Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 24
________________ इस समय धार्मिक वातावरण कैसा है ? और क्या सुधार अपेक्षित है, समाज की आर्थिक, सामाजिक-स्थिति किस प्रकार है ?, और सुन्दर है तो अधिक बनाने के लिये क्या किया जाय ?, विकृत है तो क्या उपाय काम में लिये जायें ? जिससे वह सुन्दरं, शोभनीय एवं समृद्ध बन जाय । आदि अनेक उपयोगी, हितकर साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक, दैशिक विषयों पर विचार करने का, तथा सामूहिक एवं रचनात्मक कार्य करने का अवसर मिलता है । मुख्य लाभ है धन का सदुपयोग । यह लक्ष्मी चंचला, विनश्वर, भंगुर एवं क्षणिक है। यह किसी के यहाँ न आज तक स्थिर पाई गई है और न पाई जायगी । भला लक्ष्मीपति हो कर अगर मानवने पैसे का सदुपयोग करने की भावना को अवकास न दिया तो कहना चाहिये वह अन्धकार में ही रहा, अपने भविष्य से अनभिज्ञ रहा। भारत में ही क्या, संसार भर में जैन श्री. संघ की अधिक ख्याति है, इसके उद्देश्य, ध्येय, कार्य-कलाप सब अपेक्षाकृत, अधिक प्रशंसनीय, अनुकरणीय एवं एकान्त धार्मिक होते हैं । दीन, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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