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गोड़वाड़ प्रान्त की जैन पंचायत का यह मुख्य स्थान है और गोड़वाड़ - प्रान्तीय जैनों के सफल प्रयत्न से यहाँ पर एक श्रीपार्श्वनाथ - जैनबोर्डिंग नामका विद्यालय चल रहा है जिसमें शिक्षण मिडल कक्षा तक का दिया जाता है और ३०० विद्यार्थी विद्या-लाभ प्राप्त कर रहे हैं । यह भ्रम उनका अत्यन्त ही सराहनीय है । इस प्रयत्न से इस तीर्थ की ख्याति अधिक पुष्ट एवं जाग्रत बन गई है । धीरे धीरे पुनः अपने उसी प्राचीन गौरव की सीमा पर पहुंच रही है । यात्रियों की सुविधा के लिये यहाँ एक विशाल दो मंजिली धर्मशाला भी है । संघपतिने यहाँ के जीर्णोद्धार - खाते तथा बोर्डिंग खाते में अच्छी रकम की भेट की ।
२ श्री नाडोल - तीर्थ
पौषकृष्णा प्रतिपदा को श्रीसंघ प्रयाण कर नाडोल पहुँचा और यहाँ के संघने उसका भारी जुलुश के साथ प्रशंसनीय स्वागत किया । यहाँ जैनों के २०० घर आबाद हैं और प्राचीन ढंग के चार उपाश्रय हैं। सम्राट् - संप्रति का बनवाया हुआ भगवान् श्रीपद्मप्रभस्वामी का मन्दिर बड़ा विशाल और चित्ताकर्षक है । दूसरा राजा गन्धर्वसेन का
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