Book Title: Mruganka Charitram
Author(s): Ruddhichandraji
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 9
________________ // 8 // गा। तयोः पुत्री गुणश्रेणिः पद्मावती कजेक्षणा। तदिने सापि मुक्ता च पठनाय निरालसा // 30 // I n अर्थ: तेओनी गुणनी श्रेणि रुप अने कमलिनी जेवो चक्षुवाळी पद्मावती नामे पुत्री हती. तेणीने पण तेज दिवसे | त्यांज भणवा मोकली // 30 // .. पद्मावतीमृगाडी तो कलाभ्यासं प्रकुर्वतः / क्षीरनीरनिभा नित्यमासीत्प्रीतिस्तयोमिथः // 31 // यतः__ अर्थः-कलाभ्यास करतां पद्मावती अने मृगांक बच्चे परस्पर क्षीर अने नीरनी पेठे प्रीति थइ. // 31 // केमके"पय पानी उपर मिले अंतर मिलो नहीर / किं उमराल नोरह तजी कि उ गही पीइ सुषीर // 32 // षीरवारि स्युं प्रीति अति इह जानत सब कोय।करत जुदाई हसखल खलथिं कहा. न होय"?॥३३॥ . अर्थी-खीर अने नीर साथे मळेल होय तेमां पण हंस छे ते नोरने तजीने खीर पी जाय छे. खीर अने नीरनी भीति अति छे एम सहु कोइ जाणे छे, पण खल एवो हंस जूदा करे छे, केमके खलथी शुं नथी यतुं ? // 32-33 // | एकस्मिन्समये तस्मिन्ननध्यायः समागतः / छात्रपठनशालायां स्थिता पद्मावती स्वयम् // 34 // . अर्थः-एक दिवसे रजानो दिवस आव्यो त्यारे ते शाळामा मात्र पद्मावती एकली बेठी हती. // 34 // || पुत्रः कुसुमसारस्य क्रीडां कर्तुं गृहे गतः / स्मृत्वा पद्मावती चित्ते चलितः स्नेहनोदितः // 35 // // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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