्ण का क्रम चल रहा है उसका सरलतासे ज्ञान हो शके | * पूज्यपाद आगमोद्धारकश्री ने आगम संबंधी ५२ विषयो को वर्गीकृत किया था, आज भी उनमे से ऐसी कई प्रते मिलती है, जिसमे ये विभाजन-क्रमांक देखने को मिलते है, उनमे से थोडे विषयों का काम हुआ भी है, जो मुद्रित स्थितिमे भी प्राप्त है । * अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसिको मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है। ~8~ www. का यहीं सरल, सस्ता और मुनि दीपरत्नसागर. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आदय संपादक - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी म. सा.] नन्दी-आदि सप्त-सूत्राणाम् लघु-विषयानुक्रम: पुन: संकलनकर्ता → आगम दिवाकर त्न सागर (M.Com.,M.Ed.,Ph.D.,श्रुतमहर्षि) Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां सत्रादीनां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम FESSORSTUDGUST नन्यादिसप्तसूच्या अकारादिक्रमः लध्वी बृहती च अङ्कसूचा लघुद्विषयानुक्रमौ च, तत्र चिहावली. सूत्रादीनां चिढावली ॥ सूत्रम् १ (२१ २ अनुयोगवायणि । एतैश्चिकैः सूत्रादीनि शास्त्रक्रमश्च १४२ * ५ दशवैकालिकसू. J५१५ * सूत्रमाथा* यः, यथाऽकारादिक्रमे 'मामि १३७३ णियोहियणाण' ३-१ एवमस्ति, नियुक्तिः१ . तथा च तृतीयशास्त्रस्य श्रीमदाव-16 मूलभाष्यं १४ २१% ६ पिण्डनियुक्तिः। २५७१ श्यकस्य नियुक्तरियं प्रथमा गायेति, भाष्यं + ३ आवश्यकसूत्रम् । ३७+ एवं तत्तत्सूत्रभाष्यादिषु शेयं । य २५७+x ध्यानशतकम् । १ काराकारणकारनकारसंयोगपरक। १०५ इस्वदीर्घादेशकादिसाळुप्ततादिन सपाणिः +१ +७१ भेदभागत्र । 564544 MASALA सुत्ताणि १ नन्दीसूत्रम् १९९.४ ओपनियुक्तिः। १६ २८१२७ उत्तराध्ययनानि। १६४०%* ३२२+ ( ४५+1 ~10~ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नं. अ.आ. ओ. द.पि. उ. ॥ १२९ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [ "नन्दी + अनुयोग" ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) १ नन्दी सूत्रम्. विषयः अथ नयादिसप्तसूत्र्या लघुर्विषयानुक्रमः । विषयकः गायक: पत्रांकः १ तीर्थंकरगणधराचावलिका ४३* ५४ २ पर्षद ६४ ३ अवधिज्ञानम् सु. ९८ ४ मनः पर्यवज्ञानम् १११ | ५ केवलज्ञानम् १३९ ६ मतिज्ञानम् १८४ २४७ ७ श्रुतज्ञानम् ४७ १६ ।। ५७ १८ ॥ ५८* २३ ॥ ६०* ३७ ॥ ८० ५८ ।। ८५* ~11~ २ अनुयोगद्वाराणि. १ आवश्यक तस्कन्ध निक्षेपाः ५७ ॥५* ४३ २ उपक्रमाधिकारः १४९।। १२२० २४८ १ आनुपूर्वी १२० ॥१६* १०४ | २ दशनामाधिकारः १३० ॥९२* १५० ३ प्रमाणद्वाराधि. १४६ ।। १२२४ २४१ १५०।१३२* २५७ १५१।। १३५* २६१. १५२ ।। १४१ २६७. ३ निक्षेपाधिकारः ४ अनुगमाधिकारः ५ नयाधिकारः लघुः विषयानुक्रमः ॥ १२९ ॥ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ ["आवश्यक*] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा लघु: विषयानुक्रमः देखीए १२९॥ दीप समवसरणं ५९० ११९ २३९ गणधरवादः ६५९ २५६ दशधासामाचारी ७२३ १२३ २७१ निह्नववक्तव्यता ७८७ १४८ ३२५ शेष उपोद्घातनियुक्तिः ८७९ १५१ ३७४ ३ श्रीआवश्यकसूत्रम् | नमस्कारनियुक्तिः १०२४ १५२ सामायिकनियुक्तिःसू.१-१०६६ १८९४९० १ सामायिकाध्ययनम् पीठिका १ ५० ____* १११३ २०५ ५१० प्रथमा वरवरिका २२० ३० १३६ द्वितीया वरवरिका ४६१ १११ १८८ ३ वन्दनाध्ययनम् सू. २-१२४२ ५५० उपसर्गाः ५२६ ११४ २२७ ४ प्रतिक्रमणाध्ययनम् सू. २५॥९* १५२४ ७६३ ध्यानशतकम् १०५६१ पारिष्ठापनिकानि० १३७० २०६ ६४ संग्रहणी योगसंग्रहनियुक्ति: १४१७ २१६ ७२ अस्वाध्यायनियुक्तिः१५१४ २३१ ७५ ५ कायोत्सर्गाध्ययनम् .सू. ३५ नि. १६५१ मा. २४१ ८० ६ प्रत्याख्यानाध्ययनम् सू.५४२१* नि.१७१९ भा. २५७ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम FORCHANAKAR ९ २ चतुर्विशतिस्तवाध्ययनम ।१२९॥ सुत्ताणि ~12~ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [ "ओघनिर्युक्ति, दशवैकालिक, पिंदनिर्युक्ति" ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ४ ओघनिर्युक्तिः | ५ पिण्डैषणाध्ययनम् १ प्रथम उद्देशः १५९#२३६६११८० २ द्वितीय उद्देशः २०९ २४६६२१९० | ६ महाचारकथा ( धर्मार्थकामाध्यय नम् ) प्रतिलेखनादीनि द्वाराणि ३३० १९१ १२७ पिण्डद्वार ६६६ ३१२ २०७ उपधिनिरूपणं ७६३३२२ २२२ | अनायतनवर्जनं ७८५ प्रतिषेवणाद्वारम् ७८९ ७९२ २२५ आलोचनाद्वार विशुद्धिद्वारम् ८१२ २२७ ५ दशवैकालिकं २२४| २२४ १ द्रुमपुष्पिकाध्ययनम् ५#१५३ ८२ २ श्रामण्यपूर्विकाध्ययनम् १६*१७९ ९९ ३ क्षुल्लिकाचारकथा ३१*२१७ ११८ ४ षड्जीवनिकाध्ययनम् सू. १५ ॥ ५९* नि. २३५ भा. ६० प. १६० २७७ २७० २०६ ७ वाक्यशुद्धयध्ययनम् ३३४* २९४२२३ ८ आचारप्रणिध्यध्ययनम् ३ ९८* ३१०२३८ ९ विनयाध्ययनम् १ प्रथम उद्देशकः ४१५*# ३२९ २४५ २ द्वितीय उद्देशकः ४३८# २५१ ३ तृतीय उद्देशकः ४५३** २५४ ४ चतुर्य उद्देशकः सू. २०।।४६०*२५८ १० समिक्ष्वध्ययनम् ४८१#३६० २६८ | ११ रतिवाक्य चूडा सू. २१४९९#३६९२७७ १२ विविक्तचर्याचूडा ५१५*३७३६३२८४ ~13~ ६ पिंडनिर्युक्तिः नि. भा. प. १ पिण्डनिरूपणम् ७२ १५ २८ २ उमदोषाः ३पादनादोषाः ४ मरणादोषाः ५ प्रासैषणादोषाः ४०३ ३०११९ ५१५ ३० १४६ | ६२८ १७० k १७८ -- x -- x -- X -- X -- Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नं. अ. आ. ओ. द.पि. उ. ॥ १३० ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [ "उत्तराध्ययन" ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) | १० ३२६ पत्रकाध्ययनम् ३०९३४१ २४ ९४७० प्रवचनमात्रध्ययनम् ४६३५२० ११ ३५९ बहुश्रुतपूजाव्यव० ३१७३५३ २५ ९९१* यशीयाध्ययनम् ४८२५३१ १२४०५ हरिकेशीयाध्ययनम् ३२७३७३ २६१०४३#सामाचार्यध्ययनम् ४८९५४७ १३४४०० चित्रसंभूतीयाध्ययनम् ३५७३९३ २७ १०६०* खलुडीयाध्ययनम् ४२८५५४ ७ अथोत्तराध्यनानि १२८१०९६* मोक्षमार्गाध्ययनम् ५०५५६९ १४४९३* इपुकारीयाध्ययनम् ३७२४११ १४८ विनवाव्ययनम् २९८८ सू. सम्यक्त्वपराक्रमा० ५१३५९८ ६४ ६६ १५५०९० सभिक्षुकाध्ययनम् ३७९४२० २९४ परीचहान्वयनम् १सू. १४११३९ १६५२६ ब्रह्मचर्यसमा० १० ।। ३८५४३० ३१११५५७चरणविध्यध्ययनम् ५२१६१८ ३० ११३४*तपोमार्गाच्यवनम् ५१६६१० ३ ११४ चतुरङ्गीयाध्यय०१०८-२-१८८ १७५४७ पापभ्रमणाध्ययनम् ३९० ४३६ ४ १२७* असंस्कृताध्ययनम् २०७२२७ १८६००* संवतीयाध्ययनम् ४०४४५० ३३१२९१ कर्मप्रकृत्यध्ययनम् ५३६६४८ ३२१२६६*प्रमादस्थानाध्ययनम् ५२९६३९ ५ १५९*अकाममरणाध्ययनम्२३५२५४ १९६९८ मृगापुत्रीयाध्ययनम् ४२१४६६ ३४१३५२# श्याध्ययनम् ५४५६६२ ६ १७७०० कनिर्मम्मी० २४३-३०-२७० २०७५८० महानिर्मन्यी० ४२८-४५-४८१ | ३५ १३७७* अनमारमार्गाच्य० ५५१६६८ ७ २०७ औरनिकाध्ययनम् २४९२८५ २१७८२# समुद्र पालीयाभ्य० ४४२४८८ ८२२७० कापिठीयाध्ययनम् २५९२९७ २२८३१# रयनेमीयाध्ययनम् ४५०४९७ ९२८९० नमिवाध्ययनम् २७९३२० २३९२०# केशिगौतमीवाध्य० ४५७५१२ ३६१६४०० जीवाजीववि० ५६२७१३ इति उचराध्ययनानि V ~14~ लघुः विष यानुक्रमः ॥ १३० ॥ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आदय संपादक - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी म. सा.] नन्दी-आदि सप्त-सूत्राणाम् बृहत्-विषयानुक्रम: - पुन: संकलनकर्ता, आगम दिव त्न सागर(M.Com.,M.Ed.,Ph.D.,श्रुतमहर्षि) ~15 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४४] चूलिका-१ 'नन्दीसूत्र' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां नन्यादिसप्तसूत्र्या बृहद्विषयानुक्रमः। देखीए दीप ४२ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्दीमत्रकद्धविषयानुक्रमः। मुक्तिनिरासा, भेदाभेद- ४५-४७७ विज्ञाविशदुर्विदग्धपर्षदः ६३-६४ ॥ तीर्थकरगणधराधावलिका ॥ | सिद्धिः) स.१ शानभेदाः (५)(भेदपक गाथादि पत्रं |४-१७* श्रीसहस्य नगर-चक्र-रथ कतत्कमसिद्धिः) (१-३) जिनतद्वचनस्तुतिः पत्र-चन्द्र-सूर्य-समुद्र-मेरुभि- २ प्रमाणद्वैविध्यम् (मतिश्रुतयोः १* भगवत्तीयकृत्स्तुतिः (जीव रुपमा पारोक्ष्य) सिद्धिः, शाब्दप्रामाण्यं, तस्या- |१८-१९* तीर्वकरावलिका इन्द्रियनोइन्द्रियप्रत्यक्षे नुमात्वनिरासा, मवविमोच२०-२१ गणपराकलिका इन्द्रियप्रत्यक्षाणि (५) नसण्यानम्) २२२* शासनस्तुतिः नोइन्द्रियप्रत्यक्षाणि (३) २७वमानस्वामिनमस्कार १५२३-४२७ स्खविरापलिका अवधिभेदो (वेलपौरुषेयत्वनिरासः) |४३* कृवक्षुतममस्कार ज्ञानवर्ष भवप्रत्ययौ द्वौ ३७ श्रीमहावीरखातिशयद्वारेण स्तुतिः।। प्ररूपणां प्रतिजानीते ५४ |८ बायोपशमिको हो (भाष (सर्वज्ञवादा, रागादेरत्यन्त- २३४४* वधनकुटादिमियोग्यायो । समसिद्धिः) क्षवा, नैरास्यनिरासः, सा ग्यपर्यत् । (रष्टान्वाः) ५४ गुणवतोऽवधिभेदषट्रम् सुत्ताणि [आगम-४४] चूलिका-१ 'नन्दीसूत्र' ~16~ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४४] चूलिका-१ 'नन्दीसूत्र' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक विष यहां यानुक्रम देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्दीखत्रे द्रा |४|१० आनुगामुकेऽन्तगतमध्यगती १९ केवलशाने सयोग्ययोगिकेवलम् ११२ * पत्तिक्या लक्षण, सद्दष्टा(३) (नियतानियताववधी)८१ २० द्विभेदसिद्धकेवलज्ञानम् । (स- ताश्च (२६) १४४ १.१ अनानुगामुकम् त्पदादिभिः (८) क्षेत्रका- ६६-६८ वैनविक्या लक्षणं तदृष्टा(१२४८-५५*वर्द्धमानावधिः, जय लादीनां (१५) प्ररूपणा) ११३ * न्ताश्च (१५) म्योत्कृष्टी, क्षेत्रकालप्रतिबन्धः, २१ अनन्तरसिद्धभेदाः (१५) ६९-७० कर्मजाया लक्षणं तद्दष्टा कालाथैः सूक्ष्मता च ९० (स्वयंबुद्धप्रत्येकबुद्धविशेषः, * ताश्च (१२) ... १३-१५-हीयमानप्रतिपात्य स्त्रीमुक्तिसिद्धिः) १३०७१-७४ पारिणामिक्या लक्षणं तद्प्रतिपात्यवधयः ९७ २२॥५९परम्परसिद्धानां केवलज्ञानं * रष्टान्ताश्च (३१) 18/१६ द्रव्यक्षेत्रकालभारिवधिज्ञानम् ९७ द्रव्याद्यैश्च (युगपदितरैको २७ श्रुतनिभितभेदाः (४) ५६-५७* भवप्रत्ययगुणप्रत्ययद्रव्यक्षेत्र पयोगचर्चा) १३३ २८ अवग्रहभेदी कालबाह्याभ्यन्तरावधिसङ्ग्रहः ९८२३॥६०*तीर्थकृतचसो द्रव्यभुतता १३९० व्यञ्जनावमहाः (४) (न११७ मनःपर्यवज्ञानम् (अन्तरद्वी- २४ मतिश्रुतयोमित्रता १४० यनमनसोरप्राप्यकारिता, श्रुतेः | पाः, पर्याप्तयः, चारणाः) १००२५ मतिश्रुतबोरसम्यगितरते १४३ प्राप्यकारिता, शब्दस्य द्रव्यता) १६९ १८ मनःपर्यवज्ञाने तद्भेदतज्ज्ञेया- २६ मतिज्ञानेऽश्रुतनिश्रितभेदा औ- ३० अर्थावप्रहाः । (६) 1५८ धिकारः । (क्षुलकपतरौ) १०८६१-६५ त्पत्तिक्याद्याः (४)ी- ३१ अवमहकार्थिकानि (५) १७४ ACADACCIAM ॥१३१॥ सुत्ताणि १७३ ~17~ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४४] चूलिका-१ 'नन्दीसूत्र' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ३२ ईहाभेदासदेकार्थिकानि च (५)१७५/४२ मिथ्याश्रुतं, (सम्यग्मिथ्याश्रुतत्वे ५७॥८२-८४ दृष्टिवादःसप्रभेदःपरि०२३५ पड़ियोऽपायस्तदेकार्थिकानि हेतुश्वारो द्रव्याः (४) पर्य- ७-८६ सूत्र २२-८८ पूर्वगत १व.२०चू.४, वाक्षरमक्षरानन्तभागः, काल- २२.१४ चु.१२,३व.८, चू.८,४ व.१८चू. षविधा धारणा तदेकार्थिका चक्रस्वरूपं च) १९४१०,५ व. १२,६-२,७-१६,८-३०,९-२०, नि च (६) १७६४३ साद्यवसानेतरभुताधिकारः १९५/१०-१५,११-१२,१२-१३,१३-३०,१४३५ अवमहादेः कालः १७७४४ गमिकेतरी, आवश्यकोका- २५, अनुयोग २ चूलिका ४ | ३६ व्य जनावग्रहे प्रतिबोधकम लिककालिकप्रकीर्णकभेदाः २०२ भेदाः । (सिद्धपञ्चाशिका) । लकदृष्टान्ती १७८४५-५६ अङ्गप्रविष्टभेदा: २०९५८ द्वादशाङ्गीविराधनाऽऽराधना-... ३७ द्रव्यादेराभिनिवोधिकभेदाः, आचाराङ्ग १ सूत्रकृवाङ्ग २. ८५ *फलं नित्यत्वाविषयश्च २४७ ७५-८० कालः, स्पष्टत्वादि, मिश्रश (३६३ पाखण्डा धिकारः)- ५९ सङ्घहगाथा (श्रुतभेदाः (१४) * ब्दादि, तदेकार्थिकानि च । १८४ स्थानाङ्ग ३ समवायाङ्ग ४ ८६-९० बुद्धिगुणा (८) नुयोगाः ३८ श्रुतज्ञानभेदाः व्याख्याप्रज्ञप्ति ५ ज्ञाताधर्म.. * (७) (३) (अनुज्ञानन्दियोंहै ३९॥८१* अक्षरानक्षरभुते । ६ उपासकदशाका ७ ऽन्त गनन्दिश्च) २४९ ४० सज़्यसज्ज्ञिश्रुते (कालिक कूदशाङ्गा ८ऽनुत्तरोपपातिकहेतुदृष्टिवादसज्ज्ञाः ) ९ प्रअव्याकरण १० विपा इति नन्दीविषयाः ४१ सम्यक्क्षुतम् कभुवा ११ नामधिकाराः २३४॥ 1986283526LSCRESSIOS RSSIOS सुत्ताणि ~18~ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि अनुयोग० ॥ १३२ ॥ १ ज्ञानपंचक मत्यादीनां नोद्देशसमुद्देशानुज्ञाः किन्तु तस्यैव, अनुयोगध, (उद्देशादिविधि:) ३-४ अङ्गानङ्गयोरुद्देशादि कालिकोत्कालिकयोदेशादि आवश्यकतदतिरिक्तयोरुदेशादि । (सूरिगुणाः निक्षेपैकार्थादि व्याख्यापर्षद् भेदाः) २ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ५ श्रीवीरजिनगौतमादिधर्माचार्यश्रुतदेवतानमस्काराः आवश्यकभुतस्कन्धनिक्षेपाः १ १ ३ ६ आवश्यकातस्कंधाध्ययनो- १३ देशप्रभः १४ आवश्यकतस्कंधाभ्यननिक्षेप- १४ प्रतिज्ञा निक्षेपचतुष्कनियमः १० १५ अनुयोगे वृद्धविषयानुक्रमः ॥ ક્ ८ ९ १० ११ १२ ९ नामस्थापनाद्रव्यभावावश्य कानि (नामलक्षणं) नामावश्यकंजीवादेर्नाम काठकर्मादौ सद्भावासद्भावस्थापने (स्थापनालक्षणम्) नामस्थापनयोनित्वम् बागमनोआगमाभ्यां द्रव्यावश्यकम् (द्रव्यलक्षणम्) १४ ~ 19~ १० १६ ११ १७ १२ १८ १३ १९ शिक्षितादिगुणं द्रव्यावश्यकं ( विद्याधरदृष्टान्तः) १५ द्रव्यावश्यकैकानेकत्वे नयाः १७ नोआगमतो द्रव्यावश्यकत्रेविध्यम् [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' 2 १९ शय्यासंस्ता रकनै पेथिकीसिद्धशिळातळगवं शशरीरमायम् । १९ एष्यत्यावश्यकधारी द्वितीयं २१ लौकिककुप्रावच निकलोको - सरिकाणि तद्व्यतिरिक्ते राजादीनां अङ्गधावनादि राजदेवकुकादिप्रवेशथ छौफिके २३ २२ वृद्धविषयानुक्रमः. ॥ १३९ ॥ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए स दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम CACAAAAAAACAR चरकचीरिकादीनामिन्द्रादेरुपलेपनावि २८-३* अहर्निशान्तयोरवश्यकर्त्तव्यता ३१/४४.४५ स्कन्धनिक्षेपाः (४) नामस्थापनाकुआवचनिके २५ २९-३६ भुतनिक्षेपचतुष्क; नामश्रुतं, स्थाप- ऽतिदेशश्च ३९ पटुकायनिरनुकंपादेरावश्यक नाचतं, आगमनोआगमद्रव्यश्रुतभेदो,४६ द्रव्ये आगममोआगमौ व्यतिरिक्त लोकोत्तरिक (असंविग्नदृष्टान्तः) २६ | मशरीरद्रव्यश्रुतं भव्यशरीरद्रव्यश्रुतं सचित्ताचित्तमिश्राः ३९. आगमनोआगमाभ्यां भावावश्यकम् ४७-४९ सचित्ताचित्तमिश्रस्कंधनिरूपणम् ४० (भावलक्षणम् )२८ ३७ पत्रकादि अंडजादि च नोआगमे ५०-५३ अथवा कृत्वात्मानेकद्रव्यस्कन्धाः | बागमतो भावावश्यकं २८ व्यतिरिक्तं द्रव्यश्रुतं ३४ वत्स्वरूपं च ४१ बागमनोआगमाभ्यां भावभुतम् ३५/५४-५७ भावे आगमनोभागमौ, भागमे २५ छौकिके भारतरामायणवाचना आगमभावश्रुतं ३६ ज उपयुक्त, नोभागमे आवश्यकश्रुत२६ घरकचीरिकादेः इज्याजल्यादि ४० नोआगमभावभुतभेदो स्कन्धः ४२ कुविचनिके २९ ४१ भारतरामावणमीमामुरष्ककौटि- २७५ कन्कार्थिकानि ४५ : ४७-२७ अमणादीनां तंच्चित्सावित्वेन लोको- स्यादि लौकिके ३६ बावायके षड् अर्थाधिकाराः ४३ तरिक थावश्यकैकार्यिकानि (0) ४२ चासंगावि लोकोत्तरे ३७ विण्डार्थोपसंहारः प्रत्येकाध्ययन1४३-४* कार्षिकानि (1010 कवनप्रतिज्ञा च । ४४ 44-6 - सुत्ताणि 4 -4G ~ 20~ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां वृद्धविष अनुयोग ॥१३३॥ यानुक्रमः देखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम |५९ अध्ययननामानि अनुयोगनामानि च अथ उपक्रमाधिकार लौकिकोपक्रनाः (६) द्रव्ये व्यतिरिक्त सचित्ताचित्तमिश्राः ४५ ७. सचिचे द्विपदचतुष्पदापदेषु परिकमणि नाशे च ४६ नटादिमागधान्तानां द्विपदः अश्वादीनां चतुष्पदः आम्रादीनामपदः खन्धादीनामचित्तः स्थासकादियुक्तावादेर्मिशः ४७७३ हलकुलिकादिः क्षेत्रस्योपक्रमः, नालि कादिभिः कालस्य ४८७४ ६९ भावे आगमनोआगमौ, नोआगमे ७५ प्रशस्ताप्रशस्ती, अप्रशस्ते ब्राह्मण्या-७६ पदविंशतिभङ्गकीर्तनानि ५६ दीनां, प्रशस्ते गुर्वादीनां (प्राझणी-७ भङ्गकीर्तनप्रयोजनम् ५७ गणिकामात्यकथाः) ४९ ७ ८ भङ्गदर्शनम् (२६) ५८ शास्त्रीयोपक्रमे आनुपूर्वीनामप्रमाण-७९ आनुपूर्वीदव्यसमवतारः ५९ वक्तव्यतार्थाधिकारसमावताराः ५१/८०४८ अनुगमे सत्पदप्ररूपणायाः (९) ५९ नामाद्यानुपूर्षः (१०), आगमद्र-८१-८९ सत्सद्प्ररूपणा, द्रव्यप्रमाणं क्षेत्र व्यानुपूर्वी नोआगमद्रव्यानुपूर्वी, व्य- स्पर्शना कालः अंतरं भागो भावः | तिरिक्ते औपनिधिक्यनोपनिधिकी| द्रव्यप्रदेशोभयारल्पबहुत्वम् ६९ च नैगमव्यवहारयोः, संग्रहस्य चा-९० संग्रहानोपनिधिक्या अर्यपदप्ररूपन्या ५२ णाद्याः (१) आद्ययोः अर्थपदप्ररूपणामकथ-९१ अर्थपदप्ररूपणा ७० नभङ्गदर्शनसमवतारानुगमाः ५३ ९२ तत्प्रयोजनं भङ्गकीर्तनं तत्प्रयोजनं च अर्थपदप्ररूपणा ५४ ९३-९४ भङ्गदर्शनं समवतारश्च ७१ प्ररूपणाप्रयोजनं ५५ ९५,९% सत्पदनरूपणादीनि अष्टौ ७२ ॥१३३॥ सुत्ताणि ब ~21~ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि *** ९६ ९७ ९८ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) औपनिधिक्यां त्रयम् ७३ पूर्वानुपूर्वी पञ्चानुपूर्व्यानुपूर्व्यः ७४ (व्यसिद्धिः) पुद्गलास्तिकाये पूर्वानुपूर्व्यायाः ७७ क्षेत्रानुपूर्वीभेदौ नैगमव्यवहारयोः संग्रहस्य च ७८ ९९ १०० १०१, १०* नैगमव्यवहारयोरनौपनिधिक्यामर्थप्ररूपणवाद्याः (५) अर्थप्ररूपणा भङ्गदर्शनं समवतारः, अनुगमे सपदाद्याः (९) ८५ अधोलोके रत्नप्रभायाः (८) तिर्यग्लोके | ११७-११८,१६* स्थानानुपूर्वी, सामाचार्याजम्बूद्वीपायाः, पूर्वी इच्छामिच्छायाः (१०) १०२ भावानुपूर्व्या औदयिकाद्याः (६) १०४ एकादिदशान्तनामोपदेशः १२-१४* ऊर्ध्वलोके सौधर्मायाः (१५) ९२ ११९ १०४-१११ कालानुपूर्वी, नैगमव्यवहारयो- १२० रनौपनिधिकी, अर्थपदप्ररूपणतायाः, अर्थपदप्ररूपणता भङ्गकीर्त्तनं भङ्गद ॥। १० नामाधिकारः ॥ ११२-११३ सङ्ग्रहेऽनीपनिधिकी अर्थपद शैनं समवतारोऽनुगमः (अर्थपद्म- १२१,१७* एकनाम १०५ | १२२ एकाने काक्षरनानी जीवाजीवनानी रूपणतायाः ९ ) ९७ सामान्यविशेषनाम्नी ( समेदनारकतिर्यङ्मनुष्यदेवाः ) १०९ द्रव्य (६) गुण (२६) पर्यायना१८-२३* मानि लिङ्गभेदेन वा अन्त्या क्षरोद्बोधितानि १२३ रूपणतायाः (५) ११४ १०२ - ११* संग्रहेणानौपनि धिकीक्षेत्रानुपू औपनिधिकी काळानुपूर्थी समयादिः सर्वाद्धान्तः ९९ यमर्थ पद्प्ररूपणतायाः (५) ८७ | ११५ उत्कीर्तनानुपूर्व्यां वृषभायाः (२४)१०० १०३ औपनिधिकीक्षेत्रानुपूर्व्यः (३) ११६ गणनानुपूर्व्या दशकोटिशतान्ताः १०१ १२४ आगमलोपप्रकृतिविकारैश्चतुर्नाम ११२ ~22~ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां अनुयोग० वृद्धविष यानुक्रमः दखाए ॥१३४॥ १२६ २४* दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम १२५ नामिकनैपातिकाऽऽख्यातिकौपसनिक- योच्छासाकारगुणवतमणितिमिः १३२ १३१ प्रमाणभेदाः (४) १५१ मित्रभेदाः पञ्चनामनि ११३ १२८,५७-६२७ अष्टनामनि विभक्तयः १३२,९३-५४० द्रव्यप्रमाणे प्रदेशनिष्पन्नवि-TC पण्णानि औदयिकः (निर्देशाद्याः) १३३ मांगनिष्पन्ने मानोन्मानाबमानगणिजीवा (३४) जीवो (५२०) दय- १२९,६३.८२* नवनामनि वीराधा रसाः मप्रतिमानानि, धान्यमाने असखादि निष्पन्नौ, औपाशमिक उपशमनि- सस्वरूपदृष्टान्ताः १३९ रसमाने चतुःषष्टिकादि, उन्मानेऽर्धप्पन्नश्च (११) क्षायिका क्षयनि-१३०,८३-५२ दशनाम गौणागौणादानपन्नश्च (४६) क्षयोपशमः (१) कर्षादि, अवमाने हस्तादि, मणिम | पदप्रतिपक्षपप्रधानताऽनादिसिद्धाक्षयोपशमनिष्पन्नश्च (५१) पारिणान्तनामावयवसंबोग (४) प्रमाणैः एककावि, प्रतिमाने गुंजादि, १५५ मिकः साद्य (जीर्णसुरादीपत्प्राग्भा (४) (स्थापनाप्रमाणे मात्र १३३,९५-१०२४ क्षेत्रप्रमाणे प्रदेशनिष्पन्नः रान्तः) नादिको (धर्मास्तिकायादि देववापाषण्डगणजीविकाहेत्वाभिप्रा- विभागनिष्पने अकुल (३ सूचिधन१०)सानिपातिकः (२. 100 यिकानि (७) भावप्रमाणे सामासि- प्रतिरः) वितस्त्यावलोकान्तं, नैश्चयि१२७ कतद्धितज(७) कर्मशिल्पश्लोकसंयो- कपरमाण्वादि, २४ दण्डकेष्वगाहना | १२७,२५-५६* सप्तनाभनि पहजाचाः का- गसमीपसंयुतैश्वर्यापत्त्यैः) धातुनै- भेदाः, प्रमाणाकुलं १४३ रणलक्षणग्राममूर्छनास्थामयोनिसम- | उकानि १५. १३४-१३६,१०३* काळप्रमाणभेदी, प्रदेश-| ॥१३४॥ सुत्ताणि ~23~ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४५] चूलिका-२ 'अनुयोगद्वार मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - निष्पन्नः, विभागनिष्पले समवादि परावर्त्तान्तं १७५ १३७, १०४ १०६७ समयप्ररूपणा, आव | लिकादि परयोपमान्तं १८३ १३८, १०७-११०४ उद्धाराद्वाक्षेत्रपल्यसारोमाणि । १३९,१११-११२* दण्डकेषु स्थितिः १८४ १४०,११३* सूक्ष्मेतर क्षेत्रपल्यसागरी धमाः १९२ १४१ षट् द्रव्याणि १९३ १४२ शरीरभेदा बद्धमुक्ताभ्यां दण्डकेषु २०९ १४३ भावप्रमाणानि (३) गुणनयसंख्याः ११० १४४, ११४-११६० गुणा जीवा ( ८ ) ऽजीव यो:, अजीवे वर्ण (५) गंध (२) रस(५) स्पर्श (८) संस्थानानि (५) जीवे ज्ञाने प्रत्यक्षादि (४) प्रत्यक्षे इन्द्रिय १४५ (५) नोइन्द्रिये (३) अनुमाने पूर्ववत् १४७ बक्तव्वताः (२) २४३ क्षतवर्णादिना शेषवत् ( कार्यकारण- १४८, १२३ अर्थाधिकाराः २४५ गुणावयवाशयैः दृष्टसाधर्म्य वत् (सा- १४९, १२४ समवतारे नामायाः (६) २४७ मान्यविशेषाभ्यां (अतीतानागतव- ॥ अथ निक्षेपाधिकारः ॥ समानाः ) औपम्ये साधर्म्यवैधर्म्ये १५०, १२५-१३१* निक्षेपे ओघनामसूत्राआगमे लौकिक लोकोत्तरौ सूत्रार्थी- छापकाः, ओघे अध्ययनाक्षीणायभये, दर्शने (४) चारित्रे (५) २२१ क्षपणानिक्षेपाः, नाम्नि सामायिकनयप्रमाणे प्रस्थ कवसतिप्रदेशदृष्टानिक्षेपः, उरगाद्युपमाः (१२) २५७ न्ताः २२७ ॥ अनुगमाधिकारः ॥ १५१-१३२-१३* अनुगमे सूत्रानुगमनिर्युचवनुगामी, अन्त्ये निक्षेपोपोद्घात(२७) सूत्रस्पर्शाः (संहितादि) २६१ ॥ नयाधिकारः ॥ १५२-१३६-१४३* नये नैगमाद्याः, ज्ञानक्रिये च । २६७ इति श्रीअनुयोगद्वाराणि १४६,११९-१२२ संख्यायां नामस्थापनाद्रव्यौ (एकभविकादि) पम्यपरिमाणजाणणा (कालिकतादि ) ( सदसदादिना ) गणनाभावाः, जघन्यमध्यमोत्कृष्टानि संख्यातानि परित्तयु. असंख्यासंख्येषु जघन्यायाः, परि'तयुतानन्तानन्तकेषु जघन्वाथाः २४१ ~ 24 ~ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक CA-CA यहा नन्यादिवृहद्विषयानु आवश्यकवृद्धविषयानुक्रमः। आवश्यकवृ० विषयानुक्रमः देखीए ॥१३५॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नतवीरभुतदेवतागुरुसाधुर्विवृति प्रति- नमनसोरप्राप्यकारिता) १२ १८ श्रुतचतुर्दशभेदकथनप्रतिज्ञा २४ जानीते । (१) सङ्ग्रेपरुच्यनुप्रहाय ६ केवलमिश्रवासितशब्दश्रवणम् १४ १९-२० श्रुतभेदकथनं, उसिताद्यनक्षरकृतिः (२) १ भाषाद्रव्यप्रणनिसगौं श्रुतम् २५ ॥ अथ शानपश्चकपा नन्दा॥ ८-९ त्रिविधशरीरेभाषा, चतुर्विधा सा १६/२१-२२ आगमकारणशुश्रूषाविबुद्धिगुणाष्ट(प्रयोजनादिपर्चा, मङ्गलत्वसिद्धि, मालवासा १०-११ भाषायाः लोकपूर्तिसमयाः १७ । कम् २६ । नामादिलक्षणानि,ज्ञानज्ञेययोरैक्यम्) ज्ञानपञ्चकोद्देशः (मतिश्रुतयोर्वि १२ मत्येकार्थिकानि (९) १८ २ ३ श्रवणविधिः मूकादिकः (७) २६ शेष:) ७ यावत् १३-१६ सत्पदप्ररूणादीनि (९) गत्यादिषु २४ व्याख्यानविधिः सूत्रादिकः (३)२६ | अवमहेहापायधारणाः ९ (२०) (माने व्यवहारनिश्चयौ) २५-२६ अवधिरसंख्यभेदो भवगुणप्रत्ययौ अवमहादेः स्वरूपम् १० मतिज्ञानस्योपसंहारः, श्रुतस्य प्र- ततश्चतुर्दश भेदाः ऋद्धिप्राप्ताश्च । २० अवमहादेः कालमानम् ११ तिज्ञा २२ २७-२८ अवधौ क्षेत्रादि (१४) प्रतिपत्तयः२८ इन्द्रियाणां प्राप्ताप्राप्तविषयता ( नय-१७ यावदारसंयोग श्रुतप्रकृतिरिति २३/२९ अवधिनिक्षेपाः (७) २९ orm सुत्ताणि [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' ~25 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ३० जघन्यावधिक्षेत्रम् (५४-५५ सिबुकाद्या अवघेराकाराः ६७ सम्बद्धाऽसंबद्धाववधी ४६ ३१ उत्कृष्टावधिक्षेत्रम् ३० ५६ देवनारकयोरनुगामी, शेषयो- ६८ गत्याचतिदेश ऋद्धिकथनप्रतिज्ञा च ३२-३५ अवधेः क्षेत्रकालप्रतिबन्धः । (म- विधा ४२ ६९-७० आमषिध्याद्याः (१६) लध्धयः४७ ४८ ध्यमः) ३१ ५७-५८ क्षेत्रद्रव्यपर्यायकाले त्रयस्त्रिंशत्साग-७१-७५ वासुदेवचक्रितीर्थकरबलानि ३६-३७ द्रव्यादिवृद्धिप्रतिबन्धास्तत्सूक्ष्म- - रान्तर्मुहूर्तसप्ताष्टसमयषट्षष्टिसागराणि ७६ चारित्रवतां नरक्षेत्रविषयं मनःप र्यायम् ४९ ता च ३३ ५९ द्रव्यादिषु वृद्धिहानी ४३ ७ ७ केवलज्ञानस्वरूपम् ३८ अवधेः प्रारम्भसमाप्तिद्रव्यम् ६०-६१ स्पर्धकाः, अनुगामि (३) प्रतिपात्या-७८ . प्रज्ञापनीयदेशना, वागयोगा सा ५० |३९-४० औदारिकादिवर्गणाः (१९) ७९ खान्यानुयोगित्वाच्छ्रुतेनाधिकारः ४१ गुरुलध्वगुरुलघुद्रव्याणि ३६६२-६३ बाझे उत्पादप्रतिपातौ नान्तरे सम- ॥ इति ज्ञानपञ्चकरूपा नन्दी॥ ४२-४३ द्रव्यक्षेत्रकालप्रतिबन्धोऽवधेः येन ४४ ४४-४५ परमावोव्यक्षेत्रकालभावाः ३८६४ असंख्येयाश्चत्वारश्च पर्यायाः पराप- ॥अथ उपक्रमादि। ४६-४७ नारकतिरश्चोरवधिः रावध्योः ४५ ८०-८३ आवश्यकनिक्षेपाः अगीतासंविग्रह४८-५२ देवानामवधिः ३९ ६५ नानुत्तरे विभंग: ष्टान्तः, आवश्यकार्थिकानि १०, अ५३ जघन्योत्कृष्टौ प्रतिपात्यप्रातिनौ च४१६६ बाह्याभ्यन्तरावधिमन्तः धिकारः, सभेदा उपक्रम (प्राम SAMADOR-5644MAGESek सुत्ताणि GACASSAR ~26~ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक नन्यादिवृहद्विषयानुऋमे. आवश्यक|वृ० विष| यानुक्रमः देखीए ॥१३६॥ MONOCOCCCC दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ण्यादिदृष्टान्ताः) निक्षेपानुगमाः, उ-९८-९९ अन्धस्य दीपकोटिवदचरणस्य मुधा ११२-११३ संज्वलनोदयेऽतिचाराः, शेयेषु । पोद्घातनिर्युको मङ्गलं प्रतिज्ञा च श्रुतं, चक्षुष्मतो दीपवत्सचरणस्य छेदः, द्वादशक्षयावितश्चारित्रम् ७८] (तीर्थस्वरूपम् ) ५९ सफलम् ११४-११५ चारित्रभेदाः (५) (कल्पा.१०, | ८४-४६ आवश्यकादि (१०) शास्त्रनियुक्ति-१०० चन्दनगर्दभवचरणो मामी परिबारविबुद्धिवषः) १९ प्रतिज्ञा ६१ ८१ |१०१-१०२ एकेकेन विना ते ते पहावन्ध-११६ उपशमणिः ८. सामायिकनियुक्तिप्रतिज्ञा (द्रव्यपर ११७-१२० सूक्ष्मसंपरायखरूपं, कषायम वत्, संयोगेन फलम् ७१ । म्बरदृष्टान्तः) ६२ हिमा, रणादिह तारवेष्वविश्वासि१०३ मोक्षे ज्ञानवपःसंयमव्यापारा: ७२ . ला ८३ ८८ नियुक्तिस्वरूपम् ६७ १०४ भुतं श्योपशमे, ये कैवल्यज्ञा-२२१-१२६ अपकणिक, मध्यक्षेयाः विच-1 ८९-९२ गणधरकता सूत्ररचना तत्प्रयोजनं च | जम् ७३ रमे निद्राधाः (२७), चरमे ज्ञाना२१ इतकानं तत्सारच, तत्सारो निर्वा-१०५-१०६ कोटाकोटयन्तयाऽन्यतरलाभ: वरणाचाः ८३ णम् ६९ १०७ सामायिकलामे पल्याविष्टासा २२० केवलिनः सर्वपर्शिता ८५ १९९६ मासंयमिनः मुसन्मोक्षः, वायुहीन- (१) ७५ १२८ प्रवचनोत्पतिः, वदेकार्षिकवद्विभागौ, भोवयत् । १०८-१९१ प्रथमादिकलयाणासुदूबे सम्य- द्वारनवव्याख्यानविध्यालयोषा द्वाराणि ९७ बचरणो नुडति ७० क्त्वावरलाभलाभो । ॥१३६॥ सुत्ताणि (9 ~27~ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) १५२ १२९ प्रवचन (५) सूत्रा (५) नुयोगे (५) - | ॥ अथोपोद्घातनिर्युक्तिः ॥ कार्यिकानि । | १४०-१४१ उद्देशनिर्देशादीनि ( २६ उपो १३२ अनुयोगनिक्षेपाः (६) ८७ यातनिर्युक्तिद्वाराणि ) १०४ १३३ १३४ वरसकगवाद्या दृष्टान्ताः (५) १४२ - १४३ उद्देशनिर्देश निक्षेपाः (८) तद्विभावे आवकभार्यायाः (७) ८८ शेषश्च १०६ १३५ भाषक विभाषकव्यक्तिकरेषु काष्ठक- १४४ निर्देश्यनिर्देशकाभ्यां निर्देशे नयवि(६) ९६ व्याख्यानविधौ गोचन्दनकन्यायाः १४५ प्रतिपक्षाः (७) दृष्टान्ताः । ॥ १३७ शिष्यदोषगुणाः १०० १३८-१३९ शिष्यपरीक्षायां शैलधनकुटादयः (१४) १०० १३६ चारा १०६ निर्गमनिक्षेपाः (६) १०७ अथ वीरजिनादिवक्तव्यता ॥ अटवीभ्रष्टसाधुमार्गदर्शने सम्य १४६ इत्युपक्रमादि क्त्वम् १०८ १- २४ तदेव १०९ १४७ - १४८ साध्वनुकम्पया सम्यक्त्वं, देवत्वं, मरते मरीचिः १०९ ~28~ | १४९ कुलकरवंशेक्ष्वाकु कुलाधिकाराः १५०-१५१ पस्योषमाष्टभागे दक्षिणमध्यभरते कुलकराः (७) १०९ पूर्वभवजन्मनामप्रमाणादीनि (१२) द्वाराणि । ११० १५३-१५४ अपरविदेहेषु वयस्यौ, भरते हस्ती मनुष्यच, नाम नीतिश्च १५५-१६८ कुलकराणानमप्रमाणसंहननवसंस्थानोचत्ववर्णाः ख्यायुः कुलकरत्वकालदेवत्वतत्त्री दस्युपपातनीतयः ९९९ १६९-३८ मानवकारण्डनीति, आहार ऋषभस्म, भरतस्य परिभाषणाचा (४) नीतिः । ११४ ऋषभवक्तव्यतासूचा ११४ 18000 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखाए नन्यादिवहद्विषयानुक्रम दीप ॥१३७॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम XAGAS GAS GAS |१७१-१७२ धनसार्यवाहः, अटवीवासः, १८६ जन्मनामवृयादीनि(८)द्वाराणि१२१/१९९-२०० राज्याभिषेका, विनीतानिवे- आवश्यकघृतदानं च। ऋषभपूर्वभवाः(प्र) १८७ चैत्र कृष्णाष्टम्यां जन्म, तन्महश्च । । शश्व १२८ बृ०विषउत्तरकुरुषु, सौधर्मे, विदेहेषु वैद्यपुत्रो बानी यानुक्रमः २०१-२०२ अश्वादि (३)उपादि(४)सहः पु वेयपुत्रो १८८ दिकुमारीकृत्यम् १२३ राजपुत्रादिवयस्यः ११४ २०३-२०६ आहारादीनि (४०)द्वाराणि१२८ १७३-१७४ कुष्ठिसाधुचिकित्सा ११७ १८९ वंशस्थापना, अपुल्यामाहारका ५-९ नराः कन्दाबाहाराः, क्षत्रिया इक्षुधा१७५-१७८ देवलोकः, पुण्डरीकियां वनसे- न्तिः १२५ न्यभोजिनः, जिनोक्तं घर्षणतीमनादि नपुत्रो वजनाभो बाहुसुबाहुपीठमहा- १९० इक्षुभक्षकत्वादिक्ष्वाकवः |१०-११ अग्नेरुत्पत्तिः पाकारम्भश्च १३१ पीठाश, चतुर्दशपूर्विता, तीर्थकरत्वं, १९१-१९२ नन्दासुमङ्गलायुतस्य पूजा२९ २०७ शिल्पशतम् १३२ द्वयोः वैयावृत्त्यादि, अप्रीतिश्च ११८ १९३ जातिस्मरखिज्ञानोऽधिककान्तिबुद्धिः १७९-१८१ अहंदादिस्थानकानि(२०) ११९ १९४ अकालमृत्युः, कन्यामहर्ण च १२.३० कर्मादीनि (४०) द्वाराणि १३२ टू १८१-१८४ आद्यान्तयोः सर्वाणि, मध्यमा-: २०८-२११ जिनसंबोधनादि (२१) द्वानामनियतानि, अग्लान्या वेदनम्, १९५ विवाह १२७ . राणि १३४ अर्वाक तृतीये नरवादी बन्धः १९६-४+ पदपूर्वलक्षेषु भरतादिजन्म २१२-२१३ जीतेन बोधिताः, सांवत्सरिकं,। १८५ सर्वार्थ, आषाढबहुलचतुथ्यों च्यव- १९७-१९८ एकोनपञ्चाशयुगलजन्म, | त्यागः, परिवारः, उपधिः १३५|| नम् १२० नीत्यतिक्रमः, नृपयाषा, नाभेरनुज्ञा २१४-२१५ लोकान्तिकनामानि लेबोधनं च %AARCHASARAL १३७॥ सुत्ताणि ~29~ Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम SOLARKOUSA |२१६-२२० अवाक् संवत्सराकोट्यधिक वर-३१४-३१६ चैत्रकृष्णाष्टम्यां सुदर्शनया चतुः-३४८-३४९ षट्खण्डविजयः, सुन्दरीप्रवरिकापूर्व दानं, संवत्सरदानद्रव्यसंख्या सहस्त्रीयुतस्य प्रत्रज्या विहारश्च प्रज्या, भ्रातृदीक्षा च १५२ । |२२१-२२३ जिनानामभिषेकषीराज्यवि-३१७-३२२ बाहारालाभात्तापसाः, नमिवि-३२-३७४ युद्धपञ्चकं बाहुबलिनो दीक्षा चारः । १३६ नम्योर्विद्याधरत्वं, कन्यादिमिनिम- भगिन्यागमः, केवलं, भरतभोगाः, |२२४-२३२ दीक्षापरिवारो वय उपधितप: मरीचेर्दी क्षाध्ययने ५५२ अणं, संवत्सरेणेक्षुरसभिक्षा पञ्च दि |३५०-३६१ उद्वेगः, पारिवाज्यं, उपदेशः, स्थानकालाः व्यानि श्रेयांसात्पारणं, तक्षशिला शिष्यार्पणं च । १५४ २३३-२३७ विषयसेवाविहारपरीषहजीवाशु-. गमनम् १४३ _३६२-३६५ समवसरणं, ब्राह्मणानुवृत्तिरीभपलम्भक्षुवोपलम्भन्नतसंयमाः १३७२२३.३३४ जिनपारणस्थानदातृवृष्टिदातृग रताधिपता च दण्डवीर्य यावत् ,कालेन तयः १४६ V२३८-३०५ छद्मवकालतपोज्ञानोत्पादतले- ३३५-३४१ धर्मचक्रमनार्यविहारः पुरिमताले ३६६ प्राधणदानं वेदकृति(९)द्वाराणि।१५८ मिथ्यात्वं, षष्ठे मास्त्रनुयोगः १५७ प्रतपःपरिवारतीर्थगणगणधरदेशनाप- केवलं पञ्च महानतानि, ज्ञानमहिमा ३६७३६८ चक्रिपृच्छा, चत्रयादीना (१०), यिकुमारत्वादिश्रामण्यद्वाराणि १३८ च। १४८ जिनपृच्छा। ३०६-३१३ निर्वाणतपःस्थानपरिवाराः (प्रथ-३४२-३४७ ज्ञानचक्रोत्पाती, तातपूजा, मक- ३८४३६९-३७५ तीर्थकराः (२३) चक्रिणां मानुयोगात) प्रकृतं च १४२ देवीनिर्गमः, पुत्रादेमरीचेश्च दीक्षा | प्रभो नामानि च. १५९ शानदातृवृष्टिदाग SSSSSSSSSSSSSS सुत्ताणि ~30~ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा नन्या हद्विषयानुक्रमे आवश्यकबृ. विष| यानुक्रमः देखीए ॥१३८॥ दीप क्रमांक के लिए ३९-४३४ वासुबलदेवानां खरूपनामशत्रवः ४२२-४६२ मरीचे निर्देशः, पदवीत्रय, वैप निदान महाशुके, त्रिपृष्ठः सप्तम्या ३७६-३९० तीर्थकराणां वर्णप्रमाणगोत्रपुर- प्रशंसा, मदश्च १६७ प्रियमित्रः महशुक्रे नन्दनः, पुष्पो- | जननीजनकगतयः १६० ४ ३३-४ ४३३-४३४ अष्टापदे गमनं, दशसाहरुया स रे (अन्तराऽन्तय संसारश्च)१७१ ३९१-४०१ चक्रवर्तिमा वर्णप्रमाणायुःपुर-१ | ४५५६ विशतिस्थानकादीनि १७७ मोक्षः १६८ पुल ४३५ निर्वाणं, चिता, सक्थीनि, स्तूपाः, ४५७ देवानन्दाकुभाववतारः १७८ मातापिलगतयः १६१ ___ या पकाः, आहिताग्नयः १६९४५८ समापहाराभिमहादीनि द्वाराणि ४०२-४१५ वासुबलदेवानां वर्णप्रमाणगोत्रा-४५४ स्तूपाश्चैत्यम् ४६-१११४ व्युत्कान्तौ खना, सहरणवि. युःपुरमातापितृपर्यायगतिनिदा- ४३६ आदर्शगृहं, मुद्रिकापात:, शानं दीक्षा चारः, पक्रयादय उत्तमकुले नैगमेषिनानि १६२ च भरतस्य कथनं, त्रिशलाकुक्षौ संक्रमः, स्वप्ना(१-१७) जिनान्तराणि प्र. १६४ ४३७-४३९ मरीचेर्दुर्वचनं, तत्फलं, ब्रह्मदेव- . पहारः, स्वप्नदर्शनं, सप्तमेऽभिप्रहः, ४१६-४२० जिनान्तरे चक्रवर्तिवासु माधिकनवमायां चैत्रशुकत्रयोदश्यां लोकः कपिलः, (पष्टितर्व) १७० जन्म, आभरणाविवृष्टिः, इन्द्रागमः, ४४०-४५० कौशिकः, पुष्पमित्रः, सौधर्म, देवाः १६५ अग्निद्योतः, ईशाने, अग्निभूतिः, देवतुष्टिः, देवागमः,मत्वरेऽभिषेकः, |४२१ चक्रिवासुदेवान्तराणि १६६ सनत्कुमारे, भारद्वाजः, माहेन्द्रे, जनन्यर्पण, क्षौमादि, रत्नानयन, ४४x भरतजिनप्रभाः १६७ स्थावरः, ब्रह्मलोके, विश्वभूतिः, वृद्धिः, वर्णनं, जातिस्मरणं, शन देखीए 'सवृत्तिक आगम ॥१३८॥ सुत्ताणि ~31~ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' २४ नया नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) प्रशंसा देवागमः विन्दुकक्रीडा, लेखशाखोपनयनं पृच्छा ऐन्द्रव्याकरणं, विवाहः, भोगाः सन्तानं, दीक्षा १८३ ४६१-४६४ इन्द्रागमः पारणं अभिप्रदाः । (५) शूलपाणिः, वेदना, स्वप्नाः, अच्छन्दका १८८ | ११२ ११४४ शूलपाण्युपसर्गाः १९४ | ४५९-४६० सांवत्सरिकदानादि, छोकान्ति- ( १ प्र. ) निमित्ते, अच्छन्दकद्वेषः । कोचादि, दीक्षापरिणामे निरन्तरं ४६५-४६६ अङ्गुडीच्छेदधौर्यादि, कंटके देवसंचारः, चन्द्रप्रभा शिविका तत्प्रमाणवर्णनं, अलङ्कारः, षष्ठभक्तं, ले श्याशुद्धिः, इन्द्रचामरवीजनं, शिविकोपाटनं पुष्पवृष्टिः, गगन शोभा, वाजित्राणि ज्ञातखण्डवनागमः खोचः केशानां क्षीरोदधिनयनं, तूष्णीकता, व्रतं मनः पर्यायः, मुटुचबशेषे कूर्मारयामगमनं १८३ व च । ४६७-४७१ चण्डकौशिकः, उत्तरवाचालायां मारणं नैयकराजवन्दनं कम्पलम्ब भक्तिर्गङ्गायाम् । १९७ ४७२-५३८ सामुद्रिकः पुष्यो, गोशालः, वि जयानन्दनन्देः पारणानि, कोलाके गोशालप्रत्रभ्या, सुवर्णखले नियतिमहः नन्दोपनन्दौ, दादः, चम्पायां चतुर्मास, काला सिंह, पत्राखके ~32~ स्कन्धः कुमाराय मुनिचन्द्रः, सोमाजयन्तीभ्यां मोचनं, पृष्ठचम्पा, कृतङ्गले दरिद्रस्थविरा:, गोशालपात्रे मांसं अक्षिविक्रिया मुखत्रासः, मण्डवानं कालहस्त्युपसर्गः, पूर्णकलशे शक्रागमः भद्रिकायां चातुर्मासी, अच्छाभ, नन्दिपेणाचार्य:, विजयाप्रगल्भे, गोशालवाहनं, वैशाल्यां शकागमः, बिभेलकमद्दिमा, तापस्युपसर्गः, शालिशीर्षे छोकावधिः, भद्रिकाचतुर्मासी, गोशालागमः, आळमिकाचतुर्मासः, कुण्डा के मर्दने च गोशालचेष्टा, कटपूतना, उत्पल, वग्गुरपूजा, दन्तुर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादि सप्तके आवश्यके ॥ १३९ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) हसनं, बलाढे गोशालबन्धः, राजगृहे चतुर्मासी, छाढावत्रशुद्धभूम्योविहार, वर्षाराच, तिरस्तम्बः, गोब्बरे वैश्यायनः, शीतलेश्यामोअनं, वैशाल्यां शङ्खपूजा, चित्रपूजा, वाणिज्ये आनन्दकथिता ज्ञानोत्पत्तिः, वस्त्यां चतुर्मासी भद्रायाः प्रतिमाः बहुलिकागृहे दिव्यानि पेढाले एक रात्रिकी, शक्रप्रशंसा, सङ्गमकागमः, विंशतिरुपसर्गाः, चौरकाणाक्ष्य अलिविटपिशाचोन्मत्तरूपाणि, शक्रकृतो यात्रादिपृच्छा, वध्यादेशः सप्तकृत्वो रज्जुमोक्षः, कौशिक कृतो मोक्षः, व्रज- ५३९-५४२ महसेने द्वितीयं समवसरणं, सोग्रामे पारणं मन्दरे निर्वासनं, हरिहरि- मिलयज्ञः, देवमहिमा । सहस्कन्दप्रतिमामहिमा, चन्द्रसूर्याव- ११५४५४३ ज्ञानोत्पादमहिमा समवसरणे । तारः, शक्रेशानजनकधरणभूतानन्दाः, वैशाल्यां चतुर्मासी, चमरोत्पातः, सनत्कुमारागमः नन्दीमहिमा गोपशिक्षा, माषाभिग्रहः, सनत्कुमा रमाहेन्द्रागमः, वादिशिरश्छेदः, चम्याचतुर्मासी, यक्षसेवा स्वातिदत्तप्रभाः, नाट्यज्ञानोत्पत्तिकथने, चमरागमः कैवल्यं तपः संख्या २२८ ॥ इति वीरजिनादिवक्तव्यता ॥ ॥ अथ समवसरणवक्तव्यता ॥ विधिः, सामायिक विधानरूपप्रभो तर श्रोतृ परिणामवृत्चिदानदेवमाल्यानयानि २३० ५४४-५९०,११६*११९४ अवृत्तपूर्वे म हर्द्धिकागमे वा समवसरणरचना, प्राकारादिविधिः, आद्यान्व पौरुण्योर्देशना, कमलनवर्क, प्रतिमाः, आमेय्यां गणिः, रूपातिशयः पर्षदां निवेशः, द्वितीये तिर्यभ्यः तृतीये यानानि, सामायिककथा, तद्विधिश्च द्वादशयोजन्या आगमः, गणधरादिको रूपक्रमः, प्रशस्तसंहननादिः, अनुमोदना, युगपदुत्तराणि, स्वस्वगी: प- 4 रिणामः, कीढीदासी, चक्यादेः प्री ~33~ उपोद्घाते श्रीवीरसम बसरण गणधरसामाचार्यादि ॥ १३९ ॥ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम CSCARSAGACACACKAGLA तिदानं भक्त्यावि फलं, बलितन्दुल- ॥दशधासामाचारी॥ ६८१ असंपादनेऽपीच्छाकारे लाभः २६३ च्छटनवासप्रवेशभागविधिः, गणि-६६०-६६५ कालनिक्षेपाः (११)द्रव्ये स्थितिः ६८२-६८७ वितये मिथ्या, अकरणं, भूदेशनायाँ गुणा विधिः, तज्ज्ञानं च। (४) अद्धायां समयाद्याः, यथायुष्के योऽकार:, करणे माया, मिध्यादु२३९ निर्वतितानुभवः, उपक्रमे त्रिविधा कृताक्षरार्थः। ॥ इति समवसरणव०॥ सामाचारी ओधाथा (३) २५७ ६८०-६९० तथाकारस्य योग्यो विषयः, -1 ॥ अथ गणधरवक्तव्यता ॥ ६६६-६६७ इच्छामिध्याधुद्देशः २५८ छादेः फलं च २६४ K५९१-६४१ देवघोषः, गणधरा(११)ऽऽगमः, ६६८ अभ्यर्थनायाँ कारणजात चच्छा-६९१-६९४ आवशियकीनैषिधिक्योमैदे प्रमः, जीव-कर्म-तज्जीव-भूत-ताश-बन्ध- कारः २५९ अर्थैक्य, गुप्तस्पेयर्या विमतः गमने | देव-नारक-पुण्य-परलोक-निर्वाणसं-६६८-६७६ अनिहितबलवीर्येऽशे ज्याशयाः,परिवारः, अमर्षः, वेदपदार्थः, पते, विनाशे तत्कुर्वति, मानवैया-. आवश्यिकी । २६५ दीक्षा २५४ वृत्त्यादिकारणान्तरे इच्छाकारः । ६९५-६९७,१२०-१२३४ शय्यादौ नैथे|६४२-६५९ गणीनां प्रामनक्षत्रमातापितृगो-६७७-६७९ अश्ववदविनीते आज्ञावलामि धिकी निषिद्धात्मत्वात् । आपृच्छा त्रागारच्छद्मस्थकेवलिपर्यायायुरागम- योगौ । २६० द्याः (४) २६७ माक्षनिवाणतपास २५४ ६८० प्रार्थनायां प्राक्षणवानरौ. खर्यकरणे ६९८-७२३ शानदर्शनचारित्रोपसम्पद: ॥ इति गणधराः॥ वणिजौ २६२ त्रित्रिद्विभेदाः, संदिष्टादिचतुर्भङ्गी, ASIACCASEARCADE सुत्ताणि 2% % ~34~ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा उपक्रमो नन्यादि सप्तक आवश्यके देखाए ॥१४ ॥ CIRE दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम AAAAAAकरल वर्तनासन्धनामहणखरूपं, प्रमाण- थमपौरुष्याऽधिकारस,भावे भगवत्क्षा-७६२-७६४ आर्यवनात्परतोऽसमवताय, व-16॥ ननिषपादिविधिः, श्रवणविधिस्त- यिकगणिक्षायोपशमिकाभ्याम् २७४ स्तुतिः (तचरित्रम्) २८५ निवाबत्फलं, चिन्तकस्य उघोरपि वन्दन- ७३६ पुरुषनिक्षेपाः (८) २७७ ७ ६५-७७२ विकनिमनगा, वाचकत्वे सिद्धिः, इत्वरिकादि वैयावृत्त्वे, वि-७३७-७४८ कारणनिक्षेपाः (४) तदन्यद्रव्ये देवमहः, रुक्मिणीप्रतिबोधन, आकष्टाविकृष्टतपस्युपसंपत् ,गणपृच्छया, निमित्तनैमित्तिनौ समवाय्यसमवा काशगामिनी, तद्विषयः, परानर्पणं, समाप्तौ स्मारणा विसर्गों वा, अव- यिनी, कादि (६) द्रव्ये, भावेऽज्ञा माहेश्वरीगमनम् । २९० प्रहयाचा, उपसंहारः फलं च २७० नशानादि, प्रकृते प्राक्तृतीयमनु॥ इति सामाचारीवक्तव्यता ॥ व्यभवबद्धजिननाम, गणिनो ज्ञाना-७७३-७७६ पृथक्त्वकृत भार्यरक्षिताः, मा-18/ चव्यावाधान्तम् २७७ त्राथाचार्यादि ( आर्यरक्षित चरि॥ अथोपक्रमादि ॥ ७४९-७५० प्रत्ययनिक्षेपाः (४) द्रव्ये तस- त्रम्) २९६ (७) सदृष्टान्ताः, माषाविः, भावेऽवध्यादिः । २८० १२४४ अनुरोगचतुष्क सूत्राणि ३०९ ४ ॥१४॥ दण्डकशाचा हेतवः २७२ ७ ५१-७५३ लक्षणनिक्षेपाः (१२), भावे ७७७ महाकल्पच्छेदाः कालिके । ३०९ ७२७-७३५ प्रशस्ताप्रशस्तदेशकाली, दिव- अद्धानादि (१) २८२ ॥अथ निववक्तव्यता ॥ सरात्री प्रमाणकालौ, वर्णकालः, ७५४-७६१ नयसप्तकं, तल्लक्षणभेदाः, त्रिमिः ७७८-७८३ निहवमतानि, तवादिपुरुषप्राम भावस्थितिः (१), प्रमाणकालेन प्र- श्रोत्रपेक्षयाऽधिकारः २८२ । काळाः १११ सुत्ताणि ~35~ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) ७८९ नैगमसंप्रहव्यवहारात्रिविधं शब्दायाः संयमं मन्यते । ३२६ ७९० आत्मा सामायिकम् १४९४ नयविचारः ३२७ ७९१ प्रतविषयः सर्वजीवादि: ८०४-८०६ क्षेत्र दिकालगतिभव्य संयुच्छ्रासदृष्ट्याहारपर्याप्ततजन्मस्थितिवेदसज्ज्ञाकपायायुर्ज्ञानयोगोपयोगशरीरसंस्थान संहननमानले श्यापरिणामवेदना समुद्घातकर्मतन्निर्वेष्टनोद्वेष्टनाशयनासनस्थानचक्रमणै: सामायिकविचारः ३३० ८०७-८०८ सम्यक्त्वश्रुतयोखिषु, विरतिरे मिश्रं तिर्यक्ष्वपि प्रतिपन्नास्त्रयाणां ७९२-७९५ द्रव्यार्थिकपर्यायार्थिकयोर्द्रव्यत्रिषु चरणस्य द्वयोः, भजनोर्द्धगुणसामायिकत्वे वादः लोके ३३१ ७९६,१५०४ सम्यक्त्वश्रुत (३) चारित्राणि ८०९ ८११ दिभिक्षेपाः (१८) दिक्षु प्रतिप(२) सामायिकम् ३२९ चमानः, प्रतिपन्नोऽन्यतरस्याम् । १२५-१४८४ निवाधिकारः सविशेषः, स ७९७-८०३ सामायिकखरूपं, बहुशो देश | ८१२-८२९ सम्यक्त्वभुते चतसृषु त्रतं नरे पूर्वोत्तरपक्षः ३२४ सामायिकम् ३२९ मिनं तिर्यक्षु भव्यत्वारि संयुच्छासकौ च दृष्टौ नयी, आहारकः पर्याप्त, सम्यक्त्वतेऽनाहारका पर्याप्त कावपि प्रतिपन्नी, जागरोऽन्यवरत्, अण्डपोतजयोखिकं जरायो चतुष्कं मध्यमस्थितौ उभयं, आयुष उत्कृष्टायामपि वेदत्रयसज्ञाचतुकयोः प्रतिपत्तिः, अप्रथमे कषाये संख्यायुश्चत्वारीतरः सम्यक्त्वश्रुते, चतुर्ज्ञानी त्रियोगी उपयोगद्विक औदारिकं चत्वारि वैक्रियं द्वे, सर्वसंस्थान संहननमध्यममाने चत्वारि, षट्सु लेश्या द्वे तिसृषु चारित्रं, पूर्वप्रतिपन्नोऽन्यतरस्यां वर्द्धमानावस्थिती ३२७ ७८४-७८८ निह्रवट्युपसंहारः, प्रत्येकदोपास्तत्फलं च तन्निमित्तान्ना दिग्रहणभजना, न बोटिके ३२५ ॥ इति निहववक्तव्यता ॥ ~36~ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा नन्यादि सप्तक आवश्यक नयः प्रति| पन्नादि नमस्कारः देखीए ॥१४१॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ASSACROCESSORA द्विविधवेदनाऽसमवहतः, निवेष्टय- अप्रतिपतितानामल्पबदुत्वं तत्संख्या, ॥ अथ सूत्रखरूपम् ॥ बुद्धत्तः निभावयन् चतारि ३४० अन्तरमविरहविरहौ भवाकयौँ क्षेत्र-८८०-८८६ सूत्रस्वरूपं, दोषाः (३२) गुणाः ८३० सम्यक्त्वादिविषयः स्पर्शना तत्स्पर्शना ३६१ (८-६) ३७४ 51८३१-८३५ मानुण्यार्यक्षेत्रादिदुर्लभत्वे चो-८६१-८६५ सम्यक्त्व(७) श्रुत (७) देश (६) ॥ इति सूत्रखरूपम् ॥ एकादिष्टान्ताः, युगदृष्टान्तो गा. सर्व (८) विरतिनिरूक्तयः, दमद- ॥अथ नमस्कारख्याख्या ।। थाभिः ३४१ न्तायाः (८) दृष्टान्ताः ३६३ 1८८७ नमस्कारे उत्पत्तिनिक्षेपपदपदार्थप्ररू८३६-८४४ धर्मकरणे उपदेशः, आलस्याद्याः १५१+ दमदन्तवृत्तम् ३६५ (१३) श्रुति विघ्नाः, ज्ञानाबरणा दि- ८६६-६८ मुनित्वखरूपम् पणावस्त्वाक्षेपप्रसिद्धिक्रमप्रयोजनफवद्, प्रतक्षान्त्यादि, दृष्टादौ कर्मक्षये ८६९-७० मेतार्यस्तुतिः ३६९ लानि (११) ३७७ शुभयोगे च बोधिः ३४५ ८ ७१ कालिकाचार्यस्तुतिः ३७० ८८८-८९० मादिनैगमेऽनुसनः, शेषाणां ८४५-८४८ अनुकम्पाऽकामनिर्जरायवैद्यमि-८७२-७५चिलातीपुत्रस्तुतिः ३७१ समुत्थानवाचनालब्धित उत्पन्ना, ण्ठादीनां (११) सम्यक्त्वलाभः ८७६-८७९ लक्षश्लोकसङ्ग्रेपः, धर्मरुचिरना जावनाये, शेषा सम्धि मन्वते, (वैद्यवानरदेवः ) अभ्युत्थानविन- कुट्टयाम् , इडापुत्रः परिझायां, प्रत्या- निवादि द्रव्ये (द्रमकदृष्टान्तः) याद्यैश्च ३४७ ख्याने तेतलिः ३७२ नैपातिकात् द्रव्यभावसङ्कोचः ३७७ ८४९-८६० सम्यक्त्वस्थितिः, प्रतिपत्तप्रतिप- ॥ इत्युपोद्घातनियुक्तिः॥ ८९१-९०२ किं कस्य केन कियचिरं कतिवि AAAAAAAAAS ॥१४१॥ सुत्ताणि ~37~ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम धमिति षट्पदा, सत्पदाचैर्गती-|९३१-९३३ विद्यामअयोर्विशेषः, आर्यख- शैलेशी, अलाबुकादियद्गतिः, अ-| न्द्रियादिषु नवपदा, आरोपणाभ- पुटस्तम्भाकर्षकदृष्टान्तौ ४११ । लोके स्खलनेत्यादि ४३८ जनापूरछादापनानियोपनामिः पथा-९३४-९३६ योगे बर्यसमित:. आगमे ९६०-९९२ सिद्धशिलावर्णन, सिद्धावगाहविधा प्ररूपणा ३७९ गौतमः, अर्थे मम्मणः, यात्रायां नादेशप्रदेशस्पर्शलक्षणमुख (म्लेच्छ४.९०३ मार्गाद्या नमस्कारहेतवः ३८३/ दृष्टान्तः) एकार्थिक (८) नमस्कार श्रुटितः ४१२ ९०४-२६ महासार्थवाहत्वादि, दृष्टान्ताः .. फानि ४४२ सविशेषाः, रागद्वेषकषायेन्द्रियाणि ९३७-९५१ बुद्धिसिद्धलक्षणम् , औत्पत्ति(सदृष्टान्तानि) कषायनिक्षेपाः (८) क्यादिभेदाः, लक्षणानि दृष्टान्ताच. ९९३-९९९ आचार्य निक्षेपाः (१) ४४८ (षण्णयमार्गणा च) परीषहोपसर्गाः भरतशिळापण्यवृक्षायाः (१६) भ- १०००-१००७ उपाध्यायनिक्षेपाः (४)अ-I (श्लोका दृष्टान्तानि च) अईच्छब्द- रतशिलामेषायाः (२६) निमित्तार्थ- क्षार्थादि ४४९ . निरुक्तिः, तन्नमस्कारफलम् । ४०६ शाखाद्याः (१४) सुवर्णकारकर्षका- १००८-१०१७ साधोनिक्षेपाः, खरू९२७-३० कर्मशिल्पादिभिः (११) सिद्ध- पाः (१२) अभयाद्याः (२२) - पादि ४४९ निक्षेपाः, कर्मशिल्पयोर्भेदः, सह- ष्टान्ताः ४३७ १ ०१८-१०२१ पञ्चविधत्वे क्रमे च शङ्कागिरिसिद्धः, कोकासो वर्द्धकिश्च दृष्टा-९५२ तपःसिद्धे दृढप्रहारी ४३८ | समाधानम् ४५० न्तौ ४०८ |९५३.९५९ सिद्धस्य निरुक्तिः, समुद्घातः, १०२२-१०२४ प्रयोजनफले, कर्मक्षयादि, सुत्ताणि ~ 38~ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्यादिसप्तके आवश्यके ॥ १४२ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) अजीवयोगे वर्णादि जीवस्य मूले १८३४ उद्देशवाचना (समुदेशा ) ऽनुज्ञा । ४७१ शरीरपञ्चकमङ्गोपाङ्गादि, उत्तरे के- १०४०-४१ देशविघातिशुद्धी ककारलाशरचनादि, सङ्घातशाटोभयानि भः ४७२ विस्तरेण, पटादिषु सामान्येन ४६२ १८४-१८५४ भयस । १०२९-१०३८ क्षेत्रकालकरणे, जीवभावकरणे श्रुते बद्धाबद्धनिशीथा निशी ये (अनादेशाः, द्वैपायनाः) नोभुते गुणे तपः संयमी योजनायां मनोवाक्कायाः (४-४-७) अधिकार ४६२ १०३९ कृताकृतं केन केषु कदा नयः कति विधं कथं द्वाराणि ४६७ कटकरणादि, नोसन्ञ्ज्ञायां धर्मादेः १७५-१७७४ कृताकृतादिद्वारविवेचनम् । १०४९ सर्वनिक्षेपाः (७) ४७६ करणादि, अभ्राण्वादिषु चाक्षुषाचा- १७८-१८२४ आलोचनाविनयक्षेत्र दिकालषी संघातभेदोभयादि विश्रसाकरणे | र्श्वगुणाभिव्याहाराः । ४६९ १०४२ ४४ सान एकार्थिकानि (सामसमसम्यमिकाः ) निक्षेपाचा प्रत्येकस्य, द्रव्ये शर्करातुलायोगचितयः, भावे दुःखाकरणं माध्यस्थ्यं ज्ञानादि तत्प्रोतनं च ४७४ १०४५ सामायिकैकार्थिकानि ४७४ १०४६-४८ कर्त्ताऽऽत्मा, कर्म सामायिकं, करणमात्मा १८६-१८९४ द्रव्ये सर्वा सर्वद्रव्यदेशैर्भङ्गाः, सर्वधत्तनिरूपणं, भावसर्व च ४७६ अर्थकामादि (८) (त्रिदण्ड्यादि- | ५) ४५१ ॥ इति नमस्कारव्याख्या ॥ १०२५-२६ नन्यनुयोगोपोद्घातान् ज्ञात्वा पश्चमङ्गलं पठित्वा सूत्रारम्भः ४५४ ॥ अथ सामायिकव्याख्या ॥ १ सू० सामायिकसूत्रम् । १०२७-२८ सूत्रस्पर्शे करणभयान्तसामायि कसर्व वयोगप्रत्याख्यानयावज्जीवत्रिविधानां निरूपणम् ४५६ १५२-१७४x करणनिक्षेपाः (६), सब्ज्ञायां ~ 39~ सामायिकाधिकाराः ॥ १४२ ॥ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) १०५०-५१ क्रोधादयो वर्ग्य, सम्यक्त्वादिः शस्तो योगः ४७८ १०५२-५३ प्रत्याख्याननिक्षेपाः (६), द्रव्येनिवादि क्षेत्रे निर्विषयादि, भावे श्रुते पूर्वापूर्वे नोचते मूलोचरे । १०५४-१०५५, १९०४ यावज्जीवार्यः, जीवनिक्षेपाः, ओघे आयुः, भवे नारकाद्यायुः, भोगे चयादि, अधि कारच ४८० १०५६ सूत्रस्पर्शे सप्तचत्वारिंशं शतं भङ्गानाम् ४८१ १०५७ करणप्रत्याख्यानप्रतिक्रमणानां वर्त्तमानवादि ४८३ १०५८ त्रिविधेनेत्यस्य विवरणं, विकल्पगुण भावना ४८४ १०५९-१०६३ द्रव्यप्रतिक्रमणे चेह्नकः, न संयमवतः पुष्पायच न ४९२ भावे मृगावती, द्रव्यनिन्दायां चि- १९६४ श्राद्धस्य द्रव्यस्तवः संसारप्रतनुप्रकरसुता, द्रव्यगद्दयां ब्राह्मणः, करणः ४९३ द्रव्यन्युत्सर्गे प्रसन्नचन्द्रः, अनुगमसमाप्तिः ४८४ १०६४-१०६६ ज्ञानक्रियानयो, उपसंहारः, चरणगुणस्थितस्य साधुता ४९० ॥ इति सामायिकव्याख्या ॥ भाग २ ॥ १* अकी चनप्रतिज्ञा । १९७-२०५x द्रव्ये जीवाजीवौ रूप्यरूपिणौ १०६८ लोकनिक्षेपाः (८) ४९४ ॥ अथ चतुर्विंशतिस्तवः ॥ १०६७, १९१-१९२४ चतुर्विंशतिस्तवे चतुविशते (६) स्ववस्य च (४) निक्षेपाः, द्रव्यस्तवे पुष्पादि भावे स्तुति: ४९१ | १९३ - १९५४ भावस्तवाव्यस्तवो बहुगुणो १०६९ लोकैकार्थिकानि (४) ४९६ ~40~ सप्रदेशाप्रदेशौ नित्यानित्यौ, गतिसिद्धभव्याभव्याः पुढानागवातीतधर्मायाः स्थिति चतुष्के, क्षेत्रे ऊर्ध्वातिर्यग्लोकाः, काले समयावलिकायाः, औदविकाया उत्कटरागादिमां भावे, वर्णांधगुरुलघुतीप्रदुःपरिणामाः पर्यवे ४९५ Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य sisargasata सूत्रांक क्रमांक 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादिसप्तके आवश्यके ॥ १४३ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) १०७०-१०७३ द्रव्योद्द्योतेऽध्यादि भावे ज्ञानं, ढोकालोकयोर्जिना भावोद्यो १०९१- ११०२ जिनानां सामान्यविशेषनामहेतव: ५०२ तकराः ४९६ १०७४- १०७५ द्रव्यधर्मे गम्यादि कुलिङ्गश्च भावे श्रुतचरणम् ४९७ उत्तमाः ५०८ ॥ अथ वन्दनाध्ययनम् ॥ १११४-१५ वन्दनैकार्थिकानि (४) कस्येत्या५-६० जिनप्रसादप्रार्थना, आरोग्यबोधिदीनि (९) द्वाराणि च ५११ समाधिप्रार्थना च ५०७ १११६ बन्दनचित्यादिषु शीतललकादि११०३ नतिकी कार्थिकानि (४-४) ५०८ दृष्टान्ताः ५१२ १०७६ १०८० तीर्थनिक्षेपाः (४), द्रव्ये दाहो- ११०४ मिथ्यात्वाज्ञानात्रततमोभ्यो मुक्ता १११७-१९बन्दनीयावन्दनीये मालादृष्टान्तः, पशमादियुतं भावे क्रोधाद्यष्टविधज्ञानादितीर्थीयधिकार सूचा ५१६ कर्मच्छेदि दर्शनादियुतम् ४९८ | ११०५-१११२ प्रार्थनाया अनिदानता, १०८१-१०८६ करनिक्षेपाः (६), द्रव्ये गोम- भक्त्या व्यवहारभाषा, उपदेशदास्ते (१ प्र.) पार्श्वस्थादिभेदाः ५१७ भक्त्या कर्मक्षयः, तत आरोग्यादि- ११२०-३३ पार्श्वस्यादेर्वन्दने दोषाः, तस्य च लाभः, निर्भक्तिको नायतिः, चैत्यादेः दुर्लभा बोधिः चारित्रनाशः, चम्पकसंयमः श्रेयः । माला- शकुनी पारग-वैर्यदृष्टान्ताः सिद्धिप्रार्थना ५१० (असत्सङ्गदोषाः ) ५१९ २०६४११३४-५१ लिङ्गाप्रामाण्यचर्चा, अपूर्वदृष्टे लिङ्गावशेषे च पर्यायादिमति हिष्यादेः (१८), भावेऽप्रशस्तः कलहादिकरः, शस्त्रेऽर्थहितादिकरः ४९९ १०८७-१०९० जिनत्वावे, दर्शनादि, देशनाकीर्त्तिः, अपिशब्दादन्यजिनाः, ७ केवलित्वं च ५०० २-४ चतुर्विंशतिजिनस्तुतिः ५०१ | १११३ केवलेन लोकालोकप्रकाशः ५१० ॥ इति चतुर्विंशतिस्तवः ॥ ~ 41~ चतुर्विंशतिस्तवा० वन्दनाध्य. ॥ १४३ ॥ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - विधिः, प्रतिमामिषं रूप्यटङ्कचतुभङ्गी ५२२ erraria उदायrर्षय: आलम्ब - १२१९-२६ बन्दनदोषाः (३२) ५४३ नानि, तद्वादिनिराकरणम् ५३५ १२०० २ मन्दस्य सर्वोऽपि लोक आलम्बनम्, तीव्रस्य सचारित्राः ५३८ ११५२-६४ ज्ञानतीर्थवादः, आठयादिना सुविद्दिज्ञानं प्रत्येकबुद्धालम्बनानां चारित्रनाशः, उन्मार्गदेशका अद्र- १२०३ ६ ये शासनयशोघातिनस्तद्वन्दने दोषाः, ये यशःकारिणस्तद्वन्दने ष्टव्याः ५२७ १९६५-८२ (१-३प्र.) दर्शनतीर्थवादः चारि गुणाः ५३९ १२२७-२९ वन्दनाफलं ( विनयादितोऽक्रियान्तं ) विनयश्रेष्ठता च ५४५ २ सू. बन्दनकसूत्रम् । ५४६ १२३०-३३ इच्छादीनि (६), इच्छाऽनुशा sवग्रहाणां निक्षेपाः (६-६-६ ) ५४८ | .५४९ १२३४-३५ अनुज्ञाप्य प्रवेशः, शिरःस्पर्शः, यात्रायापणे क्षामणा १२३६-३७ आचार्यवचनानि, बन्दनप्रतीच्छाविधिश्व त्राच्छ्रेयो दर्शनं, अविरतश्रेणिकादयो १२०७ आचार्यादेः (स्वरूप) कृतिकर्म ५४० नरकगतिकाः, चारित्रपुष्टिः, उयमे १२०८-११ अमात्रादिसाधुर्वन्दक, अव्यागुणाः ५३० हितादौ उपशान्तादीन् वन्देत ११८३-८६ सालंबन सेवा, भग्नानां तदेव १२१२-१३ प्रतिक्रमणादो (८) भुवाधुवाणि प्रधानम् ५३४ वन्दनानि ५४१ १९८७-९९ नित्यवासे चैत्यभक्कावार्यालाभे १२१४-१८ पञ्चविंशतिरावश्यकानि तत्फविकृतिप्रतिबन्धे च सङ्गमाचार्याः उम् ५४२ ~ 42~ १२३८-४२ क्रियानैक्यपरिहारः द्वितीयवन्दनशङ्कापरिहारः, वन्दनफलं च५५० ॥ इति वन्दनाध्ययनम् ॥ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादिसप्तके आवश्यके ॥ १४४ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) " थिके, पाक्षिकचातुर्मासिकसांवरस ७सू. इच्छामि पडिकमिडं, इरिया० । रिकोत्तमार्थानि महात्रतानि भक्तप- ८ सू. इच्छामि पडिक्कमिडं पगाम० । ४७४ रिज्ञाच यावत्कथिके, उच्चारादावित्व ९ सू. पढिकमामि गोयर० । ५७५ रम् ५६३ १०सू. पढिकमामि चाउ० ( अतिक्रमादि) ५७६ ११सू. पढिकमामि एग०। (दण्डगुप्तिषूदाहरणानि ) ५७७ पडि० तीहिं सहेहिं । (गौरवे मङ्गाचार्य:, ज्ञानादिप्रत्यनीकता, सम्झाहेतवः, विकथाः (१६) ५७९ ॥ अथ प्रतिक्रमणाध्ययनम् ॥ १२४३-४४ प्रतिक्रमणप्रति क्रमक्रप्रतिक्रान्तव्यानि आये त्रिकालिकं, द्वितीये प्रशस्तयोगवान् ५५१ १२४५-५४ कृतिक्रमणैकार्थिकानि (८) प्रतिक्रमण- प्रतिचरणा-परिहरणा-वारणानिवृत्ति - निन्दा-गर्दा शुद्धीनां निक्षेपाः, अध्वादिनिक्षेपाः (६) अभ्वादिदृष्टान्ताः (८) ५५७ १२५५ अधिकमासे चूतोपालम्भः ३ सू. १२५६ सायं साधनीयं समरे वा मर्त्तव्यम् ४ सू. १२५७-६० आलोचने आराधना, आद्या- ५ सू. न्तयोः सदा चारित्रे च द्वे, मध्यमा ६ सू. नामापत्रे चारित्रं वैकम् ५६२ १२६१-६३ देवसिकरात्रिके इत्वरयावत्क- १२८५ प्रतिषिद्धकरणादिषु प्रतिक्रमणम् ५७३ १२६४-८४ मिध्यात्वासं यमकषाययोगेभ्यः संसाराद्वा भावप्रतिक्रमणं, गन्धर्वदत्तदृष्टान् क्रोधाया नागाः, विपोतारणे अनत्याहारादिविद्याप्रयोगः ५६४ चचारि मंगलं सूत्रं चत्तारि लोगुत्तमा सूत्रं चचारिसरणं सूत्रं इच्छामि पडिक मिडं, जो मे देव० 1१ ५६९ IR ~ 43~ १२सू. ॥ अथ ध्यानशतकम् ॥ मङ्गलं प्रतिज्ञाच ( योगीश्वरः ) ५८२ ध्यानचित्तयोर्लक्षणे, भावनानुप्रेक्षाचिन्ताचितानि ५८३ प्रतिक्रमणाध्यानच तर्क च ॥ १४४ ॥ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि २५. नंद्या० नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ३-४ ध्यानस्थितिः, चिन्ताभ्यानान्तरे, पडि० पंचहि किरियाहिं (२५ भेदाः) ६११ ध्यानसन्तानः । १५ पढि० पंचहि काम० । ( ईर्यासमित्यादिषु दृष्टान्ताः ) ६१५ ॥ अथ पारिष्ठापनिका निर्युक्तिः ॥ १२८६-८९ प्रतिज्ञा एकेन्द्रिये तजावाजातभेदी आभोगाना भोगजात्मपरग्रहणानि । ६९९ ध्यानभेदास्तत्फलं च ५८४ १६-१८ आर्चध्यानभेदाः संसारबर्द्धनं, न मुनेः शस्तालम्बनस्य, संसारबीजता तस्य, लेश्यानिमित्तानि स्वामिनश्च । १९-२७ रौद्रस्य भेदाः, स्वामिनो, लेश्या लिङ्गानि च ५८८ २८-६४ धर्मध्यानस्य भावनादेशकालासनाल म्वनक्रमध्यान्यतध्यात्रनुप्रेक्षालेश्यालिङ्गफलानि, ज्ञानदर्शनचारित्रवैराग्यभावनाः, स्थानकाळासनानि, वाच नादीन्यालम्बनानि, आज्ञाया विशेष- १९३ १०५ धर्म शुकुफलानि, उपसंहारश्च ।६०९ ॥ इति ध्यानशतकम् ॥ रतोयापनयनवद् योगरोधः, नानानय- २०७४ वज्जातस्याकरादौ, अवज्ञावस्य कर्प रादौ । ६२२ पूर्वगतेन ध्यानं, केवलिनोऽन्यौ भेदौ, आअवद्वाराद्यनुप्रेक्षा, शुडा लेश्या, अवधादीनि लिङ्गानि । ६०९ १२९०-९२ नोएकेन्द्रियन्त्रसेषु तज्जातातजाते ६२३ १२९३-१३१५ सचित्तसंयतमनुष्यप चन्द्रयस्याशिवादौ कारणेऽनाभोगेन स्वरूपं, क्रमभङ्गाः, गहने श्रद्धास्थितिः, रागादिदोषध्यानं, कर्मप्रदेशादिध्यानं, १३ लक्षणसंस्थानादि लोकक्षित्यादि जीवलक्षणादि संसारसमुद्रद्रतपोतध्यानं, १४ क्षीणोपशान्ता धर्मस्य स्वामिनः, पूर्वघरकेवलिनः शुहस्य, ध्यानोपरमेऽनित्यतायाः, लेश्याः पीतायाः, श्रद्धादिलिङ्गम् । ६०२ | १६५ ९२शुहस्य न्यायालम्बनानि विषभा ~ 44~ এ%%%%%% Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादिसप्तके आवश्यके ॥ १४५ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) वा दीक्षितस्य कटिपट्टकादियतना, व्य- | वहारः, गुणयुक्सूत्रानध्यापनं, व्युत्सर्जनं, जड्डे मम्मणे च विधिः । ६२८ १३१६-५२ अचित्तसंयते गीतार्थेन परिष्ठा x.३ स्वाध्याय, शकुनाः, गतिः, अशिवे- ४२ नव गुप्तयः । ऽपवादः । ६३७ दशधा यतिधर्मः । १३५३-७० असंयते वाले, अचित्तवनीप- ४४ (११) आवकप्रतिमाः । कादो, नोमनुजसचित्ताचित्ते जळच- x५ (१२) साधुप्रतिमाः । रादौ, नोत्रसे आहारादौ, आधाक- ४६ (१३) क्रियास्थानानि । मदो त्रिः स्थानं श्रवणं, आचार्याद्य- १६ चोदसहिं भूमगामेहिं । ६४९ जातं, नोआहारोपकरणे, वस्त्रे ४७ (१४) भूतप्रामाः । रेखा पात्रे चीवरं (१.) मूलोत्तर- ४८-९ (१४) गुणस्थानानि । शुद्ध एकं द्वे त्रीणि, उच्चारादौ छाया x१०-११ (१५) परमधार्मिकाः । दिग्द्वयं, अनुकूलेभ्यो दानम् । ६३९ ४१२-१३ (१६) समयादीन्यध्ययनानि । x१४ सप्तदशविधः संयमः । ॥ इति पारिष्ठापनिका निर्युक्तिः ॥ पढि० छहिं जीव० लेश्या x१५ (१८) अब्रह्माणि । जम्बूखादकप्रामघातकट - x१६-१७ (१९) ज्ञाताध्ययनानि । ष्टान्तौ भयानि मदाय | ६४४ १ x१८-२० (२०) असमाधिस्थानानि । पने प्रतिलेखनादीनि द्वाराणि (१६), महास्थण्डिलप्रत्युपेक्षा (१ प्र.) विक् तत्फलंच; अनन्तककाष्ठयोर्मद्दणं, अविषादः, अधिष्ठाने विधिः, पुत्तलकविधिः, आचमनं तत्पथाऽनिवर्त्तनं, समा शय्या, ककारतकारकरणं, अभिप्रामं शीर्ष, चिह्न, उत्थाने त्यागः, २०८ प्रवेशे योगवृद्धिः, नामग्रहणे विधिः, ४१ अप्रदक्षिणत्वं कायोत्सर्गे विधिः क्षपणा १५ ~45~ ध्यानश तर्क पारिष्ठापनकानि ।। १४५ ।। Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - १७ एकवीसाए सबलेहिं । ६५५ x२१ ३० एकविंशतिः शबलाः । x३१-३३ व एव प्रकारान्तरेण । x३४-३५ (२२) परीषद्दाः । x३६ (२३) पुण्डरीकादीनि अध्ययनानि x३७ (२४) देवाः । ४३८-४२ पञ्चविंशतिर्भावनाः । +४३ (२६) उद्देशानां कालाः x४४-४५ (२७) अनगारगुणाः x४६-४८ (२८) आचारप्रकल्पाः । x४९-५० (२९) पापश्रुतानि । x५१-६५ (३०) मोहनीयस्थानानि । x६६ (३१) सिद्धगुणाः । ४६७ त एव प्रकारान्तरेण । पालकसुतराष्ट्रवर्धनसुतावन्तीसेनमणिप्रभौ । ६९९ १३८५-१३८९ अलोभे क्षुल्लकः । यशोभद्राराश्यादीनां 'सुडु वाइय' मिति गीतिकायां दानं तितिक्षायां सुरेन्द्रदत्तः । ७०२ | १३९० आर्जवेऽङ्गर्षिः । ७०४ १३९१-१३९३ शौचे यशयशः पुत्रयज्ञदत्तपुत्रनारदः (सीमन्धराया जिना ) ७०५ छितचनकपुरऋषभपुरकुशामपुरराज- | १३९४ सम्यक्त्वे विमलप्रभाकरौ ७०६ १३९५ समाधौ सुत्रवर्षिः । ७०७ १३९६ आचारे ज्वलनदहनौ । ॥ अथ योगसङ्ग्रहाः ॥ १३७१-७५ आलोचना निरपलापतादयो यो गमाः (३२) ६६३ | १३७६ आलोचनायामट्टनः दृष्टान्तः ६६४ १३७७ निरपलापतायां दृढमित्रः । ६६६ १३७८ द्रव्यापदि धर्मघोषः । ६६७ १३७९ भावापदि दण्डः । | १३८० अनिश्रितोपधाने महागिरिः । ६६८ | १३८१ शिक्षायां स्थूलभद्र, (क्षितिप्रति गृहचम्पापाटलिपुत्राणि नन्दशकटालादया ) ६९८ १३८२ निष्प्रतिकर्मत्वे नागदत्तः | १३८३-१३८४ अज्ञातत्वे धर्मवसुशिथ्यौ, ~46~ १३९७ विनये निम्बकः । ७०८ १३९८ धृतिमत्योर्मतिसुमत्यौ । Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादिसप्तके आवश्यके ॥ १४६ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) १३९९-१४०० संवेगे वारत्रकर्षिः । ७०९ १४११-१२ अप्रमादे मगधसुन्दरी, 'पत्ते १४०१ द्रव्यप्रणिधौ गुग्गुलः, भावप्रणिधौ वसंतमासे' गीतिका । भदन्तमित्र कुणाली । ७१२ १४१३ वालवे विजयः । १४०२- ३ सुविधा वैतरणिः । ७१३ १४१४ ध्याने पुष्पभूतिः । १४०४ संवरे नन्दश्रीः 1 १४१५ मारणान्तिके धर्मरुचिः ७२३ १४०५ आत्मदोषोपसंहारे जिनदेवः । ७१४ १४१६ स्नेहत्यागे जिनदेवः । ७२१ ७२२ १४१७ प्रायश्चित्ते धनगुप्तः, आराधनायां मरुदेवी | ७२४ १४०६ विरक्तत्वे देवळासुतः । १४०७-०८ मूलगुणप्रत्याख्याने शत्रु जयः, उत्तरगुणप्रत्याख्याने धर्मघोषधर्मयशसौ । ७१५ २०९-२१६४ व्युत्सर्गे प्रत्येकबुद्धा: ( ४ ), x६८-७१ वृषभेन्द्रध्वजवलयचूतवृक्षस्वरूपम् । १८ ७१६ ॥ इति योगसङ्ग्रहाः ॥ तेतीसाए आसायणाहिं । ७२५ त्रयत्रिंशदाशातनाः, अर्हदाशावनादिकाः सूत्रोक्ता वा ७२७ अईदाद्याशातनाः (१९) ७२८ १४०९-१० ऋजुवयोर्गुणदोषाः । ७२१ २१७-२१९ सप्तद्वीपोदधिः प्रजापतिकृतः १९ ~ 47~ प्रकृतिपुरुषरूपो वा लोक इत्यस्य खण्डनम् । ७३० व्याविद्धादिकाः (१४) भुवाशावनाः । ७३१ ॥ अथ अखाध्यायनिर्युक्तिः ॥ १४१८-२३ अस्वाध्यायनिर्युक्तिप्रतिज्ञा संयमघातीपपातिकसा दिव्यव्युद्धदृशारीरैः परसमुत्थं पश्वधा । ( म्लेच्छराजदृष्टान्तः सोपनयः) ३१७ १४२४-२६ महिकाभिन्नवर्षसचितरजांसि द्रव्यक्षेत्रकालभावैः याज्यानि, सोपनयपथपुरुषीदृष्टान्तः ७३२ | २२०-२२१४ महिका दिखरूपम् । ७३३ १४२७ संयमौपघातिके यतना । ७३४ २० योगसंग्रहाः अस्वाध्या यनि. ॥ १४६ ॥ Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम दा१४२८-३० पांशुमांसादिवर्षेऽहोरात्रं, पां-१४५२-९९,२२६-२३१४ मानुष्यरुधिरादौ, १५००-१४ भात्मसमुत्थेऽस्वाध्याये व्रण-| वादिस्वरूपं, स्वाभाविके चैत्रीयका- जन्मनि सप्ताष्ट दिनाः, ऋतौ त्रयं, विधिः, श्रमण्या इतरस्मिन् सप्त योत्सर्गे स्वाध्यायः। दन्ते त्यागः, अस्थि द्वादश वर्षाणि, बन्धाः, अखाध्याये श्रुताभक्तवादि, १४३१-४० गन्धर्वनगरादि सादिव्यं, अस्थिशोधने मृतकनयने च विधिः।। उपसंहारश्च । (चतुर्विंशतः शतं ग्रहणे आचीर्णानाचीर्णादि, महामहाः कालप्रतिलेखनायां भूमि (२७)प्रति- यावत्स्थानानि) ७५७ (४), अकालस्वाध्याये दोषाः ७३५ लेखना, श्राद्धादिकथाऽभावे सर्वे ॥ इति अखाध्यायनियुक्तिः॥ १४४१-४५ दण्डिकादिव्युद्हे अहते मृतके | कायोत्सर्गस्थाः, प्रतिक्रमणं, कालप-. २१ जिननमस्कारः। ७६० हणविधिः, गण्डकदृष्टान्तः, कालविकीर्णे च विधिः । ७३८ २२ प्रवचनवर्णनम्। पाहिगुणाः, |१४४६-५०,२२२ जलस्थलखचराणां शोणि-1, १-२ प्रसिद्ध). व्याघाताः, सर्वैः प्रस्थापन, २३ अद्धाना दिस्वरूपं, असंयमावियागः। तादौ विधिः, अन्तर्वहिधांतपक्कयो शङ्काविधिः, उल्कादि विधिः, तारामहाकाये च विधिः। ७४१ दर्शनं काळपणकालप्रमाणं, प्रोपि-२४ अस्मृतप्रतिक्रमणम् । ७३२ | १४५१, २२३-२२५४ अण्डभेदे विधिः, - तपतिविधिः, हते नववेला प्रहणं, २५ मुनिवन्दनम्। (१८०००शीलाङ्गानि) अखाध्यायिकप्रमाणं, जरायोः पौ व्यापातिमे न गण्डकमरुकदृष्टान्तौ । ८-९० सर्वजीवक्षामणानि ७६३ रुपीत्रयं, रुधिरस्पर्शेऽस्वाध्यायः। । ७५४ ॥ इति प्रतिक्रममाध्ययनम् । भाग ३॥ AACAR सुत्ताणि ~48~ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४०] मूलसूत्र-१ 'आवश्यक मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक कायोत्स यहा देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्द्यादि ॥ अथ कायोत्सर्गाध्ययनम् ॥ (१५.) एकार्थिकानि (११) च, मिक्षाचर्यायां |१५९५ दिवसातिचाराः। सप्तके ४१५१५ प्रायश्चित्तभेदाः (१०) चेष्टा, उपसर्गेऽमिभवः । ७७१ १५९६-९७ मुखवनिकावितोऽतिचारचिन्तनं 31 आवश्यके १५१६-२४ तदुद्भवागन्तुकत्रणदृष्टान्तः सो-१५५०-५५ सांवत्सरिकोऽभिभवः, योट- ध्यानं च । ७८१ पनयः । ७६४ ष्टान्तश्च । ७७१ ॥१४७॥ १५९८-१६०१ देवसिकादौ गमत्रय,तच्छङ्का१५२५ कायोत्सर्गे निक्षेपैकार्थिकादीनि १५५६-५८उच्छूितोच्छूितादिभेदाः(९)७७२ र समाधाने। समाधान (११) द्वाराणि । ७६६ १५५९-७५ कायोत्सर्गगुणाः, ध्यानलक्षण- १६०२-३ मिथ्यादुष्कताक्षरार्थः । |२३२-२३५४ कायस्योत्सर्गस्य च निक्षेपाः फले, ध्यानस्वानं, न केवलं मनःपरिणामो ध्यानं, भङ्गिकश्रुते त्रिविधं, १६०४-६ उत्तरप्रायश्चित्तादिव्याख्या ७८२ | (१२-६) ध्यानम् । ७७३ १६०७-१३ उच्छ्वासाद्यनिरंभणं, वातनिसस(१५.)१५२६-४३ गतिकायस्तैजसकामणं, १५७६-९३ उच्छ्रितोच्छ्रितादि (९) वरूप, गर्गादौ यतना, अन्याद्याकाराः । ७८३ निकायकायो जीवनिकायः, द्रव्यका- ध्यानचित्तयोदUE १६१४-२० ससूर्ये भूमि प्रेक्ष्य काले कायो। यचर्चा, पर्यायकायः समूहा, भार-२६ इच्छामि ठाइड का उस्सर्ग । ७७८ त्सर्गः, गुरोर्द्विगुणं देवसिकं, प्रति ।।१४७॥ कायः कापोती, कार्यकार्थिकानि २७ तस्स उत्तरीकरणेणं ० अन्नत्थ०७७९/ क्रमणविधिः। ७८४ (१३) (१-२५.)१५९४ एकमनसोऽतिचारज्ञानं २८ सव्वलोए अरिहंत०.७८६ १५४४-४९ उत्सर्गस्य निक्षेपाः (६) । ततः शुद्धिश्च । ७८० २९, १०-१३* पुक्खरवरदीवड्ढे ७८८ कक सुत्ताणि ~49~ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - १६३६ पादसमा उच्छ्वासाः । ७९७ १६३७-४०, २३९-२४० (१ प्र.) निर्माय मुत्सर्गः । १६४१-४४ कायोत्सर्गे विधिः दोषाश्च (१९) ७९८ -७९३ | १६४५-४७ वासी चन्दन कल्पस्योपसर्गसदस्य शुद्धः, सुभद्राचा दृष्टान्ताः ( ४ ) फलं च । ७९९ २४१४ क्रकचवत्कर्मनाशः | ८०१ १६४८-५१ कायोत्सर्गे भावना । ३०, १४-१८* सिद्धाणं बुद्धाणं । ७८९ १६२१ वर्द्धमानस्तुतित्रयम् । ७९० १६२२-२४ दैवसिकरात्रिकयोः कायोत्सर्गव्यत्ययः, षण्मासीतपश्चितनम् । ७९१ १६२५ क्षामणेषु गुरुवाक्यानि । ३१ क्षामणा सूत्रम् । ७९२ ३२-३५ पाक्षिकक्षामणासूत्राणि । २३६-२३७५ चातुर्मासिकादी देवताकायोसर्गादि । ७९४ १६२६-२९ देवसिकादिकायोत्सर्गमानम्। ७९५ १६३०-३५, २३८४ गमनागमनादौ भुक्तादौ विहारे उद्देशादौ च कायोत्सर्गः (प्र. १-१) दुःस्वप्ने नावुत्तारादौ च कायोसर्गः । ७९७ ॥ इति कालयवनम् ॥ ॥ अथ प्रत्याख्यानाध्ययनम् ॥ | १६५२ प्रत्याख्यानप्रत्याख्यातृप्रत्याख्येयानि ~ 50~ पर्षत् कथनविधिः फलं च द्वा. राणि ८०३ २४२-२४७४ (१) प्रत्याख्याननिक्षेपाः (६) द्रव्ये राजसुतादृष्टान्तः, भावे नोश्रुते मूले सर्वदेशे इत्वरयाव - कथिके, मूलगुणाः (५) ८०५ १६५३-५८ आवकभेदाः (३२) (१४७ भङ्गाः ) ८०७ ( १.१-४प्र.) अणुव्रतभङ्गा । (१६८०८) ८०७ ३६ सम्यक्त्वालापकः सातिचारः । ( अभियोगेषु कार्त्तिक-वरुण वक- भिक्षूपास कसौराष्ट्रदृष्टान्ताः) अतिचारेषु पेयाअश्वापहृतनृपचौर दुर्गन्धिका दृष्टान्ताः ) (३६३ पाखण्डिनः ) ८११ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादि सप्तके आवश्यके ॥ १४८ ॥ ३७ ૨૮ ३९ ४० नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ ४१ - [आगम-४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - स्थूलप्राणातिपातप्रत्याख्यानं प्रतमायें | ४४ साति चारम् । कोङ्कणकसाप्तपदिकक्षेम- ४५ दृष्टान्ताः प्रतविधिश्व ) ८१८ ४६, साविचारं द्वितीयम् (कोङ्कणकमधुरावणिक्परिब्राहृष्टान्ताः ) ८२० तृतीयं सातिचारम् । ( गोष्ठीश्रावकः ) ८२२ चतुर्थ सातिचारम् । ( मात्रादिगमने दृष्टान्ताः कच्छकुलपुत्रका ) ८२३ ४७ ४८ ४९ ५० पञ्चमं सातिचारम् । ( लोभनन्दिः ) ८२५ ४२ दिग्ग्रतं साविचारम् । ८२७ उपभोगादिपरिमाणं सातिचारम् । ४३ ८२८ ८२९ | १६७० साकारप्रत्याख्यानं । ८४३ १६७१ निराकारम् । ८४४ १६७२ दत्त्यादिभिः कृतपरिमाणम् । १६७३ निरवशेषम् । | कर्मादानानि । अनर्थदण्डः साविचारः । ८३० १९-२१# सामायिके स्वरूपं शिक्षादि मे दाः सर्व पदाभगनमतिचाराश्च । ८३१ दिग्प्रतं सातिचारम् । ८३४ पौषधोपवासः साविचारः । ८३५ अतिथि संविभागः । ८३७ अणुव्रतादीनां कालः सम्यक्त्व भेदाः, प्रतिमाद्याः, संलेखनाऽविचाराः । ८३८ च, शुद्धिपतिशा, श्रद्धानज्ञानविन१६५९-६१ उत्तरगुणे अनागवातिक्रान्तादियानुभाषणानुपालनाभावाः । ८४७ (१०) प्रत्याख्यानभेदाः । ८४० २५० - २५७४ श्रद्धानादिखरूपम् । १६६२-६३ अनागतं पर्युषणादितपः । ८४१५१ नमस्कारसहितम् ८४९ | १६६४-६९ अतिक्रान्तं कोटिसहितं निय १६७४-७५ अङ्गुष्ठमुष्टयादि सकेतं पौरुष्यायद्वाप्रत्याख्यानं च । ८४५ १६७६-८१ एकविधमेकविधेनैतानि ८४६ १६८२, २४८-२४९४ भाद्धकुलानां दर्शनं दानं १६८३-८४ आहारभेदव्युत्पत्ती । ८५० (प्रथम संहनने) ८४२ १६८५-८७ सुखेन अद्धार्थ भेदाः । ~ 51~ प्रत्याख्यानाध्य. ॥ १४८ ॥ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ - [आगम -४०] मूलसूत्र - १ 'आवश्यक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - १६८८ शब्दाद्भावः प्रमाणम् । ८५१ १६८९ स्पृष्टपालितशोभिततीरितकीर्त्तितारापदानामर्थः । ८५१ १६९०-९२ आश्रवद्वारपिधानादि मोक्षावं फलम् । ५२ ५३ १६९३ ९७ प्रत्याख्याने आकाराः । ८५२ पौरुषीप्रत्याख्यानम् । एकाशनप्रत्याख्यानम् । ( विकृतौ अभिग्रहे च भेदाः ) ८५३ १६९८ विकृतौ अष्टनवाकारस्थानम् । ८५४ निर्विकृतिक प्रत्याख्यानम् । ५४ | १६९९-१७०१ आचामाम्लभेदाः कुडङ्गपञ्चकं च । १७०२ ५ विकृतिकनिर्विकृतिक विचारः । ८५७ १७०६ पारिष्ठापनिका विचारः । ८५८ १७०७-८ पारिष्ठापनिका विधिः । ८५९ १७०९-१२ शेतरयोश्चतुर्भङ्गी, प्रत्याख्यातृ प्रत्याख्यायकस्वरूपम् । ८६० | १७१३ द्रव्येऽशनादि भावेऽज्ञानादि प्रत्याख्येयम् । ८६१ १७१४ उपस्थितविनीतान्याक्षिप्तोपयुक्ताः पर्षदः । ८६२ ~ 52~ १७१५ आज्ञयाऽऽज्ञामाद्यो दृष्टान्तादितरो वाच्यः । १७१६ प्रत्याख्यानस्य फले धम्मिहदामनको दृष्टान्तो । १७१७ प्रत्याख्यानान्मोक्षः । ८६४ | १७१८-१७१९ ज्ञानक्रियानये स्थितपक्षच, चरणगुणस्थितः साधुरिति । ८६४ ॥ इति प्रत्याख्यानाध्ययनम् ॥ ॥ इत्यावश्यके वृद्ध विषयानुक्रमः ॥ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा प्रयोजन देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम SANKARACADOES ॥ ओघनियुक्तिवृद्धविषयानुक्रमः॥ क्षेत्रप्रति लेखना. सामाचार्युपक्रमेणाऽऽवश्यके सम्ब-८-१०४ वनकनकरजतलोहाकरदृष्टान्तः। ९/ व्यानि कुम्भवत् । १३ न्धयोजनारूप उपोद्धातः ॥१ ११-१२+ अल्पाक्षरमहाचतुर्भङ्गी, ओघ-६-७ एकोऽनेके, निष्कारणिका इतरेच,12 १-२ अईदादिनमस्कारः, चरणानुयोगा- ज्ञातदृष्टिवादकांसादिदृष्टवान्ताः। १० कारणिकैकत्वकथनम् । दल्पाक्षरादिनियुक्तिप्रतिज्ञा । २ |१३-१४४ प्रथमालिकावमभक्त दृष्टान्तेनौप-८ अशिवदुर्भिक्षादीनि (१०) कार-1 ओधैकार्थिकानि (४), नियुक्तिशनियुक्तिः । ११ णानि । १३. ब्दार्थः । ५ १५-१६+ अतिशयावैराग द्वादशवा नि ॥ अथ प्रतिलेखना ॥ चरणसप्ततिः । ६ गैमः। १४ करणसप्ततिः। प्रतिलेखनापिण्डोपधिप्रमाणानायतन-१७-१८+ अशिवकारिणीस्वरूपं तत्र वा-18 xex अन्यानुयोगसत्त्वात्पञ्चमी । ७ वर्जनप्रतिसेवाऽऽलोचनाविशुद्धयो । णि च। चरणधर्मगणितद्रव्येषु यथाक्रम द्वाराणि (७)। ११ १९-२२४ ग्लाने उद्वर्त्तनादिविधिः, अभि ॥१४९॥ महर्द्धिकता। ८ प्रतिलेखनैकार्थिकानि (१०) । १२ | प्रवृद्धिः, सांभोगिके निक्षेपः, वृन्द६-७४ शेषाणां चरणार्थत्वाचरणं महत् । ५ प्रतिलेखकप्रतिलेखनाप्रतिलेखित- । घाते मिन्नता, एकीभवने आलोच CREASCARSAX सुत्ताणि | [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' ~53~ Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नादि, सोममुख्यादावनन्तरविशेष- दोषाः, जागरणविधिः, प्रभातं या- ३३४ मधुसित्यपिण्डकचिक्खिल्लखरूपम् । स्थानादि । १५ वत्ससहायः, प्रामासनोपयोगः, हि- २५-२६ व्यालादिस्तेनाविप्रत्यपायाः, आका-1 २३-२७+ अवमे गोदृष्टान्तो भेदे निर्विषय मस्तेनादिभयं, नेहपयोवर्जन, था- जानाकान्तमप्रत्यपायेतरे विधिः।