Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 59
________________ दर्शन करने के लिये अपने सामन्त समाज के साथ आये। महाराणाने तिलक करते समय केसरकटोरी में एक बाल (केश) देखा। उन्होंने व्यंगरूप से पास ही खड़े हुए पूजारी से कहा-प्रतीत होता है भगवान् मुछाले हैं। इस पर पुजारी के मुख से 'जी हाँ' शब्द निकल गया और कहा भगवान् समय समय पर इच्छा मुजब अनेक रूप धारण करते हैं। महाराणाने इस पर पूजारी से कहा कि मेरी इच्छा भगवान् के मूछ सहित दर्शन करने की है। हम यहाँ इसी निमित्त तीन दिन ठहरेंगे। इस अन्तर में हमें भगवान् अभिलषित रूप में ही दर्शन दें। इसके पश्चात् सब अपने अपने डेरे पर चले गये। पूजारी बड़ी चिन्ता में पड़ा कि अब क्या करना चाहिये ? । निदान उसने यही उचित समझा कि इन तीन दिनों में घोर तप करना चाहिये, भगवान् अवश्य प्रसन्न होंगे और महाराणा को समूछ रूप धारण कर दर्शन देंगे। हुआ भी ऐसा ही । पूजारीने अन्न जल को छोड़कर अट्ठम का तप किया और प्रभु के ध्यान में तल्लीन हुआ। तीसरे दिन जब प्रात:काल लोग पूजा करने को भगवान् के मन्दिर में प्रविष्ट हुए तो क्या देखते हैं कि भगवान् समूछ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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