Book Title: Mruganka Charitram
Author(s): Ruddhichandraji
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 63
________________ मृगांक // अर्थः-पंडितोना समूहमा मुकुटसमान, बुद्धिरूपी धनवाळा एवा श्री उदयचंद्र (महाराजे ) चित्तने शांत करनारं आ || चरित्रम् चरित्र सम्यकप्रकारे शुद्ध कयु छे. // 88 // // इति श्री मृगाङ्कचरित्रं सार्थ समाप्तम् // // 62 // आ ग्रंथनी मूळ प्रति तथा अर्थनी एक चोपडी मुनिमहाराज श्रीविनोदविजयजीना शिष्य मुनिश्री वीरविजयजी महाराज पासेथी मळेल तेथी तेमनो आभार मानी ते उपरथी यथामति अर्थ करीने प्रत आकारे अमारा "सूर्योदय पिन्टिंग प्रेस-जामनगर"मां स्वपरना श्रेयाथै छापी प्रसिद्ध कर्यो छे.॥ श्रीरस्तु / ली. विठलजी हीरालाल हंसराज.. // // 6 // . P.PAC.Gunratnasuri M.S. Jun Sun Aaradhak Trust

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