Book Title: Nandanvan Kalpataru 2012 03 SrNo 28
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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३. रमा सती सावित्री नारी
धरणीवक्षसि शुष्क विस्तरे
भूत्वाऽऽपगा प्रवहिता नारी ॥ १ ॥
छलच्छद्मषड्यन्त्रनिसर्गे
करुणैका प्रतीयते नारी ॥२॥
शवभूते ब्रह्माण्डपदार्थे
शक्तीभूय समुदिता नारी ॥३॥
शाखामये तरौ प्रतिवृन्तम्
किन्न पुष्पिता फलिता नारी ?? ॥४॥
परमेश्वरमपि गर्भे दधती
तज्जननीत्वसुमहिता नारी ॥५॥
पाषाणे निर्जीवविरूपे
मूर्तीभूय जीविता नारी ॥६॥
कण्ठध्वनौ क्वचिच्छतसंख्ये
लयलहरी समजायत नारी ॥७॥
पुरुषनियतिसूत्रैकधारिणी
रमा सती सावित्री नारी ॥८॥
मामप्यभिराजं या कुरुते
जयति काऽपि राजश्रीर्नारी ॥
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