३०। भक्तनिषेधोपकरणजीवहरेषु, अन्त्य- पनाकुलाद्भिक्षा, अपरिणते गब्यू " ०२७-२८॥ पादलेखनिकास्वरूपम् । योर्भेदः, अमिमरादिशङ्कया राजद्वेष, तम् । २२ मालवक्षोभा, पादेन राजद्वेषः । १८१४ अस्थण्डिलसंक्रमणविधिः । (चल-२९-३४ अन्तरिक्षाप्काये विधिः, भौमेऽने२८+ काङ्गादि (५) पदभङ्गाः (६४), संडेनिर्यापणाय सूत्रार्थपृच्छायै प्रतिच-... व्याक्षिप्तानुपयुक्तभङ्गाः (८) २३ । रितुं वा भेदः। २० ! १५ पृच्छा(३)यतन(३-३-३-३-३)यो- वके चलादि (३) भङ्गाः(८), पाषाणविधिः। २४ मधुसित्ववालुकाकर्दमभेदर्जलम् । |२९.३०+ स्फिटिते मन्दगतिः औषधायः शैक्षो. १६-२२ पुरुषस्त्रीनपुंसकानि स्थविरमध्यमत-३४+ संघट्टलेपोपरिभेदास्तीरे उत्सर्गश्च। ३२ वा देवतादेशश्चेति भेदकारणानि।' रुणाः, स्वान्यधार्मिकौ, आत्मतृतीयः।। ३१-३२+ चरमायां संदेशाः, आभिप्रहिका- उत्सर्गापवादौ, पार्श्वस्थितोऽनुज्ञाप्यः, "३५-३९ संघट्टादिजलोत्तरणविधिः । भावे गणामवणं, पृच्छाविधिः, पृच्छायां पुरुषादिसंयोगाः। २९ ४०-४३ तेजोवायुवनस्पतित्रसद्वाराणि । ३३ कृतिकर्म । २१ २३-२४ पृथिवीकाये सचित्तादि (३)-४४-४६ परस्परसंयोगे यतना। ३५ |९-१३ पौरुषीकरणाकरणे, द्विरच्छायां । ष्णादि (५) शुष्कार्द्रगमनविधिः, ४७-६१ संयमादात्मनो रक्षा, न लोकेन । ORDEOSSAXCCCESC-C4-Ste सुत्ताणि ~54~ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां दखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि-18 समानता, भवमोक्षयोस्तुल्या हेतवः, ६८-७२ चैत्यसाधुग्लानवैद्यानयनविधिः। ४०/५०-६४४ ब्रजपामयोः क्षीरमहणे विघातः, मार्गे ग्लाने सप्तके यतायतयोनिर्वाणभवी, दलिकं प्राप्य ७३-७६ एकाकिालाने विधिः। ४२ । ४ ओघनि संखड्यां खीस्पर्शप्रभूतभक्षणादि, ग्रामप्रवेशे युक्तो . विधिनिषेधौ, अतिचारशयोरेक-७७-८१ संयतीविधिः। दानश्राद्धे घृतपुरुषादि, भद्रे लह- च विधि: हेतुता, न परप्रत्ययो बन्धः, शुद्धखर्थ ८२-८४ श्रावकनिमन्त्रणे ग्लानयोग्यस्य ग्रह कादि, महानिनादे निग्धादिदोषाः,18 यतना, हिंसापरिणामो न शुद्धिलिक णामहणे,पार्श्वस्थादीनां यतनया। ४४ पारिट्टिकक्षीरादिना परितलितादिना | त्यागपरिणामस्य मुक्तिः ३८३५-४१+ ग्लानप्रति जागरकादिग्रहणामहणे विधिः, प्रासुकेन पञ्चाना, देवकुलि व्याघातो ग्लानत्वादि च, तक्रौदन६२ ग्लानसज्ञिसाधर्मिकवसति स्थितिद्वा कानां खरण्ट नम्, अविशेषे निद्ववानां योर्महणं, दूरोत्थितक्षुल्लकादौ प्रवेश, राणि प्रवेशे। करणम् । ४६ कारणे दीर्घा भिक्षा, विधिनाऽऽपृच्छय प्रवेशे ऐहिकपारत्रिकगुणाः, सा४२-४६+ जिनाचार्याऽऽज्ञयोः प्राबल्यं, भो दोषवर्जनेन प्रवेशः, उद्गमादिप्ररूपणा, म्भोगिकासाम्भोगिकैकानेकसाधर्मिजिकदण्डिकदृष्टान्तौ । ४७ बहिःस्थाने दोषाः, प्रवेशे विधिः, कादिषु द्रव्यादियतना । ३९ ४७.४९४ प्रथमालिकार्य बहिर्गमनं यावद् दोषशुद्धिः, बालकाभावे विधिः, प्रवृत्तिः दर्शनं सङ्घडिआद्धा इहलोके, ग्लानवैयावृत्त्यं तदावश्यकता । ४७ शून्यगृहे विधिः, सागारिके विधिः, ॥१५० ग्लानचैत्यवादिप्रत्यनीकाः परलोके । ८५-९५ वजिकग्रामसंखडिदानश्राद्धभद्र विश्रामणा वैद्यबोधः, स्थण्डिलान्यप्रा-18 |६५-६७ स्वपक्षेण पृच्छा। विषयः मयोर्भिक्षा, न द्विगव्यूतातिक्रमः५४ सुत्ताणि ~55~ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि २६० नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनिर्युक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ९६-११६, ६५-६६+ साधर्मिके ज्ञाताज्ञात | १२४-१४३, ६८-७२xयतमानविहरद्वधाव | दृष्टादृष्टश्रुताश्रुतप्रशस्ताप्रशस्तविधिः, नाहिण्डकाः, प्रत्येकबुद्धाया निर्गताः, साधूनां वाह्याभ्यन्तरप्रत्युपेक्षणा, आचार्याद्या गच्छे, लिङ्गविहाराभ्यासंविप्रभद्रकशून्येषु वसति:, मवधावनता, गच्छगत विहरणविधिः, अमनोज्ञे निवेद्य भिन्ना वसतिः, क्षेत्राप्रत्युपेक्षणेऽनाच्छने क्षेत्रे मार्गे मनोज्ञापरिभुक्तेऽपाक्षिकस्वाध्यायागच दोषाः, शिष्यप्रतीच्छकतरुणतसंयतीवर्जिते पार्श्वस्थादिवसतौ वृद्धपृच्छाविधिः, बालवृद्धागीतार्थस्थानविधिः, अशिवादी खाने स्थितिः, वर्षासु गमने दोषाः, स्थाने दण्डकायोगिवृषभप्रेषणे दोषाः, कारणे चार्य सामाचार्यों, एकाकिन उपसंविधिः । ६६ हारः । ६० १४४-१७५, ७३ ७८गमने उच्चारभूम्यादिप्रत्युपेक्षणं, सूत्रार्थी करणं, क्षेत्रत्रिभागादिविधिः, गुर्वार्थ खिग्धादि, स्थण्डिलादिप्रत्युपेक्षणा, शय्यात रानुज्ञा, वृषभकल्पनया वसतिः, द्रव्या ११७-१२३, ६७+ सागरमीनवत्त्याजिताः, चक्रस्तूपाद्यर्थमनुपदिष्टा ऽगीतार्थाः, गीतार्थतन्निश्रा बिहारौ, अन्यस्त्र विराधना ६० ~ 56~ धनुज्ञापना, साधुमानकाळाकथनं, संकीर्णे प्राचूर्णके आगते विधिः, अन्यपथे नागमनं गुरोरालोचनं, कथनविधिः, मतग्रहणं, आचार्यप्रामाण्यं दुष्टाश्ववन्मध्यबलाः साधवः, तरुणातुर्ये, स्थविराचा अनुकूले, पञ्चकैर्वलं, शय्यातराऽऽपृच्छा, अपृच्छायां नियमकथने च दोषाः, ज्ञापनविधिः, ७३ १७६-२१०, ७९-९४४ विण्टिका, प्रशस्ततिथ्यादी मध्याह्ने प्रागू वृषभप्रेषणं, शकुनाः, शय्यातराळापनं, उपकरनवहनविधिः, अच्छाययत्राद्यधिकरणं, पश्चान्मुकेन सङ्केतः, खपना Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखीए नन्यादि सप्तके श्रीओषनि युक्ता . दीप ॥१५१॥ क्रमांक A के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम पुपघातः, गच्छगमनविधिः, स्थण्डि- पिः, साधर्मिकविधिः, बालोचनापूर्व। स्थापनाकुलदर्शनं, भिक्षाचैत्यविधिः, विहारलदर्शनम् , उद्वसिताविना स्थान । मण्डली, दिनत्रयं प्राघूर्णकाः । ८८ गृहचैत्यवन्दनायाचार्यगमनं, त्रिस्था- विधिः वार्थ रेखा, अभ्यासे गमनागमनं, २१७-२३६संकीर्णविस्तीर्णवसयोरावश्यक्या न्यां दानकुळकथनं, स्थापनादि-18 भिक्षाविवसतिमहणे प्रवेशः, व्याघाते | धिकरणादिका दोषाः, प्रमाणयुतायां . कुलानि, तत्कथनविधिः, गीतार्थ- विश्व मार्गणा प्रवेशविधिः, भुक्त्वा प्रवेशे प्रवेशा, अन्यथा कदर्यनद्रव्यक्षयोसंस्तारकविधिः, निर्गमनविधिः, क्षुदोषाः, विकाले प्रवेशे मार्गणे । द्रमाशुद्धिः, कार्यनाशाचार्याविहान्यो ल्लिकायां यतना विस्तीर्णायां च । ९२ संस्तारे उच्चारादौ च दोषाः, अपवा जडादिदृष्टान्तेन । ९७ दृश्च, रात्रौ प्रवेशविधिः, संस्तारक- २३७-२३९ क्षेत्रप्राप्तानां यतना, उद्याने २४०-१३३-१४५४ वैय्यावृत्त्यकरलक्षणविधिः, निर्गमन विधिः, वसतिप्र- स्थानं, मनलसादि, आद्धकुले द्रव्यप्रमाणावेशः, अप्रावृते विधिः। ८४ विज्ञानं, अनेकप्रवेशे पञ्चदश, यहि१०४-१३२४ प्रविशवां शकुनाः, स्पर्द्धकेन हिण्डनेऽगारी दृष्टान्तः, कुजबदरी२११-२१६, ९५-१०३x विहृताविहृतौ प्रा प्रवेशः, उत्तिष्ठति धर्मकथी, शय्या- दृष्टान्तः प्राघूर्णकदाने। १०० । मयोः, अवसन्ने पञ्चदश, संविनाथ- तरालापः, अन्यथा दोषाः, आचार्य-२४१-२५६,१४६-१५०x आपृच्छ्यान्यत-1 नुज्ञा, पृथगवसतो विधिः, अविडते धर्मकथा, संस्तारकविभागः, उच्चार- दन्यप्रामगमनं, अन्यथा स्तेसाधुरहिते विधिः, लाभे निवेदनवि- - भूम्यादिकथनं, अभक्के नामङ्गलं, नादेशादिदोषाः, चैत्याधर्य गते सूरी ॥१५१ सुत्ताणि AGRA ~57~ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक 64G यहां देखीए दीप S क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम तन्नियुक्तः पूर्वनियुक्तो वा पृच्छयः, द्रव्याप्रत्युपेक्षणायां दण्डा, किं कय- थानन्ता अतः, अप्रतिलेखनायां न | विस्मृतौ कायिक्युचारद्ववादिनिर्गतः मित्यादि भावप्रत्युपेक्षणा । १०६ सर्वाऽऽराधना, जितेन्द्रियो गुप्तस्तपोशय्यातरादिना वा संदिशेत्, दूरोत्थि- २६४-२८१, १५१-१७३४ प्रत्युपेक्षणीये नियमसंयमवानाराधकः, जितेन्द्रितादिदोषपरिहारः, स्थिताः प्रान्तप्राय त्रिधास्थानं, उच्चारादि कृत्वा कायो- यत्वादीनां विवरणं, प्रेक्षोत्प्रेक्षापरिभुजते, चिरे प्रतिचरणं, एकः पथा त्सर्गः, न सूरिपार्थाप्रपृष्ठादौ भारा- छापनसंयमाः, स्वाध्यायः । ११४ द्वावुन्मागें, शब्दं कुर्वन्तश्चिहं कृत्वा, दिदोषात् , संडासादि प्रमृज्य निघ- २८२-२९६, १७४-१७७+ निश्चयव्यवहावार्तालभे बोलः, एवमुद्रमाविपरि- दन, विनाऽध्वादि न दिवाशयनं, नि- राभ्यां पौरुषी, तबृद्धिहानी, अवहारः, पुरुषाद्यपेक्ष्याचार्यवैयावृत्त्ये रीक्ष्य प्रमृज्य चोपकरणादानं, मुख- मात्राः, प्रतिलेखनाकालः, पात्रविशेषः, प्रथमालिका भक्तपानमह- वत्रिकादिप्रतिलेखनाविधिः, वस्रो- प्रत्युपेक्षणविधिः, मूषकोत्केरादिविधिः, प्रथमालिकाविधिः, पुनर- र्वादि अनलितादि, अनारभटादि, विधिः, पात्रस्थापना, वर्षावबद्धं, हिण्डनमपि । १०५ ऊनरिक्तविपर्यासभङ्गाः, अरुणोदया- ऋतुबद्धेऽवन्धने दोषाः । ११९ २५७-२६३ संसक्ते केवलिनः, संसक्तासंस- धनादेशाः, पुरुषोपध्योरविपर्यासः, २९७-३०९ आपातसंलोकभङ्गा, स्वपक्ष तयोश्छद्मस्थानां, समुद्धातोऽपि भा- कथादौ पटकायविराधना, अन्यो- परपक्षसंयतसंयतीसंविनासंविघ्नवप्रतिलेखना, आरक्षकदृष्टान्तेन | ऽन्यायाधयाऽसपनो योगः, मुक्ता- मनोसामनोज्ञतत्पाक्षिकान्यपाक्षिक सुत्ताणि SAGE ~58~ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां नन्यादिश्रीओपनि सप्तक प्रतिलेखना पिंडच. दखाए दीप ॥१५२॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम मनुष्यतिर्यपुंस्त्रीनपुंसकदण्डिकको-1 विधिः, अवमयाच्या, उपकरणस्थाटुम्बिकप्राकृतिकशौचाशौचदृप्ता- पनस्थानं, अमनोज्ञादिध्वपवादः । हसजघन्यमध्यमोत्कृष्टजुगुप्सिताजु १२६ गुप्सितविचारा, अधिकरण, शैक्षा- ३२३-३२५,१८६-१८७+हष्टस्य नावष्ठम्भः, न्यथाभावः, परिभवसङ्केतो, अल्प- कुनध्वादिविराधना, यूकादिमर्दनं द्रवादि, आहननादिदोषाः, तथा सं कल्पते ग्लानस्य । १२६ लोके, अनापावासंलोकः शुद्धः।१२१ ३२६-३३०,१८८-१९१४ युगदृष्ट्या गमनं ३१०-३२२, १७८-१८५+ तृतीयायां का नोर्ध्वमुखादित्वेन, संयमात्मविराधने सजा, आपृच्छापानकादि, पात्र पात्रभेदे उडाहादि, प्रतिलेखनाविधरणगमनडगलमहणानि, अनापाता ध्युपसंहारः । १२८ संलोकादि (१०) भनाः (१०२४), ॥ इति प्रतिलेखनाद्वाराणि ॥ आत्मप्रवचनसंयमोपघाताः, स- ॥ अथ पिण्डद्वारम् ॥ माऽचिरकालतविस्तीर्णासन्नाबिल- ३३१-३७१ पिण्डगवेषणमहणमासैषणकथनव्याख्यान, दिपवनसूर्यच्छायादि-1 प्रतिज्ञा, पिण्डनिक्षेपाः (४-६) द्रव्येऽचित्तः (१०) सचित्तमिश्री (९-९) पृथिव्यप्कायाद्याः (१०) निश्चयव्यवहारसचित्तौ, क्षीरदुमादेष एकादिपौरुषी मिश्रा, शीतोष्णादिनाऽचित्तः, लूतादौ स्थानादौ च प्रयोजनं, अप्काये घनोदव्यादयो निश्चयेन, कूषादौ व्यवहारेण, बुदुदाचादेशान् मुक्त्वाऽबहुप्रसन्नमनुद्वृत्वं पतिवमानं च, शीतोष्णादिना:चिचं, परिपेकपानादि प्रयोजनं, ऋतुबढे धावने दोषाः, वर्षाखधावनं, वनधावनविधिः, नीनोदकमणविधिः, धावने गुर्वादिक्रमा, आच्छोटनादिवर्जनं छायातपयोः शो 44 सुत्ताणि GRLSSSS ~59~ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनिर्युक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) पण, कल्याणकप्रायश्चित्तं, अनि | काये इष्टापाकादौ निश्रयेन, अङ्गारादौ व्यवहारेण सचित्तः, मुर्मु प्रयोजनं, वायुकाये घनवातादौ निश्च येन, प्राच्यादौ व्यवहारेण सचिचः, आक्रान्तादिकोऽचिचः, अचित्तस्य सचितीभवने क्षेत्रकालमानं, अचिचेन महानादेः प्रयोजनम्, वनश्प विकायेऽनन्तकायो निश्रयेन, शेषो व्यवहारेण प्रम्लानफलादिर्मिथः, संस्तारकपात्रायचित्तेन प्रयोजनं, अक्षशङ्खादि-उद्देहिकादि-मक्षिकापुरीषादिना विकलेन्द्रियप्रयोजनं, चर्मा रादौ मिश्रः, ओदनव्यखनाथचिचेन ३७२-४१०, १९२- २११ + लेपे नवानवसंयोग:, नार्वाकालिको लेपः, लेपे आत्मादिविराधना, न यवनायां अलेपे ताः, लबणे पाने रोहादी संयमस्त्र, पात्रदेशनाद्वेपोऽपि दिष्टः, गत्वा लेपः, दस्ते शोषः, शय्यावरलेपः, प्रसुपृच्छा, लेपप्राणं, षट्काययतनेति पूर्वपक्षः सर्वेषां परिहारः, जीर्णानां दर्शयित्वा लेपः, पूर्वाद्दे करवेच्छाकारं ग्रहणविधिः, न शव्यावरपिण्डः, न नृपतेः पृच्छा, स्थ्यादिना तिरधि, प्रत्राजनादिना | मनुष्ये क्षपकादिकालादिना देवे प्रयोजनम् । १३५ ~60~ हरितप्रतिठितादौ न महणं, बत्सवादन, आगम्या लोचनं, लेपविधि:वैयावृत्त्यविधिः, लिप्ते तापनधाव, नादिविधिः, अकार्ये लेपादित्यागः, शिशिरप्रीष्म यो ः स्थापनकालः, अभीक्ष्णमुपयोगः, लेपसख्या, लेपबन्धप्रकाराः, पिण्डैकार्यिकानि (१२), भावेऽप्रशस्ते द्विविधादि, प्रशस्ते त्रिविधः । १४७ ४११-४५८, २१२+२३९ + एषणानिक्षेपाः (४) गवेषणायां प्रमाणकालाव श्यकसंघाटकोपकरणमात्रककायोत्सयस्ययोगाः सप्रतिपक्षाः, कालवारे, काले प्रथमपौरुष्यर्द्धात् प्राग् भ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्यादि सप्तके श्री ओपनि र्युक्तौ. ।। १५३ ।। नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनिर्युक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) द्रप्रान्तादिदोषाः स्फिटिते उद्गमायाः, 'आवश्यकाशुद्धौ उड़ाह, स्फेटनादि, एकाकिनः स्त्रीश्वप्रत्यनीकभिक्षाऽविशुद्धिमहात्रतदोषाः, गर्वितकथित्वादीन्ये काकित्वकारणानि, जघन्यत आचारभाण्डकं मात्रकं च गृहीत्वा गमनं, आपृच्छादीनि (४), आचार्यमनेकशो भिक्षा, समनोशादिस्थाने व्युत्सर्जनं, गर्वितादो प्रज्ञापना, प्रियधर्मण्यनुज्ञा, रूयादिदोषे यतना, उपकरणादिष्वपवादः, मात्र कामहणे दोषाः, त्वरितादावप्रहणं, कायोत्सर्गाकरणेनाभा "नादि, सुविहितालये गमनं, अवसन्ने छोभः, ग्लानस्थापनाकुलयोः पृच्छा, द दर्शनेऽन्यादिदोषाः, प्रतिकुष्ठचिह्नानि, स्थापनाकुलेखप्रवेशः, जुगुप्सितपिण्डादौ दुर्लभा । बोधिः प्रब्राजनवसतिभक्तपानेषु प्रतिकुष्ठाः, प्रवचनानपेक्षस्यानन्तः संसारः, एषणानेषणयोरज्ञाने जिनमवाशता, गच्छेऽपि पार्श्वस्थता, द्रव्यभावगवेषणे कनकपृष्ठ मृगस्तिदृष्टान्त भावे च धर्मरुचिवजखामिनौ । १६० व्यं खमाने स्मृतिकाले, परप्रामे ४५९-५०९, २४०-२६१+ द्रव्यमहणैषणे पूर्ववत्पृच्छा, देशकाले पात्रप्रमार्ज-/ बानरयूथदृष्टान्तः, भावप्रहणैषणे ~61~ लेपः एपणा च. आत्मप्रवचनसंयमोपघातपरिहारः, गवादिभिरात्मनि पृथिव्यादिसंघट्टनादिभिः संयमे, उच्चारस्थानादिभिः प्रवचने, अव्यक्ताप्रभुथविरपण्डकमतक्षिप्तचित्तदृप्त पक्षाविष्टत्वगूदो'पगुर्विणी चालवत्साकण्डयन्तीषिती भर्जयन्तीकर्त्तयन्तीपि जयन्तीभयो न प्राझा, प्रहणे दोषाश्च, अव्यक्ते भद्रिका, केषुचिद्रहणविधिश्व, 'दायकस्य गमने विधिः, नीचद्वारादावणं, स्थविरा अष्टावप्युपयो॥ १५३ ॥ गेन गृहन्ती, उपयोगविधिः, आगमनविधिः, दातृपात्रावेक्षणे वणि- x गुजायागोवत्सकदृष्टान्तः, सनि Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत * सूत्राक * यहां देखीए * * दीप * ग्वाविपात्रवर्जन, पतितपिण्डनिरूपणं, विधिः, प्रतिसेवनाऽऽलोचनाविकट-1 अन्यथा विराधना, गुरुद्रव्यपिधान- नाचतुर्भङ्गी, व्याक्षिप्तपराङ्मुखादेचतुर्भङ्गी, महास्थाल्यादिनाऽग्रहणं, लोचनं, नृत्यबलच्चलाविवर्जन, प्रीष्महेमन्तवर्षाखीपुंनपुंसकतरुणम- ओघालोचना, सप्रतिमहशीर्षप्रमार्जध्यस्थविराणामुदकाादौ शोषभागाः, ना भक्तदर्शनविधिः, दूरालोचनकाप्रशस्ताप्रशस्तभावयोधातृजाया- | योत्सर्गः, स्वाध्यायप्रस्थापना, मण्डष्टान्ती, लोकोत्तरे वर्णाद्यर्थमप्रशस्तः, ल्युपजीवीवरे, प्राघूर्णकादिनिमन्त्रणं, आचार्याधय प्रशस्तः, समुदान- अग्रहणेऽपि निर्जरा, एकस्य निन्दाशुद्धिः, प्रामकालभाजनपर्याप्तौ निवृ पूजयोः सर्वेषां ते, वैयावृत्त्यस्याप्रति- - तिः, भूमित्रिकेक्षणे परमावगाहे पातिवं, भरतादिदृष्टान्तेन बहु- जघन्योत्कृष्टौ कालौ । १७४ लाभः। १८० ५१०-५३९, २६२-२७४+ पादप्रमार्जनं ५४०-६२६,२७५-३०८+ द्रव्यप्रासैषणायां नषेधिकीत्रयं वाग्नमस्कारः, प्रमृज्य मत्स्यदृष्टान्तः, भावेऽनुशास्तिः, आयष्टिभाजनववस्थापना, कायोत्सर्ग- गढयोगिनिडाऽऽत्मार्थिकप्राघूर्णक क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम -शैक्षकसप्रायश्चित्तवालवृद्धकुष्यायाः पृथग्भोजिनः, द्रव्ये आलोको दीपादिः, भावे स्थानादिः (७), मण्डलीनिष्कमणप्रवेशसागारिकस्थानानि वर्जयित्वा, गुरोरीशानानेयकोणयोः प्रकाशे प्रकाशमुखभाजने कुकुट्यण्डकमात्रकवलेन गुरुदृष्टी झानाधथै भुके, मण्डलीकारणानि, वसतिपालकार्य, अच्छद्रवप्रहणं, गालन, भाचारापर्थ सुखाचमनाय, अच्छद्रवपात्रमानं, द्रवसत्त्वविधिः, प्रतीक्षा, असहिष्णौ विधिः, मण्डलीस्थविरखरूपं, पूर्वोक्तानि स्थानादीनि, रत्नाधिकः पूर्वमुखः, क्षपकादीनां सागा * * * सुत्ताणि * ~62~ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखाए नन्यादि सप्तके श्रीओपनि युक्ती . ॥१५४॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम CREAccानन्य रिकरक्षा, मल्लकग्रहणभोजनविधिः, बाघभियोगे, छाराक्रमेण परिष्ठापन, ६३३-६३५ उच्चारादि (२४) काल (३)-18 मंडलीयथाकृतानि पूर्व, स्निग्धमधुराणि, योगविद्यामधेषु दृष्टान्ताः, आचा- भूमिप्रतिलेखना। संध्याकटकातरच्छेदौ, सिंहखादित, धू- यांद्यर्थमधिकग्रहणं, तरुणाद्याचार्यों ६३६-६३८ निर्व्याघाते सर्वे, पादादिकथा-18 विधिः माङ्गारवर्जनं, सुरसुरादिवर्जनं, भो- मण्डलीभोजी, सूत्राथस्थिरीकरणादि, व्याघाते गुरुं विना, सूत्रार्थस्मरणाय जन, सारासारता, स्लैन्यनिर्जरे,ससा- द्रव्याधैराचार्ययोग्य, ग्लानाधर्थ बहु कायोत्सर्गकुर्वते,बालादिरुपविष्टः।२०० रोपवेशनोत्थाने, पात्रकभ्रमणविधिः, भिर्याचनं, अजातायां पुश्चत्रयं, ६३९-६६६ त्रिस्तुत्वनन्तरं कालपणं, घर शालायां कथायां वा व्याधावः, तृतीधूमाझारखरूपं, यात्रामात्रार्थमा- पुखकरणकारणं, अनापावादिस्थ याय निवेदनं, कालग्रहणविधिः, हारः, हिताचाहाराः अरोगिणः, ण्डिलचतुर्क, अशक्तस्य साझादौ, तद्वपापाताः, गण्डकोपमाः, कालवेदनादीन्याहारकारणानि, आतङ्का- तत्र न्यायश्च । १८९ इतिपिण्डः सन्ध्ययोः समता, कालमाहिगुणाः, दीन्यनाहारकारणानि, आहारस्याप-६२७-६३२ चरमपौरुष्या स्वाध्यायः, भक्ता- शङ्कायां विधिः, खाध्याये मरूकदृष्टावादता, पात्रसंलेखनविधिः, उद्धृत- भक्तार्थिनो मुखानन्तकसकायगुर्वन- न्तः, स्वगणे त्रयाणां शङ्किते घावः, भोजनविधिः, परिष्ठापनविधिः, शनग्लानशैक्षोपधिप्रतिलेखना, अभ- प्रादोषिके समकं खाध्यायः, कनकजाताजाते, एकान्तानापासादौ एक- कार्थिनश्चरमः पट्टः परस्य पट्टकमात्र- खारकोल्का व्याघात, वृषभादीनां शपुजेन, लोभे पुखद्वयेन, विद्याम- कादि, पुनः स्वाध्यायादि । १९९/- यनयामाः,ऋतौ चतुर्यु चतस्रो दिशः, ॥१५४ सुत्ताणि ~63~ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' RSS GURURURUR RES नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनिर्युक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - 3 अष्टेsपि तारके प्राभातिकः स्थिते । ६७५-६७९, ३१३-३२०+ आर्यिकाणां प- | संख्या, प्रमाणं प्रयोजनं च । २१३ विंशतिरूपकरणानि तत्स्वरूपं, उ- ७०४-७०५ रजस्राणप्रमाणप्रयोजने । कृष्टः ८ मध्यमः १३ जघन्यः ४ ७०६-७०७ कल्पानां प्रमाणप्रयोजने । २१३ जिनकल्पिनामेकं पात्रं, स्थविराणां ७०८-७११, ३२२+ रजोहरणस्त्र स्वरूपं मात्रकद्वितीयम् । २१० प्रमाणं किं मयत्वं प्रयोजनं च । २१४ ७१२-७१३ मुखवत्रिकायाः प्रमाणं प्रयोजनं च । २१४ नापि कालमहणं, कालमहणदिक जागरणशयनविधेरतिदेशः। २०७ ॥ इति कालग्रहणविधिः ॥ ॥ अथोपधिनिरूपणम् ॥ ६६७ उपध्ये कार्थिकानि (८) ६६८ औधिकीपमहिको, गणनातः प्रमाण ६८० २०७ तय । ६८१ ६८४ पात्रकप्रमाणम् । २०८ ३२१+ वैयावृत्त्यकरस्य २१० ६८५ नन्दीभाजनं तत्प्रयोजनं च । ६६९-६७२ स्थविरकल्पिकानां चतुर्दश, जि- ६८६-६९१ पात्रलक्षणापलक्षणानि । २११ नकल्पिकानां द्वादश, आर्याणां पञ्च- ६९२-६९३ पात्रप्रयोजनं पट्टायरक्षादि ग्लाविंशतिः, ऊर्ध्वमौपग्रहिकः । नादि च । ६७३ जिनकल्पिकानां जघन्यमध्यमोत्कृष्ट ६९४-६९७ पात्र बन्धकस्थापनकगोच्छकप्रत्युपधिः । पेक्षणिकानां प्रमाणानि प्रयोजनं च । ७२६ २१२ ७२७ | ६९८-७०३ पटानां खरूपं, कालविशेषेण ७२८ ६७४ स्थविरकल्पिकानां मध्यमः । (जघन्योत्कृष्टावपि ) ~64~ ७१४-७२१ मात्रकस्य द्विधा प्रमाणं प्रयोजनं, अनुज्ञाहेतुः, वत्र महणे विधिः। २१६ ७२२- ७२३ पोलपट्टकस्य प्रमाणं प्रयोजनं च । ७२४ ७२५ संखारकोत्तर पट्टयोः प्रमाणं प्रयोजनं च । २१७ रजोहरणाभ्यन्तरनिषद्याप्रमाणम् । वर्षासु वर्षाकल्पादिर्द्विगुगः । यथाकृते न सन्धनाच्छेदौ । Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगम-४१/१] मूलसूत्र-२/१ 'ओघनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां सप्तके उपधिः आयतनं शुद्धिव देखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि-18|७२९-७३० चर्मचर्मकोशकादीनि औपम- ॥अथानायतनवर्जनम् ॥ , मिन्नवर्गेऽष्टकर्णा, सिद्धावहिके गुरोः, प्रत्येक दण्डययो। २१८७६४-७८२ अनायतनस्कार्थिकानि (४) सानाऽपि, तदेकार्थिकानि (८)। श्रीजोधनि- ७३१-७४१ यष्ट्यादिः (५), यष्टया लक्षण, स्वरूपं, ततो हानिः, भावुकाभावु- ॥ इत्यालोचना ॥ युक्ती . तत्फलं, प्रयोजनं च। २१९ | ७४२-७४७उपकारकमुपकरणं वद्धारणरीतिः। कस्वरूपम् । २२४ ॥ अथ विशुद्धिद्वारम् ॥ ॥ १५५॥ ७४८-७५४ प्रयोगेनानवयस्य न बन्धः,शान्य-७८३-७८६ आयतने जिनगृहादि द्रव्ये, भावे ७९३-८०९ वैयदृष्टान्तेन जानतोऽपि गुरु-14 ज्ञानिप्रमत्तानां हिंसासु विशेषः।२२० ज्ञानादि, साधर्मि कादिस्थानमायतनं, पार्धे शुद्धिः, अज्ञानाविना प्रति७५५ आत्मैव हिंसाहिंसे, अप्रमत्तोऽहिं- तत्सेवाफलं च। २२४ सेवा, बालबदालोचना, दुर्लभवो-| सका, पर इतरः। २२१ । ॥ इत्यनायतनवर्जनम् ॥ ध्यनन्तसंसारित्वहेतुः शल्यं, नि:७५६-७५९ परिणामविशेषात् हिंसाविशेषः, ॥ अन्यभावा मनोऽमनोरक्तादेः। । ॥ अथ प्रतिसेवनाद्वारम् ॥ शल्यस्यासन्ना मुक्तिः । २२७ । ७६०.७६३ यतनायां विराधना निर्जराफला.७८७-७८९ मूले (६) उत्तरे (३) च प्रति- ॥इति विशुद्धिद्वारम् ॥ निश्चये परिणामः प्रमाण, बाह्यकरणा- सेवना, तदेकार्थिकानि (८) २२५८१०-८१२ सामाचार्या उपसंहारः फलं लसाश्चरणघातकाः, विधिमानाय- ॥ इति प्रतिसेवना॥ मानं च। तनम् । २२२ ॥अथालोचनाद्वारम् ॥ ॥ इत्योपनियुक्तिवृहद्विषयानुक्रमः ॥ इत्युपधिनिरूपम् ॥ ७९०-७९२ दुःखक्षयाथै विशुद्धिः, चतुष्क-/ CARRAKAASCARRIER १५५ सुत्ताणि ~65~ Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां ॥ अथ दशवैकालिकबृहद्विषयानुक्रमः॥ देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम 30590 मालोपोद्घातौ सिद्धनमस्कारेण ११-१२ कालनिक्षेपा(९) विकाले निढमिति: च, प्रथमाध्ययने द्वारचतुष्क, धर्ममंगलं, नियुक्तिप्रतिज्ञा च। दशकालिकम् १ प्रशंसाऽधिकारः मङ्गलत्रिकं मंगलनिक्षेपश्च । २ १३ येन यं यदादीनि (५) द्वाराणि १०२७-३३ ओषेऽध्ययनानि नामाधाः, भावे श्रुतज्ञानेऽनुयोगः३ १४ जिनप्रतिमादर्शनबुद्धशव्यंभवनम- | अध्ययनाक्षीणायक्षपणाव्याख्या १६ (४) अपृथक्त्वे ४ स्कारः (शव्यंभवकथा ) १२ ३४-३६ छमपुष्पयोनिक्षेपाः (४) एकाधिनिक्षेपैकार्या (४) दीनि (११) १५ मणकायोद्धृतम् । कानि (६) च १७ कल्पवर्णितगुणस्यानुयोगयोग्यता ६ १६-१८ आत्मकर्मसत्यप्रत्याख्यानप्रवावपूर्व-३७, हुमपुष्पिकैकार्थिकानि (१४) १९ दशकाळभुतस्कन्धाध्ययनोदेशनि- भ्यो गणिपिटकायनाडोबारः१३ (नवणिग्दृष्टान्तः) क्षेपाः १९-२३ दश अध्ययननामानि तदर्थाधिकाराः १ देवनमनीयधर्मस्वरूपं, उद्देशादीनि, एककनिक्षेपाः ७ १५ व्याख्यालझणं च २० दशकनिक्षेपाः (६) २४ चूडाद्वयार्थाधिकार: ३८ पृच्छापुच्छयोः कथनम् २१ बाल्याद्या दश दशाः८ २५-२६ पिण्डार्थोपसंहारः प्रत्येककथनप्रतिज्ञा ३९-४३ धर्मनिक्षेपाः (४) द्रव्येऽस्तिकायप्र सुत्ताणि [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' ~66~ Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक R दखाए नन्यादि सप्तके श्रीदशवेकालिके. ॥१५६॥ दुमपुष्पिकायां आहरणाधिकार दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ANSAR चारधर्माः, भावे पर्यवाः, गम्यपशु-५३ चरितकल्पितयोः आहरणतदेशव- शिवो वा दृष्टान्तः, द्रव्यानुयोगे। देशराज्यादि (९), कुतीर्थिकः सा- दोषोपन्यासाः सव्यभिचारे विशेषणम् ४४ वद्यः, लोकोत्तरे (२) २३ ५ ४-५६ अपायोपायस्थापनाप्रत्युपन्नविनाशा, ६९-७२ प्रत्युत्पन्नविनाशे गान्धर्वोदाहरणं शि-Ix द्रव्यभावमङ्गले २४ म्यापाये भ्रातरौ क्षेत्रापाये दशाई- ध्यरागनिषेधः शून्यवादिवचनास्तिअहिंसाभाः (४) वर्ग: काले द्वैपायनः भावे मण्डू कि- वा, जीवसिद्धौ जीवाभाववचनं ४६ संयमभेदाः (१७) २५ काक्षपक: ३९ ७३-८० वद्देशाहरणे अनुशास्तिः (३) सुभ-14 प्रथिव्यादिसंयमभेदाः ४५७-५८ द्रव्यायपायानामुपयोगः क्रिया द्रा गुणोत्कीर्तने, आत्मनः कर्तृत्वं, उपालम्भे (मृगावती) नास्तीति कुवि-15 बाह्यं तपः (६)२९ ५९-६० द्रव्यानुयोगे जीवस्य नित्यानित्यत्वे४० अभ्यन्तरं तपः (६) ३२ ज्ञान, पृच्छायाँ ( कोणिका), निजिनवचने मोत्रपेक्षया हेतु: धर्मे ३३ .६१-६२ उपायचातुर्विध्यं (अभयोक्का वृद्ध- आयां गौतमखामी (कुविज्ञानपरोकुमारीकथा) ४२ क्षतायां च दानाद्यफलता) ५२ पंचदशावयवे वाक्ये ३३ ६३-६५ अप्रत्यक्षस्यात्मनः सुखादेपोह्यता द्र-८१-८२ तदोषाहरणे अधर्मयुक्त (नलदाम) चरितकल्पितोदाहरणयोश्चातुर्विध्यं, व्यकालभावसंक्रमैर्वा ४३ प्रतिलोमे (अभयगोविन्दवाचको) हेतुश्च चतुर्धा ३३ . ६६ - वैर्वा परिणामसाधनं च आत्मोपन्यासे (पिङ्गलः) दुरुपनीते दृष्टान्तकार्थिकानि (५) ३४ ६७-६८ स्थापनाकर्मणि उष्ट्रलिण्डकं हिंगु- (मिक्षुकः) ५३ |४८ सुत्ताणि ~67~ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप ८४-८६ उपन्यासाहरणे तद्वस्तुनि (अपूर्व-९९-११७ अन्नग्रहणात् मुनेरारम्भः, सृणा- कर्मगत्या सर्वे (अनाकाशाः) विहा साधका) वदम्यवस्तुनि अन्यत्वे विभ्यः वर्षा विवत , आदित्यात् पृष्टिः, योगतिः (वक्राः) चलनगतिः (संसाएकत्वे प्रतिनिमे (लक्षधारण) हेती किं दुर्भिक्षनिर्घातौ? ऋतौ च, न भ्रम- रिणः) संज्ञायां पक्षिणः ७१ यवक्रयः)५७ "रेभ्यो द्रुमपुष्पन,भ्रमरयुक्तो छमः न, ४-५४१२४-१२५ एषणात्रिकं अदत्तादान८७-८९ हेतौ यापके (उष्ट्रलिंडानि) स्थापके कर्मणः, अभ्रमरा अपि दुमा प्रकृत्या त्यागश्च, उपसंहारशुद्धिः अनुपघातः (लोकमध्य) व्यंसके (शकटतित्तिरिः) अस्तौ पुष्पनं, न श्रमणाचे पाका, का- यथाकृतमहणं अनिश्रितादानं नानालूषके (मोदकः) ६२ न्तारादौ रात्रौ च पाकात्, श्रमणा- पिण्डाः साधवः ७२ |९०-९२ प्रतिज्ञा हेतुर्दृष्टान्त उपनयो निगमनं हेतुतः, अश्रमणे पाकः प्रकृत्या, तत्र १२६-१३७ असंयताः श्रमणाः न, देशोपमच धर्मे ६३ श्रमणानां एषणा नवकोट्यादिशुद्धस्य त्वात् ७४ हुमवत् नागराः, भ्रमर|९३-९६ अत्रैव प्रतिज्ञातद्विशुद्धी हेतुतदिशुद्धी. सिद्धिरुपसंहारच ६८ वत् मुनयः, स्वभावसिद्धमन्वेष|१-४+ एटान्तवद्विशुद्धी ६४ ३ शृंगवत् पषणारताः श्रमणाः यन्ति, भ्रमरवत् अवधजीविनः, |२* भ्रमरवद् गोचरी ६४ १ २४-२२३ द्रव्ये विहङ्गमः कर्म, भावे ईर्याविषु यताः, उपनयनोपसंहार९७-९८ अमर थाहरणदेश, अनियरवृत्तिबा गुणसंकावन्ती गुणसिद्ध्या लोको विशुद्धी, दयादिगुणैः साधित-] विहङ्गमा, भावगत्या अस्तिकायाः खात् धर्म उत्कृष्टं माल, वीर्या SARITAGEकवक क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~68~ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादि अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड. उत्त. ॥ १५७ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) वरीया अबुद्धयतनाः, उगमादिभो । १५५-१५९-१ प्र. अमणस्वरूपं, उरगविषाजिनोऽगुप्ताः, योगेन्द्रियदमात् साचुपमाः ८४ १६० १६१ श्रमणैकार्थिकानि (११) (२०) पूर्वनिक्षेपाः (१३) ८५ कामममः संकल्पवशः धवः साधकाः ८० १३८-१४९ दशावयवाः (प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा विशुद्धादयः प्रतिज्ञा तद्विषयविभागः हेतुः तद्विषयविभागः साध्यादिवि- ६* पर्ययः तन्निषेधः दृष्टान्तस्तदाशङ्का- १६२-१६७ कामनिक्षेपाः (४) द्रव्ये उदयप्रतिषेधी निश्चयः) कराः, अप्रशस्तेच्छा, धर्मोत्क्रामकस्वात् कामत्वं, कामानां रोगलं, भावे इच्छामदनी ८३ १६८-१७९ पदनिक्षेपाः (४) द्रव्ये आकु• ट्टिकायाः (११) भावेऽपरावेतरे, अन्त्ये मातृकानोमातृके, अन्त्ये प्रथितप्रकीर्णके चतुरनेकप्रकारे, गद्यपद्यगेय चौर्णखरूपं, इन्द्रियादी १५० ज्ञानक्रियानये ८० १५१-१५३ नायंमीत्यावृत्त्या द्वयोः, सिद्धा न्वपक्षः, उपसंहारः ८२ ॥ इति द्रुमपुष्पिकाध्य० १ ॥ ॥ अथ श्रामण्यपूर्वि काध्य० ॥ १५४ अंमणनिक्षेपाः (४) पूर्वनिक्षेपाः (१३) ८३. ~69~ न्यपराधे (लटान्तः) शीलानरक्षार्थ तद्वर्जनं, अष्टादश सहस्रशी लाङ्गानि ९९ ७-९* अच्छन्दा न त्यागिनः (सुबन्धुरष्टान्तः ) स्वाधीनत्यागे त्यागः (काठहारकदृष्टान्तः) न सा मे नाहं तस्याः भिन्नघटदासीजायार्थदृष्टान्तौ) ९५ १०-१२# आतापनाद्युपदेशः, वान्तापानं, वान्तेच्छायां मरणं श्रेयः ९६ १३-१६* राजीमत्युपदेशः, उपसंहार (नुपूपण्डिताख्यानं ) ९९ ॥ इति श्रामण्यपूर्विकाध्य० २ ॥ ॥ अथ क्षुल्लिकाचारकथा || १८०-१८९ क्षुल्लकनिक्षेपाः (८) आचारनिक्षेपाः, द्रव्याचारे नामनादीनि, दशवैकालिके, १-२-३ अध्ययने. ।। १५७ ।। Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम - CACACADLA भावाचारे ज्ञानाचारादयः (सुळसा- त्मपरशरीरेहपरलोकाः संवेजिन्या, ॥ अथ पड्जीवनिकाध्य० ॥ श्रेणिक-वनस्वामि-आर्यापाढ-अका तसः, इहपरलोकपापविपाका: ५+ षट्जीवनिकोद्देशः, संबन्धः १२० लसूत्रपाठि-विद्याऽर्पकचण्डाल-आ निर्वेदिन्याः, तद्रसः, संवेगनिर्वेदख- २१८-२२१ जीवाजीवाधिगमचारित्रधर्म(५) रूपं, कथापौर्वापर्यं च ११४ लापकशिव-अशकटपिता-नापितह यतनोपदेशधर्मफलानि प्रतिज्ञा, ए२०८-२१७ लोकवेदसमयैः मिश्रा, श्रीभष्टान्ताः) १०६ ककनिक्षेपाः (७), षटू निक्षेपाः (६) क्तराजचौरादि (९) विकथाः, प्रज्ञा- २२२-२२३ निक्षेपप्ररूपणा लक्षणास्तिलान्य|१९०-१९३ अर्थकामधर्ममिश्रकथाः, विद्या पकापेक्षयाऽकथाकथाविकथाः, तत्- वामूर्तत्वनित्यत्वकर्तृत्वदेहव्यापित्तशिल्पोपायानिर्वेदसञ्चयदाक्ष्यसाम स्वरूपं, श्रमणस्याकर्तव्यकर्तव्ये, गुणित्वोर्ध्वगतित्वनिर्मयवसाफल्यपदण्डभेदोपप्रदानान्यर्थकथा, (सार्थ कथाकरणघातरीयौ ११५ । रिमाणैः जीवपरीक्षा १२१ वाहमुतादिदृष्टान्तः) १०९ १७.२६ औदेशिकादीन्पनाचीर्णानि (५२) २२४ जीवनिक्षेपाः (४) भारे ओषभव. |१९४ रूपवयोवेषदाक्ष्यविषयशिक्षादृष्टभुवानुभूतसंस्तवाः कामकथा |२७-३१% आनववर्जनावि,आतापनावि,परी-६-८+ गुणपर्यायो द्रव्ये, आयुष्मान् ओघे, १९५-२०७ आचारव्यवहारप्रज्ञप्तिदृष्टिवादाः | षसहावि, दुष्करक्रियादि, कर्मक्षया- चतुर्विधस्तद्भवे १२२ वाक्षेपिण्यः, तसः, सपरसमय- वियुताः सिद्धिगामिनः ११९ ९-१०+सूक्ष्माः सर्वलोके, पर्याप्ता अपर्याप्ताश्च, मिथ्यासम्यग्वादा विक्षेपिण्या, आ- ॥ इति क्षुल्लिकाचारकथा ३॥ । भादराः CACA%AAAAAAAX ११८ तद्भवाः सुत्ताणि ~70~ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखीए विपनाविषयमामा नन्यादिअनु. आव. ओघ. दश. पिण्ड. उत्त कालिका दीप ॥१५८॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम COUNSCNCE २२५-२९६, ११-२४+ लक्षणकार्थिकानि ४५-४७+कारणाविभागावि, नित्यत्वे कार-२३४ मूलप्रथमपत्रयोरेककर्तृता १४० (५) आदानपरिभोगयोगोपयोगक- णाविभागविनाशाभावप्रत्ययाभावाः, ५०-६०+ विश्वस्ताविध्वस्ते योन्यौ, अन्य-दी पायलेश्याऽऽनप्राणप्राणेन्द्रियवन्धो- बिरुद्धाप्रादुर्भावाः १३० खापि व्युत्क्रमः मूलजीवकृतं प्रथमप-12 दयनिर्जराचित्तचेतनासंज्ञाज्ञानधार-२२८-२२९.४८-४९+ स्तनामिलायोपस्था- त्रकन्दादिवीजांत, अध्ययनार्थाः पञ्च, णाबुद्धीहामतिवितर्काः लक्षणम् १२६ नादेन नित्यः, निर्मयः, उपसंहारः१३२ सूक्ष्मसूक्ष्मसूक्ष्मसूक्ष्मबादरवादरसूक्ष्म|२५-३८+२२७ शब्दादस्तिता, न शून्य-५०-५७+ कर्तृत्वादीनि द्वाराणि १३४ ।। बादरबादरवादराः पुरलाः अणुस्कसिद्धिा, जीवाभावे दानापानर्थक्य, २३०-२३१ कायनिक्षेपाः (१२) (कापोती- न्धाद्याः, धर्माद्या नोपुद्गलाः १४३ नित्यो जीवः, पृथग्देहात्, अच्छेद्या रष्टान्तः) निकायकायेन अधिकारः २ भेद्यः, सपुरीषः, आसीद् गजः, षट्कायदण्डनिवृत्तिः १३५ त्रिविधः संसारः, आदिमत्प्रतिनिय प्रथममहावते सूक्ष्माविवधत्यागः (उपताकारान् , ज्ञानादेः ज्ञानसिद्धदर्शनात् १ सू. षड्जीवनिकोदेशपृच्छानिर्देशाः, स्थापनायां पटादिदृष्टान्ताः, पठितादी) आप्तवचनात् जीवसिद्धिः, अन्यत्वा षड्जीवनिकायखरूपं च १३८ । सूक्ष्मत्रसस्थावरौ वादरत्रसस्थावरी मूत्वनित्यत्वानि १२८ २३२-२३३ शस्त्रामिविषादीनि शस्त्राणि भा- च १४६ ३९+४४ नेन्द्रियाण्युपलब्धिमन्ति, अमूर्त- क्वाकाया विरुद्धा भावे, स्वपरोभय-४ सृपावादत्यागो द्वितीये, सद्भावप्रतिषेनित्यत्वे.१३० कायमयं द्रव्ये, असंयमो भावे १४०/ धादिचतुर्भशी च १४६ ॥१५८॥ सुत्ताणि ~71~ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए बदत्तारामविरतिः तृतीये १४०४१-५६४१प्र. जीवाजीवझस्म संयमः, ततः] पाणायाः, अधिकाराः, कोटिनवक मैधुमविरतिः चतुर्थे १४८ पारम्पर्येण क्रमशः सिद्धत्वं, सुगते- षट्सुद्गमकोटिः, क्रीवत्रिके विशुद्धिः, परिमहविरतिः पञ्चमे १४९ दुर्लभसुलभत्वे, प्रियतपत्रादेः पश्चा- विशुद्ध्यविशुद्धिकोट्यौ, नवाष्टदशादि८-९. रात्रिभोजनविरतिः षष्ठे, चतुर्भङ्गी, दप्यमरभवनं १५९ भेदाः १६३ सर्वत्रते (४७)भङ्गाः, प्रतिपत्तिश्च ५७-५९४२३५ श्रामण्याविराधनोपदेशः उप-६०-६१७ मिक्षाकाले अव्याक्षिप्तेन चरणम् १५१ संहारश्व १६० ६२-६७७ महीं पश्यन् पीजहरिवादि अव१०. पृथिवीकायवधयाणा | ॥इति पहजीवनिकाध्य. ४॥ पातविजलमादि संक्रमं अकारादि वृ|११ अपकायवधत्यापः १५९ ॥अथ पिण्डैपणाध्ययनम् ॥ . यावि च वर्जयन् १६४ १२ अग्निकायवधत्यागः १५३ ६१-६२+२३६-२४६ उपक्रमः पिण्डे एष-६८-७०पेश्यासामन्ते अनायतने अच१३ वायुकाववपत्यागः १५४ प्णायां च निक्षेपाः, द्रव्ये गुडौदनावि रणम् १६५ १४ बनस्पतिकायवधत्यागः १५५ भाषे क्रोधाविकाः, धात्वर्थः पिण्ड-७१-७७* श्वाद्यनुलपन अनुन्नतादि स्थान यसकायवधत्यागः शब्दार्थः, सचिचादीनां द्रव्यैषणा, द्रुतगमनादिवर्जनं आलोकायध्यानं |३२-४०*अयतनायाः कटुकं फर्छ, यतनया भावे प्रशस्ता ज्ञानाविना अप्रशस्ता राजादिरश्यवर्जनं प्रतिकुष्ठादिनि - गमनावि, पापकर्माबन्धकथितिः१५७... क्रोधादिना, भावस्योपकारित्वं द्रव्यै-... पेधः कपाटानुद्घाटनं १६७ ... . दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम . सुत्ताणि ~72~ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि- ८८* वक़मूत्रयोरधारणं ११४-१२३% औदेशिकादि (७) वर्जनं निः-१५६-१५९७ तिकादेरनिन्दा मुधदायिजी अनु. आव. ७९-८५७ नीचद्वारादिपुष्पाकीर्णादिवर्जनम्, शंकितमहः पुष्पायुन्मिनं दकतेजोनि- विनौ दुर्लभी सुगतिको च (परित्राओघ. दश-४ एलकायनुलंघन, असंसक्तं लोकन, क्षितं त्वष्कनादिना अकल्प्यम १७५/ जकदृष्टान्तः) १८२ पिण्ड. उत्त. अतिभूमिवर्जनं, नानादिसँलोकवर्जेनं, १२४-१२८* संक्रमनिभेण्याचारोहेण ब. | ॥इति प्रथम उद्देशः॥ ॥१५९॥ दकमृत्तिकादिवर्जनं १६८ जनं १७६ |१६०-१६२* सर्वभोजनं, असंस्तरे पुनर्ग1८६-८८ अकल्प्यं परिशाटितं प्राणादिस-१२९-१३३* कंदादि, सक्तचूर्णादि, सरज-: वेषण म्मयुतंच वर्जयेत् १६९ बादि, बलस्थिकादि, बहूज्झितकं च १६३-१७२* काले निष्कमादि, अकालचरणे|| *८९-९५० सचिचे निक्षिप्तादिः, अवगाह, पु- वय १७७ गहीं, अलाभे न शोचः, भक्तार्थ्यनुराफर्मणा, नद्कादि, भसंसृष्टेन १३४-१४०० चिरधौतमजीवमास्थाधानत्य लानं, कथात्यागः, अर्गलाद्यनवष्टवर्जनम् १७० . म्लं गृहीयात्, विपरीतं परिष्ठा- म्भनं, श्रमणाचनतिक्रमणम् १८४ | १९६-१०३* अनिसृष्टस्य, गुर्विण्याः कालमासे, पयेत् १७८ १७३-१८३* उत्पलादि संलुच्य संमर्थ दत्तं . स्तन्य पदत्या न पाहा भिक्षा १७२ १४१-१४५* गोचरे भोजनविधिः १७८ | न गृह्णीयात् , अनिर्वृतं शालूकादि१०४-११३७ दकवारादिपिहितं, दानपुण्यव- १४६-१५५* आलोचनविधिः स्वाध्यायो वि- प्रवालादि-तरुणिकादि-कोलतन्दुलक नीपकरमणार्यकमकल्यम् १७१ । श्रामणा निमश्रणं भोजनं च १८० । पित्थफलमन्थ्वादिवर्जनम् १८६ 3॥१५९॥ सुत्ताणि ~73~ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र - ३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) १८४-१८७३ समुदानचरोऽदीनः अदा | ॥ अथ महाचारकथा ॥ कोषः १८६ २४७ आचारनिक्षेपाद्यतिदेशः १९१ १८८-१८९* वन्दमानं न याचेत, नत्यनत्योः २१०-२१४* राजादिकृतः गणिं प्रति धर्मसाम्यं १८६ प्रभः साध्वाचारयुतः दुश्वरं आचारं कथयेत् १९२ १९०-१९४* अनिगूहनं, अमोक्षोऽन्यथा, विरसानयने पूजाद्यर्थे मायाशल्यादि २४८-२५० अगार्थनगारधर्मों, अनुत्रतादिकः (१२) क्षान्त्यादिकञ्च (१०) १९२ २५१-२६० अर्थनिक्षेपाः (४) द्रव्ये (६) च १८७ १९५-२०० सुरामेरकादिदोषाः १८८ २०१-२०४* तपखिनोऽमद्यपस्य गुणाः २०५ २०८ तपोवयोरूपस्तेनदोषाः २०९ भिक्षैषणाशोधिफलं १९० ॥ इति द्वितीय उद्देशः ॥ ॥ इति पिण्डैपणा० ५ ॥ व्यतिरिके धान्यानि (२४) रत्नानि (२४) स्थावरः (३) द्विपदः (२) चतुष्पदः (१०) कुप्यभेदः (६४) १९३ | २६१-२६४ कामः सम्प्राप्तः दृष्टिसम्पातादिकः (१४) असम्प्राप्तः अभिलाषचिन्तादिक: (१०) १९४ ~74~ | २६५-२६८ धर्मार्थकामाः जिनवचनेऽविरोधिनः, स्वच्छाशयप्रयोगात्, धर्मफळमोक्षाभिप्रायात् जिनमते मोक्षः १९५ | २१५-२१६२६९-२७० सक्षुल्लकव्यक्तानां स्थानानि प्रतपट्कादीनि अष्टादश, अन्यतरसेवको श्रवणः १९६ २१७-२३४* प्रथमे सर्वजीवाहिंसा प्रियजी वितस्थात्, अविश्वासभूमिर्मृषा, तनात्मपरार्थ श्रूयात्, दन्तशोधनमाश्रमपि नादत्तं गृहीयात्, घोरमधर्ममूलं मैथुनं न सेवेत, पीडादिसन्नि न कुर्यात्, वस्त्रादि संयमार्थ, देदेऽपि न ममता, एकभक्तं, रात्रौ सूक्ष्मप्राणादर्शनं उदकादिवर्जनं २०० Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादिअनु. आव. ओष. दश. पिण्ड. उच. ॥ १६० ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसुब-3 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - - मेद्वे पर्याप्ते, सम्यग्टडे सत्या अनुपयोगे मिध्यादृष्टेवासल्या, परावचैनादी अवध्यादौ च असत्यामृषा, संचारित्रस्य प्रथमा इतरस्येतरा २११ २८५-२९० शुद्धिनिक्षेपाः (४) द्रव्ये तद्द्रव्यतद्रव्यादेशप्रधानैः, आदेशेऽन्यानन्यस्वाभ्यां वर्णादिभिः प्राधान्ये, भावे तद्भावादिषु प्रदेशप्रघानैः, प्रधाने दर्शनज्ञानचारित्रतपसा शुद्धि:, संयमशुद्धिकारणं वाक्यशुद्धिः २१२ सृपा, खत्या जनपदादिभेदेन दशधा, २९१-२९४ दुर्भाषितेन विराधना, अकुशक्रोधमानादिमिरसत्या दशधा, उलस्य मौनेऽप्यगुप्तिः, कुशलस्य सदैव स्पन्नविगतादि मिर्मिश्रा दशधा, आगुप्तिः, बुद्ध्या प्रेक्ष्य वाच्यं २१३ मनण्यादिभिर्व्यवहारे द्वादशधा प्र- २७८-२८१* द्वयोर्विनयः, द्वयोर्निषेधः २१३ पृथ्वी जलवनस्पतीनां तीक्ष्णपदिक २३५-२५४* तस्य तदाश्रितानां च वधात् २६९-२७२ शुषिरादिषु प्राणसत्वात् खानं | कल्कादिकं वा कोऽपि नाचरेत् २०६ त्रसानां सर्वभूतशस्रत्वात् तेजसः, २७३-२७५४ उपरतमैथुनस्य विभूषावर्जनं तालवृन्तादिना वस्त्रादिना वातस्य २०२ २७६-२७७* कर्मक्षयानादाने आचारफलं २५५-२५८० अकल्प्यपिण्डशय्यावस्त्रपात्र॥ इति महाचारकथा ६ ॥ त्यागः, नित्यक्रीतौदेशिकाहतत्यागः ॥ अथ वाक्यशुद्ध्यध्ययनम् ॥ (शिक्षकाकल्प स्थापनाकल्पी) २०२ २७१-२८४ वाक्यनिक्षेपाः (४) द्रव्ये भाषा२५९-२६१ शीतोदकारम्भात् पश्चात्पुर:द्रव्याणि वचनैकार्थिकानि ( १२ ) कर्मसम्भवात् कांस्यादिभाजनेषु न भोजनं प्रणनिसर्गपराधातैर्द्रव्ये, सुतचारि२०३ २६२-२६४* दुष्प्रतिलेख्यत्वात् आसन्यात्रैर्भावः, आराधना सत्या, विराधने योगः २०४ २६५-२६८ ब्रह्मचर्षविपत्तेः वनीपकप्रति धातात् प्रतिक्रोधादेव अवृद्धादेर्गृहेनिषद २६८ ~75~ कालिके, ७-८ अध्य ।। १६० ।। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) उत्कृष्टमहार्षवादौ सन्देशे कयादौ । अस्पार्धतादौ च वाग्विधिः २२१ ३२४-३३१ २८२-२४७ नेपथ्यखियं स्त्रीत्वेन भाषणे । पापं तदाऽनृते किं न १, पुष्यदादौ * शंक्यतां न श्रूयात् २१५ २८८-२९७ परुषादि काणादि होलादि आर्यिकादि हलादि न ब्रूयात् २१६ २९८-३०२* पुंस्त्रीति स्थूलादि दोह्यादि न ज्यात् परिवृढादि युवगवित्यादि ब्रूयात् २१७ ३०३ ३१२* प्रासादादि-पीठादि -आसनादियोग्या इति न श्रूयात् जातिमन्त इत्यादि श्रूयात्, पकफलेत्यादि न, असंस्कृता इत्यादि श्रूयात् २१९ ३९३ ३२३* पक ओषधिः इत्यादि न ब्रूयात् आस्व आयात इत्यादि नासंयताय लपेत्, असाधुं साधुं नालपेत्, ज्ञानादियुतं साधुमालत् युद्धे जयाजयौ वातवृष्टयादि मेघादिकं देवादित्वेन सावधानुमोदकत्वेन न श्रूयात्, अवधारणोपपातक्रोधादियुतं न भूयात् २२३ ३३२-३३४# अनुवीच्यभाषायां प्रशंसा, हितानुलोमतादि तत्फलं च २२४ ॥ इति वाक्यशुद्ध्यध्ययनम् ७ ॥ ॥ अथाचारप्रणिध्यध्य० ॥ रूढा इत्यादि श्रूयात् संखज्यादौ वागूविधिः, नयादी आहारादौ २९५-१०० आचारेऽतिदेशः, द्रव्यभावाभ्यां ~76~ प्रणिधिः, द्रव्ये निधानादि, भावे इन्द्रियनोइन्द्रिययोः रागादित्यागः प्रशस्तः, अन्यथाऽप्रशस्तः, तुरंगवत् इन्द्रियाणि २२५ ३०१-३१० क्रोधादिरोधे नोइन्द्रियप्रणिधिः, कपायारोधे गजनानवत् इक्षुपुष्पवत् निष्फलं श्रमण्यं शुद्धेः प्रशस्ताप्रशस्तत्वं तयोः फलं, अनायतनानि त्यक्त्वा संयमार्थ प्रणिधिः, प्रणिध्वप्रणिधिफलं २२७ ३३५-३४६* आचारप्रणिधिप्रतिज्ञा, पृथ्व्यायो जीवाः तदुद्बधवर्जनं तदूषधभेदनिपदनादिवर्जनं, शीतोदकं उड़काद्र दिसेवासंलेखनादिवर्जनं, अम्मा Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देश देखाए नन्यादिअनु. आव. ओष. दश पिण्ड, उत्त. कालिके. ८-९अ. ASSACR दीप ॥१६॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम दिघट्टनादिवर्जन, व्यजनवर्जनं तृणादि पीडाधभावे धर्मकृतिः कोधादेवमने ३९५-३९८% निष्कम गश्रद्धापालन वपः-18 छेदादिवर्जनं त्रसहिंसावर्जनं २२९ । दोषाः घातोपायाः फलं च २३४ खाध्यायादि खाध्यायध्यानादिफलं ३४७-३५०* अष्ट सूक्ष्माणि ३७५-३८४१ रत्नाधिकविनयादि अल्पनि दुःखसहजितेन्द्रियादेर्मोक्षः २३९ | ३५१-३६२* पात्रादिप्रतिलेखना उच्चारा- द्रत्वादि श्रमणधर्मयोगादि बहुभुत- ॥ इत्याचारप्रणिध्यध्ययनम् ८॥ दिपरिष्ठापना परागारे स्थानभाषा- पर्युपासनादि आलीनगुप्तत्वादि पक्षा- ॥अथ विनयसमाध्यध्य०॥ यतना, दृष्टादेरनाख्येयत्वं, गृहियो- दिष्वनिषदनं पृष्ठमांसादिवर्जनं मप्री- ३११-३२४ विनयसमाभ्योनिक्षेपाः (४-४) गासमाचारः, लाभालाभानिर्देशः, अ- तिकवर्जनं दृष्टादिवादित्वं अनुपहासः द्रव्ये तिनिशसुवर्णादीनि, भावे लोप्रासुकक्रीताद्यभोजनं, सन्निधिवर्जन, कोपचारे अभ्युत्थानाजल्यासनातिरूक्षवृत्तित्वादि, शब्देऽरागः, स्पर्श- ३८५-३९४* नक्षत्राधनाण्यानं स्चारभूमि- थिदेवपूजाः (५) अर्ये कामे भये च असहन, क्षुदादिसहनं, रात्रावभोजनं युक्तशय्यादि नारीकथावर्जनादि चि- भ्यासवृत्तिऽछन्दोऽनुवर्तनावसरदान- | च २३२ त्रस्थस्त्रियः अध्यानं अकर्णनाशाया दानाभ्युत्थानाजल्यासनदानादि, मोक्षे ३६३-३७४* अतिन्तनादि परिभववर्जनादि अपि वर्जन विभूषादेर्विषत्वं अंगाद्य- (५), दर्शने सद्भावबद्धानं ज्ञाने पठन संवरणादि जितेन्द्रियत्वादि अमोघ- निरीक्षणं विषयेष्वप्रेम अतृष्णत्वादि गुणनकृत्यानि चारित्रे कर्मापचयः वचनत्वादि भोगनिवृत्त्यादि, जरादि २३८ तपसि स्वर्गमोक्षसाधनं, प्रतिरूपे सुत्ताणि ACCALCCASC ~77~ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम काये अभ्युत्थानाचल्यासनदानामि- गुरवः शिखीव नाम इव अनर्थाय ४१८-४२४* अविनीतस्य काठवत् वहनं, प्रहकृतिकर्मशुश्रूषानुगमसंसाधनानि | अबोधये च, पावकाद्याक्रमणादिवत्, शिक्षायां कोपनः श्रीनिषेधकः, वि-18 (८) वाचि हिवमितापरुषानुवीच्य- भाशातना दुर्मोचाप, पर्ववादि- नीवाविनीतयोस्तथाविधहयगजवत् भाषा (४) मनसि कुशलाकुशलो- भेदादिवय, मोक्षाकांक्षी गुरुप्रसादे- नरनारीवत् देवेशगुलकवत् सुख-131 दीरणरोधौ २४१ प्सी २४५ दुःखे २४८ ३२५-३२८ परानुवृत्तिमये प्रतिरूपे तीर्थ- ताथ-४०९-४१५* उपगतज्ञानोऽप्याचार्यमुपति-४२५-४३८* आचार्यशुश्रूषया शिक्षावृद्धिः, .. करसिद्धकुलगुणसङ्कक्रियाधर्मज्ञान- | छेत्, धर्मपदशिक्षक सत्कारयेत् , शिल्पाद्यर्थ गृहिणोऽपि बन्धवधादि, शान्याचारस्थविरोपाध्यायगणिनामलज्जादयादिशिक्षकं पूजयेत्, श्रुत गुरुपूजकाच, किं पुनः श्रुतग्रहे, नाशातनाभक्तिबहुमानकीर्तनैः (५२) शीलयुतः सूरिः सूर्यवत् इन्द्रवत् च नीचशय्यागतिस्थानादि, अपराधक्षाकेवलिनामप्रतिरूपः २४२ न्द्रवश्च धर्मकामिनां तोष्यः, आ मणा, दुर्बुद्धिर्गलिगोवत् नोदनार्थी,18 ३२९ व्यसमाधौ त्रिफलादि, भावसमधौ | चार्याराधकस्य सिद्धिः । २४६ कालादिकमवेक्ष्य कुर्यात् , विनयावर्शनशानचारित्रतपासि विनयफलं ज्ञात्वा शिक्षेत, न च३९९-४०८* स्तम्भक्रोधमदप्रमादेभ्यो वि- ॥ इति प्रथम उद्देशः॥ एखादिकस्य मोक्षः, निर्देशवादीनां नयाशिक्षणं, मन्दवालाल्पश्रुत इति ४१६-४१७* मूलात् स्कन्धादिवत् धर्मात् सिद्धिः २५१ गुरुनिन्दया मिथ्यात्वं, आशातिता ! कीर्तिश्रुतादि, २४६ ॥ इति द्वितीय उद्देशः॥ ACTRONACACAAA सुत्ताणि ~78~ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादिअनु. आव. ओष. दश. पिण्ड. उत्त. ॥ १६२ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ४३९-४६१* इंङ्गित शास्वा आचार्यमारा- १७-४५५* शुश्रूषाप्रतिपत्तिः आराधनाऽ- | कर्षः विनये २५६ १८-४५६# ज्ञानैकाप्रचित्तस्वपरस्थापनानि श्रुते २५७ वेत्, आचाराय विनयः, गुर्वनाशासनः पूण्यः, रानिकादिषु घिनीतः, ज्ञातोन्डादि, अल्पेच्छादि, वाकंटकसह, दुरुक्तानि वैरानुबंधीनि १९-४५७# इहलोकपरलोककीत्यर्थ न धर्माय वचनाभिघातसहनं, अवर्ण- किंतु निर्जराये तपः वादप्रत्यनीकावधारणीवर्जकः, छोलु- २०-४५८-४६०* इहलोकपरलोक कीत्यांचैर्न पादिरहितः समरागद्वेषः, अलकः, किन्त्वा ते हें तुभिः उक्तसमाधिमान् पूज्यपूजकादि, पञ्चन्त्रतादि, गुरु- स्वपक्षक्षेमकारी सिद्धो देवो वा स्यात् । प्रतिचरणात् मोक्षः २५५ २५८ ॥ इति चतुर्थ उद्देशः ॥ ॥ इति विनयाध्ययनम् ९ ॥ अथ समिक्ष्वध्य० ॥ | ३३०-३६० सकारनिक्षेपाः (४) द्रव्ये प्रशं ॥ इति तृतीय उद्देश || १६-४५४* विनयश्रुततप आचारसमायुदेशः, विनयादिपण्डिता आत्मारामाः २५६ ~79~ सानिर्देशास्तिभावेषु एतत्सूत्रोक्तकरणीयो भिक्षुः अध्ययनगुणनिशुच, भिक्षुर्निक्षेपाः (४) निरुक्तत्वेकार्थिकलिङ्गानि नागुणस्थितो भिक्षुः, पश्वावयवाः, भेदकभेदन भेतव्यानि अविरता याचका द्रव्यभिक्षाकाः, सदारम्भकाः गृहिणोऽपि, मिथ्याहटिहिंसकामाचारिपरिप्रहरतस चित्तपचदुद्दिष्टभोजिनः करणयोगयोगात्मादित्रिकत्रिकमन्तः स्त्रीपरिग्रहवन्तः द्रव्ये मिक्षवः भावे उपयुक्तो ज्ञाता गुणवांश्ध, भेता, ज्ञानी तपो भेदनं कर्म भेतव्यं क्षुधो भेदात् निक्षुः यतनाद् यतिः संयमचरणात् दशवैकालिके, ९-१० अ. ॥ १६२ ॥ Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम CACADAICCCCCCCCCC चरकः, भवं क्षिपन क्षपका, भवान्तः, ४११-४८१* समाहितचित्तः व्यवशः अ-1 देहः अनिवानकुतूहलः परीपहादिभिक्षणात् भिक्षुःऋणक्षपणाद्वा, वप:- ___वान्तापानः पृथिव्वविराधकः शीतो- भाक् तपोरतः हस्तादिसंयतः अध्यासंयमाभ्यां तपस्वी, निर्ग्रन्थैकार्थिकानि दकापायी अन्यज्वलन: अनलावी- रमरतः श्रुतार्थवित् अमूर्छः अज्ञा(२८) संवेगादीनि लिङ्गानि (१७) जकः हरिताच्छेदी सचित्तपरिहारी तोंछ: क्रयविक्रयसन्निधिविरतः अअध्ययनगुणो मिक्षुः, नान्यः अगुण- सानुकम्पो औद्देशिकादित्यागी अस्वात् , सुवर्णवत् न, विषघातनादयः सङ्गः रसागृद्धः पक्ष्यादिनिरीहः पपचनपाचनः आत्मसमषटकायः म(८) सुवर्णगुणाः, कपच्छेदाविशुद्धं रिभवोत्कर्षरहितः आर्यपदवेदी अहात्रतस्पर्शी आश्रवनिरोधी वान्तकविषघातादिगुणवत् सुवर्ण, न शेष,न पायो ध्रुवयोगी रूप्यरजतादिरहितः हासः भिक्षुः, मोक्षश्वास्य २६९ नामरूपाभ्यां भिक्षुः, युक्तिसुवर्णेऽपि गृहियोगवर्जी सम्यग्दृश्यादिः असन्नि ॥ इति समिक्ष्वध्ययनम् ॥ न सुवर्णता, अध्ययनोक्ता भिक्षुगुणाः, तद्रहितो भिक्षुको न भिक्षुः धिका निमत्रितसाधर्मिकः खाध्या- - ॥ अथ रतिवाक्यचूडा॥ युक्तिसुवर्णवत् , उद्दिष्टकृतभोजी षट् यरतः अव्युग्रहकथः अकोपनः नि-३६१-३६३ चूलिकानिक्षेपाः (४) द्रव्ये सचि-18 कायमर्दनः गृहकर्ता जलजीवपायी भृतेन्द्रियः प्रशान्तादिः आक्रोशादि सादिषु कुर्कुटचूडामणिमयूरादीनां, कवं मिनुः, अध्ययनोत्तगुणो सहनः समसुखदुःखः प्रतिमाप्रतिपन्नः क्षेत्रे लोकनिष्कुटमन्दरचूदाकूटादयः, : भिक्षुः २६४ निर्भया गुणतपोरतः व्युत्सृष्टयक्त- काले अधिकमाससंवत्सगै २७० सुत्ताणि । २८ नद्या ~80 ~ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४२] मूलसूत्र-३ 'दशवैकालिक' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देश देखीए कालिका हद्विषयानुक्रमः दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्द्यादि- 18||३६४ रतिद्रव्ये नोकर्मणि शब्दद्रव्यादि कर्माणः अनित्यं जीवितं बहुपापं, विप्रतिशः निर्ममः न गृहिवैयाव-15 अनु.आव. हा भावे तस्योदयः नाभेदयित्वा मोक्षः (१८)२७४ त्यादिक: असंक्लिष्टसङ्क: २८० ओष. दश ४८२-४९९ एतदयों गाथाः २१८ ३६५-३६७ रतिवाक्यान्वर्थः, आतुरस्य सी-४८ ३७०-३७१ संयतस्यावगृहीतादिचर्या - पिण्ड, उत्त. बनच्छेदनादिवत् कर्मरोगातुरस्य ध ॥ इति रतिवाक्यचूडाध्य०॥ .. निकेतादिस्वरूपा २८२ ॥१६३॥ मोधर्मयो रत्यरती ॥ अथ विविक्तचर्याचूडा॥ ५०९-५१५* असजन्नेक विहारी अर्थाज्ञया | .६३+ अधिकारातिदेशः २७८ चर्या कृताकृतादिचिन्तनं खस्त्रलिस्वाध्यायादौ रतिमतोऽसंयमेऽरतिम-. २१ ५००-५०३* केवलिभापिता धर्ममतिकारिका तापेक्षी दुष्पयुक्तसंवरः प्रतिबुद्धजी-1 तश्च सिद्धिः, ततः धर्माधर्मयो रत्यर चूला, प्रतिश्रोतो गन्तव्यं प्रतिश्रोत वित्वं आत्मरक्षारक्षयोः फलं २८४ तिकारकाणि स्थानान्यत्र, दुष्पमाया दु- उत्तारः चर्यागुणनियमाः २७९ । ॥ इति विविक्तचर्या चूडा ॥ पजीविता इत्वराः कामाः मायाव-५०४-५०८ अनिकेतवासः समुदानचर्या ३७२-३७३ षण्मास्याऽधीय आराधक आर्यहुला मनुष्या न चिरं दुःखं अवमज- अज्ञातो; च अतिरिक्तताऽल्पोप- ममकः, यशोभद्रायः स्थापितमिदं, नपुरस्कारः वान्तादानं अधो गतिः पधिः कलहवर्जन आकीर्णावमानव नयाश्व २८६ गृहे दुर्लभो धर्मः आतङ्कसङ्कल्पी र्जनं दृष्टाहतान्नः संसृष्टकल्प: अम इति दशकालिकस्य सचूडा. वधाय, सोपलेशबन्धसावद्येतरौ गृह- द्यमांसाशी निर्मत्सरः निर्विकृतिका द्वयस्य वृद्विषयानुक्रमः॥ वासपर्यायौ, साधारणा भोगाः पृथ- कायोत्सर्गकारी स्वाध्यायरतः शय्या-1 CRENCA-CA २८६ ॥१६३॥ सुत्ताणि ~81~ Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक ॥ पिण्डनियुक्तिबृहद्विषयानुक्रमः॥ यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम AACARROADCASRAKAS मङ्गलम् । दशवैकालिकपिण्डैषणाध्य-७-७+ अभकाष्ठादौ सद्भावासद्भाव-| देशत्रिक, तपणानि, शीतोष्णादिनायननियुक्तिरेषा। | स्थापने ६ ऽचित्तः, परिषेकपानहस्तवस्त्रधाव नादि प्रयोजनं ऋतुबद्धे दोषः, वर्षा॥ अथ पिण्डनिरूपणम् ॥ ८-९ द्रव्ये सचित्तः पिण्डः (९) निश्चय| व्यवहारौ खघावने दोषः, अर्वाग् वर्षायाः पिण्डोद्गमोत्पादैषणासंयोजनाप्रमाणा|१०-११ सचित्तः पृथिवीकायपिण्डः ७ । सर्वोपधेः क्षालन, जघन्यतः पात्रनिझारघूमकारणानि (८) पिण्डनियु-.. |१२ क्षीरहमादेरधः पथ्यादौ च मिश्रः, योगस्य, आचार्यादीनां पुनः पुनः, पात्रनिर्योगाद्या अविश्राम्याः, विश्रा| आर्द्र एकद्वित्रिपौरुषी ८ पिण्डैकार्थिकानि (१२) २ मणाविधिः, नीनोदकमहणं, गुर्वनश१३-१५ शीतोष्णादिनाऽचित्तः, लूतास्फो३-४ पिण्डनिक्षेपाः (४-६)२ न्यादिक्रमा, पूर्व यथाकृतानि, ना टादौ स्थानादौ च प्रयोजनम् ८ च्छोटनादि, छायाऽऽतपयोः शो५ कुलकचतुर्भागन्यायेन पटेचतुष्कम् १६-३४ अप्काये निश्चयव्यवहारसचित्तता, षण, कल्याणकं च १६ ६, १-६+ गौणसमयोभयकवानि नामानि, अर्वाक् त्रिदण्डेभ्यः पतितमात्रे वर्षे ३५-३७ तेजसि निश्चयव्यवहारसचित्तत्ता, . भेदत्रयस्वरूपं सिद्धिश्च ४ अबहुप्रसन्ने तन्दुलोदके मिश्रा, अना- मुर्मुरादिमिश्रा, ओदनादिरचित्तः। क्याम् १ सुत्ताणि [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंडनियुक्ति' ~82~ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा पेण्डनि देखीए नुक्रमः दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि- | ३८-४२, १२-१५+ वायुकाये धनवातादौ दन्वादिना विर्यचा, प्रबाजनादिना स्तपिण्डखोपकारी, तेन द्रव्यभा-18 अनु. आव. निश्चयेन सचिचः, प्राच्यादियवहा- मनुष्याः, क्षपकादिकालकार्यादिना वपिण्डाभ्यामधिकारः, निर्वाण- युक्तिबहओष. दश रेण, आक्रान्तामातपीडनदेहानुग- देवा उपयोगिनः २१ कारणज्ञानादिकारणमाहारः, पटे द्विषयापिण्ड, उत्त. तनिश्चोदनेष्वचित्तः, इत्यादिवातस्या-५३-५४ पिण्डनवकसंयोगाः (५०२) विधिश्च पावत्, अनुपहतकारणात्कार्य, ॥१६४॥ चित्तादित्वे क्षेत्रकालविचारः, ग्ला- सौवीरतकादिषु २२ । अविकलज्ञानादिर्मोक्षहेतु: २८ । नत्वेऽचित्तेन प्रयोजनम् १८५५-५८ क्षेत्रकालपिण्डौ, अमूर्तत्वेन शङ्का, ॥ इति पिण्डनिरूपणम् ॥ |४३-४६ वनस्पतिकायेऽनन्तकायो निश्चयेन, आधेयस्थितिभ्यां प्ररूपणाहेतुत्वेन च । ॥ अथोद्गमदोषाः॥ शेषो व्यवहारेण, मिश्रः अम्लानो- समाधानम् २४ ७ ३-७८ एषणैर्थिकानि (४) एषणानिक्षेपाः लोष्टादिः, वृन्तम्लानी अचित्तः,५९-७२ भावे प्रशसे संयमादिव एकावि- (४) द्रव्ये सचिचादिः (द्विपदादि संस्तारकादिना प्रयोजनम् १९/ वविधान्तःअप्रशस्तेऽसंयमादि- 1 ३ ) भावे गवेषणेषणादिः (३) क्रम४७-४८॥ विकलेन्द्रिये पिण्डत्वं, अक्षाशुदेहि- रेकादिर्नवान्तः, बन्धहेतुरप्रशस्तः, सिद्धिय ३० कादिमक्षिकापुरीषादिना प्रयोज- मुक्तिहेतुः प्रशस्तः, ज्ञानदर्शनचारि-७९-८४ गवेषणानिक्षेपाः (१) द्रव्ये कुरज-1 ॥१६४॥ नम् २० त्राणां पर्यायास्तत्तत्पिण्डा, अध्यव- गजदृष्टान्ती, भावे उगमोत्पादने ३२|| ४|४९-५२ अनुपयोगिनो नारकाः, चरमास्थि- सायो वा पिण्डा, आहारादिः प्रश-1८५-९१ उद्गमैकार्थिकानि (३) निक्षेपाः(४) सुत्ताणि ~83~ Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक % - यहां देखीए -4-58 दीप -964-१ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम द्रव्ये छड्कज्योतिस्तृणादि, भावे ज्ञानादि, लकप्रियकथानकं, उद्गम शुद्धेश्चारित्रशुद्धिस्ततो मोक्षश्च ३४ ९२-९३ आधाकर्मादिका (१६) उद्गमदोषाः |९४ आधाकर्मिके नामादीनि (८) द्वा राणि ३६ ९५-१२८, १६-२२+आधाकर्मिकैकाथिकानि (८) व्याधायां धनुरादीनां प्रत्यञ्चादि, भावाधायां यमाधाय त्रिपातनं, द्रव्येऽधःकर्मणि जलादिष्ववतरणं, भावे संयमस्थानाविषु, संयमणिखरूपं, माधाकर्मग्राही अधोऽवतीर्य अधो-/ भवायुःघनीकरणादि कुरुते पतति चाधोगती, द्रव्यात्मन्ने निदाऽनिदाभ्यां हिंसा, काया द्रव्यात्मनि, बधा धरणात्मघातः, निश्चयेन शानदर्शन- १२९-१३६ एकाधिकचतुर्भङ्गी, भात्रयी-1 बधोऽपि, द्रव्यात्मकर्मणि ममतावि- योजना ५२ षयः, भावेऽशुभपरिणतिः, भाषा- १३७-१५९ साधर्मिकल्याधाकर्म, नामस्खापकर्मपरिणतः परकर्म आत्मकर्मी भाव्यक्षेत्रकालप्रवचनलिङ्गदर्शनकुरुते, समशङ्का, कुटोपमया (३) ज्ञान (५) चारित्रा (५-३) भिसमाधिः केषाञ्चित् , अशुभभावाद् मह (४) भावना(१२) भिः साध -र्मिकखरूप, प्रवचनादिषु चतुर्भरूणां, महणात्प्रसङ्गः, प्रतिसेवादि अपच, तेषु कल्याकल्प्यता च ६२| भिरात्मकर्मता, क्रमेण तेषां गुरु-१६०-१७६ अशनाद्याधाकर्म, कृतनिष्ठचतुलघुते, न परानीते दुष्टतेति प्रतिसे भैङ्गी, अशनस्याधाकर्मत्वे दृष्टान्तः, बना, सुलब्धोको प्रतिसेवना, तो पानखाद्यखाद्यानामाधाकर्मवा, प्रासुगिप्रशंसाऽनुमोदना, स्तेनराजपुत्र कीकरणं निष्ठिते, उपस्कृतं कृते, न पल्लीवणिक्प्रशंसाकारिणः प्रतिसेवा- छायावर्जन न्याय्यम् ६७ विषु दृष्टान्ताः, तद्वदाधाकर्मभोगि-[१७७-१७८ खपरपक्षस्वरूपं, कल्प्याकल्यता नामपि ५० सुत्ताणि ~84~ Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि- ४१७९-१८२ अतिक्रमाद्याश्चत्वारः, नूपुरप-1 डम्बकप्रियङ्करदृष्टान्तौ, उद्यान- भावपूतिस्वरूपं, उद्गमकोव्यामाधाक- पिण्डनिअनु. आव. ण्डिताहस्तिदृष्टान्तेन अतिक्रमादिषु दर्शिदृष्टान्तश्च, आधाकर्मभोगिनो मिकाद्याः, उपकरणे द्रव्यपाने च युक्तिबृहओघ. दश वृत्तिः, अतिक्रमादिस्वरूपम् ६८ बोडत्वमेव ७७ बादरपूतिः, भक्तपूतिखरूपं, चुह्यु- द्विषया|१८३-१८८ आषाकर्ममहे आज्ञाऽनवस्थामि-२१८-२४२ विभागौदेशिके उद्दिष्टकृतकर्म खादिचतुर्भङ्गिका, त्रिवकल्प्यं, अ- नुक्रमः थ्यात्वविराधनाः ७० २ ३+ चतुष्ककेन द्वादश भेदाः, ओघौदे जारादिर्न सूक्ष्मपूतिः, आधाकर्मपा-| १८९-२०५ आधाकर्म तत्स्पृष्टं तद्भाजनस्थितं, शिकसंभवखरूपे, रेखादिना त त्रस्याकल्पत्रये सूक्ष्मपूतिता, वक्परिहारच, वान्तादिवदभोज्यं, उग्र- ज्ज्ञान, गोवत्सदृष्टान्तेन उपयुक्तता, प्रमाणं पूतिः, आधाकर्मग्रहे त्रीन तेजोदृष्टान्तः, अन्यसमयेषूट्रीक्षी- विभागौदेशिक संभवः, उद्देशसमु दिवसान पूतिः,तत्परिज्ञानोपायः ८८ २७१-२७६, २४+ वेधकविषवत् सहस्रान्तरादिवत् , अशुचिस्पृष्टवत् , अशुचि- देशादेशसमादेशभेदाः, तत्वरूपं, रितमपि मिश्रमकल्प्यं, यावदर्थिक-18 भाजनस्थवञ्च स्पृष्टस्तद्धाजनस्थितयोः द्रव्यक्षेत्रकालभावैश्छिन्नाच्छिन्ने,उद्दिष्टे पाखण्डिसाधुमिश्रखरूपं, कल्पत्रये परिहारः, अविधिपरिहारेऽगीतार्थ- कल्प्याकल्प्यविधिः, संप्रदाने च, कल्प्यता ८९ दृष्टान्तः, विधिपरिहारे द्रव्यकुलदेश- तत्परिज्ञानोपायः, कमाँदेशिके क-२७७-२८४, २५+ स्थापनार्या खस्थानपरभावापेक्षणम् ७४ ख्याकल्प्यविधिः ८२ स्थाने, अनन्तरपरम्परे, प्रत्रयात्प-1* |२०६-२१७ परिणत्या बन्याबन्धौ, वेषवि-२४३-२७० द्रव्यपूतौ छगणधार्मिकदृष्टान्तः, रतः, विकारीतराणि द्रव्याणि ९१ 4564562525-25645-45-45% सुत्ताणि ~85 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र- २/२ 'पिंदनिर्युक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) | २८५-२९१, २६-२७+ बादरसूक्ष्मप्राभुतिके मङ्गलपुण्यार्थीय, तत्फलं च उत्कनावण्यष्कनाभ्यां ९३ २९२-३०५ प्रादुष्करणसंभवे भिक्षुकत्रयहटान्तः, प्रकटकरणे चुहयादेर्बहिरानयनं, प्रकाशकरणे रत्नादिना छि टान्तः, लोकोत्तरे 'वस्त्रादौ मलिन- ३५७-३६५ मालापहृते जघन्योत्कृष्ठे, भिक्षु'तादिदोषाः, अपवादच १०० दृष्टान्तः, दातृपतनादि, उत्कृष्टे का३२३-३२८ परिवर्तिते लौकिकलोकोत्तरयोपिलः, ऊर्ध्वाधस्तिर्यग्भेदाः, अपवाद्रव्यान्यद्रव्ये, लौकिके शास्योदनदृष्टान्तः, लोकोचरे ऊनाधिकव- ३६६-३७६ प्रभुखामिस्तेनाऽऽच्छिन्नानि, प्रभौ खादौ दोषास्तदपवादच १०२ दुश्च ११० ९५ विशुद्धिकोटित्वम् । ३०६-३१५ की आत्मपरद्रव्यभावकीतानि सचित्तादि परद्रव्ये, आत्मद्रव्ये निर्मात्यादि, परभावे मङ्कटष्टान्तः, आत्मभावे धर्मकथावादक्षपगादि (९) ९९ ३१६-३२२ प्रामित्ये लौकिके भगिनीह गोपः, दोषा अपवादच ११३ अभ्याहृते आचीर्णानाचीर्णे नि- ३७७-३८७ सामान्यनिसृष्टे लोलुपभिक्षुरं ष्टान्तः, भोजनानिसृष्टे, छिन्ने कल्प्यं, हस्तिनिसृष्टं दृष्टमप्यकल्प्यम् ११५ ३८८-३९१ यावदर्भिक स्वगृह साधु मिश्रैरध्यव पूरकविधा, मिश्राद्भेदः कल्प्याकल्प्यविधिः ११६ प्राके, षट्रायदोषाः, दानादिदोषाः, ३९२-४०३, २८-३० + विशोध्यविशोधिअकुचितकपाटे आचीर्णम् १०७ कोट्यो, द्रव्यक्षेत्रकालभावैर्विवेकः, द्राविना च, आत्मार्थीकृतं कस्पते, ३२९-३४६ शीवानिशीथे खमामपरप्रामे जलपथस्थलपथौ, दोषाञ्च त्रिगृहादू वाटका देव परतः परमामनिशीथे धनावहदृष्टान्तः, हस्तशवादाचीर्णे, उत्कृष्टादिभेदाः १०५ ३४७-३५६ उद्भिन्ने पिहितकपाटौ प्रासुका ~86~ Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति ' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा नन्यादिअनु. आव. ओष. दश. पिण्ड, उत्त. देखीए पिण्डनियुक्तिबहद्विषया %ACAUCRAC- A दीप ॥१६६॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम AAAAAAACOMCAL शुष्काईचतुर्भङ्गी, कल्प्याकल्य- दूती, लोकोत्तरे उभयपक्षे च, धन-४८४-४९३ संतवस्वरूपं सम्बन्धिवचनयोः विधिः, उद्गमकोव्यां पटू, शेषा वि- दत्तदृष्टान्तः १२७ । पूर्वपञ्चाङ्गेदी च १४१ . शोधिः, नवाष्टादशादिकोट्या, गृग-1४३५-४३६,३३-३४+ लाभालाभादि षडिय ४९४-४९९ विद्याया मनच भिक्षपासका वा उद्गमदोषाः १२० । निमित्तं, भोगिनीदृष्टान्तः १२८ । पादलिप्तश्च दृष्टान्ती १४२ : ॥ इत्युद्गमदोषाः॥ ४३५-४४२ जातिकुलगणकर्मशिल्पैः सूचा-५००-५१३, ३५-३७+ चूर्णे चाणाक्यक्षु.. ॥ अथोत्पादनादोषाः॥ सूचाभ्यामाजीकः १३० । लको, पादलेपे समितसूरयः, क्षता४०४-४०९ द्रव्योत्पादनायां सचिचादि,४४३-४५५ श्रमणमाहनकृपणातिविश्वभिर्व भिवतयोन्योर्विवाहे च युवतीयुग्मं, भावोत्पादनायां धाच्यादयो दोषाः नीपकः, निर्मन्थादयः श्रमणभेदाः, गर्भ नृपपन्यौ १४६ (१६) १२१ | वनीपकरवे दोषाः १३२ ५ १४-५१५ साधुसमुत्था सत्पादनादोषाः, | ४१०-४२७, ३१-३२+ क्षीरमजनमण्डन-४५६-४६० त्रिविधाश्चिकित्सास्तदोषाश्च एषाणायां शङ्कितभावापरिणतो क्रीडनाधात्रीत्वानि करणकारणाभ्यां, १३३ साधोः, शेषा गृहस्थात् १२२ धात्रीशब्दव्युत्पत्तिः, धात्रीदोषगुणा-४६१-४८३ घृतपूर्णसेवकिकामोदकसिंहके- ॥ इत्युत्पादनादोषाः ॥ दिनिरूपणं, दत्तदृष्टान्तोत्र १२६ शरदृष्टान्ताः क्रोधादिषु, क्रोधादिका- ॥ अथ एषणादोषाः॥ |४२८-४३४ स्वग्रामपरप्रामप्रकटच्छन्नभेदा | रणानि च १३९ 1५१६-५२० एषणानिक्षेपाः (४) द्रव्ये वानर ॥१६६॥ सुत्ताणि ल ~87~ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां GANGAC देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम यूथदृष्टान्तः, भावे शद्विवादि (१०) स्थानयोः, कल्याकल्प्यविधिः, सप्त-१५७२-६०४ बालवृद्धमत्तोन्मत्तादिचत्वारिंश-18 १४७ विधो विच्यातायग्निः, यतना च, विधदायकेषु केषुचिजना तदोषाश्च ५२१-५३० प्रणभोगयोश्चतुर्भशी, उद्गम- अनत्युष्णोदकमघहितकणं माझं, १६४ । (१६) प्रक्षिवादि(९)षु शङ्का, उप- पार्थावलिप्तानत्युषणापरिशाटापट्टन- ६०५-६०८ सचित्ताचित्तमिौकन्मिने चतुयोगाच्छुद्धिः, श्रुतोपयोगगृहीतं भङ्गाः, भङ्गानयनरीतिः, अत्युष्णे भङ्गयः, संहतोन्मिश्योर्विशेषः, आकेवल्यपि भुक्के, अन्यथा भुवाप्रामा- दोषाः, वातहरितयोरनन्तरपरम्पर- शुष्कस्तोकबहुचतुर्भजपा, कल्प्याण्यादि, परिणामाशुद्धः शङ्कासावे भेदौ १५४ कल्यविधिश्च १६५ .. चानेषणीयम् १४८ ५ ५८-५६२ सचित्ताचित्तमिश्रेषु पिहितेषु च-६०९-६१२ अपरिणते द्रव्ये षट् कायाः, ५३१-५३९ प्रक्षिते सचिचे पृथिव्यम्बनस्प- . तुर्भपः, चरमे भजना १५५ । भावे दातृगृहीत्रोः १६६ तयः, अचित्ते गर्हितेतरे, हस्तमा-५६३-५७१ सचित्ताचित्तमिश्रसंहरणेषु च-६१३-६२६ लिप्ते दयादिलेपोऽपि वयः। प्रयोश्चतुर्भङ्गी, संसक्तिमदकल्यम् तुमेश्या , तल्लक्षण, अचित्ते आ- नित्यतपसा संयमाविहानेर्भोजनं, धारसंहियमाणयोः शुष्काईस्तोकब- यण्मास्याचाम्लैर्भोजनं,महाराष्ट्रादिवत् ५४०-५५७ निक्षिप्ते सचित्तमिभयोरनन्तरप हुचतुर्भङ्गाथा, तत्र कल्प्याकल्यवि- अलेपेन यापना, तक्रादीनां, प्रहणं, रम्परे, सचित्ते पोढा, स्वस्थानपर-]. धिर्दोषाश्च १५७ शीता आहारोपधिशय्याः, अलेपा A CCORE% सुत्ताणि ~88~ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४१/२] मूलसूत्र-२/२ 'पिंदनियुक्ति' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक पिण्डनि यहा देखाए नन्यादि अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड, उत्त. ॥ १६७॥ युक्तिबृहद्विषयानुक्रमः दीप 'मत्स्यदृष्टान्तः, भावे संयोजनाद्याः, याऽऽहारमानम् १७५ सावशेषद्रव्यैर्भङ्गाः १६९ । अर्थसिद्धयै चरितकल्पिताहरणे, सा-६५५-६६० साङ्गारसधूमौ सदोषाश्च १७६ धोरात्मानुशासनम् १७२ ६ ६१-६७१ क्षुद्वेदनादीनि कारणानि, आत-15 ६२७-६२८ छर्दिते शीतोष्णमिभचतुर्भक्ष्य-... ६३६-६४१ द्रव्यसंयोजना बहिः, पात्रकव- वादीनि न्यूनाहारकारणानि, उपलबदनेष्वन्तः, रसहेतौ दोषः, अप संहारः, धर्मावश्यकयोगानामहानिः षट्कायविराधनाः, मधुबिन्दुदृष्टान्तः बादश्च १७३ . . प्रयोजनं, सूत्रविधिना विराधना नि६४२-६४३ पुरुषादेराहारप्रमाणं यात्रामात्रा जराफला १७९ ॥ इत्येषणादोषाः॥ .. हारश्च मुनिः |६४४-६५४ अतिबहुकमतिहुशः प्रकामनि- ॥ इति ग्रासपणादोषाः॥ ॥ अथ प्रासपणादोषाः॥ कामाभ्यां प्रमाणं, हीनादिभोजने ॥ इति पिण्डनियुक्तिः॥ |६२९-६३५ प्रासेषणानिक्षेपाः (४) द्रव्ये गुणाः, हितमितस्वरूपं, कालापेक्ष १७० क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम AAAAAAACa सुत्ताणि 845456 ~89~ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र- ४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ॥ उत्तराध्ययने बृहद्विषयानुक्रमः ॥ मङ्गलम् । उपोद्घातः । फलयोगम | १२ ङ्गलादि ३ 'श्रुतस्कन्धनिक्षेपातिदेशो, नामाधि ३० काराणां प्रतिज्ञा च ९ उत्तराध्ययनत्वे हेतुः ५ अङ्गादिप्रभवत्वम् ६ १-२ उत्तर निक्षेपाः (१५), जघन्यादेः १३-२६ अध्ययननामानि सर्वाध्ययना- धिकारः सोत्तरानुत्तरत्वे ५ पिण्डार्थोपसंहारः एकैकाध्ययनप्रतिज्ञा च १० 'विनयश्रुतस्योपक्रमादिद्वारातिदेशः (अनुयोगद्वारवर्णनं ) १५ विनयनिक्षेपातिदेशः श्रुतनिक्षेपच'तुष्के द्रव्यभावी च १८ साधुविनयकथनप्रतिज्ञा ( संहिवादिव्याच्या ). २१ ૨ ४ ५- ११ अध्ययनादीनां २७ २८ निक्षेपचतुष्कम्, नो आगम भावाध्ययनव्याख्या, दीप- २९ वद्भावाक्षीणता, भावायः, तदेकार्थिकानि च वस्त्रस्य द्रव्यक्षपणा, १* -त्रिधा मावक्षपणा ८ ३१ ३२ ~90~ ३३ ३४ | ३५ ३६ ३७ संयोगे निक्षेपषटुं द्रव्ये द्विधात्वम् । (नामा दिव्याख्याविधिस्थापना) २३ संयुक्तकसंयोगविषयम् मूलायैर्दुमादे: सचित्तसंयुक्तकसंयोगः २४ "अण्वादेरचित्तसंयुक्तकसंयोग: २५ जीवकर्मणोर्मित्रसंयुक्तकसंयोगः परमाणुप्रदेशाभिप्रेतानभिप्रेताभिलाचैरितरेतर संयोगः • संस्थानस्कन्धभेदेन परमाणु संयोगः २६ स्कन्धभावे हेतुः २७ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा अनु. आव. देखाए उच्चराध्ययने बृहद्विषयानुक्रम दीप CACANC क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि-FI३८ संस्थानभेदाः ३०. ५४ प्रकारान्तरेणात्माविसंयोगाः ३६/६३ क्षेत्रादिसम्बन्धनसंयोगः |३९-४१ संस्थानपश्चकजघन्यप्रदेशाः २९/५५ औदयिकायाः (4) संयोगाः ३७२* विनीतलक्षणम् ४४ ओष, दश. I ४२ प्रदेशसंयोगेऽनादिसादिभेदौ ३० ५६ नामक्षेत्रकाशिसंयोगः, तदुभ-|२७ अविनीवलक्षणम् ४५ पिण्ड. उच. C४३ अभिप्रेतानभिप्रेतसंयोगी बेन मिश्रः अविनीतफले शुनीदृष्टान्तः ॥१६८॥ ४४. मनोऽभिप्रेता औषधादिसंयोगाः ३१५७ आचार्य शिष्यादीनामपि बाह्यसं- ५* अस्य शूकरदृष्टान्तेन शीलहानदु४५ द्रव्यायैरभिलापसंयोगाः ३२ योगः ३८ श्शीलरती ४६ ४६-४७ द्रव्याद्यैः संबन्धनसंयोगा: ३३ ५८ आचार्य शिष्यस्वरूपम् (सूरिगुणाः ३६)/ ज्ञातदृष्टान्ताय हिवैषिणे विनयत्रियो|४८-४९ भावेऽनादेशसंयुक्तसंयोगा, आ-५९ ज्ञानादिषूभयसंयोगः ४१ पदेशः ४६ देशभावसंयुक्तसंयोगाः ३४ शीललाभानिष्कासने विनयफले । ५० आत्मातिसम्बन्धनसंयोगाः (१) ५० निधृत्तिदेहमात्रादेरुभवसंयोगवा ४२/ विनवैषणाविधिः ४७ ५१ (११) सान्निपातिकोऽप्यनुदयः ६१ कषायममतावतः सम्बन्धनसं ९* शान्तिसेवाबाळसदास्यकीडावर्जबाझार्पितसंबन्धनसंयोगः, (लेश्या योगः ४३ दिः) ३५ ६२ सम्बन्धनसंयोगे संसारः, ततो मुक्तः १०* चाण्डालिकबह्वालापवर्जनमध्ययन(१५). स्वोदयसाग्निपातिको मिश्रः ।। साधुः । - व्याने च ४८ %2595%-45 दा॥१६८॥ सुत्ताणि % ~91~ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ११ पाण्डालिकसंग विधिः। १९८७ पार्चपुर:पृष्ठतोऽनिषदनमयुज्योरू, २८७ शिक्षाप्रेरणयोः प्राज्ञाप्राज्ञयोर्बुद्धिः।। १२* शिक्षाया भूयोऽमिच्छा पापस्यागश्व, शपायामप्रतिभवर्ण (शुश्रूषाविनये) २९* शिक्षायां मूढाना द्वेषः गल्याकीर्णवत् ४८ १९ पर्यस्तिकापक्षपिण्डपादप्रसारवर्जनम् । ३०% अनुचाचासनः । ५९ ६४ गल्याकीर्णपर्यायाः ३१* कालेन निर्गमप्रतिक्रमणसमाचारः अनाभवाद्याञ्चित्वानुगायाश्च गुर्वप्र-२०* आहूतो गुरुमुपतिष्ठेत् । ३२ खानैषणभक्षणविधिः । सादप्रसादकारिणः, (चण्डरुद्राचार्य- २१% सत्पुनर्वा लपत्याचर्षि यतं प्रतिशृणुयात् .. दृष्टान्तः) ५० "३३* अन्यभिक्षुकानतिक्रमणम् । ६० २२* पृच्छाविधिश्च । ५६ १४* गुरुचित्तप्रसादनविधिः (कुलपुत्र- २३* विनीते सूत्रायोमयार्पणम् ।। ३४* पिण्डमहणविधिः। भूतदृष्टान्तौ) ५२ ३५* प्रासैषणाविधिः ६१ . २४% बघावधारणीमायादिवर्जनम्। १५* आत्मदमनफलम् (चौरदृष्टान्तः) २५% साक्यनिरर्यकमर्मभागवागर्जन ३६* मुक्तसुपकाविवाग्वर्जनम् । ३७* पण्डितबायोः शिक्षायां गुरोः १६ आत्मपरदमनयोहतवः (सेचनक- २६* समरागारादौ सिया सह स्थानागप खितिः २ दृष्टाना) ५४ ३८* खडकादिभिः शासने पापदृष्टिता१७७ भाषी रहो का वाकर्मम्वी प्रानी २७६ शीतपरुणं शिक्षायां लाभबुद्धिः .. मतिः । . सासागर (प्रतिस्पे) . । प्रतिश्चतिचा ५८ -३९* शिक्षायां साध्वसाधुमतः। 206+ CARAJGANGAROO वर्जनम् . सुत्ताणि 45 ~92~ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादिअनु. आव. ओष. दश. पिण्ड. उत्त. ॥ १६९ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र - ४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ४०* आचार्यात्मनोरकोपनमुपघाततोत्र ४१* आचार्यकोपे शिष्यविधिः ६४ ४२* क्षान्त्याद्याचरिताचरणेऽगर्दा । ४३* आचार्यमनोवाग्गतस्योपपादनम् । ४४* नोदनानोदनयोर्यथोपदिष्टकृत्यकारी । ६९ ૬૮ अथ परीषाध्ययनम् ॥ २ ॥ गवेषितावर्जनं च । ( अनशन्याचार्य- ६५ ६७ परीषद निक्षेपाः (४) व्यतिरिक्ते कर्म - ७९ दृष्टान्तः) ६३ नोकर्मभेदौ, कर्मण्यनुदयश्च, नोक- ८० मणि भेदत्रयं भावे कर्मोदयः ७३ परीषदाध्ययने कुतः कस्येत्यादीनि ८१ १३ द्वाराणि कर्मप्रवादसूत्रताऽध्ययनस्य । ૮૨ ऋजुसूत्रान्वाः त्रिषु संयते शब्दः ८३ परीषहमानी ७४ नैगमे भङ्गाष्टकं सङ्ग्रहे जीवनोजीवौ, ८४ व्यवहारे नोजीवः, ( शेषाणां जीवः परीषदः प्रकृतिपुरुषयोः समवतारप्रतिज्ञा । परीषहाधारा मूलप्रकृतयः ७० ७५ ८५ ८६ ६५ ४५* विनयात्प्राज्ञानां फलम् । ४६* विनयप्रसन्नात्पूण्यात्फलम् । ४७* पूज्यशास्त्रस्यैहिकं फलम् ६६ ४८* विनीतस्यैहिकामुष्मिकं फलम् ६७ (नयज्ञान क्रियाविशेषविचारः) ७१ ७२ ॥ इति विनयाध्ययनम् ॥ १ ॥ ७३ ७१ ७४-७८ भेदे परीषाणां कर्मण्यवतारः ७६ गुणस्थाने परीषदावतारः । त्रयाणामग्रहणाभोजने, ऋजुसूत्राणां प्रासुकेऽध्यासना ७७ आपस्य हेतुः, द्वयोर्वेदना, जो जवः, शेषाणामात्मा परीषदः । युगपत्परषहसंख्या वर्षा त्रयाणां ऋजोरन्तर्मुहूर्त, शव्दस्य समयं परीषदः । ७८ कण्डाया वेदनाः सप्तवर्षशतीम् । (सनत्कुमारदृष्टान्तः) चतुर्णी लोकसंस्तारयोः, शेषाणामात्मनि परीपहः । ७९ उद्देश पृच्छा निर्देशाः । ~93~ उत्तराध्ययने विनयाध्य. प रीपहाध्य ॥ १६९ ॥ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम 81१सू. उद्देशपछानिर्देशैः सूत्रस्पर्शने परी-५८-५९२९३ दंशमशकपरीषहः । सुम-७०-७१११०८-१०९ शय्यापरीषहः । सोपहाः (२२) (वक्तृता, गुरुकुलवास- नोभद्रदृष्टान्तः (५) ९२ मदत्तसोमदेवदृष्टान्तः । (११)१११ पौरुषेयतासिद्धिा) ८३ ६०-६११९४-९७ अचेलकपरीषहः। ७२-७३१११० आक्रोशपरीपहः । अर्जुन-1 ४|४९* परीषहकथनप्रतिज्ञा। (दिगम्बरनिराकरणं) सोमदेवदृष्टा- मालाकारदृष्टान्तः (१२) ११४ ६५०-५१* क्षुधापरीषहा, न्तः । (६) ९८ ७ ४-७५२१११-११३ वधपरीषदः, स्कन्द८७-८८ परीषह (२३) दृष्टान्तसूचा। ८४६२-६३९९८-९९ अरतिपरीषहः, तत्सह- कतच्छिण्यदृष्टान्तः (१३) ११६| हा८९ हस्तिभूतिक्षुलकदृष्टान्तः (१) ८६ नोपायच, युवराजमित्रपुरोहित- ७६-७७*११३॥ याचापरीषहः । बलदेव-| ४५२-५३७९० पिपासापरीषहः, धनशर्म- दृष्टान्तः (७) १०३ दृष्टान्तः (१४) ११७ दृष्टान्तः (२) ८८ . ६४-६५४१००-१०५ स्त्रीपरीषहः । पाट-७८-७९०११४ अलाभपरीषहः । ढंढण५४-५५२९१ शीतपरीषहः । वैभारगिरि- लिपुत्रे स्थूलभद्रदृष्टान्तः (८)१०७ दृष्टान्तः (१५) ११९ समीपवर्तिभद्रबाहुशिष्यचतुष्कदृष्टा-६६-६७७१०६ चर्यापरीषहः । सामशि-८०-८१११५ रोगपरीपहः। फालवेशिक-४ न्तः (३) ८९ ध्यदत्तदृष्टान्तः (९) १०८ दृष्टान्तः (१६) १२१ ५६-५७९२ उष्णपरीषहः । अईसकदृष्टा-६८-६९११०७ नैषेधिकीपरीषहः । कुरु- ८२-८३४११६ तृणस्पर्शपरीषहः । भद्रकुन्तः । (४) ९१ दत्तदृष्टान्तः। (१०) ११० मारदृष्टान्तः (१७) १२२ सुत्ताणि ~94~ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखाए उत्तराध्ययने परीपहाध्य. चतुरंगीयाध्य. दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्द्यादि- ८४-८५११७ मलपरीषहः । सुनन्दश्रा- कुलालवाक्यम् । गङ्गाब्यूटपाट-१४३-१५५ अङ्गनिक्षेपाः (४) गम्धौषधमद्याअनु. आव. कदृष्टांतः (१०) १२४ छजनवाक्ये । दृग्यौटजतापसवा- सोद्यशरीरसुखाङ्गानि द्रव्ये । उदायन-1 ओघ. दश. ८६-८७१११८ सत्कारपरिषहः, पुरोहित- क्यं । गृहीतदण्डप्रोत्तरवाक्यानि । ममि बासंपदचारवं गन्धाङ्गम् । कपिण्ड, उत्त.१ पादपीडकश्रावकदृष्टान्तः (१९) बल्लीस्थितसर्पमक्षितवृक्षस्थाण्डे शकुनि- सिमिरावावौषधामम् । १४३ वाक्यम् । रोधे मातङ्गवाक्यम् । राशि मथातोघशरीराङ्गानि । यानावरणश-1* ॥१७॥ चौरे नागरकवाक्यम् । पत्थर्पिते पुत्रे खदाक्षिण्यमी त्याचा युद्धाङ्गम् । भावाङ्ग ८८-८९४११९ प्रज्ञापरीषदः । कालकाचा मातृवाक्यानि । उपयाचितच्छग- द्विधा, भुताने द्वादशाङ्गी, मानुषर्यदृष्टान्तः (शक्रागमः) (२०)१२८ | छोपदेशः । सामरणसंयथार्यापाढ- अतिश्रद्धावीर्वाणि नोभुताले १४४ ९०-९१४१२०-१२१ अज्ञानपरीषहः । - वाक्यानि १४० १५६-१५७ शरीरसंवगोरेकाथिकानि । शाकटपिठातः (२१) स्थूलभ- ९४* अध्ययनोपसंहार ९४० १५८ नरवादिसंयमान्ताः (१२) दुर्लभाः &ा द्रनिधिसूचनदृष्टान्तः (२१) १३१ ॥इति परीपहाध्ययनं ॥२॥ ९२-९३२१२२-१४० दर्शनपरीषहः ।। ।। अथ चतुरङ्गीयाध्ययनम ॥३॥ ९५९ मानुष्यदुर्लभवे चोलगाविदृष्टान्ताः (आत्मसंयमाविसिद्धिः) भार्याषाढ-१४१ एककनिक्षेपाः (७) १४१ (१०) १५० दृष्टान्तः (२२) महाकान्त-१४२ चतुष्कनिक्षेपाः (७) १६०-१६१ आलंस्थायाः (१३) विघ्नाः१५१ CASSACROSAGAR ॥१७॥ सुत्ताणि ~95 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम १६२-१६३ मिथ्यात्वादश्रद्धा, गुरुनियोगा-। १७५-१७७ अबद्धिकगोष्ठामाहिलाधिकारः । १०४७ श्रुतिश्रद्धधोयिस्य दुर्लभता । नाभोगाभ्यां बाऽतत्त्वश्रद्धा १५२ (७) अवद्धताप्रतिपादनम् । अपरिमा- १०५* लम्बचतुरख कर्मनाशः। १६४ मिलववक्तव्यताप्रतिज्ञा १५२ णप्रत्याख्यानमा(१२ संभोगाः)१७८ तवैव शुद्धिर्धर्मों निर्वाण च १८६ १६५-१६६ निह्नवदृष्टीनामायाः पुरुषाः(७) १७८-१-२+ दिगम्बराधिकारः (८) दिग-, १५३ १०७* ऐहिकामुष्मिकफलेन शिष्योपदेशः । म्बरमततत्तरम्परामूले १८१ ।। १६७ जमालेरधिकारः (१) १५७ । |९५-९६* चतुरङ्गीदुर्लभता । नानाकर्मजना- १०८-१०९* मुक्त्वभावे श्रेष्ठदेवत्वम् १८७ १६८ अन्त्यप्रदेशजीववादितिण्यगुप्ताधि नाजातिषु भ्रमामरवदुर्लभता १८२ ११०-११२० च्युतस्य दशाझे कुले मानुष्य, कार। (२) १६० |९७* देवनरकासुरेषु भ्रमाच दशाङ्गानि च १८८ १६९ अध्यक्तवाद्यापाढशिष्याधिकारः (३) रिस (२) ९८% क्षत्रियचाण्डालादिषु भ्रमणापि ११३-११४* पुनर्मानुष्ये भोगाः बोधिः । १६२ (१७० सामुच्छेयश्वमित्राधिकारः (१) १६५९ |९९-१०० कर्मणोऽनिर्वेदः संसारभ्रमश्च । संयमः सिद्धिश्च १८९ १७१ द्विफ्रियाऽऽर्यगङ्गाधिकारः (५) १६८, १८३ ॥ इति चतुरङ्गीयाध्ययनम् ॥३॥ |१७२-१७४ पडुलकराशिकाधिकार १०१% लघुकर्मणः शुद्धस्य नरत्वम् १८४ परित्राजकचियास्तत्प्रतिपक्षविद्याश्च |१०२% तपःक्षान्यहिंसादराय धुतेदुर्लभता ॥ अथासंस्कृताध्ययनम् ॥ |१०३ अवणेऽपि श्रद्धा दुर्लभा १८५१७९ प्रमादाप्रमादयोनिक्षेपचतुष्क १९० 56545% सुत्ताणि 45- १७२ ~96~ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादि अनु. आय. ओघ. दश. १ पिण्ड. उत्त. ॥ १७१ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां - लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र - ४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) स्वाभिलापेने करणादि, कालकरणा- ११९* प्रणष्टगुद्दादीपवन्यायादर्शिता, वितेनात्राणं च (पुरोहितपुत्रदृष्टान्तः) २०७ द्रव्यभावदीपौ, आश्वासप्रकाशभेदौ क्रमात् स्यन्दनास्पन्दनी सन्धिवासन्धितौ च (धातुवादिदृष्टान्तः) १८०-१८१ मद्याद्याः प्रमादाः प्रमादाप्रमादाभिधानद्देतुता । १९१ ११५* जीविते ऽसंस्कृतेऽत्राणे च कः प्रमादः ? अष्टान्तः) १९३ नि ओधेनैकादश, ध्रुवकरणचतुष्कम् (तिथिकरणज्ञानोपायः) वर्णादि- २०६ भेदेनाजीवभावकरणे (५), जीवभावकरणे श्रुतनोते, श्रुते च बद्धाबद्धे निशीथानिशीथे । नोश्रुते गुणे तपः संयमी, योगा योजनायाम् । १२० कार्मणायुर्थ्यामधिकारः । २०७ १८२ संस्कृतासंस्कृतयोः खरूपम् १९४ १८३-२०५ करणनिक्षेपाः (६) । द्रव्ये कटाविकरणं सब्ज्ञाकरणे । नोसज्ञायां प्रयोग विश्रसाभेदौ । अनादिसादी वि असाकरणे । चाक्षुषं विश्रसाकरणम् || प्रयोगे जीवाजीवौ, जीवे मूले शरी- ११६* पापधना नरकगामिनः (चौरटराङ्गोपाङ्गादि कर्णस्कन्धादीन्द्रियो पघातविशुद्धिश्चोत्तरे, संघातपरिशा- ११७* सन्धिमुखगृहीतचौरवत् पापिनो न टोभयानि । (शरीरेषु संघातादिवि- मोक्षः (चौरदृष्टान्तः) २०९ चारः) पटादेः सङ्घातनाद्युत्तरकर- ११८* कर्मफले बन्धूनामबन्धुता (आभीणम् । अजीवप्रयोगे वर्णादि । क्षेत्र-रीववकवणिग्दृष्टान्तः) २११ शन्तः) २०७ ~97~ २१३ बुद्धजीव्याशुप्रज्ञस्य भारण्डवप्रमतवा (अगडदत्तदृष्टान्तः) २१७ १२१* पाशमानी शङ्कमानः लाभजीवी मु येत (मण्डिकचौरदृष्टान्तः) २२२ १२२-१२३ छन्दोनिरोधेनाप्रमत्तस्य मोक्षः (अवष्टान्तः) अनभ्यासे विषादः २२४ १२४* कामांस्त्यक्त्वा लोकं समेत्य समताविद्युतस्याप्रमत्तता ( माझणीदृष्टान्तः, वणिगू महिलाष्टान्तच) २२६ उतराध्ययने चतुरंगीयाध्य. असंस्कृ वाध्य. ॥ १७१ ॥ Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए CREAK दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम +CCCCCCIECCCCCCASCANCE १२५-१२७* मोहगुणेषु रागद्वेषत्यागः क-२१४-२२४ नामविभागकथनप्रतिज्ञा, आवी-२३३ उपसंहार औद्यपरिहारश्च । पायत्यागश्च । मृत्यु यावत्प्रेमद्वेषानुग- चेलेक्षणं भेदपञ्चकं च । अवध्या- २३४ भक्तपरिज्ञादीनां (३) श्रेष्ठता २४१ मतजुगुप्सा २२८ यन्तिकवउन्मरणानि । अन्तःशल्य- २३५ मनुष्यसकाममरणाभ्यामधिकार: ॥ इत्यसंस्कृताध्ययनम् ॥ ४॥ मरणं, तत्फलं च। तद्भवबालप- १२८७ तार्येऽर्णवे प्रमः ण्डितमिअच्छास्थकेवलिवैहायसगृध्र- १२९७ सकामाकाममरणे । २४२ भाग २ ॥ अथाकाममरणाध्ययनम् ॥ पृष्ठमरणानि । २३५ १३०% बाळानामकाममसकृत्, पण्डिताना २०८ कामनिक्षेपाः (१) मरणनिक्षेपाः(६) २२५ भक्तपरिशेङ्गिनीपादपोपगमनानि । सकामं सकृत् । अभिप्रेतकामैः प्रकृतम् २२९ २३७ |१३१-१४४० कामगृद्धकूरकृतनास्तिकैहिक२०९ द्रव्यभाषमरणे, भारे ओघभवत- २२६ अनुभावेषूपक्रमेतरी, आयुःप्रदेशाध। कामाभिलाषिशङ्कितपरलोको लोक| विकानि वा २३० २ २७-२३० एकसमयमरणसंख्या (५), भ- दर्शी बसस्थावरहिंसको (पशुपालह२१०-२११ मरणे विभक्त्यनुभागप्रदेशाग्रा- बचके एकैकमरणसङ्ख्या २३९ धान्तः) मायी सुरामांसभोजी गृद्धो | दीनि (८) द्वाराणि २३१-२३२ अनादिमेषु मरणेष्वनन्तो भागः, द्विधामलसंचयी आतङ्के मीतः कर्मा२१२-२१३ आवीच्यादिका मरणभेदाः(१७) आधमनुसमयं, प्रथमचरमयोर्नान्त- नुप्रेक्षी प्रगाढनरकानुप्रेक्षी पश्चात्ता रम्, आचमनादि २४० । पवान् भग्नशकटबत् प्रतिपन्नाधर्म सुत्ताणि ~98~ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादि अनु. आव. ओघ. दश. पिण्ड. उत्त. ॥ १७२ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - - शोची कलिजितधूर्त इव संत्रस्तो- १५७ दयाधर्मशान्ति मेधाविनां प्रसन्नता | काममरणवान् २४८ १४५* सकाममरणस्वरूपम् २४९ १४६* सर्वमिवारिषु तदभावः १४७ विगारिणोर्द्विषमशीलता २५० १४८* चीराजिनादीनाम त्रातृत्वम् १४९ दुःशीसुरतयोर्गती (द्रमकदृष्टान्तः) २५१ १५० १५१* सामायिकपौषधक्रियावतो दे वत्वम् २५२ १५२* साधोर्मोक्षदेवत्वे । १५३-१५४* आवासानां देवानां च स्वरूपं १५५* संयमतपोभ्यां शान्तानां गतिः २५३ १५६* शीलवतां मरणेऽत्रासः मन्थभेदाः, निर्मन्यखरूपं च । २६२ २५४ १५८-१५९* मरणे रोमहर्षत्यागः, प्रया- १६०* दुःखहेत्वविद्यामन्तः संसारे छियणामन्यतमन्मरणं मुनेः २५४ न्ते । (कुम्भश्राहिगोधकदृष्टान्तः) १६१* सत्येषी मैत्रीवान् भूयात् । १६२-१६३* मात्रादीनामत्रातृत्वादृद्धिलेहोश्छेदः २६५ ॥ इत्यकाममरणाध्ययनम् ॥ ५ ॥ ॥ जय ॥ २३६ महच्छब्दनिक्षेपाः (८) २५५ २३७-२४३ निर्मन्ध निक्षेपाः (४) नोआगमतः (३) भावे (५) ( पुलाका दि स्वरूपम् ) १६७* नरकहेतुर्धनादिः, दत्ताशनम् २६६ ३-३०+ पुढाकादिस्वरूपम् । संयमश्रुत- १६८# निष्क्रिया ज्ञानवादिनः प्रतिसेवनादीनि द्वाराणि । उत्कृ- १६९* वाग्बीर्यास्ते २६७ | १६४* गवादित्यागिनः कामरूपिता । १६५-१६६* स्थावरादेर्दु:खामोक्षः, प्रियायुषो न हन्यात् grat निर्मन्थाः मन्थे वाह्याभ्य- १७०% भाषाविधै पापकर्मणो न प्राणम् । न्तरौ (१०) (१४) अभ्यन्तरवा- १७१* शरीरादौ सक्तिर्दुःखं २६८ ~99~ उत्तराध्ययने अका ममरणाध्य. क्षुद्धकनिर्य. ॥ १७२ ॥ Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां OCTOR देखीए दीप +GA क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम १७२७ संसारात खाद। ।२४७-२४८ ऊरमादिदृष्टान्तपञ्चकसूचा।। बन्युतिः (द्रमकराजदृष्टान्ती) दि २७५* मोक्षार्थ देहाति। २४८ आरम्भरसगृद्धिदुर्गतिप्रत्यपायरुपमा २७७ १७४* कर्महेतुत्यागी यथावपिण्डपान २७२ १८९० मनुष्यकामायुषो दिवि सहस्रगुणता भोका २६९ 1१०८ आदेशार्थमेळकपोपणम् (ऊरभ्र-१९०० मनुष्यकाबाद काकिन्यारोपमाः २७८ १७५* लेपसन्निध्योस्त्यागः दृष्टान्तः) २७३ १९१-१९२५ वणित्रयोपमा (वणिक१७६* अविस्वसहिए पिण्डेयी २७० २४९ आतुरदीर्घायुषो लक्षणम् । पुत्रत्रयष्टान्ना) २७१ (१७७* बैशालिफाल्यावरचमच्चयनन । १७९-१८०* पुष्टे आदेशाका । आदेशा "१९३० मानुष्यं देवत्वं बरकतिर्यस्ले मूलं गमे वधः २७४ ॥ इति क्षुल्लकनिम्रन्यीचाध्वयनम् ॥६॥ लाभो मूलच्छेदश्च (सत्त्वत्रय३॥ १८१* आदेशाध्यूरभ्रवधी निरवैषी। दृश्यम्त) ॥अथ औम्रिकाध्ययनम्॥ १८२-१८६हिंसाचा नरकहेतवः। आस-१९४४ बरकतिर्यक्त्वे टोपशठबाळस्य। २४-६ करनिक्षेपार (1) ही, नादि धनं च रजोदेतू, तादात्विकस्य बोआप बिका। बाहिरिके एक- मरणे शोक: २७१ १ ९५ चिराइलेभोन्मजाऽस्म । अविकवद्धावुष्काभिमुखनामगोत्राः | १८७% हिसकानां नरकगामिता २७६ १९६-१९४० मानुष्यै मूलत्वम् । शिक्षाआगोएभः सदुत्थितं चाचवण२७१/१८८* काकिन्याम्राभ्यां सहस्रकाचीपणरा-1 सुत्रता नैरगतिकाः । २८० सुत्ताणि GANGA.COM ~100~ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादि अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड, उत्त. ॥ १७३ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र - ४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित: नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ४ एकविकादि (३) भावकपिलादध्य- २१५* प्राणवधाननुज्ञाता मुक्तिगामी । यनोत्थानम् २८६ २१६* स्थलादुदकवद्वचविरतात्पापनिर्गमः । २५३-२५९ कपिलचरित्रम् (कपिलकथा ) २१७* श्रसस्थावरयोर्वधत्यागः २९८ २१८-२१९० एवणारतो जातैषी अरसगृद्धो भिक्षुः प्रान्तादि यापनार्थ सेवते १९८# सविशेषशिक्षाशीला अदीना देवग ठिकाः २८२ २८९ २९५ १९९# पराजयज्ञानं किं न १२८३ २०० कुशाप्रसमुद्रोदकक्नरदेवयोः कामाः । २०१* अल्पे आयुषि योगक्षेमं किं न वि- २०८* अध्रुवे संसारे दुर्गतिरोधकं किं २९० न्यात् २८४ २०९ अस्नेहस्य दोषपदान्मुक्तिः २०२-२०४* कामाऽनिवृत्तो मार्गभ्रंशी । कामनिवृत्तो देवगतिकः, च्युतोऽपि २१० प्राप्तज्ञानस्य चौरमोक्षार्थमुपदेशः २९१ २२० लक्षणस्वप्रादिप्रयोक्ता न साधुः । ऋद्धिद्युत्यादिमान् २८५ २११* मन्थकलहत्यागी अलेपकः । | २२१-२२२ कामात्समाधिभ्रष्टा आसुरग२०५-२०७# बालधीरयोः खरूपं तुलना २१२* श्लेष्मे महिकावद्भोगगृद्धाशस्य बन्धः तिकाः संसारभ्रमिणो दुर्लभबोगतिश्च धिका: २९६ २९२ २१३* वणिजामतरतरणवत्साधोः काम- २२३* कृत्स्नलोकेनाप्य सन्तोध्यो दुष्पूर आत्मा २९७ ॥ इत्यौरभ्रिकाध्ययनम् ॥ ७ ॥ ॥ अथ कापिलियाध्ययनम् ॥ २५० - २५२ कपिलनिक्षेपाः (४) द्रव्ये २१४* अहिंसकासाधवो नरकगामिनः । २२४* लाभो लोभहेतुः, द्विमासलाभे कोद्विधा, नोआगमे त्रिधा, व्यतिरिक्ते २९३ टिलोभवत् । त्यागः ~ 101~ उत्तराध्ययने और श्रीयं का पिलीमं च. ॥ १७३ ॥ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम DACASSAGESGRESS २२५* स्त्रीषु न गृहयेत् , प्रलोभ्य दासबस्क्री- इन्द्रकेतोः पञ्चालराजस्यानित्यता- २३५-३३७* हेतुकारणचोदितनमिवाक्य, सन्ति ताः। विचारः । वलयशब्देभ्यो नमः। चू- वातहियमाणगन्धे वने खगाक्रन्दैः। २२६* स्त्रीत्यागी धर्मस्थो भिक्षुः २९८ तागान्धारस्य । त्यागिन:कः सञ्चयः। समाधानम् । ३०९ २२७* कपिलाध्ययनक्रियाफलम् ।। कि परकृत्यतृप्तिः १ किंगहीं ? अहित- २३८-२३९ वधमानमन्दिरान्तःपुरोपेक्षा वारणेऽदुष्टतेति । (प्रत्येकबुद्ध(४)- प्रश्नः। ३१० | ॥ इति कापिलियाध्ययनम् ।। ८॥ कथा) ३०६ २४०-२४१% अकिञ्चनस्य नगरीदाहेन दाहः ॥ अथ नमिप्रवज्याध्ययनम् ॥ २२८-२२९४ नमेश्यवनं जातिस्मृतिः पुत्र- २४२-२४३१ अपुत्रकलत्रव्यापारस्य न प्रिया२६०-२६३ नमिनिक्षेपाः (४) प्रत्रज्या- मभिषिच्य दीक्षा । प्रिये, एकत्वानुदर्शिनो भद्रं च निक्षेपाः (१) द्रव्येऽन्यतीर्थिकी, २३०-२३१७ भुक्तभोगस्य त्यागः, राष्ट्रव- २४४-२४५* प्राकारगोपुरादिकरणानन्तरं भावे आरम्भपरिमहत्यागः २९९ | लावरोधपरिजनत्यागश्च ३०७ | ब्रजेतीन्द्रवाक्यम् ३११ २६४.२७९ प्रत्येकबुद्धास्तदेशास्तबोधिहे- २३२% अन्नजति नगर्या कोलाहलः। २४६-२४९ श्रद्धातपःक्षान्त्यादेर्नेगर्यगैलपा-| तबश्च । नमिवृत्तान्तसूचा । सम-२३३-२३४% माइनरूपेण शक्रागमनं, नग- कारादित्वं कृत्वा मुक्तिरिति नमिः ।। समयं च्यवनं सिद्धिश्च प्रत्येकबुद्धा- रीकोलाहलप्रासादगृहदारुणशब्दहेतु ३१२ . नाम् । वृषभात्कलिङ्गराजबोधः । । पृच्छा। ३०८ | २५०.२५१* प्रासादादि कृत्वा व्रजेतीन्द्रः। AKARSAARCLEAGEबाट सुत्ताणि ~102~ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्या. दे अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड. उच. ॥ १७४ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - -२५३* शाश्वतस्थानजिगमिषा । २५४-२५५ नगरक्षेमं कृत्वा ब्रजेसीन्द्रः ३१३ २५६-२५७ कार्यकारिषु दण्डादण्डौ । २५८-२५९* अनम्र पार्थिववशीकारः (इन्द्रः) २६० २६३ दशलक्ष जयादात्मजयः, जितात्मनः सुखमिन्द्रियकपायजयच (नमः) । ३१४ २६४-२६५* यद्विजभोजनानन्तरं ब्रज इन्द्रः २६६-२६७ दशलक्षगोवात् श्रेयः संयमः (नमिः) ३१५ २६८-२६९# पोराश्रमे पौषधिको भव (इन्द्रः) २७०-२७१* कुशाप्रभोजी न धर्माशाईः । | २७४ २७६ सुवर्णादिपर्वतैः पृथिव्यादि | .मि नैवास्य सन्तोष: (नमः) ३१७ २७७-२७८* दृष्टभोगत्यागेऽन्यभोगप्रार्थमा (इन्द्रः । २७९-२८१* शल्यविषसपपम कामार्थिनां नरकः क्रोधादेर्वरकगत्यादिः (नमिः) ३१८ नमिः ३१६ २७२-२७३३ हिरण्यादि वर्द्धय (इन्द्रः) २८२-२८४ इन्द्रवरूपप्रकाशोऽक्रोधादिना नमिस्तुति: ३१९ २८५-२८७* अत्रामुत्रोत्तमतया सिद्धिगमनेन च स्तुतिः प्रदक्षिणाम्ध, वन्दित्वा स्वर्गमय । २८८-२८९# अमेरनुत्कर्षः, भोगनिवृसिह टान्सभूता ३२० ॥ इति नमिप्रव्रज्याध्ययनम् ॥ ९॥ ~ 103~ यथा 11 अथ द्रुमपत्रकाध्ययनम् ॥ २८०-२८३ द्रुमनिक्षेपा (४) ऽऽदिः, स्थित्युपक्रमाभ्यां पत्रेणैौपम्यं ३२१ २८४ ३०६ शाळमहाशालयागिलिदीक्षा, अष्टापदप्रतिमानन्तुधरमशरीरता, जीववैश्रमणस्या पुण्डरीकाध्ययनकथनं, कौण्डिन्यादौनी दीक्षाकैवल्ये, चिरसंसृष्टादिः, गौतमनिश्रया शिष्योपदेशश्च ३३३ २९०* पाण्डुरपत्रवन्नराणां जीवितम् ३३४ ३०७-३०९ पत्त्रस्थिरपत्रोदापार (कस्पिताः) उत्तराध्य बने नमित्रव्रज्याध्य. द्रुमपत्रायं च. ॥ १७४ ॥ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम BAAGRAACADAICCARE २९१ कुशामविन्दुवारजीवितं स्तोकम् । ३१७* अस्निग्धस्य शारदामुपजळवत्प्रस- क्षायिके केवलं बहु, द्रव्ये पोण्डका३३५ नवा। ३३९ दिपुस्तकादि भावे सम्यग्मिध्या२९२७ इस्वरे बहुविघ्नेचास्मिन्कर्मनाशोपदेशः ३१८* वान्तानाशी श्रुते ३४३ २९३ मानुष्यं दुर्लभं गाढाश्च विपाकाः। ३१९* द्वितीयमित्राद्यगवेषणम् । ३२०* जिनादर्शनेऽपि श्रद्धा । ३४० |३१३-३१४ शुद्धकर्मसम्यग्दृष्टेः सकृतं, २९४-३०३* पृथिव्यप्तेजोवायुवनस्पतिद्वि कर्मादानकृतमिथ्यादृष्टेरसत् ३२१* निष्कण्टको महालयो मोक्षगन्ता। त्रिचतुष्पञ्चेन्द्रियदेवनारककाय३२२* विषममार्गावगाहे पश्चात्तापः। |३१५-३१७ ईश्वरशिवादेव्यपूजा, जिखितिः ३३६ |३२३* तीरागतः पाराय त्वरख ३४१ | नादेर्भावपूजा, चतुर्दशपूर्विणोऽपि ३०४* प्रमादबहुलस्य संसारभ्रमणम् । ३२४* क्षेमशिवानुत्तरां सिद्धिं गच्छ । ३०५-३०९* आर्यत्वाहीनपञ्चेन्द्रियतोत्त- ३२५* उपदेशसर्वस्वम्।। |३२७* संयोगमुक्ताचारकथनप्रतिज्ञा । मधर्मश्रुतिश्रद्धास्पर्शनानां दुर्लभता । ३२६* रागद्वेषच्छेदः,सिद्धिगतिश्च गौतमस्य । ३२८* स्तब्धलुब्धानिमहप्रलाप्यविनीतोऽय॥ इति द्रुमपत्रकाध्ययनम् १०॥ हुश्रुतः। ३१०-३१५ श्रोत्रचक्षुर्घाणरसनस्पर्शनसर्व- ॥अथ बहश्रुतपूजाध्ययनम् ॥ ३२९-३३१% अशिक्षाहेतवः स्तम्भाया: बलानां हीनता। |३१०-३१२ बहुश्रुतपूजाशब्दानां निक्षेपाः (४) (५) अधःशिराधास्तु शिक्षाहेतवः | ३.१६* अरतिगण्डादिमिः शरीरपातः। । द्रव्ये जीवपुद्गलाः भावे चतुर्दश पूर्वाणि (८) ३४५ सुत्ताणि ३० नया. ~104 ~ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक देखाए नद्यादिअनु. आव. ओघ. दश. .. .. दीप ३३२-३३९७ अभीषणं क्रोधप्रबन्धायै(१४) ॥अथ हरिकेशीयाध्ययनम् ॥ ३६६-३६८* शरीरं प्रच्छाद्य तिन्दुकयक्षवा- उत्तराध्यरविनीतः, नीचैर्वृत्त्याचे (१५) वि-३१९-३२० हरिकेशनिक्षेपा(४)ऽऽदि. ३५४ क्य, साधुगुणकथनं भिक्षायाच्या । यने द्रुमपत्र नीतः ३४७ ३२१-३२७ हरिकेशपूर्वभवमदः प्रातिहार्यपिण्ड, उत्त. ३४०* गुरुकुलवासियोगोपधानादिमतः शि हरिकेशी मीक्षित्वा दीक्षा हरिकेशकार्थिकानि । ३६९४ द्विजार्थमेतत्तद्गच्छ (छात्रा) ३६१ यानि. ॥१७५॥ माईत्वम् ३४८ जन्म परपिवान्ता सुभद्रा, बलकुट्टे वल- ३७०* स्थलनिनन्यायेन देदि(यक्षः) ३४१* शङ्खपयोवद्वहुश्रुते धर्मकीत्यौँ । कोट्टस्य गौरीगान्धायौँ, सविषेतरसपी, ३ ३७१* जातिविद्योपपेता द्विजाः क्षेत्रम् ।। ३४२-३५६* कम्बोजाश्वाधारूढशूरपष्टि- तयोर्वधमुक्ती, भद्रकतोपदेशः । अत्र (छात्रा) हायनकुजरयूयेशवृषभसिंहवासुदेव- कयादिकथाबहुमुण्डितो जनः। ३५७ |३५९-३६१४ श्वपाककुलो गुणी हरिकेशः, ३७२-३७३* जातिविद्याविहीनाः क्रोधादिजम्बूशीतामन्दरस्वयम्भूरमणैरुपमा | पञ्चसमितस्त्रिगुप्तो यशपाटमागतः।। मन्तः पापस्य क्षेत्रं, भिक्षाचर्यावन्तः | बहुश्रुतस्य ३५३ ३६२-३६४* तपःकृशं प्रान्तोपधिमनायो पुण्यस्य (यक्षः) ३६३ ३५७गम्भीरदुष्प्रवर्षतायिनः सिद्धिः।। जातिमदहिंसेन्द्रियभ्रमरता वर्णना. ३७४ *प्रत्यनीकाय न दद्मोऽनपानम् (छात्राः) शवस्त्रादिभिरुपहसन्ति । ३५९ |३५८* श्रुताधिष्ठित आत्मपरतारकः ।। ॥१७५॥ ३७५* समितिसमाधिगुप्तिमतेऽदाने यज्ञ-13/ NI ॥ इति बहुश्रुतपूजाध्ययनम् ११॥ ३६५* प्राप्ते निन्दित्वा गमनप्रेरणा। । CASSETTE FACANCIENCE-NCC-SCRECR क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि A CY ~105~ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक 1-4 यहां देखीए दीप 16cles क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ३७६-३७७ दण्डफलादिभिश्छात्रादीनां व-३९६-३९७* ज्योतिरारम्भवाद्यशुद्धी न कु- ३३४-३५२ अझदत्तचर्या हिण्डी । कम्यात घायाऽऽदेशोऽध्यापकस्य, छात्रास्ताड- शलदृष्टे, कुशादयः पापक्रियाः। पित्रादयः । भ्रमणस्थानानि । ३८२8 यन्ति ऋषिम् । ३६४ ३ ९८-४००* प्रवृत्तियागकर्मक्षयप्रमः, वधा- ४०७* चित्रः पुरिमताले श्रेष्ठी प्रवजितश्च ।। ३७८-३८१५ अनिन्दिताङ्गी भद्रा नतः कुमा- दिविरतसंवृवादियज्ञयाजी । ३७२ ४०८* काम्पिल्ये समागमः, मिथो वार्ता च। रान् सान्त्वयति ऋषि च स्तौति ।३६५४०१-४०२* ज्योतिस्तत्स्थानसुवादिप्रो | पुरोजातीनां प्रकाशः ऋद्धिदाना|३८२-३८९७ असुरकृतं ताडनम् , भद्राकतो- तपआदीना ज्योतिरादिता दरश्च । ३८३ पाळम्भः शरणगतिशिक्षा च । छात्रा-४०३-४०५* इदतीथोविप्रने धमोदीना इ-४०९-४१२* अन्योऽन्यानुगानुरक्तौ आवां वस्था, सभार्याध्यापककृता क्षामणा दत्वादि । ३७४ । भ्रातरौ दासा इत्यादि ब्रह्मवाक्यम् । प्रसादनं च ३६८ ॥ इति हरिकेशीयाध्ययनम् ॥१२॥ ४१३* त्वन्निदानाद्वियोगः। (मुनिः)। ३८४ ३९० यक्षकृतमेतदिति मुनिः। ॥ अथ चित्रसंभूतीयाध्ययनम् ॥ ४१४* सत्यशौचफलम् (ब्रह्म) ३९१-३९४ शरणगतिः, अर्चनं, भक्तदा- ३२८-३३३ चित्रसंभूतयोनिक्षेपा (४)- ४१५-४१७* स्वबाह्यान्तःसमृद्धिवर्णन।३८५ नानुशा, विज्ञप्तिदीनं दिव्यपञ्चकं च। ऽऽदिः, चित्रसंभूतयोः पूर्वभवाः । ४१८-४१९* प्रासादवित्तभृत्यायनिमन्त्रणम् । (कथा संस्कृतेऽतः) ३८६ ३९५७ विस्मितद्विजकता तपःप्रशंसा।३७०४०६* कृतनिदानब्रह्मवृत्तजन्म ३७६ ४२०-४२२० गीतनृत्याभरणकामानामशु सुत्ताणि ~106~ Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादि अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड, उच. ॥ १७६ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - - भतां विरतौ सुखं च चित्रराजाय ४३६-४३७० क्षीणफलद्रुमपक्षिन्यायेन शास्ति । ३८७ ४२३-४२५* पूर्वभवान् दिष्वा मोक्षहेतुदीक्षोपदेशः । ३८८ ।। | ४२६* अशाश्वते जीविते पुण्यभ्रष्टः शोचति | ४३०* ब्रह्मदत्तस्याप्रतिष्ठाननरके गतिः । ४२७-४२८ सिंहान्मृगवन्मरणे कर्मणि ३५४-३५८ ब्रह्मशेषवक्तव्यता । ( गाथा चाशरणम् । ३८९ असंप्रदायाः) ३९३ ४२९-४३० द्विपदक्षेत्रगृहधनादेर्भिन्नता । ४४०* चित्रस्व मुक्तिः । ४३१# जरा वर्णहारिणी, मा कर्म कार्यः (मुनिः) ३९० ४३२# भोगाः सङ्गकराः । ४३३-४३५* अप्रतिक्रान्तनिदाना कामभो ॥ इति चित्रसंभूतीयाध्ययनम् १३ ॥ ॥ अथ इषुकारीयाध्ययनम् ॥ | ३५९ ३७२ इषुकार निक्षेपा (४) दिः । इषुकारपूर्वभवादिः । (इषुकारकथा) ३९६ गमूर्च्छा, पङ्कमद्मनागवत्यागेऽस- ४४१-४४३* देवभवाद् इषुकारादीनामवमर्थः । ३९१ तारः ३९७ | ४४४-४४५* जातिस्मृत्या पुत्रयोर्वैराग्यम् । भोगा अनित्याः, त्यागेऽशक्तोऽपि ४४६ ४४७# मोक्षानिकाङ्क्षिणोः तयोः पितुधर्मस्थितो भावी देवस्वम् । ३९२ राष्ट्रच्छा । ३९८ | ४३८* आरम्भपरिग्रहसतस्त्वं गच्छाम्य- ४४८-४४९* सुतोत्पत्तौ वेदाध्ययनादि कृत्वा हम्। (मुनि) भवतमारण्यकौ (पिता) ३१९ ~ 107~ | ४५०-४५५* वेदादीनामत्रावृता कामा अनमूला:, अनपेक्षितो मृत्युः । (कुमारी) ४०१ ४५६* धनस्त्रीकामास्तपः फलम् (पिता) ४५७* आत्महिते धनादेर्निरर्थकता (कु० ) । ४५८# शरीरमात्रो जीवः । (पि०) ४०२ ४५९-४६१# नित्यजीवत्वबन्धयोः साधनम्, पूर्ववत्पापाकरणं सदुःखे गृहेऽरतिश्व (कु०) ४०३ उत्तराध्ययने चित्रसंभूति येषुकारिये. ॥ १७६ ॥ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ४६२७ व्याघवागुरामहरणप्रभाः । (पि०) (४७४-४७५# पुत्रौ विरक्ती, धीराणां श्राम- ४९४-५०९* मौनधरणादि-रागोपरमणादि-12 ४४६३-४६५* मृत्युजरारात्रयः, ताः धर्मेध- ण्यम् । (पु०) आक्रोशवधसहनादि-प्रान्तशवनासमिणोः सफलाः अफलाश्च(कु०)। ४०४ ४७६* पतिपुत्रानुसरणाऽनुमतिः (पु० पनी)। नादि-सत्कारानीहावि-मोहनिरासादि ४०८ |४६६२ पश्चाद् यास्यामः (पि०) खरमौमादिवर्जन-मत्रमूलादिवर्जन|४६७-४६८* मृत्युसख्यपलायनाभावाद्ध ४७७-४८०% तद्धनप्राहिणे राक्षे राज्ञीशिक्षा, क्षत्रियश्लोकादिवर्जन-संस्तवत्यागमा वान्ताशी भव, न ते तुष्टिश्चलाः। त्वरा । (कु०)४०५ कामा धर्मनाणम् । ४०९।। अदत्तत्याग-शुद्धग्रास-धूमपरिहार-नि४६९-४७०* पुत्रत्यक्तस्याशोभनता (पुरो४८१-४८८% राज्या वैराग्यम् । ४११ भय-दृढसम्यक्त्वाशिल्पजीवनादिगुहिवः)। ४८९-४९३ राजराज्योर्दीक्षा, मोक्षश्च स णोपेतो भिक्षुः। ४२० |४७१* भुक्तभोगी गमिष्यावः । (पु० पत्नी) ॥ इति सभिक्षुकाध्ययनम् १५॥ ४०६ ॥ अथ ब्रह्मचर्यसमाध्यध्ययनम् ॥ ४७२* समलाभालामसुखदुःखो मौनीभवि ॥इतीषुकारीयाध्ययनम् १४॥ प्यामि । (पु०) ॥अथ सभिक्षुकाध्ययनम् ॥ ३७९ एककनिक्षेपाः (७)। ४२ ३७३-३७८ भिक्षुनिक्षेपा(४)दिः । द्रव्यभा-३८० दशकनिक्षेपाः (६) दशप्रदेशिका, |४७३* भिक्षाचर्या दुःखं, भुव भोगान् । 'वभेत्तभेदभेत्तव्यानि । रागादिक्ष - अवगाहनस्थित्योश्व, जीवाजीवपर्या(पु. पत्नी) ४०७ दकाः सिद्ध्यन्ति । ४१३ याश्च । AAAACCESSAGARCASES सुत्ताणि ~108~ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि नन्द्यादि अनु. आव. ओघ. दश. पिण्ड. उत्त. ॥ १७७ ॥ ३८१-३८२ ब्रह्मनिक्षेपाः (४) स्थापनायां १० अतिभोजनवर्जनम् । विभूषात्यागः । शब्दाय ननुपातिता । | ३८९ ३९० अकरणीयसेवी पापश्रमणस्तद्वजैको मुक्तिगामी । |१२ ब्राह्मणोत्पत्तिः, द्रव्येऽज्ञस्य भावे ११ साधोः, रक्षायै स्थानान्यस्य । चरणनिक्षेपाः (६), द्रव्ये गतिभक्षणे समाधिनिक्षेपाः (४) ४२२ स्थाननिक्षेपाः (१४) ५२७-५२९# प्रत्रज्य शय्यादिरतः सुखशीलः पापभ्रमणः । । ५१० ५१९* दशस्थानश्लोकाः । ४२९ ५२०-५२२* स्त्रीसंसक्तशयनादीनां ताल- ५३० ५४५* आचार्यनिन्दकाऽतर्पकप्राणापुटोपमत्वम् । ४२९ दिमर्दकाप्रमार्जित संस्तारायारोहक - द्रुतचारिप्रतिलेखनाप्रमत्तगुरुपरिभा ५२३-५२४* व्यक्तकामादिः धर्मारामादिरतः स्यात् । ४३० ५२५-५२६* ब्रह्मचर्यमहिमा | ॥ इति ब्रह्मचर्य समाध्यध्ययनम् १६ ॥ ॥ अथ पापश्रमणाध्ययनम् ॥ ३८६-३८७ पापनिक्षेपाः (६)। क्षेत्रे नरकः, कालेऽतिदुपमा । ३८८ श्रमणनिक्षेपाः (४) । ज्ञानसंयमयुतो भावे । ४३२ बहुमाथि विवादोदीरकास्थिरासनसरजस्कशयन विकृतिभोजनयावत्सूर्थ भोजनाचार्थत्यागपरगेहव्यापारकुटुस्वपिण्डाः पापभ्रमणाः । ४३६ ५४६-५४७ पापश्रमणता तद्वर्जने च फलं । ४३७ ॥ इति पापश्रमणाध्ययनम् १७ ॥ नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र - ४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि- सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी - साहित्य) ३८३ ३८४ ३८५ २सू. समाधिस्थानोद्देशः । ४२३ ३ ४ ५ पृच्छा, श्रीपशुपण्ड का संसक्तशयनादिसेवनं विपर्यये दोषाः ४२४ पूर्ववत्त्रीकथावर्जनम् । पूर्ववत्स्त्रीनिषद्यावर्जनम् । पूर्ववदिन्द्रियालोकवर्जनम् । ४२५ कुड्याद्यन्तरकूजितादिश्रवणवर्जनम् । पूर्वरक्रीडितवर्जनम् ४२६ प्रणीताहार वर्जनम् । ~109~ ४२७ उत्तराध्य यने समिक्षुब्रह्मचर्य पापश्रमणानि. ।। १७७ ॥ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ॥ अथ संजयतीयाध्ययनम् ॥ ५६५-५६६१४०१-४०३ संजयदीक्षा गा-५९८-६०० दृढपराक्रमोपदेशः, संसार-1 ||३९१-३९३ संजयनिक्षेपा(४)दिः । | थानवकानुवादः। ४४२ तरणं सिद्धिश्च । ४५० ५४८-५५०* हयादियुतः मृगयानिर्गतः ५६७.५६८ सजय प्रति त्यागरूपनामगो-४०४ संजयसिद्धिः । संजयः। ४३८ त्रादिप्रशस्तदुत्तरं च । ४४३ - ५७०-५७८* क्रियावाद्याद्याः (४), बुद्ध ॥ इति संजयतीयाध्ययनम् १८॥ ३९४-३९५ मृगयानिर्गमः। है ५५१-५५२* केशरोद्याने साधोः पार्श्व मृग प्रादुष्कता एते, फलं चैषाम् । तेषां ॥ अथ मृगापुत्रीयाध्ययनम् ॥ गतिः। ४३९ मायाविता । तद्विषयं स्वज्ञानं मझलो-४०५-४०८ मृगापुत्रनिक्षेपा(४)दिः । ४५१ ४३९६ अष्फोवमण्डपे गर्दभालेया॑नम् । ४३९ कच्यवन, नानारुचिवर्जनं प्रश्नवर्जनं । ६०१-६०४* सुप्रीवाधिपबलभद्रमृगापुत्रव च। ४४६ ५५३-५५७६३९७-४०० साधुदर्शनं मन्द-५७९-५८० तज्ज्ञानं जिनशासनं क्रियाऽकि लश्रीः(मृगापुत्रः)दोगुन्दुक इव क्रीडन् | पुण्यतेक्षण क्षामणा साधुमौनं नृप- ययोर्महणवर्जने। ४४७ | नगरालोकी। भयं च । पूर्ववत् । ५८१-५९७* भरतसगरमघवत्सनत्कुमार-६०५-६०८१४०९-४१५ साधुदर्शनाजाति५५८-५६४* अभयदो भव, गन्ता त्यागी, शान्तिकुन्ध्वरमहापग्रहरिषेणजयद- स्मृतिः । पूर्वोक्तानुवादः । ४५२ चञ्चलायुः प्रेत्यार्थी, स्वार्थकुटुम्बी शार्णभद्रप्रत्येकबुद्धो (४) दायनश्वेत- ६०९-६१०२४१६ विरक्तः प्रव्रज्याकामः वपस्वी परकार्यकमेंक्षी। ४४१ । विजयमहाबलानां त्यागमोक्षौ ।४४९/ पितरावुवाच । तदेव । ४५३ ChoOCACCESARGAONGS सुत्ताणि ~110~ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा उत्तराध्य देवीए ओष दश यनेसंजतीय मृगापुत्र महानिनेन्थीयानि. दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि-15६११-६२३* भोगा विषफलवत्कटुविपाकाः ४२१ तदेव । ७१२-७१३* अश्वहरूत्यादिभिन थत्वम् ।। अनु. आव. शरीरमनित्यत्वाद्याघ्रातमसारे व्या-६९६-६९८* उपसंहारः ४६५ ।। ४७४ घिरोगाद्यालये नरत्वेऽरतिर्जन्मादि ॥ इति मृगापुत्रीयाध्ययनम् १९॥ ७१४-७३३* अनाथत्वस्वरूपे स्वपूर्ववृत्तम् ।। पिण्ड, उत्त. दुःख क्षेत्रादेवियोगः असुन्दरा भोगा ॥अथ महानिर्ग्रन्थीयाध्ययनम् ॥ ॥१७८॥ अपाथेयाटवीगमनवादीप्तगृहशयन-१२२-४२४ शुकप्रतिपक्षमइनिझेपादि । |७३४-७३५% आत्मनो वैतरण्यावित्वम् । वत्संसारः। ४५५ ४७७ ६२४-६४३* साधुधर्मदुष्करता । ४५७ ४२५-४२८ पञ्च निर्गन्थाः,प्रज्ञापनादि (३७)/७३६-७४८* श्रामण्येऽपि कुमार्गसंभवाद*६४४-६७४* नरकदुःखवर्णनम् । ४६१ द्वाराणि । उपसंहारः । ४७१ । नाथवा। ४८० ६७५* निष्प्रतिकर्मता (श्रामण्ये) ४६२ ६९९४ मङ्गलं कृत्वा शिक्षाप्रतिज्ञा । ४७२/७४९-७५१% कुशीलत्यागिनो मार्गेण मोक्षः। ६७६-६८३* अरण्यमृगचर्या । ४६३ ७००-७०६* श्रेणिककृता संजयप्रशंसा पृ-७५२-७५८* श्रेणिकतुष्टिः क्षामणोपसंहा६८४-६८७* मृगापुत्रदीक्षा। च्छा च ४७३ रश्च। ४८१ ४१७-४२० तदेव ४६४ ७०७* अनाथत्वं मुनित्वे हेतुः। ॥ इति महानिग्रन्थीयाध्ययनम् ॥२०॥ है ६८८-६९३* मृगापुत्रानगारवर्णनम् । ४६५/७०८-७०९* नाथभवनम् । ॥ अथ समुद्रपालीयाध्ययनम् ।। ६९४-६९५* मृगापुत्रसिद्धिः। ७१०-७११* अनाथः कथं नाथः । ४२९-४३० समुद्रपालयोनिक्षेपा(४)दिः।४८२ SASCOAGARCASSES % सुत्ताणि 9*3 ॥१७८॥ ~111~ Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ७५९-७६८ समुद्रपालजनाविवाहबध्यदर्शन-1८१४-८३०४४६-४५० गुहायां रथने- ८३६-८३९० श्रीगौतमस्यागमनं कोष्ठके। संवेगमातापितृपृच्छा दीक्षा च । मिना समागमः, भोगप्रार्थना, | ४९९ ४३१-४४१ तदेव सविशेषम् ४८४ राजीमत्या निश्चलता उपदेशश्च । रथ-८४०-८४४ उभयोराचारभेदचिन्ता ।५००15 |७६९-७८१ समुद्रपालानगारवर्णनम् । ४८७ नेमेर्मार्गप्रतिपत्तिः । (नूपुरपण्डिता-८४५-८५१% गौतमस्य गमन, पलालादिभिः | ७८२* समुद्रपालसिद्धिः। ख्यानम् ) द्वयोर्मोक्षः । तदेव सवि- प्रतिपत्तिः, द्वयोः शोभा, लोकसमा|४४२ तदेव । ४८८ शेषम् । ४९७ गमः। ५०२ । ॥ इति समुद्रपालीयाध्य० ॥२०॥ ८३१७ उपसंहारः । ८५२-८५३* पृच्छाया अनुज्ञा । ॥अथ रथनेमीयाध्ययनम् ॥ | | ॥ इति स्थनेमीयाध्ययनम् २२॥ ४५५-४५७ व्रतलिङ्गावि(१२) प्रमोदेशः। 8.४४३-४४५ रथनेमिनिक्षेपादिः ४८८ । ८३-७९९* महा नेमेरुद्धाहमहोत्सवः, ! ३ ॥ अथ केशिगौतमीयाध्ययनम् ॥ ८५४-८५८% चतुःपञ्चयामयोः केशिनः मृगरोधप्रश्नश्च । सारथरुत्तरम् ४९१४५१-४५४ गौतमनिक्षेपादिः (केशिनोऽपि) प्रश्नः, ऋजुजडवक्रजड़त्वादिना गौत-| ८००-८०६% नेमेर्दीक्षा ४९२ ४ ९८ मस्योत्तरम् । ५०३ ८०७-८०९४ वासुदेवादिकृता नेमिस्तुतिः | ८३२७ श्रीपार्श्ववर्णनम् । ८५९.८६४* सचेलाचेलकप्रश्ना, प्रत्यया-13 ८१०-८१२* राजीमतीदीक्षा । वासुदेवा- ८३३-८३५* सुविहितकेशिनस्तिन्दुके आ- दिभिरुत्तरम् । ५०४ शीर्वादः। ४९३ गनम् । ८६५-८६९% अनुज्ञायां शत्रुतत्पराजयप्रश्न *ARCANCY SAGACASSAGACA सुत्ताणि ~112~ Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक नन्यादिअनु. आव. ओघ. दशपिण्ड, उत्त. CAUCRACT दखाए तरम् | उत्तराध्ययने समुद्रपालीय रथनमीय के शिगौतमीय प्रवचनानि । दीप ॥१७९॥ क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम ही उत्तरं च आत्मकषायेन्द्रियजयादिना ९००-९०४* संसारपारगमनप्रश्ना, संसार- अध्ययननामान्वर्थः । ५१४ नावादिभिरुत्तरम् ५१० ९ २१-९२३* अष्टप्रवचनमात्रुरेशः ५१५ | ८७०-८७४* तथा पाशकर्तनप्रश्रा, राग- ९०५-९०९* तमोनाशप्रश्नः, जिनभानुनो- ९२४-९२८% आलम्बनादि कारणेर्याद्वेषच्छेदाविना उत्तरम् । द्रव्यादि (४) ५१६ ८७५-८७९* तोन्मूलनप्रश्नः, भवतृष्णा .९१०-९१५ प्राप्यस्थानप्रश्नः निर्वाणादि-९२९-९३०* अक्रोधादेरसावधादिर्भाषा) नोत्तरं। ५११ दिना उत्तरम् । ५०६ ९३१-९३२* शुद्धभिक्षादिरेषणा ५१७ ९१६.९२० गौतमनमस्कारः, केशियोधः, ९३३.९३४* आदाननिक्षेपसमितिः । ८८०-८८४* अग्निनिर्वापणप्रश्नः, कषायाग्नि समागमफलनिर्देशः, लोकसन्तोष ९३५-९३८% उच्चारादेरनापाताची विस्तीर्णादी | श्रुतशीलतपोजलरुत्तरम् । ५०७ | भाशीश्च ५१२ च त्यागः। समितीनामुपसंहारः, ५१८ ८८५-८८९७ दुष्टाश्वनिप्रहप्रमा, मनोनिन- ॥ इति केशिगौतमीयाध्ययनम् २३॥ ९३९° गुप्तिकथनप्रतिक्षा। हादिनोत्तरम् । ॥ अथ प्रवचनमात्रध्ययनम् ॥ ९४०-९४१* संरम्भादिनिवृत्ता सत्यादियुता ८९०-८९४* कुपथप्रश्नः, कुप्रवचनादिनो-४५८.४६२% प्रवचने निक्षेपाः (४) । व्य- मनोगुप्तिः (४) तथैव वचोगुप्तिः । त्तरम् । ५०८ तिरिक्ते कुतीर्थिकानि भावे द्वादशा८९५-८९९ श्रोतोवारणप्रभा, जरामरण- जम् । मातनिक्षेपाः (४) व्यतिरिक्ते ९४४-९४५६ स्थानादौ संरंभादेः कायनि-| वेगधर्मद्वीपादिनोत्तरम्। ५०९ । भाजने द्रव्यम् , भावे प्रवचनमातरः। वर्तनं कायगुप्तिः । ५१९ R ESCRC ॥ १७९॥ सुत्ताणि ~113~ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी- आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी- साहित्य) ९४६ - ९४७ समितिगुत्योर्विशेषः, तहूय | ९६०-९६२# निरुत्तरः पप्रच्छ खरूपम् । फलं च (या० ) ५२० आचारनिक्षेपाः (४) व्यतिरिक्ते नमनादि भावे आचारः सामाचार्याः ५३३ ९६३-९८१* वेदादिमुखमाह्मणादिखरूपम् । (मुनिः) ५२९ ४८९ अध्ययननामान्वर्थः । ९८२-९८५* मुनिप्रशंसा दीक्षाविज्ञप्तिश्च । ९९२* दुःखमोक्षिणीसामाचारीकथनप्रतिज्ञा ९९३-९९५ सामाचार्यः (१०) आवश्य क्यायाः । ५३४ ॥ इति प्रवचनमात्रध्ययनम् २४ ॥ ॥ अथ यज्ञीयाध्ययनम् ॥ ४६३-४६५ यज्ञनिक्षेपाः (४) व्यतिरिक्ते द्विजयज्ञादि, भावे तपः संयमयतना, वि५३० जयघोषयज्ञे जयघोषसाधोरध्ययनो- ९८६ ९८९# निरीहता. मृत्तिकागोलकदृष्टास्थानम् न्तश्ध ५२१ ४६६-४७३ जयघोषचरित्रम् । ५२२ | ९९०-९९१* विजयघोषदीक्षा, द्वयोर्मोक्षय। ९९६ ९९८* (१०) सामाचारीविषयः ५३५ ९४८- ९५२# मनोरमे जयघोषस्य वासः वि९९९-१००१ स्वाध्यायवैयावृत्त्यनियोगः (ओघे) ५३६ ५३१ | १००२-१००३ पौरुषीचतुष्ककृत्यम् । जयघोषयज्ञे भिक्षायाच्या । ५२३४७२-४८२ द्वयोश्चरित्रम् । ५३२ ९५३ - ९१५* ऋत्विग्भ्य इदं न तुभ्यं ॥ इति यज्ञीवाध्ययनम् २५ ॥ देयम् । (याजकः) ॥ अथ सामाचार्यध्ययनम् ॥ ९५६ - ९५९* वेदयज्ञादिमुखाक्षः । ( मुनिः) ४८३-४८८ सामनिक्षेपाः ( ४ ) व्यतिरिक्ते १००४-२००७ छायया पौरुषीज्ञानं प्रतिशर्करादौ । भावे इच्छामिथ्यादि । लेखनाकाज्ञानं च । ५३८ ५३७ ५२४ ~ 114~ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्यादिओष. आव. अनु. दश. पिण्ड, उत्त. ॥ १८० ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - १००८-१०११* रात्रिपौरुषी ( ४ ) कृत्यं । १०४४-१०४५ गर्गस्य समाधिः शिष्यो- १०६१* ज्ञानादिमोक्षमार्गकथनप्रतिज्ञा । ज्ञानोपायच । ५३९ पदेशञ्च । ५५० १५६ १०१२-१०२८॥ प्रतिलेखनाविधिराहारा १०४६-१०५१* खलुङ्ककुशिष्ययोः साम्य- १०६१.१०६३* मार्गस्वरूपं तत्फलं च । नाहारकारणानि विहारस्वाध्यायकाम् । ५५२ | १०६४* ज्ञानपञ्चकम् । ५५७ प्रतिक्रमणादि । ५४४ | १०५२-१०५७गौरवक्रोधभिक्षालसत्यायाः १०६५-१०६६# ज्ञानविषयो द्रव्यंगुणपर्या१०२८।- १०४२ दैवसिकप्रतिक्रमण- कुशिष्यदुर्गुणाः । ५५३ लक्षणं च । ५५८ विधिः कालमहणं रात्रिकप्रतिक्रमणविधिश्व । १०४३* उपसंहारः, सामाचारीफलम् । ॥ इति सामाचार्यध्ययनम् २६ ।। ५४७ १०६७-१०७२ धर्माधर्मादेकत्वं तेषामेकानेकते लक्षणानि च । ५६२ १०७३# पर्यायलक्षणम् । १०७४- १०९१* जीवादिश्रद्धामयं सम्य क्त्वं निसर्गरच्यायाः (१०) सम्यक्वलिङ्गानि । सम्यक्त्वमहिमा, तदाचारान्ध । ५६७ | १०९२ १०९३० चारित्रपञ्चकम् ५६९ ॥ अथ खलुकीयाध्ययनम् ॥ ४९०-४९८ खलुङ्कनिक्षेपाः (४) खलुखरूपम् । खलुसाधुखरूपम् । खलुत्वं त्यक्त्वा ऋजुः स्यात् ५४८ १०५८ १०६० उद्वेगेन कुशिष्यत्यागः शीतीभावच । ५५४ ॥ इति खलुङ्कीयाध्ययनम् २७ ॥ ॥ अथ मोक्षमार्गाध्ययनम् ४९९-५०५ मोक्ष निक्षेपाः (४) मार्गनिक्षेपाः (४) गति निक्षेपाः (४) अध्ययन - नामान्वर्थः । ५५५ ~ 115 ~ उत्तराध्य यने यज्ञीय सामाचारी खलुंकीय मोक्षमार्गः ॥ १८० ॥ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां देखीए ECCCCC दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम १०९४७ द्विविध तपः। १०९५-१०९६७ मोक्षप्राप्ती ज्ञानादीनां व्या....पारः संयमतपःफलं च । ॥ इति मोक्षमार्गाध्ययनम् ॥२८॥ -- ॥ अथ सम्यक्त्वपराक्रमाध्ययनम् ॥ | ५०६-५१२ सम्यक्त्वपराक्रमा१प्रमादरवी तरागश्रुत३नामानि । अप्रमादभुतनिक्षेपाः (४) अध्ययनान्वर्थश्व । ५७१ अध्ययनोद्देशः ५७२ संवेगादीनि (७३) द्वाराणि ५७३ | १५-८७ संवेग १ निर्वेद २ धर्मश्रद्धा ३ शु श्रूषा ४ऽऽलोचना ५ निन्दना ६ गईणा ७ सामायिक ८ चतुर्विंशतिस्तव ९ वन्दनक १० प्रतिक्रमण ११-1 वीतरागवा ४५क्षान्ति ४६ मुक्त्याकायोत्सर्ग१२प्रत्याख्यान १३ स्तव- ४७ जैव ४८ मार्दव ४९ भाव५०स्तुतिः १४ काळमहण १५प्रायश्चित्त- करण ५१ योगसत्य ५२ मनो ५३१६क्षामणा १७ खाध्याय १८वा- वचः ५४ कायगुप्तता ५५ मनोचना १९ प्रतिपृच्छा २० पराव- ५६ वचः ५७ कायसमाधारणा५८चैना २१ ऽनुप्रेक्षा २२ धर्मकथा- ज्ञान ५९ दर्शन ६० चारित्रसंप२३ श्रुताराधनै २४ काप्रमनस्कता- नता ६१ ओत्र ६२ चक्षु ६३२५ संयम २६ तपो २७ व्यवदान- ओण ६४ जिह्वा ६५ स्पर्शनेन्द्रिय२८ सुखसाता २९ प्रतिबद्धता ३०- निग्रह ६६ क्रोध ६७ मान ६८विविक्तशय्यादि ३१ विनिवर्चना- माया ६९ लोभविजय ७० प्रेम३२ संभोगो ३३ पध्या ३४ हार- द्वेषमिध्यादर्शनविजय ७१ यथायु:३५ कषाय ३६ योग ३७ शरीर- पालन ७२ सर्वहाना ७३ नां फ३८ सहाय ३९ भक्त ४० सद्भाव- लानि । ५९८ प्रत्याख्यान ४१ प्रतिरूपता ४२ वै-८८ उपसंहारः। ५९८ यावृत्त्य ४३ सर्वगुणसंपूर्णवा ४४-॥ इति सम्यक्त्वपराक्रमाध्ययनम् ॥२९॥ सुत्ताणि 16 ~116~ Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्द्यादि अनु. आव. ओष. दश. पिण्ड, उत्त. ॥ १८९ ॥ नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - | ११२६* बाह्यस्योपसंहारः, अभ्यन्तरप्रतिज्ञा । ५२४-५२५ स्थाननिक्षेपाः (१५) भावप्रमा११२७-११३४* सप्रभेदमभ्यन्तरं तपः त देन संख्याभावस्थानाभ्यां चाधिकारः । फलं च । ६१० ॥ अथ तपोमार्गाध्ययनम् ॥ ५१३-५१६ तपोमार्गगतीनां निक्षेपादिः ५९९ १०९८* कर्मक्षयहेतुस्तपः । १०९९-११०३* अनाश्रवस्तटाकदृष्टान्तेन संवरनिर्जरे ६०० ११०४* बाह्याभ्यन्तरतपसी (६) ११०५-१११०* बाझं तपः (६) अनशने इत्वरे श्रेणिप्रतरघनवर्गवर्गप्रकीर्णानि, इतरस्मिन् सविचारविचारादि । ६०३ ११११-११२१* अवमौदर्ये द्रव्यक्षेत्रकाल ॥ इति तपोमार्गाध्ययनम् ॥ ३० ॥ ॥ अथ चरणविध्यध्ययनम् ॥ ५१७-५२१ चरण विध्योर्निक्षेपाः भावचरणविधिनाऽधिकारः । ६११ ११३५-११५५* चरणविधिप्रतिज्ञा, एकादित्रयत्रिंशदन्तस्थानानि विरती रागद्वेषादीनि तत्फलं च । ६१८ भावपर्यायैः (पेटार्द्धपेटाया: ६) ६०६ ॥ इति चरण विध्यध्ययनम् ॥ ३१ ॥ ११२२* अष्टविधगोचरैषणाभिप्रहाः ६०७ ॥ अथ प्रमादस्यानाध्ययनम् ॥ ११२३-११२५* विकृत्यादित्यागः, वीरा- ५२२-५२३ प्रमादनिक्षेपाः (४) व्यतिरिक्त मद्याद्याः, भावे विषयाः । सनादि, एकान्तादिः (क्रमेण) ६०८ ~117~ ६२० ५२६-५२७ आयान्तजिनयोः प्रमादोऽहोराश्रान्तर्मुहूर्त्ते । ५२८ प्रमादिनोऽनन्त संसारः । ५२९ ज्ञानदर्शनचारित्रेष्वप्रमादः ६२१ ११५६-११५८* मोक्षकथनप्रतिज्ञा मोक्षकारणानि तत्कारणानि च (वृद्धसे बादीनि ) ६२२ ११५९* मिताहारनिपुण सहाय विवेकनिकेतनसमाधिकामो मुनिः । ६२३ ११६०* कामासङ्गेनैकाकी । ११६१-११६३* मोह तृष्णयोर्मोहकर्मणोः सम्यक्त्वतपोमार्गच रणाप्रमादा ध्ययनानि २९-३२. ॥ १८९॥ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'वृत्तक आगम सुत्ताणि' नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - - कर्मभवयोर्दुःखमोहयोस्तृष्णालो भयो | रन्योऽन्यं कार्यकारणता । ६२४ ११६४ - ११७५* रागादिघातोपायाः, रसपरिहारः, विविकशय्या स्त्रीनिषया रूपादीक्षणत्यागः, स्त्रीदुस्त्यजता, विघयकटुकता । ६२८ ११७६ १२५४ प्रियाप्रियविषयत्यागः, इन्द्रियानिन्द्रियगृद्धिदोषाः । ६३४ १२५५* विषयेभ्यो रागिणो दुःखं, नान्यस्य । ६३५ १२५६७ भोगान साम्य विगती, किन्तु रागद्वेषी ६३५ १२५७-१२५९ क्रोधादित्यागः, अकल्प्यादि६३६ ५३६ १२६०-१२६६* बन्धहेतुररागिणो मोक्षाय, त्यागः नेन्द्रियार्थी रागाय, असंकल्पात्तृष्णा | ॥ अथ लेश्याध्ययनम् ॥ हानिः कैवल्यं, मोक्षः, कृतार्थता, ५३७-५४५ लेश्यानिक्षेपाः (४) नोकर्मणि उपसंहारथ । ६३९ जीवे भव्याभव्ययोः सप्तविधाः, अजीवे दशविधाः (चन्द्रादीनाम्), कर्मणि कृष्णायाः, भावे शुद्धाशुद्धे, नोकर्मणि प्रयोगविभसे, अध्ययननिक्षेपाः (४) (कर्मनिस्यन्दोऽपि लेइया) ६५१ ५४८ प्रशस्ता प्रशस्तयोस्त्यागादानौ । १२९२-१२९३* उपक्रमो लेश्यानां नामादिद्वाराणि च । ६५२ १२९४* लेश्यानामानि । १२९५-१३००* लेश्यावर्णः । | १३०१-६० लेश्यारसः । ६५४ ६५३ ॥ इति प्रमादस्थानाध्ययनम् ॥ ३२ ॥ ॥ अथ कर्मप्रकृत्यध्ययनम् ॥ ५३०.५३५ कर्मनिक्षेपाः (४) द्रव्यनोकर्मणि लेप्यकर्मादि। प्रकृतिनिक्षेपाः (४) नोकर्मणि ग्रहणप्रायोग्यमुक्तानि । ६४० १२६७# संसारहेतुकर्मप्रतिज्ञा ६४१ | १२६८-१२९१ अष्ट कर्माणि । ज्ञानावरणादेरुचरभेदाः (५-९-२-२८-४-२१६-५) प्रदेश क्षेत्रकालभावकथनप्रविज्ञा तन्निरूपणमुपसंहारम्भ। ६४८ प्रकृत्यादिज्ञानात्तत्संवरक्षपणे । ॥ इति कर्मप्रकृत्यध्ययनम् ||३३|| ~118~ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखाए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम नन्यादि का १३०७.११% लेश्यागन्धस्पर्शपरिणामाः। |१३५३-७३७ उपोद्घातः, सङ्गशुद्धवसत्यप-१३८३-१८७* रूपिणो भेवाः, क्षेत्रं का-18 कर्मप्रकृतिओष,आव. चनधनत्यागशुद्धषणाऽर्चनादित्याग- लश्च । ६७५ लेश्यानअनु. दश. १३१३-२३ लेश्यालक्षणानि ६५७ सध्याननिर्ममत्वैर्मोक्षः । ६६८ १३८८-१४१९० वर्णगन्धरसस्पर्शसंस्थान गारजीवा18|१३२४-४६ लेश्याया:स्थानानि, सामान्येन ॥ इत्यनगारमार्गाध्ययनम् ।। ३५॥ | र्भावः। ६७७ जीवविभगत्यपेक्षया च जघन्योत्कृष्टा स्थितिः, क्तिरूपाणि red नीबालीमिर ॥१८२॥ १४२० ॥ अथ जीचाजीवविमक्यध्ययनम् ॥ १४२० अजीवस्य विभक्तरुपसंहारः,जीवस्य ३३-३६. ६६१ ३१-४५+ उपक्रमादिनिरूपणम् । ६७० | प्रतिज्ञा। |१३४७-१३४८* लेश्यातो गतिः। ५५२-५५९ जीवाजीवविभक्तीनां निक्षेपाः १४२१-१४२३* सिद्धभेदाः। (स्त्रीमुक्ति१३४९-५२* लेश्याप्रथमचरमसमययोर्नोप । (४) भावे (१०-१०-६) ६७१ । वादः) ६८३ पातः, किन्स्वन्तर्मुहू गते सितेच,. च, १३७४-१३७५७ उपोद्घाता, संयमः फळ १४२४-१२७६ रुयादीनामेकसमयसिद्धानां उपसंहारश्च । ६६२ । लोकालोकलक्षणं च । संख्या। ६८४ ॥ इति लेश्याध्ययनम् ।। ३४ ॥ १३७६* द्रव्यक्षेत्रकालभावैः प्ररूपणा।६७२ १४२८-१४२९७ सप्रमसिद्धस्खलनादि । ॥ अथानमारमार्गाध्ययनम् ॥ १३७७-१३७९* रूप्यरूप्यजीवभेदाः १४३०-१४३४% सिद्धशिलाखरूपं लोका५४९-५५१ अनगारमार्गगतीनां निक्षेपाः(४) १३८०-१३८२* अरूप्यजीवस्य क्षेत्रकाल- तस्वरूपं च। ६८५ प्ररूपणा ६७३ १४३५-१४३९७ सिद्धानामवगाहन खरूप-छा REACKERANGA सुत्ताणि ~119~ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सक आगम सुत्ताणि' HO৬+৬-জ৬৬লডHE AJA नन्दी आदि सप्त- सूत्राणां लघुबृहद्विषयानुक्रमाँ [आगम-४३] मूलसूत्र-४ 'उत्तराध्ययन' मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी साहित्य) - मवगाहनाऽनन्तस्थितिर्ज्ञानादियुक्त त्वं च । ६८७ १४४०* सिद्धानां क्षेत्रखरूपे । १४४१-४२# संसारिणखसस्थावराः पृथि व्यब्वनस्पतयस्त्रिधा स्थावराः । ६८८ १४४३-१४४९# पृथिव्यां सूक्ष्मबादरी पर्यापर्याप्तौ बादरे (७) सरी ६८९ १४५०-१४५६* सूक्ष्माः सर्वलोकेऽनानात्वाः, बादरा देणे, स्थिविश्व पृथिव्याः, वर्णादिभेदाः। ६९० १४५७-१४६४* अकायेऽपि भेदस्थित्यादिभेदाः। ६९१ १४६५-१४७८* वनस्पतेः प्रत्येक साधारणप्रभेदाः सूक्ष्मखरूपं खित्ह्यापुर्व र्णादिभेदाः । स्थावरोपसंहारः, त्रस- १६२८-३१* कन्दर्पादिका अशुभा भावनाः कथनप्रतिज्ञा, तेजोवायुद्धीन्द्रियाचा- फलं च तासां । ७०८ ६९३ १६३२-१६३३० जिनवचनकरणाकरणयोः फलम् । ७०९ खसाः । १४८१-१४८९* तेजसो भेदाः कालस्थित्यायुर्वर्णादिभेदाश्च । ६९४ १४९०-९८* वायोर्भेदकालस्थित्यायुर्वर्णादि । १४९९-१६१९* द्धीन्द्रियाद्या उदारत्रसाः, 'द्वित्रिचतुरिन्द्रियनारकपचेन्द्रियतिमनुष्यचतुर्विधदेवानां भेवकास्थित्यायुर्वर्णादिभेदाः । ७०५ १६२० १६२१* सिद्धसंसारिणो जीवाः, रूप्यरूपिणोऽजीवाखान् श्रुत्वा भ द्धाय संयमे रमेव । ७०५ १६२२-२७* अनुपालितसंयमस्य द्वादश वर्षाणि संलेखना | १६३४* आलोचनाश्रवणे बह्नागमज्ञानादि कारणम् । -१६३५-३९* कन्दर्पादिभावनानां खरूपं तफलं च ७१२ १६४०* शास्त्रोपसंहारः । ५६०-५६२ पारगामिनो भव्याः, अभव्या न तदद्भीयेत शास्त्रम् । ७१३ ॥ इति जीवाजीव विभक्त्यध्ययनम् ॥ ३६ ॥ ॥ इत्युत्तराध्ययनवृद्ध विषयानुक्रमः ॥ ~ 120 ~ ७०७ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ จบบร AN ALPHABETICAL INDEX OF The Aphorisms etc. occuring in Nandisútra, Anuyogadvára, Avas'yaka, Oghanirukti Das'avalkalika, Pindaniryukti and Uttaradhyayanasútra. ALONG WITH detailed lists of subjects treated in these seven Agamas. Copies 1250.] ৬৯ জন জন জন জন জন ৬৬ জন ৬ল ৬৮ ৬৯ Price Rs. 2-0-0. ~121~ [A. D. 1928. このた Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां-लघुबृहविषयानुक्रमौ [आगमसूत्र ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहा देखीए BRARY दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम | इति श्रीनन्दी-अनुयोगद्वार-आवश्यक-ओपनियुक्ति-दशवैकालिक-पिण्डनियुक्ति-उत्तराध्ययनाना-सूत्रसूत्र गाथानियुक्तिमूलभाष्यभाष्याणामकारादिक्रमः अंकशुद्धिः लघुर्घहंश्च विषयानुक्रमः समाप्तः । (नन्द्यादीनां विषयानुक्रमः समाप्तः). इति श्री-आगमोदयसमिति अन्थोद्धारे प्रन्थाङ्कः ५५. HTTET PACE INDORE & LI सुत्ताणि ARTISCENE ___मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित: नन्दी-आदि-सप्त-सूत्राणां लघु-बृहत् विषयानुक्रम: परिसमाप्त: ~122 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम: पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च नन्द्यादिनां विषयानुक्रमः (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: “नन्दी-आदि-सूत्र लघु-बृहत् विषयानुक्रम: नाम्ना परिसमाप्त: Remember it's a Net Publications of 'jain_e_library's' ~1234