Book Title: Nandanvan Kalpataru 2012 03 SrNo 28
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 38
________________ २. विवशता गूर्जरमूलम् - मोहताज मदनकुमार अंजारिया 'ख्वाब' संस्कृतानुवादः रस्तानी लाचारी तो जुओ, पोते क्यांय जवा माटे छे, के पाछा वळवा माटे ? - एनो आधार तेणे पसार थनार पर राखवो पडे छे ! मार्गस्य विवशता तु दृश्यताम् ! स कुत्रचिद् गमनार्थमस्ति वा प्रतिनिवर्तनार्थं वा ? - इत्येतत्तु पथिकम् अवलम्बते खलु !! ३. सुखम् संस्कृतानुवादः गूर्जरमूलम् - सुख मदनकुमार अंजारिया 'ख्वाब' अजवाळु खरीदी शकातुं होत तो धनवानो छेवटे तरसता होत अंधारूं खरीदवा माटे ! प्रकाशो यदि केतुं शक्योऽभविष्यत् तदा हि धनिकाः किन्तु समाकुला अभविष्यन् अन्धकारं क्रेतुम् !! ३८

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