Book Title: Mruganka Charitram
Author(s): Ruddhichandraji
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ बाळा शुं करे ? // 41 // चरित्रम् मृगांक अर्थः-जीवित, चिन्ह शृं? कामदेवनी स्त्री कोण ? पुष्पमा प्रधान पुष्प कयु ? अने परणेली बाळा शुं करे ? // 41 // // बीजाए उत्तर आप्यो के "सासुरइजाइ" वळो वीजाए पूछयु के - शरीरं विगताकारमनुखारविवर्जितम् / यदिदं जायते रूपं तत्ते भवतु सर्वदा // 42 // अपरेणोक्तम्॥३१॥ श्रीरिति / पुनरेकेनोक्तम्. अर्थः-विगताकार शरीरवालं, अनुस्वारथी रहित, ए, जे रूप थाय ते हमेशां तमोने याओ? // 42 // बोजाए जवाब आप्यो के "श्री" लक्ष्मी. वळी बीजाए पूछयु केआयेन हीनं जलधावदृश्य, मध्येन हीनं भुवि वर्णनीयम् / अन्त्येन हीनं धिनुते शरीरं, यस्याभिः धानं स जिनः श्रिये वः // 43 // अन्येनोत्तरं दत्तम्-शीतल इति. पुनः कश्चिदुवाच अर्थ:-जे नामनो पहेलो अक्षर हीन करीए तो ते समुद्रथी अदृश्य रहे छे, मध्य अक्षर हीन करीए तो पृथ्वीमा मशंसनीय छे, अंत्य अक्षर हीन करीए तो ते शरीरने कंपाववावाळु थाय छे, ते जिनेश्वर आपणा कल्याण माटे थाओ?|| // 43 // बीजाए उत्तर आप्यो के "शीतल" शीतलनाथ मभु. वळी कोइ बोल्यो के-. | जटिलोऽपि न च ब्रह्मा त्रिनेत्रो नैव शंकरः / अम्बुधरो नैव मेघो वनवासी नैव तापसः // 44 // I चतुर्थेनोत्तरं दत्तम्-नालिकेरमिति / ..... // 31 // PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64