Book Title: Mruganka Charitram
Author(s): Ruddhichandraji
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 14
________________ मृगांक चरित्रम् // 13 // गज़तुरगसङ्घातैः सुखासनैश्च सध्वजेः / याचकवजसदानैः तुर्यसन्दोहसुन्दरैः // 56 // . अर्थः- हाथी, घोडा, सुखपाल अने उत्तम ध्वजाओवाळा वाहनोथी युक्त, याचकोना समूहने दान देते छते, अने सुंदर एवी शरणाइओ वागते छते, // 56 // अनेकोत्सवसन्दोहेश्चक्रतुः श्रेष्टिशेखरौ / तयोर्नूनं शुभे लग्न पाणिग्रहणमद्भुतम् // 57 // युग्मम् / ... अर्थः-इत्यादि अनेक उत्सवोथी ते श्रेष्टिवर्योए तेमनु शुभ लग्ने अद्भुत एवं पाणिग्रहण कराव्यु. // 57 // कृतोद्वाहं मनोऽभीष्टं समानीता स्वसद्मनि / हर्ष प्रापेति स शावः फलितं मम वाञ्छितम् // 58 // ___ अर्थः-मन इच्छित विवाह करीने तेणीने पोताने घरे लावीने मृगांककुमार हर्षित थयो थको विचारवा लाग्यो के मारुं वंछित फल्यु खलं. // 58 // तावेव दम्पती तत्र भोजयामासतुः सुखम् / प्रसुप्तावेकदा स्वैरं रजन्यां सप्तमे गृहे // 59 // ___ अर्थ:-बाद एक दिवसे तेओ बन्ने सखेथी भोजन करीने रात्रिए सातमी मेडीए सता हत्ता..॥५९ // मृगाको वचनं तस्याः सस्मार हृदि तत्क्षणे / मारयाम्यहमेनां किम् अबलां बलवर्जिताम् // 6 // L: अर्थः-ते वखते मृगांककुमारने तेणीनुं वचन याद आववाथी ते विचारतो हवो के आ बलरहित एवी अबलाने हुँ A // 13 // P.P. Ac. Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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